चंद्र चालीसा: (Chandra Chalisa) चंद्र देव की उपासना से जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करें!

Soma
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चंद्र चालीसा: (Chandra Chalisa) चंद्र देव की उपासना से जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करें!

चंद्र चालीसा:(Chandra Chalisa) चंद्र देव की उपासना से जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करें!


चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) – चंद्र देव की उपासना के लिए

चंद्र देव कौन हैं?

चंद्र देव को हिंदू धर्म में मन और भावनाओं के स्वामी के रूप में जाना जाता है। वह सोम, इंदु, निशाकर और शशांक जैसे कई नामों से प्रसिद्ध हैं। चंद्रमा की शीतलता, सौम्यता और सुंदरता उन्हें विशेष बनाती है। वे रात्रि के स्वामी हैं और सभी प्राणियों के मन पर गहरा प्रभाव डालते हैं।

चंद्र देव को देवताओं में स्थान प्राप्त है और वे सप्ताह के सोमवार के अधिपति हैं। इनकी कृपा से शांति, धैर्य और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है। चंद्र देव का संबंध माँ लक्ष्मी और धन-संपत्ति से भी है। यदि कोई व्यक्ति चंद्र दोष से पीड़ित हो, तो उसे चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का नियमित पाठ करना चाहिए।

चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का महत्त्व

चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का पाठ करने से चंद्र ग्रह के अशुभ प्रभाव समाप्त होते हैं। यह मानसिक शांति, समृद्धि और सुखद दांपत्य जीवन प्रदान करता है। जो लोग अवसाद, चिंता, भय या अनिद्रा से परेशान हैं, उनके लिए यह बहुत लाभकारी है।

चंद्रमा का प्रभाव मन, जल तत्व, माता और भावनाओं से जुड़ा होता है। यदि चंद्रमा कमजोर हो, तो जीवन में भावनात्मक अस्थिरता, मानसिक तनाव और पारिवारिक कलह देखने को मिलती है। ऐसे में चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का पाठ विशेष रूप से प्रभावी होता है।

चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa)

चंद्र चालीसा
(Chandra Chalisa)


दोहा

शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करूं प्रणाम।

उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।।

सर्व साधु और सरस्वती, जिन मंदिर सुखकर।

चन्द्रपुरी के चन्द्र को, मन मंदिर में धार।।

।। चौपाई ।।

जय-जय स्वामी श्री जिन चन्दा, तुमको निरख भये आनन्दा। तुम ही प्रभु देवन के देवा, करूँ तुम्हारे पद की सेवा।।

वेष दिगम्बर कहलाता है, सब जग के मन भाता है। नासा पर है द्रष्टि तुम्हारी, मोहनि मूरति कितनी प्यारी।।

तीन लोक की बातें जानो, तीन काल क्षण में पहचानो। नाम तुम्हारा कितना प्यारा , भूत प्रेत सब करें निवारा।।

तुम जग में सर्वज्ञ कहाओ, अष्टम तीर्थंकर कहलाओ।। महासेन जो पिता तुम्हारे, लक्ष्मणा के दिल के प्यारे।।

तज वैजंत विमान सिधाये , लक्ष्मणा के उर में आये। पोष वदी एकादश नामी , जन्म लिया चन्दा प्रभु स्वामी।।

मुनि समन्तभद्र थे स्वामी, उन्हें भस्म व्याधि बीमारी। वैष्णव धर्म जभी अपनाया, अपने को पण्डित कहाया।।

कहा राव से बात बताऊं , महादेव को भोग खिलाऊं। प्रतिदिन उत्तम भोजन आवे , उनको मुनि छिपाकर खावे।।

इसी तरह निज रोग भगाया , बन गई कंचन जैसी काया। इक लड़के ने पता चलाया , फौरन राजा को बतलाया।।

तब राजा फरमाया मुनि जी को , नमस्कार करो शिवपिंडी को। राजा से तब मुनि जी बोले, नमस्कार पिंडी नहिं झेले।।

राजा ने जंजीर मंगाई , उस शिवपिंडी में बंधवाई। मुनि ने स्वयंभू पाठ बनाया , पिंडी फटी अचम्भा छाया।।

चन्द्रप्रभ की मूर्ति दिखाई, सब ने जय-जयकार मनाई। नगर फिरोजाबाद कहाये , पास नगर चन्दवार बताये।।

चन्द्रसैन राजा कहलाया , उस पर दुश्मन चढ़कर आया। राव तुम्हारी स्तुति गई , सब फौजो को मार भगाई।।

दुश्मन को मालूम हो जावे , नगर घेरने फिर आ जावे। प्रतिमा जमना में पधराई , नगर छोड़कर परजा धाई।।

बहुत समय ही बीता है कि , एक यती को सपना दीखा। बड़े जतन से प्रतिमा पाई , मन्दिर में लाकर पधराई।।

