“कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) जानिए रहस्यमय महिमा, मंत्र और चमत्कारिक लाभ”
कालभैरव:
कालभैरव को हिंदू धर्म में समय के देवता माना जाता है। वे भगवान शिव के रौद्र रूप हैं। काल का अर्थ है समय और भैरव का अर्थ है भय को नष्ट करने वाला। कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) भगवान कालभैरव की स्तुति है। इसे सुनने और पढ़ने से भय, बाधा और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
कालभैरव की उत्पत्ति
पुराणों के अनुसार, भगवान शिव ने ब्रह्माजी के अहंकार को समाप्त करने के लिए कालभैरव का अवतार लिया। एक कथा के अनुसार, ब्रह्माजी ने शिव का अपमान किया था। इस पर शिव ने क्रोधित होकर कालभैरव को उत्पन्न किया। उन्होंने ब्रह्माजी के अहंकार का नाश कर दिया। इस प्रकार कालभैरव का जन्म हुआ।
कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) की रचना
कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) की रचना आचार्य आदि शंकराचार्य ने की थी। इसमें आठ श्लोक होते हैं, जो भगवान कालभैरव की महिमा और उनके गुणों का वर्णन करते हैं। इसे पढ़ने से मनुष्य की हर समस्या दूर होती है। यह स्तोत्र न केवल भय को दूर करता है, बल्कि आत्मबल भी बढ़ाता है।
कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) का महत्व
कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) का पाठ करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। यह व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियों से बचाता है। जो व्यक्ति इसे नियमित रूप से पढ़ता है, उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसे विशेष रूप से कालाष्टमी और सोमवार के दिन पढ़ने का विशेष महत्व है।
कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra)
श्री कालभैरव |
Shri Kalbhairav Stotraनमो भैरवदेवाय नित्यायानंद मूर्तये ।
विधिशास्त्रांत मार्गाय वेदशास्त्रार्थ दर्शिने ॥ १ ॥दिगंबराय कालाय नम: खट्वांग धारिणे ।
विभूतिविल सद्भाल नेत्रायार्धेंदुमोलिने ॥ २ ॥कुमारप्रभवे तुभ्यं बटुकाय महात्मने ।
नमोsचिंत्य प्रभावाय त्रिशूलायुधधारिणे ॥ ३ ॥नमः खड्गमहाधार ह्रतत्रैलोक्य भितये ।
पुरितविश्र्व विश्र्वाय विश्र्वपालायते नमः ॥ ४ ॥भुतावासाय भूताय भूतानां पतये नमः ।
अष्टमूर्ते नमस्तुभ्यं कालकालायते नमः ॥ ५ ॥कंकाला याति घोराय क्षेत्रपालाय कामिने ।
कलाकाष्ठादिरुपाय कालाय क्षेत्र वासीने ॥ ६ ॥नमः क्षत्रजित तुभ्यं विराजे ज्ञानशालिने ।
विधानां गुरवे तुभ्यं निधीनांपतये नमः ॥ ७ ॥नमः प्रपंच दोर्दंड दैत्यदर्प विनाशिने ।
निज भक्तजनोद्दाम हर्ष प्रवर दायिने ॥ ८ ॥नमो दंभारिमुख्याय नामैश्र्वर्याष्ट दायिने ।
अनंत दुःख संसार पारावारांत दर्शने ॥ ९ ॥नमो दंभाय मोहाय द्वेषायोच्चोटकारिणे ।
वशंकराय राजन्य मौलिन्यस्य निजांघ्रये ॥ १० ॥नमो भक्तापदा हंत्रे स्मृतिमात्रार्थ दर्शिने ।
आनंदमूर्तये तुभ्यं स्मशान निलयायते ॥ ११ ॥वेताळभूत कुश्मांड ग्रहसेवा विलासिने ।
दिगंबराय महते पिशाचाकृति शालिने ॥ १२ ॥नमो ब्रह्मादिभिर्वंद्द पदरेणु वरायुषे ।
ब्रह्मादि ग्रास दक्षाय निःफलाय नमो नमः ॥ १३ ॥नमः काशीनिवासाय नमो दंडकवासिने ।
नमोsनंत प्रबोधाय भैरवाय नमो नमः ॥ १४ ॥श्री कालभैरव स्तोत्र संपूर्णम् ॥ श्री कालभैरवार्पणंsस्तु ॥
शुभं भवतु ॥

नमो भैरवदेवाय नित्यायानंद मूर्तये ।
विधिशास्त्रांत मार्गाय वेदशास्त्रार्थ दर्शिने ॥ १ ॥
दिगंबराय कालाय नम: खट्वांग धारिणे ।
विभूतिविल सद्भाल नेत्रायार्धेंदुमोलिने ॥ २ ॥
कुमारप्रभवे तुभ्यं बटुकाय महात्मने ।
