हर शुक्रवार करिए ये एक व्रत, लक्ष्मी जी (Lakshmi Ji) की कृपा और सुख-समृद्धि आपके घर में बरसेगी!

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हर शुक्रवार करिए ये एक व्रत, लक्ष्मी जी (Lakshmi Ji) की कृपा और सुख-समृद्धि आपके घर में बरसेगी!

हर शुक्रवार करिए ये एक व्रत, लक्ष्मी जी (Lakshmi Ji) की कृपा और सुख-समृद्धि आपके घर में बरसेगी!


शुक्रवार व्रत: महिमा, विधि और लाभ

भारत में व्रत और उपवास का विशेष महत्व है। हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी और संतोषी माता को समर्पित माना जाता है। इस दिन का व्रत रखने से धन, सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होता है जो आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे होते हैं या घर में शांति और सुख-शांति चाहते हैं।

Contents
हर शुक्रवार करिए ये एक व्रत, लक्ष्मी जी (Lakshmi Ji) की कृपा और सुख-समृद्धि आपके घर में बरसेगी!शुक्रवार व्रत: महिमा, विधि और लाभशुक्रवार व्रत की महिमाशुक्रवार व्रत की तैयारीशुक्रवार व्रत की विधिशुक्रवार व्रत कथा का महत्वशुक्रवार व्रत में क्या न करेंशुक्रवार व्रत से होने वाले लाभ1. धन की प्राप्ति2. संतान सुख3. वैवाहिक जीवन में सुख4. मानसिक शांति और संतोषशुक्रवार व्रत के विशेष नियमसंतोषी माता का विशेष भोगशुक्रवार व्रत में महिलाएं कैसे रखें विशेष ध्यानशुक्रवार व्रत कब से शुरू करें?व्रत का समापन कैसे करें?शुक्रवार व्रत के साथ अन्य उपाययह रहे “शुक्रवार व्रत: महिमा, विधि और लाभ” विषय पर आधारित महत्वपूर्ण FAQs:1. शुक्रवार व्रत किस देवता को समर्पित होता है?2. शुक्रवार व्रत से क्या लाभ मिलते हैं?3. शुक्रवार व्रत कौन रख सकता है?4. शुक्रवार व्रत की पूजा कैसे की जाती है?5. क्या शुक्रवार व्रत में कुछ विशेष खाने से बचना चाहिए?6. क्या शुक्रवार व्रत में फलाहार कर सकते हैं?7. शुक्रवार व्रत की कथा क्यों जरूरी है?8. व्रत कितने शुक्रवार तक रखना चाहिए?9. क्या शुक्रवार व्रत हर शुक्रवार रखा जा सकता है?10. व्रत के दिन कौन से रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है?11. शुक्रवार व्रत में कौन सा भोग अर्पित करें?12. शुक्रवार व्रत का समापन कैसे करें?13. क्या मासिक धर्म में शुक्रवार व्रत किया जा सकता है?14. क्या शुक्रवार व्रत से मनोकामना पूर्ण होती है?15. क्या शुक्रवार व्रत में किसी दान का महत्व है?

शुक्रवार व्रत की महिमा

शुक्रवार व्रत को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और फलदायी माना गया है। यह व्रत न सिर्फ धन की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करता है, बल्कि मन की शांति और पारिवारिक सुख भी प्रदान करता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास से यह व्रत करता है, उसके जीवन में कभी धन की कमी नहीं होती

यह व्रत महिलाओं के लिए विशेष फलदायक माना जाता है। जो महिलाएं संतान सुख या वैवाहिक जीवन में सुख चाहती हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत प्रभावशाली होता है। शुक्रवार व्रत से संतोषी माता की कृपा भी प्राप्त होती है जो जीवन से क्रोध, द्वेष और अशांति को दूर करती हैं।


शुक्रवार व्रत की तैयारी

इस व्रत के लिए विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती, परंतु कुछ सावधानियां और नियम अपनाना आवश्यक है। व्रत से एक दिन पहले रात्रि में सादा भोजन करें और मन में यह संकल्प लें कि आप शुक्रवार को शुद्धता और भक्ति से व्रत करेंगे।

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। घर को साफ करके पूजन स्थान को सजाएं। व्रत करने वाला व्यक्ति दिन भर शुद्ध, सात्विक भोजन करे और मन में ईश्वर का ध्यान बनाए रखे।


