नवरात्रि में ऐसे करें माँ दुर्गा की मूर्ति (Statue) की प्राण प्रतिष्ठा, पूरी विधि जानें!
नवरात्रि में कैसे करें दुर्गा मां की मूर्ति (Statue) की प्राण प्रतिष्ठा?
नवरात्रि का पर्व माँ दुर्गा की उपासना का सबसे पवित्र समय होता है। इस दौरान भक्त माँ की मूर्ति (Statue) स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा कर विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। माँ दुर्गा की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा करने से वह केवल एक प्रतिमा नहीं रहती, बल्कि उसमें दैवीय शक्ति का वास होता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि नवरात्रि में माँ दुर्गा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कैसे करें और किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
1. प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ क्या है?
प्राण प्रतिष्ठा एक वैदिक अनुष्ठान है, जिसमें किसी देव प्रतिमा में दैवीय शक्ति को आमंत्रित किया जाता है। यह प्रक्रिया मूर्ति को सजीव बनाती है, जिससे वह केवल एक कलाकृति न रहकर ईश्वरीय शक्ति का केंद्र बन जाती है। जब मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होती है, तो वह एक ऊर्जावान और पूजनीय रूप ले लेती है।
प्राण प्रतिष्ठा के बिना मूर्ति की पूजा करना उतना प्रभावी नहीं माना जाता। इस अनुष्ठान से माँ दुर्गा स्वयं उस मूर्ति में स्थापित हो जाती हैं और भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं।
2. प्राण प्रतिष्ठा के लिए आवश्यक सामग्री
प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के लिए कुछ आवश्यक पूजा सामग्री की जरूरत होती है। इन सामग्रियों को पहले से तैयार कर लेना चाहिए ताकि विधि पूरी तरह सही हो सके।
आवश्यक सामग्री:
- माँ दुर्गा की मूर्ति
- गंगाजल और शुद्ध जल
- कलश, आम के पत्ते, नारियल
- रोली, कुमकुम, हल्दी, चंदन
- धूप, दीप, अगरबत्ती, कपूर
- फूल, माला और पत्तियां
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर)
- नैवेद्य (फलों और मिठाइयों का भोग)
- लाल वस्त्र, अक्षत (चावल), सुपारी
- नौ प्रकार के अनाज (नवरात्रि की पूजा के लिए)
3. मूर्ति (Statue) स्थापना के लिए सही स्थान और दिशा
माँ दुर्गा की मूर्ति स्थापना के लिए सही स्थान और दिशा बहुत महत्वपूर्ण होती है। गलत दिशा या स्थान में मूर्ति स्थापित करने से पूजा का पूरा फल नहीं मिलता।
- मूर्ति उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में रखनी चाहिए।
- पूजा स्थल स्वच्छ और पवित्र होना चाहिए।
- मूर्ति के सामने बैठकर पूजा करनी चाहिए और पूजा करते समय मुख पूर्व दिशा की ओर रखना शुभ माना जाता है।
- मूर्ति के पास हमेशा गंगाजल रखें, जिससे वातावरण शुद्ध बना रहे।
- पूजा स्थल पर लाल या पीले वस्त्र बिछाकर माँ की मूर्ति स्थापित करें।
4. प्राण प्रतिष्ठा की विधि (Step-by-Step)
1. शुद्धिकरण (शुद्धता का विशेष ध्यान)
- सबसे पहले स्वयं स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल और मूर्ति को गंगाजल से शुद्ध करें।
- मूर्ति को हल्दी, चंदन और गुलाब जल से स्नान कराएं।
2. संकल्प लें
- माँ दुर्गा का ध्यान कर संकल्प लें कि आप विधिपूर्वक प्राण प्रतिष्ठा करेंगे।
- हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर संकल्प मंत्र बोलें।
3. मूर्ति (Statue) में प्राण प्रतिष्ठा करें
- मंत्रों के उच्चारण के साथ माँ दुर्गा की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा करें।
- यह मंत्र बोलें: “ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
- माँ दुर्गा से प्रार्थना करें कि वे इस मूर्ति में स्थायी रूप से विराजमान हों।
5. विशेष पूजा और हवन की विधि
प्राण प्रतिष्ठा के बाद माँ दुर्गा की विशेष पूजा करें। पूजा विधि इस प्रकार है:
- माँ को हल्दी, चंदन, सिंदूर और फूल अर्पित करें।
- घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती दिखाएं।
- माँ को भोग में मिठाई, फल, और पंचामृत चढ़ाएं।
- माँ दुर्गा की आरती करें और भक्तों को प्रसाद वितरित करें।
- अंत में हवन करें और दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का उच्चारण करें।
6. नवरात्रि में मूर्ति (Statue) विसर्जन की सही विधि
- नवरात्रि समाप्त होने पर माँ दुर्गा की मूर्ति को सम्मानपूर्वक विसर्जित करना आवश्यक होता है।
- मूर्ति विसर्जन से पहले पूजा और आरती करें।
- मूर्ति को फूल, वस्त्र, और चावल अर्पित करें।
- गंगा या किसी पवित्र नदी में माँ की मूर्ति का विसर्जन करें।
- विसर्जन के बाद घर आकर गंगाजल का छिड़काव करें और माँ से आशीर्वाद मांगें।
7. प्राण प्रतिष्ठा में कौन-कौन सी गलतियाँ नहीं करनी चाहिए?