नमोsचिंत्य प्रभावाय त्रिशूलायुधधारिणे ॥ ३ ॥
नमः खड्गमहाधार ह्रतत्रैलोक्य भितये ।
पुरितविश्र्व विश्र्वाय विश्र्वपालायते नमः ॥ ४ ॥
भुतावासाय भूताय भूतानां पतये नमः ।
अष्टमूर्ते नमस्तुभ्यं कालकालायते नमः ॥ ५ ॥
कंकाला याति घोराय क्षेत्रपालाय कामिने ।
कलाकाष्ठादिरुपाय कालाय क्षेत्र वासीने ॥ ६ ॥
नमः क्षत्रजित तुभ्यं विराजे ज्ञानशालिने ।
विधानां गुरवे तुभ्यं निधीनांपतये नमः ॥ ७ ॥
नमः प्रपंच दोर्दंड दैत्यदर्प विनाशिने ।
निज भक्तजनोद्दाम हर्ष प्रवर दायिने ॥ ८ ॥
नमो दंभारिमुख्याय नामैश्र्वर्याष्ट दायिने ।
अनंत दुःख संसार पारावारांत दर्शने ॥ ९ ॥
नमो दंभाय मोहाय द्वेषायोच्चोटकारिणे ।
वशंकराय राजन्य मौलिन्यस्य निजांघ्रये ॥ १० ॥
नमो भक्तापदा हंत्रे स्मृतिमात्रार्थ दर्शिने ।
आनंदमूर्तये तुभ्यं स्मशान निलयायते ॥ ११ ॥
वेताळभूत कुश्मांड ग्रहसेवा विलासिने ।
दिगंबराय महते पिशाचाकृति शालिने ॥ १२ ॥
नमो ब्रह्मादिभिर्वंद्द पदरेणु वरायुषे ।
ब्रह्मादि ग्रास दक्षाय निःफलाय नमो नमः ॥ १३ ॥
नमः काशीनिवासाय नमो दंडकवासिने ।
नमोsनंत प्रबोधाय भैरवाय नमो नमः ॥ १४ ॥
श्री कालभैरव स्तोत्र संपूर्णम् ॥ श्री कालभैरवार्पणंsस्तु ॥
शुभं भवतु ॥
कालभैरव के रूप
कालभैरव को काले वस्त्र, हाथ में त्रिशूल, डमरू और कपाल धारण किए हुए दिखाया जाता है। उनके वाहन कुत्ते माने जाते हैं। यह प्रतीक है कि कालभैरव सभी प्रकार के भय और मृत्यु पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) के चमत्कारिक लाभ
- भयमुक्ति: इसका पाठ करने से मनुष्य सभी प्रकार के डर से मुक्त हो जाता है।
- संकटों का नाश: जीवन में आने वाली हर प्रकार की बाधा समाप्त होती है।
- धन की प्राप्ति: कालभैरव की कृपा से धन और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
- शत्रु पर विजय: इसका नियमित पाठ शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
- धार्मिक उन्नति: व्यक्ति का मन आध्यात्मिक और धार्मिक कार्यों की ओर आकर्षित होता है।
कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) के श्लोक
कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) में आठ मुख्य श्लोक हैं। ये श्लोक भगवान कालभैरव के रूप, उनके प्रभाव और कृपा का वर्णन करते हैं।
पाठ विधि
- सुबह स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र पहनें।
- भगवान शिव और कालभैरव की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं।
- स्फटिक या रुद्राक्ष की माला से जप करें।
- हर श्लोक को श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ें।
कालाष्टमी और कालभैरव
कालभैरव की पूजा का मुख्य दिन कालाष्टमी है। इस दिन व्रत रखने और कालभैरव स्तोत्र पढ़ने से विशेष लाभ मिलता है। इस दिन पूजा करने से भगवान शिव और कालभैरव की कृपा प्राप्त होती है।
कालभैरव से जुड़ी विशेष कथाएं
शास्त्रों में कई कथाएं हैं जो कालभैरव की महिमा को दर्शाती हैं। एक कथा के अनुसार, काशी की रक्षा के लिए कालभैरव को नियुक्त किया गया था। जो व्यक्ति काशी में मृत्यु को प्राप्त करता है, उसे कालभैरव मोक्ष प्रदान करते हैं।
कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) का पाठ करने से मन शांत रहता है और तनाव कम होता है। इसके सकारात्मक प्रभाव से मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि जीवन में शांति और सुख लाने का साधन भी है। इसका पाठ हर व्यक्ति को करना चाहिए। यह हमें नकारात्मकता से बचाता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर
1. कालभैरव कौन हैं?