शुक्रवार व्रत की विधि

  1. प्रातः काल स्नान कर साफ वस्त्र पहनें।
  2. घर के पूजास्थल को साफ करके वहां महालक्ष्मी या संतोषी माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. पीले या सफेद फूल, चावल, रोली, दीपक और अगरबत्ती से पूजन करें
  4. गुड़ और चने का भोग अर्पित करें। संतोषी माता को विशेष रूप से गुड़-चना बहुत प्रिय है।
  5. पूजा के दौरान शुक्रवार व्रत कथा का श्रवण या पाठ अवश्य करें।
  6. दिनभर व्रत रखें और अगर संभव हो तो जल या फलाहार पर रहें।
  7. संध्या को पुनः दीप जलाकर माता की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

शुक्रवार व्रत कथा का महत्व

शुक्रवार व्रत कथा का पाठ व्रत की आत्मा माना जाता है। इसमें एक निर्धन लड़की की कहानी होती है जो संतोषी माता का व्रत करती है और उसे धन, वैभव और सुखी जीवन की प्राप्ति होती है। कथा का मूल संदेश यह है कि धैर्य, भक्ति और संतोष से ही जीवन में स्थायी सुख और लक्ष्मी की प्राप्ति संभव है।

कथा के माध्यम से यह भी बताया गया है कि माता संतोषी को खट्टा अर्पित नहीं करना चाहिए, वरना उनका आशीर्वाद नहीं मिलता। इसलिए शुक्रवार व्रत में खटाई से परहेज करना अत्यंत आवश्यक है।


शुक्रवार व्रत में क्या न करें

  • खट्टे पदार्थों का सेवन बिल्कुल न करें।
  • गुस्सा, झगड़ा या अपशब्दों से बचें।
  • व्रत के दिन अधिक भोजन या विलासिता से दूर रहें।
  • दूसरों को कष्ट या अपमान न दें।
  • सत्य, अहिंसा और दया का पालन करें।

यह व्रत न केवल बाहरी क्रियाओं पर आधारित है, बल्कि यह अंतरात्मा की शुद्धता और संतुलित व्यवहार का भी प्रतीक है।


शुक्रवार व्रत से होने वाले लाभ

1. धन की प्राप्ति

माता लक्ष्मी की कृपा से घर में धन, वैभव और स्थिरता आती है। आर्थिक तंगी दूर होती है और आय के स्रोत बढ़ते हैं।

2. संतान सुख

जो महिलाएं संतान सुख से वंचित हैं, उनके लिए यह व्रत बहुत लाभदायक होता है। माता की कृपा से संतान प्राप्ति होती है।

3. वैवाहिक जीवन में सुख

यदि दांपत्य जीवन में क्लेश या असंतोष है तो यह व्रत सौहार्द और प्रेम बढ़ाता है। पति-पत्नी में संबंध मजबूत होते हैं।

4. मानसिक शांति और संतोष

संतोषी माता का व्रत करने से व्यक्ति के मन में धैर्य, संतोष और आत्मबल आता है, जिससे जीवन में तनाव कम होता है।


शुक्रवार व्रत के विशेष नियम

  1. व्रत के दिन सफेद या पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
  2. पूजन में कमल या गुलाब के फूल अवश्य चढ़ाएं।
  3. व्रत का समापन शुक्रवार की शाम को आरती और कथा के बाद ही करें।
  4. व्रत की संख्या 11, 21 या 51 शुक्रवार तक की जा सकती है।
  5. अगर आप पूरी तरह उपवास न कर सकें, तो केवल फलाहार या एक समय भोजन करें।

संतोषी माता का विशेष भोग

संतोषी माता को गुड़ और भुने हुए चने का भोग अति प्रिय होता है। यह भोग अत्यंत सात्विक और सादा होता है। ध्यान रहे कि खट्टा या तीखा कुछ भी न हो।

भोग बनाते समय मन शांत और पवित्र रखें। प्रसाद को सबसे पहले माता को अर्पित करें, फिर घर के अन्य सदस्यों और जरूरतमंदों में बांटें।


शुक्रवार व्रत में महिलाएं कैसे रखें विशेष ध्यान

महिलाओं के लिए शुक्रवार व्रत विशेष फलदायक है, लेकिन कुछ विशेष नियमों और संयम का पालन करना आवश्यक है।

  • मासिक धर्म के दौरान व्रत न रखें।
  • दिनभर शुद्धता और मौन का अभ्यास करें।
  • घर की सफाई और वातावरण को शांत बनाएं।
  • छोटे बच्चों और वृद्धों की सेवा करें, यह माता को अत्यंत प्रिय है।

शुक्रवार व्रत कब से शुरू करें?

इस व्रत को किसी भी शुभ शुक्रवार से प्रारंभ किया जा सकता है, विशेषकर शुक्ल पक्ष में। अगर हो सके तो इसे किसी पर्व जैसे अक्षय तृतीया, दीपावली या वसंत पंचमी के आसपास शुरू करें, तो इसका फल कई गुना बढ़ जाता है।


व्रत का समापन कैसे करें?

