संकष्टी चतुर्थी: (Sankashti Chaturthi:) व्रत, कथा और चमत्कारी लाभ, जो हर भक्त को जानने चाहिए!
संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi:) की कथा और महत्व
संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi:) भगवान गणेश को समर्पित एक पवित्र व्रत है, जिसे हर महीने चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से संकटों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है, इसलिए इसे “संकष्टी” कहा जाता है। इसे करने से सभी प्रकार के दुख, कष्ट और बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही पूर्ण होता है और इसमें खासतौर पर गणेश जी की पूजा और व्रत कथा सुनना आवश्यक माना जाता है।
संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi:) का महत्व
इस व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है। मान्यता है कि जो व्यक्ति संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखता है, उसके जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और उसे भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत से व्यक्ति की बुद्धि तेज होती है, कार्यों में सफलता मिलती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभदायक माना जाता है, जो नौकरी, व्यापार या पढ़ाई में सफलता पाना चाहते हैं।
संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi:) की कथा
प्राचीन कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव और पार्वती अपने पुत्र गणेश के साथ कैलाश पर्वत पर थे। देवी पार्वती ने भगवान गणेश से कहा कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से तुम्हारी पूजा करेगा, उसके सभी संकट दूर हो जाएंगे। इसी समय देवताओं और ऋषियों ने भी भगवान गणेश से प्रार्थना की कि वे अपने भक्तों के कष्टों को हरें।
दूसरी कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक राजा के पास कोई संतान नहीं थी। उसने ऋषियों की सलाह पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया और गणेश जी की कृपा से उसे एक सुयोग्य पुत्र की प्राप्ति हुई। तब से संतान प्राप्ति और सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत विशेष रूप से किया जाता है।
कैसे करें संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi:) व्रत?
- स्नान करके गणेश जी की पूजा करें।
- निर्जला या फलाहार व्रत रखें।
- गणेश जी को दूर्वा, मोदक, पंचामृत और लड्डू अर्पित करें।
- गणेश मंत्र और व्रत कथा का पाठ करें।
- चंद्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत खोलें।
व्रत के लाभ
- कष्टों से मुक्ति
- सुख-समृद्धि
- संतान प्राप्ति
- कार्य में सफलता
- परिवार में शांति
संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को प्रसन्न करने का अति प्रभावशाली व्रत है। जो भी इसे श्रद्धा और विश्वास से करता है, उसे जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और वह सुख-समृद्धि प्राप्त करता है।
संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi:) से जुड़े सबसे पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi:) क्या है?
संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश जी को समर्पित एक विशेष व्रत है, जो हर चंद्र माह की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इसे करने से संकटों से मुक्ति मिलती है।
2. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi:) का महत्व क्या है?
यह व्रत सभी बाधाओं को दूर करने, सुख-समृद्धि प्राप्त करने और बुद्धि एवं ज्ञान में वृद्धि के लिए किया जाता है। इसे करने से गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है।
3. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi:) व्रत कैसे करें?
इस दिन निर्जला या फलाहार व्रत रखा जाता है, गणेश जी की पूजा की जाती है, व्रत कथा सुनी जाती है और चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है।
4. चंद्र दर्शन क्यों आवश्यक है?
संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्र दर्शन के बिना अधूरा माना जाता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
5. क्या संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi:) हर महीने आती है?
हाँ, यह व्रत हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आता है। साल में एक बार अंगारकी संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है।
6. अंगारकी संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi:) क्या होती है?
जब संकष्टी चतुर्थी का दिन मंगलवार को आता है, तो उसे अंगारकी संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इसे करने से गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
7. क्या महिलाएँ संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi:) का व्रत रख सकती हैं?
हाँ, यह व्रत पुरुष और महिलाएँ दोनों रख सकते हैं। विशेष रूप से संतान सुख और परिवार की खुशहाली के लिए यह व्रत महिलाओं द्वारा किया जाता है।
8. क्या गर्भवती महिलाएँ यह व्रत कर सकती हैं?
हाँ, लेकिन उन्हें निर्जला व्रत रखने की जरूरत नहीं होती। वे फलाहार करके भी इस व्रत को कर सकती हैं।
9. क्या बच्चे संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi:) व्रत रख सकते हैं?
यदि बच्चे इच्छुक हैं, तो वे आसान तरीके से फलाहार व्रत कर सकते हैं और भगवान गणेश की पूजा कर सकते हैं।
10. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi:) व्रत में क्या प्रसाद चढ़ाना चाहिए?
गणेश जी को मोदक, लड्डू, दूर्वा, नारियल और पंचामृत का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
11. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi:) का व्रत कितने साल तक करना चाहिए?
यह व्रत इच्छानुसार जीवनभर किया जा सकता है, लेकिन आमतौर पर 21 या 108 बार करने का संकल्प लिया जाता है।
12. यदि चतुर्थी तिथि पर व्रत रखना संभव न हो तो क्या करें?
यदि किसी कारण से व्रत नहीं रखा जा सकता, तो गणेश जी की पूजा करके और दान-पुण्य करके इसका फल प्राप्त किया जा सकता है।
13. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi:) की पूजा का शुभ मुहूर्त कैसे पता करें?
पूजा का शुभ मुहूर्त पंचांग या किसी विश्वसनीय ज्योतिषीय स्रोत से देखा जा सकता है।
14. क्या संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi:) व्रत करने से संतान प्राप्ति हो सकती है?
हाँ, कई भक्त यह व्रत संतान सुख प्राप्त करने के लिए रखते हैं। भगवान गणेश की कृपा से संतान की प्राप्ति हो सकती है।
15. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi:) व्रत के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?
इस दिन झूठ, क्रोध, मांसाहार, मद्यपान और गलत आचरण से बचना चाहिए। केवल शुद्ध और सात्विक भोजन करना चाहिए।