श्री सूक्त (Shri Suktam) और मंत्र का एक साथ पाठ करने के चमत्कारी लाभ! तुरंत मिलेगा धन, समृद्धि और सौभाग्य

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श्री सूक्त (Shri Suktam) और मंत्र का एक साथ पाठ करने के चमत्कारी लाभ! तुरंत मिलेगा धन, समृद्धि और सौभाग्य

श्री सूक्त (Shri Suktam) और मंत्र का एक साथ पाठ करने के चमत्कारी लाभ! तुरंत मिलेगा धन, समृद्धि और सौभाग्य


श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र का एक साथ पाठ करने के अद्भुत लाभ

धन, समृद्धि और सुख-शांति हर व्यक्ति की जीवन-आवश्यकताएँ हैं। हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य और वैभव की देवी माना जाता है। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र का एक साथ पाठ करना बेहद प्रभावशाली माना जाता है। यह वेदों और पुराणों में वर्णित एक सिद्ध उपाय है जो धार्मिक, मानसिक और भौतिक रूप से कल्याणकारी है। इस लेख में हम श्री सूक्त और लक्ष्मी मंत्र के एक साथ पाठ करने से होने वाले चमत्कारी लाभ और सही विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

Contents
श्री सूक्त (Shri Suktam) और मंत्र का एक साथ पाठ करने के चमत्कारी लाभ! तुरंत मिलेगा धन, समृद्धि और सौभाग्यश्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र का एक साथ पाठ करने के अद्भुत लाभश्री सूक्त (Shri Suktam) क्या है?श्री सूक्त (Shri Suktam)लक्ष्मी मंत्र क्या है?दोनों का एक साथ पाठ क्यों करें?श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र पाठ करने के लाभ1. आर्थिक संकट से मुक्ति2. व्यापार एवं करियर में सफलता3. घर में सुख-शांति4. दुर्भाग्य और दरिद्रता से छुटकारा5. देवी लक्ष्मी की कृपा से ऐश्वर्य की प्राप्तिश्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र पाठ करने की विधि1. सही समय और स्थान का चयन2. संकल्प और ध्यान3. श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र का पाठ4. आहुति और प्रसादकब करें यह पाठ?कौन कर सकता है यह पाठ?सावधानियाँ और महत्वपूर्ण बातेंश्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र के पाठ से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर1. श्री सूक्त (Shri Suktam) क्या है?2. लक्ष्मी मंत्र क्या है?3. श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र का एक साथ पाठ क्यों करना चाहिए?4. श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र का पाठ कब करना चाहिए?5. क्या इस पाठ को कोई भी कर सकता है?6. श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र का पाठ कितनी बार करना चाहिए?7. क्या बिना गुरु के इस पाठ को किया जा सकता है?8. क्या इस पाठ से धन हानि और कर्ज से मुक्ति मिल सकती है?9. श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र पाठ करने की सही विधि क्या है?10. क्या इस पाठ को किसी विशेष दिशा में बैठकर करना चाहिए?11. क्या श्री सूक्त (Shri Suktam) का पाठ करने से दुर्भाग्य दूर हो सकता है?12. क्या केवल दीपावली पर श्री सूक्त का पाठ करने से लाभ होगा?13. क्या श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र पाठ करने से व्यापार में वृद्धि होती है?14. क्या इस पाठ से मानसिक शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है?15. क्या इस पाठ के बाद दान करना चाहिए?

श्री सूक्त (Shri Suktam) क्या है?

श्री सूक्त (Shri Suktam) ऋग्वेद में वर्णित एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है। इसमें 16 श्लोक होते हैं, जो महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए गाए जाते हैं। इस सूक्त में धन, समृद्धि, ऐश्वर्य और शांति की प्रार्थना की जाती है। श्री सूक्त के पाठ से जीवन में आर्थिक संकट, दरिद्रता और अस्थिरता समाप्त होती है। यह न केवल भौतिक सुख-संपत्ति प्रदान करता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी सुनिश्चित करता है।

श्री सूक्त
(Shri Suktam)

