“घोराष्टक स्तोत्र: (Ghorastak Stotra) अचूक स्तुति जो हर संकट हर लेती है”
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) जैन धर्म के प्रमुख धार्मिक ग्रंथों में से एक है। यह स्तोत्र अपने आध्यात्मिक महत्व और कठिन परिस्थितियों में राहत प्रदान करने की शक्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह स्तोत्र भगवान महावीर के मूल सिद्धांतों पर आधारित है और इसमें आत्मा की शुद्धि और मुक्ति का मार्ग बताया गया है। आइए, सरल और स्पष्ट भाषा में घोराष्टक स्तोत्र का विस्तार से अध्ययन करें।
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra)
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है, जिसमें भगवान के गुणों का वर्णन किया गया है। इसे “घोर” और “अष्टक” शब्दों से मिलकर बनाया गया है। ‘घोर’ का अर्थ है कठिनाई या संकट, और ‘अष्टक’ का मतलब आठ छंद। यह स्तोत्र संकट के समय पाठ करने से मन को शांति और समाधान प्रदान करता है।
स्तोत्र में आत्मा की शक्ति, धर्म के मार्ग और सत्य की प्राप्ति पर बल दिया गया है। यह ग्रंथ पुनर्जन्म से मुक्ति और कर्मों के नाश के लिए अद्वितीय उपाय प्रदान करता है।
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) का अर्थ और महत्व
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) का हर छंद भगवान के गुणों की महिमा का वर्णन करता है। यह हमें सत्य, अहिंसा और करुणा का महत्व समझाता है। स्तोत्र का नियमित पाठ व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है और जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति देता है।
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra)
घोराष्टक स्तोत्र
(Ghorastak Stotra)संकटनिवारण होण्यासाठी तसेच गुरूग्रहपिडा दूर होण्यासाठी प्रभावी दत्तस्तोत्रे घोरकष्टोद्धरण स्तोत्र
श्रीपाद श्रीवल्लभ त्वं सदैव । श्रीदत्तास्मान्पाहि देवाधि देव ।
भावग्राह्य क्लेशहारिन्सुकीर्ते । घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते ॥१॥त्वं नो माता त्वं पिताप्तोऽधिपस्त्वं । त्राता योगक्षेमकृत्सदगुरूस्त्वं ।
त्वं सर्वस्वं ना प्रभो विश्वमूर्ते । घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते ॥२॥पापं तापं व्याधिंमाधिं च दैन्यं । भीतिं क्लेशं त्वं हराऽशुत्व दैन्यम् ।
त्रातारं नो वीक्ष ईशास्त जूर्ते । घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते ॥३॥नान्यस्त्राता नापि दाता न भर्ता । त्वतो देव त्वं शरण्योऽकहर्ता ॥
कुर्वात्रेयानुग्रहं पुर्णराते । घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते ॥४॥धर्मेप्रीतिं सन्मतिं देवभक्तिम् । सत्संगप्राप्तिं देहि भुक्तिं च मुक्तिम् ।
भावासक्तिर्चाखिलानंदमूर्ते । घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते ॥५॥॥श्लोकपंचकमेतद्यो लोकमंगलवर्धनम् ॥
॥प्रपठेन्नियतो भक्त्या स श्रीदत्तप्रियोभवेत् ॥श्रीवासुदेवानंदसरस्वती स्वामीविरचितं घोरकष्टोद्धरण स्तोत्रम्
।। श्रीपाद राजं शरणं प्रपद्ये ।।सार्थ घोरकष्टोद्धारणस्तोत्र
‘धर्मेप्रीतिं सन्मतिं देवभक्तिं |
सत्संगाप्तिं देहि भुक्तिं च मुक्तिं
भावासक्तिंचाखिलानन्दमूर्ते |
घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते ||५||श्लोकपंचकमेतद्यो लोकमंगलवर्धनम |
प्रपठेन्नियतो भक्त्या स श्रीदत्तप्रियोभवेत || ६ ||श्रीपाद श्रीवल्लभ त्वं सदैव |
श्री दत्तास्मान पाहि देवाधीदेव |
भावग्राह्य क्लेशहारिन सुकीर्ते |
घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते || १ ||त्वं नो माता त्वं पिताप्तो दिपस्त्वं |
त्रातायोगक्षेमकृसद्गुरुस्त्वम |
त्वं सर्वस्वं नो प्रभो विश्वमूर्ते |
घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते || २ ||पापं तापं व्याधीमाधींच दैन्यम |
भीतिं क्लेशं त्वं हराsशुत्व दैन्यम |
त्रातारंनो वीक्ष इशास्त जूर्ते |
घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते || ३ ||नान्यस्त्राता नापि दाता न भर्ता |
त्वत्तो देवं त्वं शरण्योकहर्ता |
