“आठ रूपों में धन, सुख और समृद्धि की देवी: अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram) का रहस्य”
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram)
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram) मां लक्ष्मी के आठ रूपों की स्तुति है। इसे संस्कृत में लिखा गया है और यह हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। अष्टलक्ष्मी देवी धन, समृद्धि, विद्या, ऐश्वर्य और शांति का प्रतीक मानी जाती हैं। यह स्तोत्र व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और सफलता लाने का माध्यम माना जाता है।
अष्टलक्ष्मी के आठ रूप कौन-कौन से हैं?
अष्टलक्ष्मी देवी के आठ रूप हैं:
- आदि लक्ष्मी – आध्यात्मिक उन्नति की देवी।
- धन लक्ष्मी – धन और संपत्ति की देवी।
- धैर्य लक्ष्मी – धैर्य और साहस की देवी।
- गजलक्ष्मी – खेती-बाड़ी और पशुधन की देवी।
- संतान लक्ष्मी – संतान और वंश वृद्धि की देवी।
- विद्या लक्ष्मी – ज्ञान और शिक्षा की देवी।
- विजय लक्ष्मी – जीत और सफलता की देवी।
- धन्य लक्ष्मी – ऐश्वर्य और वैभव की देवी।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram) का महत्व
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram) का नियमित पाठ करने से धन, सुख और शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह स्तोत्र व्यक्ति को जीवन में हर प्रकार की समृद्धि और उन्नति प्रदान करता है। इसे पढ़ने से न केवल आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं, बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram)
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम्
(Ashta Lakshmi Stotram)आदिलक्ष्मि
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहॊदरि हेममये
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायनि, मञ्जुल भाषिणि वेदनुते ।
पङ्कजवासिनि देव सुपूजित, सद्गुण वर्षिणि शान्तियुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, आदिलक्ष्मि परिपालय माम् ॥ 1 ॥धान्यलक्ष्मि
अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि, वैदिक रूपिणि वेदमये
क्षीर समुद्भव मङ्गल रूपिणि, मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, धान्यलक्ष्मि सदापालय माम् [परिपालय माम्] ॥ 2 ॥धैर्यलक्ष्मि
जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि, मन्त्र स्वरूपिणि मन्त्रमये [जयवरवर्णिनि]
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद, ज्ञान विकासिनि शास्त्रनुते ।
भवभयहारिणि पापविमोचनि, साधु जनाश्रित पादयुते
जय जयहे मधु सूधन कामिनि, धैर्यलक्ष्मी परिपालय माम् ॥ 3 ॥गजलक्ष्मि
जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि, सर्वफलप्रद शास्त्रमये
रधगज तुरगपदाति समावृत, परिजन मण्डित लोकनुते ।
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, ताप निवारिणि पादयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, गजलक्ष्मी रूपेण पालय माम् ॥ 4 ॥सन्तानलक्ष्मि
अयिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि, रागविवर्धिनि ज्ञानमये
गुणगणवारधि लोकहितैषिणि, स्वरसप्त भूषित गाननुते । [सप्तस्वर]
सकल सुरासुर देव मुनीश्वर, मानव वन्दित पादयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, सन्तानलक्ष्मी त्वं पालय माम् [परिपालय माम्] ॥ 5 ॥विजयलक्ष्मि
जय कमलासिनि सद्गति दायिनि, ज्ञानविकासिनि गानमये
अनुदिन मर्चित कुङ्कुम धूसर, भूषित वासित वाद्यनुते ।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शङ्करदेशिक मान्यपदे
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, विजयलक्ष्मी सदा पालय माम् [परिपालय माम्] ॥ 6 ॥विद्यालक्ष्मि
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि, शोकविनाशिनि रत्नमये
मणिमय भूषित कर्णविभूषण, शान्ति समावृत हास्यमुखे ।
नवनिधि दायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम् ॥ 7 ॥धनलक्ष्मि
धिमिधिमि धिन्धिमि धिन्धिमि-दिन्धिमि, दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम, शङ्ख निनाद सुवाद्यनुते ।
वेद पूराणेतिहास सुपूजित, वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते
जय जयहे मधुसूदन कामिनि, धनलक्ष्मि रूपेणा पालय माम् ॥ 8 ॥फलशृति
श्लो॥ अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विष्णुवक्षः स्थला रूढे भक्त मोक्ष प्रदायिनि ॥श्लो॥ शङ्ख चक्रगदाहस्ते विश्वरूपिणिते जयः ।
जगन्मात्रे च मोहिन्यै मङ्गलं शुभ मङ्गलम् ॥
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram) का पाठ कैसे करें?
- सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें।
- मां लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं।
- शांत मन से स्तोत्र का पाठ करें।
- पाठ के बाद मां लक्ष्मी को फल, फूल और मिठाई अर्पित करें।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram) का प्रभाव
यह स्तोत्र न केवल आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है, बल्कि परिवार में सुख और शांति भी लाता है। इसका नियमित पाठ व्यक्ति को आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति प्रदान करता है।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram) के लाभ
- धन की प्राप्ति: पाठ से धन और संपत्ति की कमी दूर होती है।
- सफलता का आशीर्वाद: यह स्तोत्र जीवन में हर कार्य में सफलता दिलाता है।
- संतान सुख: यह स्तोत्र संतान प्राप्ति के लिए भी फलदायक है।
- मानसिक शांति: पाठ से तनाव और चिंता दूर होती है।
- धैर्य और शक्ति: यह स्तोत्र व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति देता है।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram) का धार्मिक महत्व
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसे पढ़ने से मनुष्य के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram) कैसे सीखें?
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् को सीखने के लिए आप ऑनलाइन वीडियो, पुस्तकें और धार्मिक गुरु की मदद ले सकते हैं। इसे याद करने के लिए नियमित अभ्यास जरूरी है।
अष्टलक्ष्मी पूजा के दौरान स्तोत्र का पाठ
दीपावली और धनतेरस जैसे त्योहारों पर इस स्तोत्र का पाठ करना विशेष फलदायी माना जाता है। पूजा में अष्टलक्ष्मी के सभी रूपों की आराधना करने से जीवन में धन-धान्य और सुख-शांति आती है।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram) केवल एक धार्मिक पाठ नहीं है, बल्कि यह जीवन को सुख, शांति और समृद्धि की ओर ले जाने का मार्गदर्शक है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram) से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
1. अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram) क्या है?
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् मां लक्ष्मी के आठ दिव्य रूपों की स्तुति है। इसे पढ़ने से धन, समृद्धि और सुख का आशीर्वाद मिलता है।
2. अष्टलक्ष्मी देवी के कौन-कौन से रूप हैं?
आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धैर्य लक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, और धन्य लक्ष्मी।
3. अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram)का पाठ कब करना चाहिए?
सुबह स्नान के बाद, मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान या शुक्रवार के दिन इसका पाठ करना शुभ माना जाता है।
4. क्या अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram) का पाठ हर कोई कर सकता है?
हाँ, कोई भी व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति के साथ इस स्तोत्र का पाठ कर सकता है।
5. अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram)का पाठ कैसे करें?
स्वच्छ होकर मां लक्ष्मी की मूर्ति के सामने दीप जलाकर शांत मन से स्तोत्र का पाठ करें।
6. अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram)पढ़ने के क्या लाभ हैं?
यह धन, समृद्धि, मानसिक शांति, और पारिवारिक सुख का आशीर्वाद देता है।
7. अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram)की भाषा क्या है?
यह संस्कृत भाषा में लिखा गया है। लेकिन इसका सरल अनुवाद भी उपलब्ध है।
8. क्या अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram)को याद करना जरूरी है?
इसे याद करना लाभकारी है, लेकिन इसे पुस्तक से पढ़कर भी प्रभाव प्राप्त किया जा सकता है।
9. अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram) का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
आप इसे दिन में एक बार या शुक्रवार को विशेष रूप से पढ़ सकते हैं। त्योहारों पर इसका पाठ अधिक लाभकारी होता है।
10. क्या अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram) केवल धन की प्राप्ति के लिए है?
नहीं, यह केवल धन नहीं बल्कि शिक्षा, साहस, संतोष, और सफलता का भी आशीर्वाद देता है।
11. अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram)कौन लिखित है?
इसका रचयिता स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह प्राचीन वैदिक साहित्य का हिस्सा है।
12. क्या अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram)का पाठ करने के लिए पूजा सामग्री की जरूरत है?
दीपक, फूल, और मिठाई से पूजा करना अच्छा है, लेकिन केवल भक्ति से भी पाठ किया जा सकता है।
13. क्या अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram) का पाठ बच्चों के लिए भी लाभकारी है?
हाँ, यह बच्चों की शिक्षा, बुद्धि और सफलता में मदद करता है।
14. अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram)का पाठ कौन से त्योहारों पर करना चाहिए?
दीपावली, धनतेरस, अक्षय तृतीया और शुक्रवार को इसका पाठ करना विशेष फलदायी है।
15. अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् (Ashta Lakshmi Stotram) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और ऐश्वर्य लाना है।