हरी :   ॐ  || हिरान्यवार्नाम  हरिणीम   सुवर्णराजत्स्राजम   |

चन्द्रम  हिरान्मयी  लक्ष्मी  जातवेदो  म  आवह  ||१ ||

तां म  आवह  जातवेदो  लक्ष्मीमनपगामिनीम   |

यस्यां  हिरण्यं  विन्देयं  गामश्वं  पुरुषान्ह्म  ||२ ||

अश्वपुर्वाम  रथमाध्यम  हस्तिनदप्रबोधिनीम    |

श्रियं  देवीमुपहव्ये  श्रीर्मादेव  जुषताम  ||३ ||

कांसोस्मितं  हिरण्यप्रकारां  आद्रं  |

ज्वलन्ती  तृप्तां  तर्पयंतिम  ||

पध्मेस्थितम  पध्मवर्णं      |

तामिहोपह्वायेश्रियं  ||४ ||

चन्द्रां  प्रभासम  यशसा  ज्वलंतिम

श्रियं  लोके  देव जुष्टामुदाराम      |

तां    पध्मिनीमीम  शरणमहं  

प्रपद्ये अलक्ष्मीर्मे  नश्यतां  त्वां  वृणे  ||5||

आदित्यवर्णे  तपसोअधिजातो

वनस्पतिस्तववृक्षोथ  बिल्वः  |

तस्य  फलानी  तपसानुदंतु

मायान्तरयाशच  बाह्या  अलक्ष्मी :||६ ||

उपैतु  मां  देवसख : कीर्तिश्चामणिना  सह |

प्रादुर्भूतो  सुराष्ट्रेस्मिन  कीर्तिमृद्धिम  ददातु  में  ||७ ||

क्षुत्पिपासामलां  ज्येष्ठां अलक्ष्मी  नाशयाम्यहम     |

अभूतिमसमृद्धिम  च  सर्वानिर्णुद  में  गृहात  ||८ ||

गंधद्वारं दुराधर्षाम  नित्य पुष्टं  करीशिनिम |

इश्वरिम  सर्वभूतानाम  तामिहोपह्व्ये  श्रियं  || ९ ||

मनस : काममाकुतिम  वाच: सत्याम्शीमही      |

पाशुनाम  रूपमन्यास्य  मयि श्री : श्रयतां यश :||१० ||

कर्दमेन  प्रजाभूता  मयि  संभव  कर्दम  |

श्रियं  वासय  में  कुले  मातरम्  पध्ममालिनीम      ||११ ||

आप: स्राजन्तु  स्निग्धानी  चिक्लित वस् में गृहे  |

नि  च  देवीम  मातरम  श्रियं  वासय  में  कुले  ||१२ ||

आद्राम  पुषकरिनीम पुष्टिम  पिंगलाम  पद्मामलिनिम |

चन्द्रां    हिरान्यमायी  लक्षमिम  जातवेदो  म  आवह  ||१३ ||

अद्राम  या : करिनिम  यष्टिम सुवर्णं हेममालिनीम  |

सुर्याम  हिरणमयी    लक्ष्मी  जातवेदो  म  आवह  ||१४ ||

तां    म  आवह  जातवेदो  लक्ष्मीमनपगामिनीम    |

यस्यां  हिरण्यं  प्रभूतं  गावो

दास्योश्वान  विन्देयं  पुरुषानहम ||१५ ||

या: शुची: प्रयतो  भूत्वा  जुहुयादाज्यमंवहम |

सूक्तं  पंच्दर्शचंच  श्रीकाम: सततं  जपेत  ||१६ ||

पध्मानने पध्मउरु  पध्माक्षी  पध्मसंभवे  |

तन्मे  भजसि  पध्माक्षी  येन  सौख्यं  लभाम्यहम  ||१७ ||

अश्वदायै गोदायै  धनदायै  महाधने  |

धनं  में लाभतां  देवी सर्वकामान्श्च  देहि में  ||१८ ||

पुत्रपौत्रं  धनंधान्यं हस्तयाशवादिगवेर्थम  |

प्रजानाम  भवसि माता अयुष्मनतम करोतु में  ||१९  ||

धनंअग्निर धनंवायुर धनंसूर्यो  धनंवसु 😐

धनमिन्द्रो  ब्रहास्पतिर्वरुनम  धनमस्तु  में  ||२०  ||

वैनतेय  सोमं  पिब  सोमं  पिबतु  वृत्रहा   |

सोमं  धनस्य  सोमिनो  मह्यं  ददातु  सोमिनः ||२१  ||

न  क्रोधो  न  च  मात्सर्यं  न  लोभो  नशुभामती 😐

भवन्ति  कृत्पुन्यानाम  भक्तानाम  श्री  सूक्तं  जपेत  सदा  ||२२  ||

