श्रीसूक्तम: समृद्धि, सुख और आशीर्वाद का दिव्य मंत्र

Soma
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श्रीसूक्तम: समृद्धि, सुख और आशीर्वाद का दिव्य मंत्र

श्रीसूक्तम: समृद्धि, सुख और आशीर्वाद का दिव्य मंत्र

श्रीसूक्तम, जिसे श्रीसूक्त या श्रीसूक्तम् भी कहा जाता है, एक अत्यधिक पवित्र और शक्तिशाली मंत्र है, जो देवी लक्ष्मी के पूजन में उपयोग होता है। यह मंत्र खासतौर पर समृद्धि, ऐश्वर्य, सुख, और समग्र जीवन में धन-धान्य की वृद्धि के लिए जाना जाता है।

Contents

श्रीसूक्तम का उल्लेख मुख्य रूप से वेदों में और विशेष रूप से यजुर्वेद में मिलता है। यह मंत्र हमें सही दिशा में जीवन जीने की प्रेरणा देता है और साथ ही धन-धान्य की प्राप्ति का रास्ता खोलता है। श्रीसूक्तम का पाठ व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और संतुलन को लाने में मदद करता है।

श्रीसूक्तम का महत्व

श्रीसूक्तम का महत्व हिंदू धर्म में अत्यधिक है। इसे लक्ष्मी माता का वरदान प्राप्त करने के लिए जाप किया जाता है। यह मंत्र केवल धन की प्राप्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का भी कारण बनता है।

जब कोई व्यक्ति नियमित रूप से श्रीसूक्तम का पाठ करता है, तो उसका जीवन प्रगति की ओर अग्रसर होता है और उसे सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है। श्रीसूक्तम का जाप घर और व्यवसाय में समृद्धि, सुख और खुशहाली लाता है। यही कारण है कि इसे विशेष रूप से दीपावली जैसे पवित्र अवसरों पर बड़े श्रद्धा भाव से पढ़ा जाता है।

श्रीसूक्तम

ध्यान

अरूणकमलसंस्थाद्दज पुंजवर्णा, करकमल विधत्ते भित्तीयुग्मां बृजाश्व।
मणिमुकुटविशालाऽलंकृता कल्पजालैः, भक्तु भुवन माता संततं श्री श्रियेन।।

विनियोग

हरिः ऊँ हिरण वर्णामितिप´्चदशर्चस्य सूक्तस्य आनन्दकर्दम चिक्लितेन्दिरासुता
ऋषयः श्री देवता आद्यास्तिस्त्रोऽनुष्टुभः चतुर्थी बृहती पंचमी-षष्ठयो
त्रिष्टुभौ ततोऽष्टा वनुष्टुभः अन्ताप्रस्तार पंक्तिः जपे विनियोगः।।

मंत्र

हरिंऊँ हिरण्यवर्णा हरिणीं सुवर्णरजतस्त्रजाम्। चंद्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जात-वेदो मआवह।।1।।
ताम् आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरूषानहम्।।2।।
अश्व पूर्वा रथमध्यां हस्तिनाद प्रबोधिनीम्। श्रियं देवीमुपह्नये श्रीर्मादेवी जुषताम्।।3।।
काँसोस्मितां हिरण्यप्राकारामाद्र्रा, ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्।
पद्मे स्थितां पद्मवर्णा तामिहोपह्नये श्रियम्।।4।।
चन्द्रा प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियंलोके देवजुष्टामुंदाराम्।
ताम् पद्मनेमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे।।5।।
आदित्यवर्णे तपसोधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः।
तस्यफलानि तपसा नुदन्तु मायन्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः।।6।।
उपैतु माँ देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह।
प्रादुर्भूतो सुराष्ट्रेऽस्मिन कीर्तिमृद्धिं ददातु में।।7।।
क्षुत्पिपासामलां ज्येठां अलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वा निर्णुद में गृहात्।।8।।
गंधाद्वारां दुराधर्षा नित्यपुष्टां करीषिणीम्।
इश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोपह्नये श्रियम्।।9।।
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि।
पशुनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः।।10।।
कर्दमने प्रजाभूता मयि संभव कर्दमः।
श्रियं वासय में कुले मातर पùमालिनीम्।
श्रियं वासय में कुले मातर पùमालिनीम्।।11।।
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस में गृहे।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय में कुले।।12।।
आद्र्रां पुष्करिणीं पुष्टि पिंगलां पùमालिनीम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदों म आवह।।13।।
आद्र्रां यः करिणीं यष्टिीं सुवर्णा हेममालिनिम्।
सूर्या हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह।।14।।
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं प्रभूत गावो दास्योंऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम्।।15।।
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्।
सूक्तं पंचदशर्च च श्रीकामः सततं जपेत्।।16।।

ऋद्धिसिद्धिप्रदे देवि भक्ति – मुक्तिप्रदायिनी।
मंत्रमूर्ति सदा देवी महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

ऋद्धि और सिद्धि देने वाली, भों और मोक्ष की प्रदात्री, मंत्र स्वरूपा हे देवी महालक्ष्मी, आपको नमस्कार।

श्रीसूक्तम: समृद्धि, सुख और आशीर्वाद का दिव्य मंत्र
श्रीसूक्तम: समृद्धि, सुख और आशीर्वाद का दिव्य मंत्र.