वैष्णवों ने चाल चलाई , प्रतिमा लक्ष्मण की बतलाई। अब तो जैनी जन घबरावें , चन्द्र प्रभु की मूर्ति बतावें।।

चिन्ह चन्द्रमा का बतलाया , तब स्वामी तुमको था पाया। सोनागिरि में सौ मन्दिर हैं , इक बढ़कर इक सुन्दर हैं।।

समवशरण था यहां पर आया , चन्द्र प्रभु उपदेश सुनाया। न्द्र प्रभु का मंदिर भारी , जिसको पूजे सब नर – नारी।।

सात हाथ की मूर्ति बताई , लाल रंग प्रतिमा बतलाई। मंदिर और बहुत बतलाये , शोभा वरणत पार न पाये।।

पार करो मेरी यह नैया , तुम बिन कोई नहीं खिवैया। प्रभु मैं तुमसे कुछ नहीं चाहूं , भव – भव में दर्शन पाऊँ।।

मैं हूं स्वामी दास तिहारा , करो नाथ अब तो निस्तारा। स्वामी आप दया दिखलाओ , चन्द्रदास को चन्द्र बनाओ।।

।।सोरठ।।

नित चालीसहिं बार , पाठ करे चालीस दिन। खेय सुगन्ध अपार , सोनागिर में आय के।।

होय कुबेर सामान , जन्म दरिद्री होय जो। जिसके नहिं संतान , नाम वंश जग में चले।।

चंद्र चालीसा: (Chandra Chalisa) चंद्र देव की उपासना से जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करें!
चंद्र चालीसा: (Chandra Chalisa) चंद्र देव की उपासना से जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करें!

चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का पाठ कब और कैसे करें?

चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का पाठ सोमवार या पूर्णिमा को करना सबसे शुभ माना जाता है। पाठ करने से पहले स्नान कर, सफेद वस्त्र धारण करें और चंद्र देव का ध्यान करें

  1. शुद्ध आसन पर बैठें और दीप जलाएं।
  2. सफेद फूल, चंदन, दूध और अक्षत से पूजन करें।
  3. चंद्र देव के मंत्रों का जाप करें।
  4. चालीसा का पाठ शांत मन से करें।
  5. अंत में आरती करें और प्रसाद वितरण करें।

चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का पाठ करने के लाभ

  1. मानसिक शांति और अवसाद से मुक्ति मिलती है।
  2. आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति प्राप्त होती है।
  3. वैवाहिक जीवन में प्रेम और सौहार्द बना रहता है।
  4. चंद्र ग्रह के दोष समाप्त होते हैं।
  5. बुद्धि, ज्ञान और निर्णय क्षमता में सुधार होता है।

चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का पाठ कौन कर सकता है?

चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है, विशेषकर वे लोग जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर है। जो लोग भावनात्मक अस्थिरता, मानसिक तनाव या चंद्र दोष से परेशान हैं, वे इसे अवश्य करें।

चंद्र देव की उपासना से जीवन में क्या बदलाव आते हैं?

चंद्र देव की कृपा से व्यक्ति का मन स्थिर होता है। उसकी निर्णय क्षमता बढ़ती है और जीवन में सकारात्मकता आती है। इसके अतिरिक्त, माता का स्वास्थ्य सुधरता है और व्यापार-नौकरी में तरक्की होती है।

चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का संपूर्ण पाठ

॥ दोहा ॥  
जय जय जय चंद्रमा, सुधा रस सागर।  
शीतल किरणों से, जीवन उजागर॥  

॥ चौपाई ॥  
चंद्र देव जगत के तारे,  
किरणें बिखेरें सुख अपार रे।  
सौम्य स्वरूप, शीतलता दाता,  
हरो संताप, तुम हो विधाता॥  

सिंहासन पर शुभ्र विराजे,  
देव-दानव सबको भाए।  
सोम नाम से अमृत धारा,  
करो कृपा, सब संकट हारा॥  

पूर्णिमा की ज्योति अपार,  
करे शांत दुखों का भार।  
चौदह कला तुम्हारी न्यारी,  
सृष्टि में छाए उजियारी॥  

शिव के मस्तक शोभा पावे,  
शीतल छवि मन को लुभावे।  
रवि संग चलत सदा सुहाए,  
मन के ताप मिटाने आए॥  

रोग, दोष और पाप निवारक,  
ध्यान धरें, भवसागर पारक।  
चंद्रमा तुम करुणा के सागर,  
कर दो जीवन शुभ उजागर॥  

॥ दोहा ॥  
जय जय जय चंद्र देव, शीतलता के धाम।  
संकट हरकर दीजिए, सुख-समृद्धि विश्राम॥  

चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का पाठ कितने दिनों तक करें?

चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का पाठ सात सोमवार, इक्कीस दिन या चालीस दिन तक लगातार करना श्रेष्ठ माना जाता है। इससे चंद्र ग्रह के नकारात्मक प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।

चंद्र देव के अन्य मंत्र और आरती

चंद्र देव की कृपा प्राप्त करने के लिए चंद्र मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है।

चंद्र मंत्र:

👉 “ॐ सों सोमाय नमः”
👉 “ॐ चंद्राय नमः”

चंद्र आरती:

👉 “जय जय चंद्र भगवान, करुणा के हो सागर महान।
शीतलता से सबको बचाते, कृपा दृष्टि से सुख बरसाते।।”

चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का पाठ करने से मन शांत, जीवन सुखी और आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। यदि आप चंद्र दोष, मानसिक तनाव, अनिद्रा, या भावनात्मक अस्थिरता से परेशान हैं, तो चंद्र देव की उपासना और चंद्र चालीसा का नियमित पाठ करें। इससे सभी समस्याओं का समाधान मिलेगा और जीवन में शांति और समृद्धि आएगी। 🚩

FAQs: चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर

1. चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) क्या है?

चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) एक 40 छंदों का स्तोत्र है, जिसमें चंद्र देव की महिमा और कृपा का वर्णन किया गया है। इसे पढ़ने से मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है।

2. चंद्र देव कौन हैं?

चंद्र देव हिंदू धर्म में मन, भावनाओं और जल तत्व के स्वामी माने जाते हैं। वे सोम, निशाकर और शशांक नामों से भी प्रसिद्ध हैं और देवताओं के मस्तिष्क को शीतलता प्रदान करते हैं।

3. चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का पाठ क्यों किया जाता है?

इसका पाठ चंद्र ग्रह के अशुभ प्रभावों को समाप्त करने, मानसिक शांति प्राप्त करने और आर्थिक व पारिवारिक समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है।

4. चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का पाठ कब करना चाहिए?

सोमवार और पूर्णिमा के दिन चंद्र चालीसा का पाठ करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इसे रात्रि के समय चंद्र दर्शन के साथ करने से अधिक लाभ होता है।

5. चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का पाठ कितने दिनों तक करें?

21 या 40 दिन तक नियमित रूप से इसका पाठ करने से चंद्र ग्रह के दोष समाप्त हो जाते हैं और जीवन में शांति और सफलता प्राप्त होती है।

6. किन लोगों को चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का पाठ करना चाहिए?

जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो, जो मानसिक तनाव, भावनात्मक अस्थिरता, नींद की समस्या या वैवाहिक जीवन में समस्याओं से जूझ रहे हों, उन्हें इसका पाठ करना चाहिए।

7. क्या चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का पाठ करने के लिए किसी विशेष पूजा की आवश्यकता है?

हाँ, पाठ करने से पहले स्नान करें, सफेद वस्त्र पहनें, दीप जलाएं और चंद्र देव को चावल, दूध और सफेद फूल अर्पित करें।

8. चंद्र देव के अन्य मंत्र कौन-से हैं?

👉 “ॐ सों सोमाय नमः”
👉 “ॐ चंद्राय नमः”
👉 “ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः”

9. क्या चंद्र देव की पूजा से वैवाहिक जीवन में सुधार होता है?

हाँ, चंद्र देव की कृपा से पति-पत्नी के बीच प्रेम, तालमेल और सौहार्द बढ़ता है, जिससे वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।

10. क्या चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का पाठ करने से स्वास्थ्य लाभ होता है?

हाँ, यह मानसिक तनाव, अवसाद, अनिद्रा और चंद्र दोष से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को दूर करने में मदद करता है।

11. चंद्र देव को कौन-से भोग अर्पित करने चाहिए?

चंद्र देव को खीर, मिश्री, दूध से बनी मिठाइयाँ और सफेद तिल अर्पित करना शुभ होता है।

12. चंद्र देव की कृपा से कौन-कौन से लाभ होते हैं?

  1. मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ती है।
  2. धन, सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
  3. वैवाहिक और पारिवारिक जीवन सुखद होता है।
  4. अवसाद और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  5. व्यापार और करियर में उन्नति होती है।

13. क्या चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का पाठ किसी विशेष स्थान पर करना चाहिए?

इसे शिव मंदिर, घर के पूजा स्थल या खुले आसमान के नीचे (चंद्र दर्शन करते हुए) करना अधिक लाभकारी होता है।

14. चंद्र देव की कृपा प्राप्त करने के अन्य उपाय क्या हैं?

👉 सोमवार का व्रत रखें।
👉 चाँदी का आभूषण धारण करें।
👉 सफेद वस्त्र पहनें और सफेद चीजों का दान करें।
👉 चंद्र मंत्रों का जाप करें।

15. क्या चंद्र चालीसा (Chandra Chalisa) का पाठ करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है?

हाँ, चंद्र देव की कृपा से धन की समस्याएँ दूर होती हैं, आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और व्यापार में सफलता मिलती है। 🚩



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