5 अप्रैल दुर्गाष्टमी व्रत: (5th April Durga Ashtami Vrat) शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और चमत्कारी लाभ! जरूर जानें!
दुर्गाष्टमी व्रत (5 अप्रैल) – महत्व, पूजा विधि और लाभ
दुर्गाष्टमी व्रत का महत्व
दुर्गाष्टमी हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और शुभ व्रत माना जाता है। इसे आष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो देवी दुर्गा को समर्पित होती है। यह व्रत विशेष रूप से चैत्र और आश्विन मास में मनाया जाता है, लेकिन चैत्र मास की दुर्गाष्टमी (5 अप्रैल) का विशेष महत्व होता है। इस दिन माँ दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है, जो शांति, सौंदर्य और मोक्ष प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं।
इस व्रत को करने से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। जो लोग अपने जीवन में संकट, दरिद्रता, रोग और शत्रु बाधा से पीड़ित होते हैं, उनके लिए यह व्रत बहुत लाभकारी माना जाता है। खासतौर पर महिलाएं इस दिन व्रत रखकर संतान प्राप्ति, दांपत्य सुख और सौभाग्य की कामना करती हैं।
दुर्गाष्टमी व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त (5 अप्रैल 2024)
इस वर्ष दुर्गाष्टमी व्रत 5 अप्रैल 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
🔹 आष्टमी तिथि प्रारंभ: 4 अप्रैल 2024 को रात्रि 11:50 बजे
🔹 आष्टमी तिथि समाप्त: 5 अप्रैल 2024 को रात्रि 9:30 बजे
🔹 पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त: प्रातः 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
इस दिन दुर्गा सप्तशती पाठ, कन्या पूजन और हवन करने का विशेष महत्व है। यदि कोई जातक इस दिन सच्चे मन से माँ दुर्गा की आराधना करता है, तो उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
दुर्गाष्टमी व्रत की पूजा विधि
दुर्गाष्टमी व्रत की पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधियों का पालन करें:
- स्नान और संकल्प: प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- माँ दुर्गा की स्थापना: घर में या पूजा स्थल पर माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- घी का दीपक जलाएं: माँ दुर्गा के सामने घी का दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती जलाकर पूजा करें।
- मंत्र जाप करें: “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का जाप करें।
- नैवेद्य अर्पित करें: माँ को फल, फूल, मिठाई और पंचामृत अर्पित करें।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करें: दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से विशेष फल मिलता है।
- कन्या पूजन करें: 9 कन्याओं को भोजन कराकर उनका आशीर्वाद लें।
- आरती करें: माँ दुर्गा की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
दुर्गाष्टमी व्रत के लाभ
दुर्गाष्टमी व्रत करने से कई लाभ होते हैं। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक रूप से बल्कि मानसिक और भौतिक रूप से भी लाभकारी होता है।
🔹 नकारात्मक शक्तियों का नाश: यह व्रत करने से जीवन से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और शुभ शक्तियों का संचार होता है।
🔹 धन-संपत्ति की प्राप्ति: माँ दुर्गा की कृपा से घर में धन, सुख-समृद्धि और वैभव आता है।
🔹 रोगों से मुक्ति: यह व्रत करने से शारीरिक और मानसिक रोग समाप्त होते हैं और आरोग्यता प्राप्त होती है।
🔹 दांपत्य सुख: शादीशुदा महिलाएं यदि यह व्रत करती हैं तो उन्हें सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
🔹 संतान सुख: जो महिलाएं संतान प्राप्ति की इच्छा रखती हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत शुभ होता है।
🔹 मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं: यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन से व्रत करता है, तो उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
दुर्गाष्टमी व्रत की पौराणिक कथा
प्राचीन काल में एक राजा की कोई संतान नहीं थी। उन्होंने कई तप और यज्ञ किए, लेकिन संतान की प्राप्ति नहीं हुई। तब एक ऋषि ने उन्हें दुर्गाष्टमी व्रत करने का सुझाव दिया। राजा और रानी ने श्रद्धा से यह व्रत रखा और माँ दुर्गा की पूजा की। कुछ ही महीनों में रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया। इस प्रकार दुर्गाष्टमी व्रत के प्रभाव से उनकी मनोकामना पूर्ण हुई।
यह कथा हमें यह सिखाती है कि सच्चे मन से की गई भक्ति और श्रद्धा कभी व्यर्थ नहीं जाती। जो भी व्यक्ति यह व्रत करता है, उसे माँ दुर्गा की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।
कन्या पूजन का महत्व
दुर्गाष्टमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन 9 कन्याओं को भोजन कराया जाता है और उन्हें दक्षिणा व उपहार दिए जाते हैं। इसे करने से माँ दुर्गा अत्यंत प्रसन्न होती हैं और व्रती को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कन्या पूजन करने की विधि:
- 9 कन्याओं और 1 लंगूर (बालक) को बुलाएं।
- उनके पैर धोकर तिलक लगाएं।
- पूरी, हलवा और चना का प्रसाद खिलाएं।
- उन्हें उपहार देकर आशीर्वाद लें।

क्या करें और क्या न करें?