श्रीसूक्तम के श्लोक और उनका अर्थ

श्रीसूक्तम में कुल 15 श्लोक होते हैं, जो देवी लक्ष्मी की उपासना से संबंधित हैं। प्रत्येक श्लोक में विशेष प्रकार की शक्ति और प्रभाव निहित है। इन श्लोकों के माध्यम से देवी लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता है ताकि वह अपने भक्तों को अपनी कृपा से धन, ऐश्वर्य, सुख और समृद्धि से परिपूर्ण करें।

पहला श्लोक “ॐ श्रीं महालक्ष्मि नमः” से शुरू होता है, जो देवी लक्ष्मी की पूजा का आरंभिक मंत्र है। इसके बाद के श्लोकों में देवी की महिमा और गुणों का वर्णन किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, “तामिशां देवीं महालक्ष्मीम” श्लोक में देवी लक्ष्मी के रूप, गुण और प्रभाव का विस्तार से वर्णन किया गया है। प्रत्येक श्लोक में देवी लक्ष्मी से संबंधित विशेष गुणों और प्रभावों का पूजन किया जाता है, जिससे व्यक्ति को उनके आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है।

श्रीसूक्तम के लाभ

  1. धन और समृद्धि की प्राप्ति: श्रीसूक्तम का पाठ घर या व्यवसाय में किया जाए तो यह समृद्धि और धन की प्राप्ति का कारण बनता है।
  2. मानसिक शांति: इस मंत्र का नियमित जाप मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
  3. धन और संपत्ति का संरक्षण: श्रीसूक्तम न केवल धन की प्राप्ति में मदद करता है, बल्कि उसे सुरक्षित रखने में भी सहायक होता है।
  4. किस्मत का साथ: जो व्यक्ति इस मंत्र का श्रद्धा भाव से पाठ करता है, उसे जीवन में अच्छे अवसर और किस्मत का साथ मिलता है।
  5. नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति: श्रीसूक्तम नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में भी मदद करता है और वातावरण को सकारात्मक बनाता है।

श्रीसूक्तम का जाप कैसे करें

श्रीसूक्तम का जाप करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसे ध्यानपूर्ण और एकाग्रता के साथ किया जाना चाहिए। सबसे अच्छा समय श्रीसूक्तम के जाप के लिए प्रातःकाल और संध्याकाल होता है, क्योंकि इन समयों में वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा अधिक होती है।

  • सबसे पहले शुद्ध स्थान पर बैठें और मानसिक रूप से खुद को तैयार करें।
  • स्नान करने के बाद शुद्ध वस्त्र पहनें और गंगाजल या शुद्ध जल से आचमन करें।
  • एक शुद्ध स्थान पर दीपक और अगरबत्ती जलाकर, देवी लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठें।
  • इसके बाद श्रीसूक्तम का जाप 108 बार करें। जाप के दौरान माला का प्रयोग किया जा सकता है।
  • इस मंत्र का उच्चारण साफ और सही रूप से करें। कोई भी शब्द गलती से उच्चारित न हो, क्योंकि यह प्रभाव में कमी ला सकता है।
  • जाप के बाद, देवी लक्ष्मी के चरणों में श्रद्धा से पुष्प अर्पित करें और मानसिक शांति की कामना करें।

श्रीसूक्तम का प्रभाव

श्रीसूक्तम का प्रभाव बहुत ही शीघ्र होता है यदि इसे पूरी श्रद्धा और समर्पण भाव से किया जाए। इसके जाप से व्यक्ति को न केवल धन और समृद्धि मिलती है, बल्कि उसका जीवन हर दिशा में संतुलित और खुशहाल बनता है। यह व्यक्ति को हर प्रकार की मानसिक और शारीरिक कठिनाइयों से भी मुक्ति दिलाता है। जब कोई भक्त इस मंत्र का नियमित पाठ करता है, तो उसे भगवान की कृपा प्राप्त होती है, और उसका जीवन खुशियों से भर जाता है।

श्रीसूक्तम का जप करने का समय

श्रीसूक्तम का जप सुबह और शाम के समय सबसे लाभकारी होता है। इन समयों में वातावरण शांत और शुद्ध होता है, जिससे मंत्र का प्रभाव अधिक होता है। विशेष रूप से दीपावली के समय, जब देवी लक्ष्मी की पूजा होती है, श्रीसूक्तम का पाठ अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा, किसी भी विशेष अवसर जैसे गृह प्रवेश, व्यापार आरंभ, या यात्रा पर जाने से पहले भी श्रीसूक्तम का पाठ किया जा सकता है।

