लक्ष्मी जी कहाँ रहती है? | लक्ष्मी जी कहाँ निवास करती है? | लक्ष्मी घर में कैसे आती है?

लक्ष्मी जी कहाँ रहती है? | लक्ष्मी जी कहाँ निवास करती है? | लक्ष्मी घर में कैसे आती है?

आज का समय, वर्तमान युग धन प्रधान या अर्थ प्रधान युग है। हर ओर पैसे का मायाजाल फैला हुआ है। चारों ओर भाग-दौड़ मची हुई है तो केवल धन के लिए। व्यक्ति रातों-रात लखपति बनना चाहता है भले-बुरे किसी भी प्रकार से, कोई भी रास्ते से। वह इस आपाधापी में अपने पराए का भेद भूल जाता है और अर्जुन की तरह उसे मात्र एक ही वस्तु दिखाई देती है तो वह है धन। जीवन जीने के लिए पहली आवश्यकता भी धनोपार्जन है। जीवन जीने के लिए धन की आवश्यकता होती है लेकिन धन के लिए तो जीवन जिया नहीं जा सकता, लेकिन अफसोस कि ऐसा ही हो रहा है।

भौतिक सुख-सुविधाओं के लिए सामर्थ्य से अधिक श्रम करना होता है, अधिक धनोपार्जन करना पड़ता है, तब वह उन सुख-सुविधाओं को भोग पाता है। लेकिन क्या अधिक श्रम करने के पश्चात् भी वह लक्ष्मी प्राप्ति में सफल हो सकता है?

हर स्थान पर लक्ष्मी जी नहीं रहती, उसे प्राप्त करने के लिए उसके अनुकूल बनना पड़ता है। इस अनुकूलता का अर्थ है धर्म-परायणता, मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था और जीवन निर्माण के प्रति सतत जागरुकता। जो व्यक्ति इन बातों की उपेक्षा करते हैं वे लक्ष्मी जीकी कृपा प्राप्त नहीं कर सकते। लक्ष्मी जी का भक्त बनने के लिए मात्र सांसारिक होकर उसकी पूजा पर्याप्त नहीं है।

कुछ तथ्य स्पष्ट कर रहे हैं जिनसे लक्ष्मी जी के अनुकूल अथवा प्रतिकूल बनने की परिस्थतियां स्पष्ट हो जाती हैं।

प्रत्येक व्यक्ति जीवन में धनवान बनना चाहता है, परन्तु यह बहुत ही कम लोगों को ज्ञात है कि उसके लिए क्या आधार होना चाहिए, हम अपने आपको किस प्रकार तैयार करें जिससे कि हमारे जीवन में सुख, सौभाग्य और स्थिर लक्ष्मी जी आ सके।

शास्त्रों में, ग्रन्थों में उल्लेख है कि लक्ष्मी जी किन-किन स्थानों पर निवास करती हैं ?

लक्ष्मी-जी-कहाँ-रहती-है
लक्ष्मी-जी-कहाँ-रहती-है

■ जो व्यक्ति मधुर बोलने वाला, अपने कार्य में तत्पर, कोथहीन, ईश्वर भक्त, एहसान मानने वाला, इन्द्रियों को नियन्त्रण में रखने वाला तथा उदार हो उसके यहां लक्ष्मी जी निवास करती है।

■ सदाचारी, धर्मज्ञ, अपने माता-पिता की भक्ति भावना से सेवा करने वाले, नित्य पुण्य प्राप्त करने वाले, क्षमा रखने वाले, बुद्धिमान, दयावान तथा गुरु की सेवा करने वाले व्यक्तियों के घर में अवश्य ही लक्ष्मी जी निवास करती है।

■ जिसके घर में पशु-पक्षी निवास करते हो, जिसकी पत्नी सुन्दर हो, जिसके घर में कलह नहीं होती हो, उसके घर में निश्चय ही लक्ष्मी जी रहती है।

■ जो अनाज का सम्मान करते हैं और घर में आए हुए अतिथि का घर वालों के समान ही स्वागत-सत्कार करते हैं, उनके घर लक्ष्मी जी निश्चय रूप से रहती है।

■ जो व्यक्ति असत्य भाषण नहीं करता, अपने विचारों में डूबा हुआ नहीं रहता, जिसके जीवन में घमण्ड नहीं है, जो दूसरों के प्रति प्रेम प्रदर्शित करता है, जो दूसरों के दुख से दुखी होकर उसकी सहायता करता है और जो दूसरों के कष्ट को दूर करने में आनन्द अनुभव करता है उसके घर में अवश्य ही लक्ष्मी जीनिवास करती है।

■ जो नित्य स्नान करता है, सुरुचिपूर्ण स्वच्छ वस्त्र धारण करता है, शुद्ध व वैष्णव भोजन करता है, बिना सूंघे पुष्प देवताओं पर चढ़ाता है, जो दूसरी स्त्रियों पर कुदृष्टि नहीं रखता, उसके घर में लक्ष्मी जी रहती है।