कुर्वात्रेयानुग्रहं पुर्णराते |
घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते || ४ ||हेधर्मे प्रीतिं सन्मतिं देवभक्तिम् ।
सत्संगाप्तिं देहि भुक्तिं च मुक्तिम् ।
भावासक्तिं चाखिलानन्दमूर्ते ।घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते ॥ ५॥
श्लोकपंचकमेतधो लोक मंगलवर्धनम् ।
प्रपठेन्नियतो भक्त्या स श्रीदत्तप्रियो भवेत् ॥इति श्रीवासुदेवानन्दसरस्वतीविरचितं
घोरकष्टोद्धरण स्तोत्र सम्पूर्णम् |||| दिगंबरा दिगंबरा श्रीपादवल्लभ दिंगबरा ||
वासुदेवानंद सरस्वती स्वामी महाराज यांनी रचलेले घोरकष्टोद्धरण स्तोत्र – संकटनिवारण होण्यासाठी तसेच गुरूग्रहपिडा दूर होण्यासाठी प्रभावी दत्तस्तोत्र
घोरकष्टोद्धरण स्तोत्र माहिती समाप्त
महत्वपूर्ण बिंदु:
- यह स्तोत्र कर्म बंधन से मुक्ति दिलाने का मार्गदर्शक है।
- इसके पाठ से मनोबल बढ़ता है और आत्मा शुद्ध होती है।
- यह जीवन में आध्यात्मिक संतुलन और आंतरिक शांति लाने का काम करता है।
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) का प्रारंभिक श्लोक
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) की शुरुआत भगवान महावीर के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए होती है। इसमें व्यक्ति अपने अंदर की कमजोरियों को स्वीकार करता है और धर्म मार्ग पर चलने की प्रार्थना करता है।
उदाहरण के लिए,
“नमो अरिहंताणं, नमो सिद्धाणं…”
इसका अर्थ है कि हम उन महान आत्माओं को नमन करते हैं जिन्होंने ज्ञान और मुक्ति प्राप्त की है।
यह शुद्ध मनोवृत्ति और ध्यान का आधार प्रदान करता है।
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) के मुख्य श्लोक और उनकी व्याख्या
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) में आठ श्लोक हैं, जो क्रमशः भगवान की शरणागति, कर्मों की निंदा, ध्यान और मोक्ष की प्राप्ति का वर्णन करते हैं।
श्लोक 1:
यह श्लोक भगवान के प्रति समर्पण और शरणागत भावना को दर्शाता है।
“जिनसे हम संकटों से बच सकते हैं, उनकी शरण में जाना चाहिए।”
श्लोक 2:
इसमें आत्मा के शुद्धिकरण की बात कही गई है।
“ध्यान और साधना से आत्मा की शक्ति बढ़ती है।”
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) के लाभ
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) का नियमित पाठ करने से कई आध्यात्मिक और मानसिक लाभ प्राप्त होते हैं।
1. मानसिक शांति:
यह स्तोत्र मानसिक तनाव को कम करता है और मन को शांति प्रदान करता है।
2. संकटों से रक्षा:
कठिन समय में इसका पाठ आत्मबल को बढ़ाता है और समस्याओं का समाधान देता है।
3. आत्मा का शुद्धिकरण:
यह स्तोत्र व्यक्ति को कर्मों के बंधन से मुक्त करता है और उसे मोक्ष का मार्ग दिखाता है।
4. सकारात्मक ऊर्जा:
यह नकारात्मक विचारों को दूर करता है और जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण लाता है।
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) की विधि
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) का पाठ करने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है।
- शुद्धता का ध्यान: पाठ करते समय मन और शरीर की शुद्धता का ध्यान रखें।
- एकांत में पाठ: इसे एकांत और शांत स्थान पर पढ़ना चाहिए।
- समर्पण भाव: भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और श्रद्धा रखें।
- रोजाना पाठ: रोजाना कम से कम एक बार पाठ करने की आदत डालें।
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) से जुड़ी कहानियाँ
जैन धर्म के ग्रंथों में घोराष्टक स्तोत्र से जुड़ी कई प्रेरणादायक कहानियाँ मिलती हैं। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक राजा ने संकट के समय घोराष्टक स्तोत्र का पाठ किया और अपने राज्य को विनाश से बचा लिया।
यह कथा हमें सिखाती है कि संकट के समय यह स्तोत्र व्यक्ति को न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है बल्कि कठिनाइयों का सामना करने का साहस भी देता है।