वर्शन्तु ते विभावरी दिवो अभ्रस्य विदयुत:|

रोहंतु सर्व बीज्यान्य व ब्रम्हद्विषोजही ||२३||

पध्मप्रिये पधमिनी पध्महस्ते पध्ममालये पध्मदलायाताक्षी

विश्वप्रिये विष्णुमनोनुकूले त्वत्पाद पध्मं मयि सनिधत्स्व ||२४||

या सम पध्मासनस्थां  विपुलकटीतटी पध्मपात्रायताक्षी |

गंभीरा वर्तनाभी स्तनभरनमिता शुभ्रवस्त्रोत्तरिया  ||२५ ||

लक्ष्मी र्दिव्यई गजेन्द्रं मणीगणखचिते स्नापिता हेमकुम्भे: |

नित्यं सा पद्मा हस्ता मम वसतु गृहे सर्वमांगल्य युक्तां  ||२६||

लक्ष्मीं क्षीर समुद्र राज तनयाम श्रीरंगधामेश्वरी  |

दासीभूत समस्त देव वनिताम लोकैक दीपंकुराम ||२७ ||

श्री मन्मंद कटाक्ष  लब्ध विभव ब्रम्हैन्द्र  गंगाधराम |

त्वां त्रैलोक्य कुटुम्बिनीम सरसिजाम वन्दे मुकुंदप्रियां ||२८ ||

सिद्धलक्ष्मीर्मोक्षलक्ष्मी जयलक्ष्मीर्सरास्वती |

श्रीलक्ष्मी र वरलक्ष्मीस्च प्रसन्ना मम सर्वदा ||२९ ||

वरान्कुशो पाशम भीती मुद्रां करे वरहंती कमलासनस्थां |

बालार्क कोटि प्रतिभाम त्रिनेत्रं भजेह मध्याम जग्दीश्वरीम त्वां  ||३० ||

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके |

शरण्ये त्र्यम्बकं देवी नारायणी नमोस्तुते 3 ||३१||

सरसिजनिलये  सरोज  हस्ते  धवलतरांशुकगंधमाल्यशोभे  |

भगवती  हरिवल्लभे  मनोज्ञे

त्रिभुवनभूतिकरी  प्रसीद  मह्यं  ||३२ ||

विष्णुपत्निम  क्षमां    देवीम  मधावीम  माधवप्रियाम  |

विष्णु  प्रियसखीम  देवीं  नमाम्यच्युत्वल्लाभाम      ||३३||

महालक्ष्मी  च  विद्महे  विष्णुपत्नी  च  धीमहि  |

तन्नो  लक्ष्मी  प्रचोदयात ||३४ ||

श्रीर्वर्चास्व्मायुश्यमरोग्यमविधापव्मानं  महीयते |

धान्यं  धनं  पशुं  बहुपुत्रलाभं  शत संवत्सरं  दीर्ध्मायु :||३५ |

ऋण रोगादि दारिद्रय पाप क्षुदप मृत्यु व: |

भयशोकमनस्तापा  नश्यन्तु मम सर्वदा ||३६||

य एवं वेद||

ॐ महा देव्यै च विद्महे विष्णु पत्नी च धीमहि |

तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात ||३७ ||

ॐ शांति : शांति : शांति :

श्री सूक्त (Shri Suktam) और मंत्र का एक साथ पाठ करने के चमत्कारी लाभ! तुरंत मिलेगा धन, समृद्धि और सौभाग्य
श्री सूक्त (Shri Suktam) और मंत्र का एक साथ पाठ करने के चमत्कारी लाभ! तुरंत मिलेगा धन, समृद्धि और सौभाग्य!

लक्ष्मी मंत्र क्या है?

लक्ष्मी मंत्र विशेष रूप से देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए जपा जाता है। यह कई प्रकार के होते हैं, जैसे:

  1. ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
  2. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः
  3. ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्

इन मंत्रों के जप से धन, सौभाग्य, व्यापार में वृद्धि, नौकरी में तरक्की और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

दोनों का एक साथ पाठ क्यों करें?