जब व्रत की तय संख्या पूरी हो जाए, तो आखिरी व्रत पर विशेष पूजा और ब्राह्मण या कन्या भोज का आयोजन करें। माता को विशेष भोग चढ़ाएं और संकल्प करें कि भविष्य में भी आप सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलेंगे।

हर शुक्रवार करिए ये एक व्रत, लक्ष्मी जी (Lakshmi Ji) की कृपा और सुख-समृद्धि आपके घर में बरसेगी!
हर शुक्रवार करिए ये एक व्रत, लक्ष्मी जी (Lakshmi Ji) की कृपा और सुख-समृद्धि आपके घर में बरसेगी!

व्रत का समापन श्रद्धा और विनम्रता से करें ताकि माता का आशीर्वाद जीवनभर बना रहे।


शुक्रवार व्रत के साथ अन्य उपाय

  • घर में शंख और घंटी बजाएं, इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • लक्ष्मी मंत्रों का जाप करें जैसे – “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”
  • घर के उत्तर-पूर्व दिशा को साफ और पवित्र रखें।
  • जल का दान करें, खासकर गर्मियों में यह विशेष फलदायक होता है।

शुक्रवार व्रत न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक साधना भी है जो जीवन में शांति, संतुलन और समृद्धि लाता है। यह व्रत विशेष रूप से महालक्ष्मी और संतोषी माता की कृपा पाने का सरल और प्रभावशाली माध्यम है।

अगर आप भी अपने जीवन में आर्थिक समृद्धि, मानसिक शांति और पारिवारिक सुख चाहते हैं, तो शुक्रवार का व्रत श्रद्धा और नियमों के साथ करें। माता की कृपा से आपके जीवन में हर संकट का अंत और सुखों का आरंभ अवश्य होगा।


यह रहे “शुक्रवार व्रत: महिमा, विधि और लाभ” विषय पर आधारित महत्वपूर्ण FAQs:


1. शुक्रवार व्रत किस देवता को समर्पित होता है?

शुक्रवार व्रत मुख्यतः महालक्ष्मी और संतोषी माता को समर्पित होता है।


2. शुक्रवार व्रत से क्या लाभ मिलते हैं?

इस व्रत से धन, सुख-समृद्धि, संतान सुख, मानसिक शांति और पारिवारिक सौहार्द की प्राप्ति होती है।


3. शुक्रवार व्रत कौन रख सकता है?

कोई भी व्यक्ति, स्त्री या पुरुष, यह व्रत रख सकता है, लेकिन यह महिलाओं के लिए विशेष फलदायी माना जाता है।


4. शुक्रवार व्रत की पूजा कैसे की जाती है?

सुबह स्नान कर महालक्ष्मी या संतोषी माता की पूजा करें, उन्हें गुड़-चना का भोग चढ़ाएं और व्रत कथा का पाठ करें।


5. क्या शुक्रवार व्रत में कुछ विशेष खाने से बचना चाहिए?

हां, खट्टे पदार्थों का सेवन पूरी तरह से वर्जित है।


6. क्या शुक्रवार व्रत में फलाहार कर सकते हैं?

हाँ, यदि पूर्ण उपवास संभव न हो तो फलाहार या एक समय भोजन किया जा सकता है।


7. शुक्रवार व्रत की कथा क्यों जरूरी है?

व्रत कथा माता को प्रसन्न करती है और व्रत को पूर्ण फल प्रदान करती है।


8. व्रत कितने शुक्रवार तक रखना चाहिए?

व्रत की संख्या 11, 21, या 51 शुक्रवार तक रखी जा सकती है, श्रद्धा के अनुसार।


9. क्या शुक्रवार व्रत हर शुक्रवार रखा जा सकता है?

हाँ, यह व्रत हर शुक्रवार रखा जा सकता है, विशेषकर शुक्ल पक्ष में


10. व्रत के दिन कौन से रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है?

सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।


11. शुक्रवार व्रत में कौन सा भोग अर्पित करें?

गुड़ और भुने हुए चने का भोग संतोषी माता को विशेष प्रिय है।


12. शुक्रवार व्रत का समापन कैसे करें?

अंतिम व्रत पर विशेष पूजा, कथा और कन्या/ब्राह्मण भोजन करवाकर समापन करें।


13. क्या मासिक धर्म में शुक्रवार व्रत किया जा सकता है?

नहीं, मासिक धर्म के दौरान व्रत और पूजा नहीं करनी चाहिए


14. क्या शुक्रवार व्रत से मनोकामना पूर्ण होती है?

हाँ, सच्ची श्रद्धा और नियम से किया गया व्रत मनोकामना पूर्ण करता है


15. क्या शुक्रवार व्रत में किसी दान का महत्व है?

हाँ, अन्न, वस्त्र या जल दान करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है।


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