श्रीसूक्तम से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  • श्रीसूक्तम का जप जीवन में समृद्धि, सुख और ऐश्वर्य लाने के लिए किया जाता है।
  • यह मंत्र खासतौर पर देवी लक्ष्मी की पूजा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए होता है।
  • श्रीसूक्तम का पाठ करके व्यक्ति न केवल धन और संपत्ति प्राप्त करता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक संतोष भी प्राप्त करता है।
  • इस मंत्र का जाप घर में सुख-शांति, धन, और समृद्धि लाने का एक प्रभावी तरीका है।

FAQs: श्रीसूक्तम के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. श्रीसूक्तम क्या है?

श्रीसूक्तम एक पवित्र मंत्र है, जिसे विशेष रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा और समृद्धि के लिए जाप किया जाता है। यह मंत्र यजुर्वेद से लिया गया है और इसमें देवी लक्ष्मी के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है।

2. श्रीसूक्तम के श्लोक कितने होते हैं?

श्रीसूक्तम में कुल 15 श्लोक होते हैं, जो देवी लक्ष्मी की महिमा का वर्णन करते हैं और समृद्धि की प्राप्ति के लिए उनका पूजन करते हैं।

3. श्रीसूक्तम का जाप करने से क्या लाभ होते हैं?

श्रीसूक्तम का जाप करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, समृद्धि, ऐश्वर्य, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। यह जीवन को संतुलित और खुशहाल बनाता है।

4. श्रीसूक्तम का जप कैसे करना चाहिए?

श्रीसूक्तम का जप एकाग्रता और श्रद्धा से करना चाहिए। इसे 108 बार जपने की परंपरा है, और इसके लिए शुद्ध स्थान और समय का चुनाव करना आवश्यक है।

5. क्या श्रीसूक्तम का जप हर किसी को करना चाहिए?

हां, श्रीसूक्तम का जप कोई भी व्यक्ति कर सकता है, जो समृद्धि और सुख की प्राप्ति की कामना करता हो। यह किसी भी जाति या धर्म के व्यक्ति के लिए उपयुक्त है।

6. श्रीसूक्तम का जप किस समय करना चाहिए?

श्रीसूक्तम का जप प्रातःकाल या संध्याकाल के समय करना शुभ माना जाता है, क्योंकि इन समयों में वातावरण शांत और सकारात्मक होता है।

7. श्रीसूक्तम के जप से कैसे धन की प्राप्ति होती है?

श्रीसूक्तम का जाप देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद को आकर्षित करता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में धन, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।

8. क्या श्रीसूक्तम का जप करने से मानसिक शांति मिलती है?

हां, श्रीसूक्तम का जप मानसिक शांति प्रदान करता है, और यह नकारात्मक सोच और तनाव को दूर करता है।

9. क्या श्रीसूक्तम का जाप दीपावली पर करना विशेष रूप से लाभकारी है?

जी हां, दीपावली के समय श्रीसूक्तम का जाप विशेष रूप से शुभ और लाभकारी होता है, क्योंकि यह समय देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद के लिए उपयुक्त होता है।

10. क्या श्रीसूक्तम का जाप घर में भी किया जा सकता है?

हां, श्रीसूक्तम का जाप घर में किया जा सकता है। यह घर में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाता है।

11. श्रीसूक्तम का जप करने के लिए किसी विशेष स्थान की आवश्यकता होती है?

श्रीसूक्तम का जप किसी भी साफ और शुद्ध स्थान पर किया जा सकता है। हालांकि, एक मंदिर या देवी लक्ष्मी की मूर्ति के सामने इसे करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।

12. क्या श्रीसूक्तम का जप माला के बिना किया जा सकता है?

हालांकि माला का उपयोग किया जाता है, लेकिन श्रीसूक्तम का जप माला के बिना भी किया जा सकता है, बशर्ते एकाग्रता और श्रद्धा से किया जाए।

13. श्रीसूक्तम के जप में कितनी देर लगती है?

यदि श्रीसूक्तम का जप 108 बार किया जाता है, तो यह लगभग 15-20 मिनट का समय लेता है।

14. क्या श्रीसूक्तम का जप व्यक्ति की किस्मत को बदल सकता है?

श्रीसूक्तम का जप व्यक्ति की किस्मत को बदलने में मदद करता है, क्योंकि यह देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद से व्यक्ति को अच्छे अवसर और सुख प्रदान करता है।

15. क्या श्रीसूक्तम का जप नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है?

जी हां, श्रीसूक्तम का जप नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और घर या कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

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