श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र का एक साथ पाठ करने से दोगुना लाभ प्राप्त होता है। श्री सूक्त धन एवं ऐश्वर्य को आकर्षित करता है, जबकि लक्ष्मी मंत्र देवी लक्ष्मी की कृपा शीघ्र प्राप्त करने में सहायक होता है। इनका संयुक्त पाठ जीवन से नकारात्मकता और दुर्भाग्य को दूर करता है और आर्थिक स्थिरता प्रदान करता है।

श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र पाठ करने के लाभ

1. आर्थिक संकट से मुक्ति

अगर कोई व्यक्ति कर्ज में डूबा हुआ है या लगातार आर्थिक परेशानियों से जूझ रहा है, तो उसे नियमित रूप से श्री सूक्त और लक्ष्मी मंत्र का पाठ करना चाहिए। इससे धन का आगमन शुरू होता है और सभी आर्थिक बाधाएँ दूर हो जाती हैं।

2. व्यापार एवं करियर में सफलता

व्यापारी और नौकरीपेशा लोग अगर इस पाठ को नियम से करें, तो व्यवसाय में वृद्धि, नौकरी में प्रमोशन और सफलता निश्चित होती है। देवी लक्ष्मी की कृपा से अचानक धन लाभ भी संभव हो जाता है।

3. घर में सुख-शांति

जहाँ नियमित रूप से श्री सूक्त और लक्ष्मी मंत्र का पाठ किया जाता है, वहाँ तनाव, कलह और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पारिवारिक संबंध मधुर बनते हैं।

4. दुर्भाग्य और दरिद्रता से छुटकारा

अगर कोई व्यक्ति जीवन में लगातार असफलताओं, धन हानि और मानसिक तनाव से परेशान है, तो श्री सूक्त और लक्ष्मी मंत्र के पाठ से उसे दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है। यह पाठ नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सौभाग्य बढ़ाता है।

5. देवी लक्ष्मी की कृपा से ऐश्वर्य की प्राप्ति

जो लोग लंबे समय तक आर्थिक संघर्ष कर रहे हैं, उन्हें इस पाठ को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। इससे देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती।

श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र पाठ करने की विधि

1. सही समय और स्थान का चयन

  • सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पूजा स्थल को साफ करें और वहाँ लक्ष्मी माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।

2. संकल्प और ध्यान

  • पाठ शुरू करने से पहले संकल्प लें कि यह पाठ आप शुद्ध मन और श्रद्धा से कर रहे हैं।
  • माता लक्ष्मी का ध्यान करें और अपने मन को एकाग्र करें।

3. श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र का पाठ

  • पहले श्री सूक्त का पाठ करें और फिर लक्ष्मी मंत्र का जप करें।
  • मंत्रों का उच्चारण सही ढंग से और स्पष्ट रूप से करें।

4. आहुति और प्रसाद

  • पाठ के बाद घी का दीपक जलाएँ और माता लक्ष्मी को कमल का फूल, सफेद चंदन और मिठाई अर्पित करें।
  • अंत में प्रसाद ग्रहण करें और परिवारजनों को भी दें।

कब करें यह पाठ?

  • शुक्रवार को यह पाठ विशेष रूप से लाभकारी होता है।
  • दीपावली, अक्षय तृतीया और पूर्णिमा के दिन इसका पाठ करने से विशेष फल मिलता है।
  • प्रतिदिन यह पाठ करने से जल्द ही शुभ परिणाम मिलने लगते हैं।

कौन कर सकता है यह पाठ?

  • कोई भी व्यक्ति, स्त्री या पुरुष इस पाठ को कर सकता है।
  • व्यापारी, नौकरीपेशा, विद्यार्थी और गृहस्थ सभी को यह पाठ करना चाहिए।
  • ध्यान रहे कि मन और स्थान की शुद्धि बनाए रखें।

सावधानियाँ और महत्वपूर्ण बातें

  • पाठ करने से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
  • शुद्धता और श्रद्धा का विशेष ध्यान रखें।
  • गलत उच्चारण से बचें, क्योंकि मंत्रों का सही उच्चारण ही लाभ देता है।
  • नकारात्मक विचारों से दूर रहें और केवल देवी लक्ष्मी की कृपा पर ध्यान केंद्रित करें।
  • पाठ के बाद दान-पुण्य करने से लाभ कई गुना बढ़ जाता है।

श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र का एक साथ पाठ करने से व्यक्ति को धन, सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य और मानसिक शांति प्राप्त होती है। यह पाठ नकारात्मकता को दूर कर घर में शांति और खुशहाली लाता है। सही विधि और संकल्प के साथ यदि इसे किया जाए, तो देवी लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है और जीवन में कभी भी धन-संपत्ति की कमी नहीं होती। इसलिए, यदि आप भी अपने जीवन में धन, सौभाग्य और समृद्धि चाहते हैं, तो इस पाठ को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करें।

श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र के पाठ से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

1. श्री सूक्त (Shri Suktam) क्या है?