- मूर्ति को सीधे जमीन पर न रखें, हमेशा वस्त्र या चौकी पर रखें।
- बिना स्नान किए या अशुद्ध अवस्था में पूजा न करें।
- माँ की मूर्ति की स्थापना के बाद पूजा में विलंब न करें।
- पूजा करते समय एकाग्र मन से करें, मन भटकाना अशुभ होता है।
- प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति को इधर-उधर न हटाएँ, इससे दोष लग सकता है।
8. प्राण प्रतिष्ठा का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व
आध्यात्मिक महत्व
- प्राण प्रतिष्ठा से मूर्ति में दैवीय ऊर्जा का संचार होता है।
- माँ दुर्गा की शक्ति से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
- इससे भक्तों को मन की शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
वैज्ञानिक महत्व
- जब हम पूजा में घंटी, शंख और मंत्रों का उच्चारण करते हैं, तो इससे ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती हैं।
- हवन में उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटियाँ वातावरण को शुद्ध बनाती हैं और स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव डालती हैं।
माँ दुर्गा की प्राण प्रतिष्ठा नवरात्रि के दौरान एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिससे मूर्ति में दैवीय ऊर्जा का संचार होता है। सही विधि से की गई प्राण प्रतिष्ठा से माँ दुर्गा अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि लाती हैं। यदि आप सच्चे मन से माँ दुर्गा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा और पूजा करेंगे, तो माँ की कृपा आप पर सदैव बनी रहेगी।
नवरात्रि में दुर्गा मां की मूर्ति (Statue) की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल और जवाब
1. प्राण प्रतिष्ठा क्या होती है?
उत्तर: प्राण प्रतिष्ठा एक वैदिक अनुष्ठान है, जिसमें किसी मूर्ति में दैवीय शक्ति का संचार किया जाता है, जिससे वह केवल प्रतिमा न रहकर पूजनीय रूप ले लेती है।
2. नवरात्रि में दुर्गा मां की मूर्ति (Statue) की स्थापना क्यों की जाती है?
उत्तर: नवरात्रि में माँ दुर्गा की पूजा विशेष रूप से की जाती है, क्योंकि इन नौ दिनों में संपूर्ण ब्रह्मांड में देवी शक्ति का प्रभाव अधिक होता है।
3. प्राण प्रतिष्ठा के लिए कौन-कौन सी सामग्री जरूरी है?
उत्तर: गंगाजल, कलश, नारियल, हल्दी, चंदन, कुमकुम, धूप, दीप, अगरबत्ती, फूल, पंचामृत, लाल वस्त्र, सुपारी, नौ प्रकार के अनाज और प्रसाद आदि।
4. मूर्ति (Statue) स्थापना के लिए कौन-सी दिशा सबसे शुभ मानी जाती है?
उत्तर: पूजा स्थल में उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) को सबसे शुभ माना जाता है।
5. क्या बिना प्राण प्रतिष्ठा के मूर्ति (Statue) की पूजा की जा सकती है?
उत्तर: हाँ, लेकिन प्राण प्रतिष्ठा के बिना मूर्ति केवल एक प्रतिमा रहती है, उसमें देवी की शक्ति का पूर्ण संचार नहीं होता।
6. प्राण प्रतिष्ठा कैसे की जाती है?
उत्तर: मूर्ति को शुद्ध जल से स्नान कराकर, वैदिक मंत्रों का उच्चारण करके, देवी का ध्यान और संकल्प लेकर प्राण प्रतिष्ठा की जाती है।
7. क्या हर किसी को प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए?
उत्तर: यदि कोई पूरी श्रद्धा और सही विधि से करना जानता है, तो कर सकता है। अन्यथा किसी पुरोहित या विद्वान ब्राह्मण से करवाना उचित होता है।
8. क्या प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद मूर्ति (Statue) को हटाया जा सकता है?
उत्तर: नहीं, जब तक नवरात्रि समाप्त नहीं होती, तब तक मूर्ति को इधर-उधर नहीं हटाना चाहिए।
9. माँ दुर्गा की मूर्ति (Statue) विसर्जन कब और कैसे किया जाता है?
उत्तर: नवरात्रि के अंतिम दिन मूर्ति की पूजा कर उसे गंगाजल से शुद्ध करके किसी पवित्र नदी या जल स्रोत में विसर्जित किया जाता है।
10. क्या प्राण प्रतिष्ठा के दौरान कोई विशेष मंत्र बोला जाता है?
उत्तर: हाँ, इस मंत्र का जाप किया जाता है –
“ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
11. क्या घर में मिट्टी, पीतल या संगमरमर की मूर्ति (Statue) रखी जा सकती है?
उत्तर: हाँ, लेकिन घर में छोटी मूर्ति (9 इंच से कम) रखना शुभ माना जाता है।
12. क्या प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति (Statue) को हटाना अशुभ होता है?
उत्तर: हाँ, यदि मूर्ति स्थायी रूप से रखी गई हो, तो उसे हटा देना अशुभ माना जाता है।
13. क्या बिना पुरोहित के प्राण प्रतिष्ठा संभव है?
उत्तर: हाँ, यदि विधि और मंत्रों का सही ज्ञान हो तो कोई भी श्रद्धालु कर सकता है।
14. मूर्ति (Statue) स्थापना के दौरान कौन-सी गलतियाँ नहीं करनी चाहिए?
उत्तर:
- बिना स्नान किए पूजा न करें।
- मूर्ति को सीधे जमीन पर न रखें।
- पूजा के बाद मूर्ति को न हटाएँ।
15. क्या प्राण प्रतिष्ठा के बाद माँ दुर्गा की मूर्ति (Statue) का अपमान करना महापाप है?
उत्तर: हाँ, मूर्ति का अपमान या लापरवाही करना अत्यंत अशुभ और महापाप माना जाता है।