चमत्कारी परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) – पढ़ें और पाएं भगवान परशुराम का आशीर्वाद!
परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) – भगवान परशुराम की स्तुति
भगवान परशुराम को शस्त्र और शास्त्र के महान ज्ञाता के रूप में पूजा जाता है। वे भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं और उनके नाम से ही स्पष्ट है कि वे परशु (कुल्हाड़ी) धारण करने वाले हैं। हिंदू धर्म में परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) का अत्यधिक महत्त्व है। यह चालीसा भगवान परशुराम की महिमा, वीरता और उनके अवतार के उद्देश्य को व्यक्त करती है।
परशुराम जी को क्षत्रियों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने वाले महर्षि के रूप में भी जाना जाता है। उनकी भक्ति करने से शत्रुओं पर विजय, ज्ञान की प्राप्ति, साहस और बल मिलता है। इस लेख में हम परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) का महत्व, उसकी शक्तियाँ, लाभ और पाठ विधि को विस्तार से जानेंगे।
परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa)
परशुराम चालीसा |
(Parshuram Chalisa)॥ दोहा ॥
श्री गुरु चरण सरोज छवि, निज मन मन्दिर धारि।
सुमरि गजानन शारदा, गहि आशिष त्रिपुरारि॥
बुद्धिहीन जन जानिये, अवगुणों का भण्डार।
बरणों परशुराम सुयश, निज मति के अनुसार॥॥ चौपाई ॥
जय प्रभु परशुराम सुख सागर, जय मुनीश गुण ज्ञान दिवाकर।
भृगुकुल मुकुट बिकट रणधीरा, क्षत्रिय तेज मुख संत शरीरा।
जमदग्नी सुत रेणुका जाया, तेज प्रताप सकल जग छाया।
मास बैसाख सित पच्छ उदारा, तृतीया पुनर्वसु मनुहारा।
प्रहर प्रथम निशा शीत न घामा, तिथि प्रदोष व्यापि सखधामा।
तब ऋषि कुटीर रुदन शिशु कीन्हा, रेणुका कोखि जनम हरि लीन्हा।
निज घर उच्च ग्रह छः ठाढ़े, मिथुन राशि राहु सुख गाढ़े।
तेज-ज्ञान मिल नर तनु धारा, जमदग्नी घर ब्रह्म अवतारा।
धरा राम शिशु पावन नामा, नाम जपत जग लह विश्रामा।
भाल त्रिपुण्ड जटा सिर सुन्दर, कांधे मुंज जनेउ मनहर।
मंजु मेखला कटि मृगछाला, रूद्र माला बर वक्ष बिशाला।
पीत बसन सुन्दर तनु सोहें, कंध तुणीर धनुष मन मोहें।
वेद-पुराण-श्रुति-स्मृति ज्ञाता, क्रोध रूप तुम जग विख्याता।
दायें हाथ श्रीपरशु उठावा, बेद-संहिता बायें सुहावा।
विद्यावान गुण ज्ञान अपारा, शास्त्र-शस्त्र दोउ पर अधिकारा।
भुवन चारिदस अरू नवखंडा, चहुं दिशि सुयश प्रताप प्रचंडा।
एक बार गणपति के संगा, जूडो भृगुकुल कमल पतंगा।
दांत तोड़ रण कीन्ह विरामा, एक दंत गणपति भयो नामा।
कार्तवीर्य अर्जुन भूपाला, सहस्रबाहु दुर्जन विकराला।
सुरगऊ लखि जमदग्नी पांहीं, रखिहहुं निज घर ठानि मन माहीं।
मिली न मांगि तब कीन्ह लड़ाई, भयो पराजित जगत हंसाई।
तन खल हृदय भई रिस गाढ़ी, रिपुता मुनि सौं अतिसय बाढ़ी।
ऋषिवर रहे ध्यान लवलीना, तिन्ह पर शक्तिघात नृप कीन्हा।
लगत शक्ति जमदग्नी निपाता, मनहुँ क्षत्रिकुल बाम विधाता।
पितु-बध मातु-रूदन सुनि भारा, भा अति क्रोध मन शोक अपारा।
कर गहि तीक्षण परशु कराला, दुष्ट हनन कीन्हेउ तत्काला।
क्षत्रिय रुधिर पितु तर्पण कीन्हा, पितु-बध प्रतिशोध सुत लीन्हा।
इक्कीस बार भू क्षत्रिय बिहीनी, छीन धरा बिप्रन्ह कहँ दीनी।
जुग त्रेता कर चरित सुहाई, शिव-धनु भंग कीन्ह रघुराई।
गुरु धनु भंजक रिपु करि जाना, तब समूल नाश ताहि ठाना।
कर जोरि तब राम रघुराई, बिनय कीन्ही पुनि शक्ति दिखाई।
भीष्म द्रोण कर्ण बलवन्ता, भये शिष्या द्वापर महँ अनन्ता।
शस्त्र विद्या देह सुयश कमावा, गुरु प्रताप दिगन्त फिरावा।
चारों युग तव महिमा गाई, सुर मुनि मनुज दनुज समुदाई।
दे कश्यप सों संपदा भाई, तप कीन्हा महेन्द्र गिरि जाई।
अब लौं लीन समाधि नाथा, सकल लोक नावइ नित माथा।
‘चारों वर्ण एक सम जाना, समदर्शी प्रभु तुम भगवाना।
ललहिं चारि फल शरण तुम्हारी, देव दनुज नर भूप भिखारी।
जो यह पढ़ श्री परश चालीसा, तिन्ह अनुकूल सदा गौरीसा।
पूर्णेन्दु निसि बासर स्वामी, बसहु हृदय प्रभु अन्तरयामी।॥ दोहा ॥
परशुराम को चारू चरित, मेटत सकल अज्ञान।
शरण पड़े को देत प्रभु, सदा सुयश सम्मान ।।॥ श्लोक ॥
भगुदेव कुलं भानु, सहसबाहुर्मर्दनम्।
रेणुका नयना नंद, परशुंवन्दे विप्रधनम्॥
भगवान परशुराम कौन हैं?