■ जो यथासम्भव दान देता है, शुद्ध और पवित्र बना रहता है, गरीबों की सहायता करता है, उसके घर में अवश्य ही लक्ष्मी जीनिवास करती है।

■ आंवले के वृक्ष के फल में, गोबर में, शंख में, कमल में और श्वेत वस्त्र में लक्ष्मी जी सदैव रहती है।

■ जिसके घर में नित्य उत्सव होता है, जो भगवान शिव की पूजा करता है, जो घर में देवताओं के सामने अगरबत्ती व दीपक जलाता है, जो अपने गुरु को ईश्वर के समान समझकर पूजा करता है उसके घर में लक्ष्मी जी निवास करती है।

■ जो स्त्री पति का सम्मान करती है उसकी आज्ञा का उल्लंघन नहीं करती, घर में सबको भोजन कराकर फिर भोजन करती है, उस स्त्री के घर में सदैव लक्ष्मी का निवास रहता है।

■ प्रसत्रचित, मधुर बोलने वाली, सौभाग्यशालिनी, रूपवती, सुन्दर और सुरुचिपूर्ण वस्त्र धारण किए रहने वाली, प्रियदर्शना और पतिव्रता स्त्री के घर में लक्ष्मी का निवास रहता है।

■ जो स्त्री सुन्दर, हिरनी के समान नेत्र वाली, पतली कमर वाली, सुन्दर केश श्रृंगार करने वाली, धीरे चलने वाली और सुशील हो, उसके घर में लक्ष्मी निवास करती है।

■ जिस पुरुष के दोनों पैर धोए हुए शुद्ध व चिकने होते हैं, जिसकी स्त्री सुन्दर व रूपवती है, जो अति अल्प भोजन करता है, जो पवित्र पर्व के दिनों में मैथुन का परित्याग करता है, उसके घर में निश्चित रूप से लक्ष्मी निवास करती है।

■ जो व्यक्ति अपवित्र नहीं रहता, मैले वस्त्र धारण नहीं करता, शरीर को दुर्गन्धयुक्त नहीं बनाता, चित्त में चिन्ता या दुख नहीं रखता, उसके घर में निश्चय ही लक्ष्मी निवास करती है।

■ जो व्यक्ति सूर्य उदय से पहले उठकर स्नान कर लेता है, जो सूर्य अस्त से पहले स्नान कर पवित्र होता है, वह लक्ष्मीयुक्त बना रहता है।

■ जो संयमित, स्थिरचित्त और मौन होकर भोजन करता है उसके घर में अवश्य ही लक्ष्मी बनी रहती है।

■ जो व्यक्ति गयाधाम में, कुरुक्षेत्र में, काशी में अथवा सागर संगम में स्नान करता है, वह निश्चय ही लक्ष्मीयुक्त रहता है।

■ जो व्यक्ति एकादशी तिथि को भगवान विष्णु को आंवला फल भेंट करता है, जल में आंवला डालकर स्नान करता है वह लक्ष्मीयुक्त बना रहता है।

■ जो विरुद्ध आचरण नहीं करता, पराई स्त्री से संगम नहीं करता, दूसरों के धन में मन नहीं लगाता, किसी का अनिष्ट चिन्तन नहीं करता वह लक्ष्मी का प्रिय बन जाता है।

■ जो ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि कर संध्या करता है, दिन में उत्तर की ओर तथा रात्रि में दक्षिण की ओर मुंह करके मल-मूत्र त्याग करता है वह लक्ष्मीवान होता है।

■ जो कुटिल आचरण नहीं करता, पुनः अकारण बार-बार स्नान नहीं करता, सत्य और मधुर वाक्य बोलता है उसके घर में लक्ष्मी रहती है।

■ जिन व्यक्तियों की देवता, साधु और ब्राह्मण में आस्था रहती है, लक्ष्मी उनके घर में सर्वथा निवास करती है।

■ जिसके घर में कमलगट्टे की माला, एकाक्षी नारियल, दक्षिणावर्ती शंख, पारद शिवलिंग, श्वेतार्क गणपति, श्रीयंत्र स्थापित होते हैं वहां लक्ष्मी सदैव स्थिर निवास करती है।

■ जिसके घर में यज्ञ होता रहता है, जिसके घर में देवताओं की पूजा होती है, जिसके घर सुबह-शाम आरती गायी जाती हो, जो देवता और गाय की पूजा करते हों, उनके घर से लक्ष्मी कभी भी नहीं जाती।

■ जिसके घर में मंत्रसिद्ध श्रीयंत्र, कनकधारा यंत्र, कुबेर यंत्र स्थापित हो, उनके घर में लक्ष्मी पीढ़ियों तक निवास करती है।

■ जो धर्म और नीति पर चलने वाले होते हैं, जो अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, जिनके घर में पुत्र किलकारियां भरते हैं, जो कन्याओं का सम्मान करते हैं, उनके घर में लक्ष्मी रहती है।