✅ क्या करें?
✔ माँ दुर्गा की पूजा विधिपूर्वक करें।
✔ व्रत के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करें।
✔ जरूरतमंदों को भोजन और दान करें।
✔ पूरे दिन सकारात्मक और भक्तिभाव में रहें।
❌ क्या न करें?
✖ क्रोध, झूठ और नकारात्मक विचारों से बचें।
✖ लहसुन-प्याज और मांसाहार का सेवन न करें।
✖ किसी का अपमान न करें और अहंकार न करें।
✖ शराब और नशे से दूर रहें।
दुर्गाष्टमी व्रत हिंदू धर्म में शक्ति साधना और आध्यात्मिक उन्नति के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। 5 अप्रैल 2024 को आने वाली दुर्गाष्टमी पर यदि श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत रखा जाए, तो जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
5 अप्रैल दुर्गाष्टमी व्रत: (5th April Durga Ashtami Vrat) शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और चमत्कारी लाभ! जरूर जानें!
1. दुर्गाष्टमी व्रत कब मनाया जाता है?
दुर्गाष्टमी व्रत आष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष 5 अप्रैल 2024 को चैत्र मास की दुर्गाष्टमी है।
2. दुर्गाष्टमी व्रत का महत्व क्या है?
यह व्रत माँ दुर्गा के महागौरी स्वरूप को समर्पित है और इसे करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है तथा जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
3. दुर्गाष्टमी व्रत के दिन कौन-कौन से कार्य करने चाहिए?
इस दिन व्रत रखना, माँ दुर्गा की पूजा, हवन, दुर्गा सप्तशती पाठ और कन्या पूजन करना शुभ माना जाता है।
4. क्या दुर्गाष्टमी व्रत के दिन उपवास जरूरी है?
नहीं, यह व्रत आप अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार कर सकते हैं। कुछ लोग निर्जला व्रत रखते हैं, तो कुछ फलाहार लेते हैं।
5. दुर्गाष्टमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 5 अप्रैल को सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक है।
6. क्या दुर्गाष्टमी व्रत में कन्या पूजन आवश्यक है?
हाँ, इस दिन 9 कन्याओं और 1 लंगूर (बालक) का पूजन और भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है।
7. कन्या पूजन कैसे करें?
कन्याओं के पैर धोकर तिलक लगाएं, फिर उन्हें हलवा, पूरी और चना खिलाकर दक्षिणा दें।
8. दुर्गाष्टमी व्रत करने से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?
यह व्रत करने से धन-संपत्ति, संतान सुख, रोगों से मुक्ति, वैवाहिक जीवन में सुख और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
9. क्या दुर्गाष्टमी व्रत सिर्फ महिलाएं ही कर सकती हैं?
नहीं, यह व्रत स्त्री-पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग सभी रख सकते हैं।
10. क्या इस दिन दुर्गा सप्तशती पाठ आवश्यक है?
हाँ, दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
11. क्या दुर्गाष्टमी के दिन व्रत तोड़ सकते हैं?
हाँ, यदि कोई व्यक्ति शारीरिक कारणों से व्रत पूरा नहीं कर पाता, तो फलाहार या सात्विक भोजन कर सकता है।
12. इस दिन कौन-कौन से कार्य वर्जित हैं?
दुर्गाष्टमी के दिन मांसाहार, मद्यपान, झूठ बोलना, क्रोध करना और अपशब्द कहना वर्जित होता है।
13. क्या घर में दुर्गाष्टमी पूजन कर सकते हैं?
हाँ, माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने पूजा, हवन और आरती कर सकते हैं।
14. क्या इस दिन विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए?
जी हाँ, “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” और “ॐ दुं दुर्गायै नमः” का जाप करना शुभ होता है।
15. अगर कोई दुर्गाष्टमी व्रत नहीं रख सकता तो क्या करे?
यदि व्रत न रख पाएं तो माँ दुर्गा की पूजा करें, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और कन्या पूजन करें, इससे भी पुण्य प्राप्त होगा।