भगवान परशुराम महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र थे। वे त्रेतायुग और द्वापरयुग के संधिकाल में जन्मे थे। उन्हें एक महान ऋषि और अजेय योद्धा के रूप में जाना जाता है। परशुराम जी ने धरती से अत्याचारी क्षत्रियों का नाश कर धर्म की स्थापना की।
वे अमर माने जाते हैं और ऐसा कहा जाता है कि वे कलियुग के अंत तक जीवित रहेंगे। भगवान परशुराम ने भगवान शिव से दिव्य अस्त्र-शस्त्र और युद्ध विद्या सीखी थी। उन्होंने ही पांडवों को दिव्य अस्त्रों की शिक्षा दी थी और कर्ण को भी युद्ध कौशल सिखाया था।
परशुराम जी का चरित्र संयम, शक्ति, तपस्या और न्याय का प्रतीक है। उनकी भक्ति से रोग, भय, शत्रु और पापों से मुक्ति मिलती है।
परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) का महत्व
परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) पढ़ने से जीवन में आने वाली कठिनाइयों का नाश होता है। इसे पढ़ने वाले भक्त को शक्ति, पराक्रम और साहस प्राप्त होता है। यह चालीसा शत्रु नाश, धन-वैभव और मानसिक शांति देने वाली मानी जाती है।
- किसी भी कार्य में सफलता के लिए इसका पाठ अत्यंत शुभ होता है।
- शत्रु भय से मुक्ति के लिए इस चालीसा का नित्य पाठ करें।
- विद्या और ज्ञान की प्राप्ति हेतु छात्र इसे अवश्य पढ़ें।
- व्यापार और नौकरी में उन्नति के लिए भी यह चालीसा अत्यंत लाभकारी है।
परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) का पाठ कैसे करें?
परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) का पाठ करने के लिए कुछ विशेष विधियाँ होती हैं जिनका पालन करना चाहिए:
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान परशुराम की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
- गंगाजल से स्थान शुद्ध करें और आसन पर बैठें।
- गाय के घी का दीप जलाकर पाठ करें।
- अगर संभव हो तो मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से पाठ करें।
- श्रद्धा और पूर्ण विश्वास के साथ चालीसा का पाठ करें।
परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) का संपूर्ण पाठ
🔹 दोहा
जय जय सुर कुल देवता, जय परशु धारी राम।
सकल विप्र हितकारी तुम, हरहु संकट तम।
🔹 चालीसा (40 चौपाइयाँ)
जय गिरिजापति नंदन महा, परशु धारण करहु प्रभा।
जगत तारिणी शंभु कुमार, परशुराम जय जय दातार॥
तुम हो ब्रह्म ऋषि के नंदन, मुनि जमदग्नि के तव तन।
माता रेणुका की संतान, भाल तिलक शोभित भगवान॥
… (चालीसा का पूरा पाठ लेख के अंत में दिया जाएगा।)
परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) पढ़ने के लाभ
1. मानसिक शांति और आत्मबल – इस चालीसा का नित्य पाठ करने से मन को शांति और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है।
2. शत्रु नाश और सुरक्षा – यदि कोई व्यक्ति शत्रु भय, कानूनी मामले या अन्य संकटों से परेशान है, तो यह चालीसा अचूक उपाय है।
3. धन-वैभव और समृद्धि – इसे पढ़ने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और व्यापार में उन्नति होती है।
4. विद्या और बुद्धि में वृद्धि – छात्र और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले इसे अवश्य पढ़ें।
5. परिवार में सुख-शांति – पारिवारिक कलह और समस्याओं से मुक्ति के लिए परशुराम चालीसा का पाठ करें।
परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) का इतिहास और कथा
भगवान परशुराम की कथा अत्यंत प्रेरणादायक है। वे महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र थे। एक बार राजा सहस्त्रार्जुन ने उनके पिता की हत्या कर दी थी, जिससे क्रोधित होकर भगवान परशुराम ने इक्कीस बार पृथ्वी को अत्याचारी क्षत्रियों से मुक्त किया।
उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या करके उनसे परशु (कुल्हाड़ी) प्राप्त किया। यही कारण है कि वे “परशु-राम” कहलाए। परशुराम जी ने दुनिया को न्याय, धर्म और सत्य की राह दिखाई।
भगवान परशुराम का महत्व हिंदू धर्म में
भगवान परशुराम अनंत शक्तियों के स्वामी हैं और उन्हें चिरंजीवी (अमर) कहा जाता है। वे भगवान विष्णु के अवतार होते हुए भी एक ऋषि के रूप में जाने जाते हैं।
उनकी भक्ति से शत्रु बाधा, रोग, भय और अन्य सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। भारत में अक्षय तृतीया को भगवान परशुराम का जन्मदिन मनाया जाता है।
परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) का महत्व और शक्ति
परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) केवल एक स्तुति नहीं है, बल्कि एक आध्यात्मिक कवच है। इसे नित्य पढ़ने से शक्ति, पराक्रम, साहस और विजय प्राप्त होती है। भगवान परशुराम की कृपा से जीवन में आने वाली हर समस्या का समाधान मिलता है।
यदि आप शत्रु भय, मानसिक अशांति, आर्थिक तंगी या शिक्षा में बाधाओं से जूझ रहे हैं, तो परशुराम चालीसा का पाठ आपकी सभी समस्याओं का समाधान कर सकता है।
भगवान परशुराम और परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल-जवाब (FAQ)
1. भगवान परशुराम कौन हैं?
भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं। वे महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र थे और उन्होंने अत्याचारी क्षत्रियों का नाश करके धर्म की स्थापना की थी।
2. परशुराम जी को ‘परशुराम’ क्यों कहा जाता है?
भगवान परशुराम को भगवान शिव से एक दिव्य परशु (कुल्हाड़ी) प्राप्त हुआ, जिसके कारण उनका नाम परशु-राम पड़ा।
3. परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) क्या है?
परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) 40 चौपाइयों का एक स्तुति ग्रंथ है, जिसमें भगवान परशुराम की महिमा, वीरता और उनके अवतार का उद्देश्य बताया गया है।
4. परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) का पाठ करने के क्या लाभ हैं?
- शत्रु भय से मुक्ति
- धन, विद्या और शक्ति की प्राप्ति
- मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति
- रोग और संकटों से मुक्ति
5. परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) का पाठ किस दिन करना चाहिए?
विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को पाठ करना शुभ माना जाता है, लेकिन इसे नियमित रूप से पढ़ने से अधिक लाभ होता है।
6. क्या परशुराम जी आज भी जीवित हैं?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम चिरंजीवी (अमर) हैं और वे कलियुग के अंत तक जीवित रहेंगे।
7. क्या परशुराम जी क्षत्रिय थे?
नहीं, वे ब्राह्मण कुल में जन्मे एक योद्धा (ब्राह्मण-क्षत्रिय) थे, जिन्होंने शस्त्र और शास्त्र दोनों में निपुणता हासिल की थी।
8. परशुराम जी की पूजा किन लोगों को करनी चाहिए?
परशुराम जी की पूजा हर कोई कर सकता है, लेकिन विशेष रूप से विद्यार्थी, योद्धा, राजनीतिज्ञ और व्यवसायी उनके भक्त होते हैं।
9. परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) पढ़ने की सही विधि क्या है?
- स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- भगवान परशुराम के चित्र या मूर्ति के सामने दीप जलाएं।
- शुद्ध आसन पर बैठकर चालीसा का पाठ करें।
- श्रद्धा और पूर्ण विश्वास के साथ पाठ करें।
10. क्या परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) घर में पढ़ सकते हैं?
हाँ, परशुराम चालीसा (Parshuram Chalisa) को घर में, मंदिर में या किसी भी पवित्र स्थान पर पढ़ सकते हैं।
11. क्या परशुराम जी को भगवान शिव से विशेष वरदान प्राप्त था?
हाँ, भगवान परशुराम ने भगवान शिव से दिव्य अस्त्र-शस्त्र, परशु और युद्ध विद्या प्राप्त की थी।
12. क्या परशुराम जी ने भगवान राम और श्रीकृष्ण से भेंट की थी?
हाँ, परशुराम जी ने भगवान राम से धनुषयज्ञ के दौरान भेंट की थी और श्रीकृष्ण से भी द्वारका में उनका मिलन हुआ था।
13. परशुराम जी का सबसे प्रसिद्ध कार्य कौन सा था?
उन्होंने इक्कीस बार पृथ्वी से अत्याचारी क्षत्रियों का नाश किया और धर्म की स्थापना की।
14. क्या परशुराम जी की मूर्तियाँ भारत में मिलती हैं?
हाँ, भारत में कई स्थानों पर परशुराम मंदिर स्थित हैं, जैसे कि त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र), कर्नाटक, केरल और उत्तर प्रदेश में।
15. भगवान परशुराम की कृपा पाने के लिए क्या करना चाहिए?
- परशुराम चालीसा का पाठ करें।
- भगवान शिव और विष्णु की पूजा करें।
- सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलें।
- दान-पुण्य करें और जरूरतमंदों की सहायता करें।