कालभैरव भगवान शिव का रौद्र रूप हैं, जिन्हें समय के स्वामी और भय को नष्ट करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है।
2. कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) क्या है?
कालभैरव स्तोत्र:(Kalbhairav Stotra) एक पवित्र ग्रंथ है, जिसमें भगवान कालभैरव की स्तुति के लिए आठ श्लोक शामिल हैं। इसका पाठ नकारात्मक ऊर्जा और भय को दूर करता है।
3. कालभैरव की पूजा क्यों की जाती है?
कालभैरव की पूजा भय, बाधाओं और शत्रुओं से मुक्ति के लिए की जाती है। वे धन, सुख और सुरक्षा प्रदान करते हैं।
4. कालभैरव स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?
कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) का पाठ सोमवार, कालाष्टमी, या किसी शुभ अवसर पर किया जा सकता है। सुबह के समय इसका पाठ अधिक फलदायी होता है।
5. क्या कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) पाठ करने के नियम हैं?
हाँ, इसे पाठ करते समय शुद्ध वस्त्र पहनना, भगवान शिव या कालभैरव की मूर्ति के सामने दीप जलाना और मन को शांत रखना चाहिए।
6. कालभैरव के वाहन कौन हैं?
कालभैरव का वाहन कुत्ता है। हिंदू धर्म में कुत्ते को कालभैरव का प्रतीक माना गया है।
7. कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) के लाभ क्या हैं?
- भय और संकटों से मुक्ति।
- धन और समृद्धि की प्राप्ति।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश।
- शत्रु से सुरक्षा।
- मानसिक शांति।
8. कालाष्टमी क्या है?
कालाष्टमी भगवान कालभैरव को समर्पित दिन है। यह हर मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पड़ती है। इस दिन उनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है।
9. कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) किसने लिखा?
कालभैरव स्तोत्र: (kalbhairav stotra) की रचना आदि शंकराचार्य ने की थी।
10. कालभैरव का स्वरूप कैसा है?
कालभैरव को काले वस्त्र धारण किए हुए, त्रिशूल, डमरू और कपाल के साथ दर्शाया गया है। यह रूप उनकी शक्ति और भयानकता को दर्शाता है।
11. कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav totra) का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
इसे कम से कम एक बार और अधिकतम 11 बार पढ़ा जा सकता है। विशेष दिनों पर इसे अधिक बार पढ़ना शुभ माना जाता है।
12. कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra)का वैज्ञानिक महत्व क्या है?
इसका पाठ मानसिक शांति प्रदान करता है और तनाव कम करने में सहायक होता है। इसकी ध्वनि तरंगें मन और शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
13. क्या कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) धन की प्राप्ति में मदद करता है?
हाँ, इसे पढ़ने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और व्यक्ति को धन प्राप्ति के मार्ग मिलते हैं।
14. क्या कालभैरव की पूजा से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है?
जी हाँ, कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) का पाठ शत्रु से सुरक्षा और विजय प्राप्ति में सहायक है।
15. कालभैरव स्तोत्र: (Kalbhairav Stotra) कैसे शुरू करें?
- सुबह स्नान करें।
- भगवान शिव या कालभैरव की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं।
- शांत मन से स्तोत्र का पाठ करें।