श्री सूक्त (Shri Suktam) ऋग्वेद में वर्णित एक दिव्य स्तोत्र है, जिसमें महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। इसमें कुल 16 श्लोक होते हैं, जो धन, समृद्धि और ऐश्वर्य बढ़ाने में सहायक होते हैं।

2. लक्ष्मी मंत्र क्या है?

लक्ष्मी मंत्र देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए जपा जाता है। इनमें प्रमुख मंत्र हैं:

  • ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
  • ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः
  • ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्

3. श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र का एक साथ पाठ क्यों करना चाहिए?

इनका संयुक्त पाठ करने से धन, सौभाग्य, समृद्धि, मानसिक शांति और व्यापार में वृद्धि होती है। यह दुर्भाग्य और नकारात्मकता को भी दूर करता है।

4. श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र का पाठ कब करना चाहिए?

प्रातःकाल या संध्या के समय इसका पाठ करना सबसे अच्छा होता है। विशेष रूप से शुक्रवार, पूर्णिमा और दीपावली के दिन यह पाठ करना अति शुभ माना जाता है।

5. क्या इस पाठ को कोई भी कर सकता है?

हाँ, स्त्री और पुरुष दोनों इस पाठ को कर सकते हैं। गृहस्थ, व्यापारी, नौकरीपेशा और विद्यार्थी सभी के लिए यह लाभकारी है।

6. श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र का पाठ कितनी बार करना चाहिए?

  • श्री सूक्त का पाठ कम से कम एक बार प्रतिदिन करना चाहिए।
  • लक्ष्मी मंत्र का 108 बार जप करने से विशेष लाभ मिलता है।

7. क्या बिना गुरु के इस पाठ को किया जा सकता है?

हाँ, यह पाठ स्वतः किया जा सकता है, लेकिन मंत्रों का सही उच्चारण करना आवश्यक है। यदि संभव हो, तो गुरु से मार्गदर्शन लेकर शुरू करें।

8. क्या इस पाठ से धन हानि और कर्ज से मुक्ति मिल सकती है?

हाँ, नियमित रूप से पाठ करने से धन संबंधी समस्याएँ दूर होती हैं और आर्थिक स्थिरता आती है।

9. श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र पाठ करने की सही विधि क्या है?

  1. स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें।
  2. माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाएँ
  3. पहले श्री सूक्त का पाठ करें, फिर लक्ष्मी मंत्र का जाप करें।
  4. पाठ के बाद फूल और मिठाई अर्पित करें

10. क्या इस पाठ को किसी विशेष दिशा में बैठकर करना चाहिए?

हाँ, पाठ करते समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करना शुभ होता है।

11. क्या श्री सूक्त (Shri Suktam) का पाठ करने से दुर्भाग्य दूर हो सकता है?

बिल्कुल! यह पाठ दुर्भाग्य, दरिद्रता और नकारात्मकता को दूर करता है और सौभाग्य बढ़ाता है।

12. क्या केवल दीपावली पर श्री सूक्त का पाठ करने से लाभ होगा?

हालाँकि दीपावली पर इसका पाठ बहुत शुभ होता है, लेकिन नियमित रूप से करने से अधिक लाभ मिलता है।

13. क्या श्री सूक्त (Shri Suktam) और लक्ष्मी मंत्र पाठ करने से व्यापार में वृद्धि होती है?

हाँ, व्यापारी यदि इस पाठ को प्रतिदिन करें, तो उनका व्यवसाय तेजी से बढ़ता है और धन लाभ होता है

14. क्या इस पाठ से मानसिक शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है?

हाँ, यह पाठ करने से तनाव कम होता है, मन शांत रहता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है

15. क्या इस पाठ के बाद दान करना चाहिए?

हाँ, पाठ के बाद गरीबों को अन्न, वस्त्र या धन दान करने से इसका फल कई गुना बढ़ जाता है।

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