जो लक्ष्मी से संबंधित पूजा या आराधना करते हैं, जो लक्ष्मी से संबंधित अनुष्ठान सम्पन्न करते हैं, उनके घर में लक्ष्मी का स्थिर वास होता है। विष्णु पुराण में लक्ष्मी और केशव का संवाद विख्यात है। ब्रह्मा-नारद संवाद में भी लक्ष्मी के निवास स्थान के बारे में वर्णन आया है। इसी प्रकार श्रीकृष्ण की पटरानी रुक्मिणी को लक्ष्मीजी ने बताया कि वे कहां-कहां, किस-किस स्थान पर और कैसे मनुष्यों के पास रहती हैं।

लक्ष्मी जी कहाँ निवास करती है?

लक्ष्मी जी हिंदू धर्म में समृद्धि, सौभाग्य, सम्पत्ति और धन की देवी मानी जाती हैं। वैदिक शास्त्रों में कहा गया है कि वे धन, समृद्धि, और सौभाग्य की देवी हैं। लक्ष्मी जी का निवास होता है मानवीय संसार में, विशेषतः समृद्धि और सौभाग्य के स्थानों में। विभिन्न पौराणिक कथाओं और तांत्रिक शास्त्रों में कई स्थानों को उनका निवास स्थल माना गया है, जैसे कि कई बार तो तिरुपति, अयोध्या, वाराणसी, वैशाली, और चंदनी चौक आदि। लेकिन यह सभी स्थान निर्दिष्ट नहीं होते और बहुत से लोग अपनी धार्मिक आस्था और प्राथमिकताओं के अनुसार लक्ष्मी जी को अपने घर में पूजते हैं।

लक्ष्मी घर में कैसे आती है?

लक्ष्मी देवी को अपने घर बुलाने के कई तरीके होते हैं। यहाँ कुछ सामान्य तरीके हैं:

  1. पूजा और प्रार्थना: लक्ष्मी पूजा करना, मंत्रों का जाप करना और बिन्दु प्रदान करना। खासकर दिवाली जैसे त्योहारों में यह पूजा की जाती है ताकि देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सके।
  2. सफाई और सजावट: घर को साफ-सुथरा रखना और सजावट से भरपूर बनाना भी लक्ष्मी को आकर्षित करने में मदद करता है। रंगोली, दीपक और फूलों का इस्तेमाल भी इस उद्देश्य के लिए किया जाता है।
  3. दीपों का प्रकाशन: तेल के दीपक जलाना अच्छाई और पॉजिटिविटी के लिए प्रतीत होता है। माना जाता है कि लक्ष्मी उन जगहों पर आती है जहाँ प्रकाश होता है।
  4. अन्न और प्रसाद का प्रदान: पूजा के दौरान मिठाई, फल और अन्य विशेष व्यंजनों को लक्ष्मी को अर्पित किया जाता है। यह प्रसाद माना जाता है जो परिवार के सदस्यों के बीच बांटा जाता है।
  5. मंत्रों का पाठ: लक्ष्मी के मंत्रों या उनकी स्तुतियों का जाप करना भी उन्हें घर में आने के लिए आमंत्रित करने में मदद करता है।
  6. दान और दया: लक्ष्मी को संपत्ति और समृद्धि से जोड़ा जाता है, इसलिए दान करना, दूसरों की मदद करना और दयालु बनना भी उन्हें आपके घर में आने के लिए आमंत्रित करता है।
  7. श्रद्धा और भक्ति: अंत में, माना जाता है कि विश्वास, भक्ति, और एक शुद्ध हृदय लक्ष्मी देवी को आपके घर में आने के लिए आमंत्रित करते हैं।

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लक्ष्मी जी को कैसे प्राप्त करें?

लक्ष्मी देवी की कृपा प्राप्त करने के कुछ उपाय होते हैं:

  1. नियमित पूजा और अर्चना: लक्ष्मी देवी की नियमित पूजा और अर्चना करें। उनकी मूर्ति या चित्र को समर्पित करके प्रार्थना करें।
  2. ध्यान और मंत्र जप: ध्यान और लक्ष्मी मंत्रों का नियमित जप करें, जैसे “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद स्वाहा।”
  3. दान और सेवा: गरीबों को दान देकर और सेवा करके लक्ष्मी की प्राप्ति में मदद करें।
  4. धर्मिक कर्तव्यों का पालन: धर्मिक कर्तव्यों का पालन करें, जैसे धर्म से मेलजोल रहना, सत्य और न्याय के साथ बर्ताव करना।
  5. शुभ विचार और संगति: प्रसन्नता, पॉजिटिव सोच, और शुभ संगति को बढ़ावा दें।
  6. धन का सही इस्तेमाल: धन का सही रूप से इस्तेमाल करें, उसे बचाएं और सही तरीके से निवेश करें।

ये उपाय लक्ष्मी देवी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।

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