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) का संदेश
यह स्तोत्र हमें सिखाता है कि जीवन में धर्म, सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलना ही सबसे बड़ा उद्देश्य है। व्यक्ति को अपने कर्मों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और आत्मा की शुद्धि के लिए प्रयास करना चाहिए।
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) एक अमूल्य आध्यात्मिक धरोहर है, जो व्यक्ति को जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति और आत्मा की शुद्धि का मार्ग प्रदान करता है। इसका पाठ हर व्यक्ति को करना चाहिए ताकि वह मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और मोक्ष की प्राप्ति कर सके।
1. घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) क्या है?
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) जैन धर्म का एक प्रमुख स्तोत्र है, जिसमें भगवान महावीर और अन्य सिद्ध पुरुषों के गुणों की महिमा का वर्णन किया गया है। यह संकटों को हरने और आत्मा को शुद्ध करने में सहायक है।
2. घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) का अर्थ क्या है?
‘घोराष्टक’ शब्द ‘घोर’ (कठिनाई या संकट) और ‘अष्टक’ (आठ छंद) से मिलकर बना है। यह आठ छंदों का स्तोत्र कठिन परिस्थितियों में राहत और मार्गदर्शन प्रदान करता है।
3.घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस स्तोत्र का उद्देश्य आत्मा को शुद्ध करना, कर्मों के बंधन से मुक्ति दिलाना और व्यक्ति को मोक्ष के मार्ग पर ले जाना है।
4. घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) का पाठ कब करना चाहिए?
इसका पाठ सुबह के समय, ध्यान और पूजा के दौरान, या किसी संकट के समय किया जा सकता है। नियमित पाठ मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
5.घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) के कितने श्लोक हैं?
घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) में कुल आठ श्लोक हैं, जो भगवान की शरणागति, ध्यान और मोक्ष की प्राप्ति का वर्णन करते हैं।
6. घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) का पाठ कैसे करें?
पाठ के लिए शांत और पवित्र स्थान चुनें। भगवान महावीर की प्रतिमा के सामने श्रद्धा और समर्पण के साथ स्तोत्र का पाठ करें।
7. घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) का पाठ करने के लाभ क्या हैं?
इसका पाठ मानसिक तनाव को कम करता है, आत्मा को शुद्ध करता है, कर्मों का नाश करता है, और मोक्ष प्राप्ति में मदद करता है।
8. क्या घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) का पाठ हर कोई कर सकता है?
हाँ, यह स्तोत्र जैन धर्म के अनुयायियों के साथ-साथ हर वह व्यक्ति कर सकता है जो मानसिक शांति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन की तलाश में है।
9. घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) का आध्यात्मिक महत्व क्या है?
यह स्तोत्र भगवान के प्रति भक्ति और समर्पण को बढ़ाता है और आत्मा को शुद्ध करने का माध्यम है।
10. क्या घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) के पाठ के लिए कोई विशेष नियम हैं?
हाँ, पाठ के दौरान मन और शरीर की शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। इसे श्रद्धा और समर्पण के साथ करना चाहिए।
11. घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) का पाठ किसने लिखा था?
इस स्तोत्र का श्रेय जैन धर्म के महान संतों और आचार्यों को दिया जाता है, जिन्होंने इसे भगवान महावीर के उपदेशों के आधार पर लिखा।
12. क्याघोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) संकटों को दूर कर सकता है?
हाँ, यह स्तोत्र संकटों से बचने और आत्मबल बढ़ाने में सहायक है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति कठिन परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम होता है।
13. घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) की कौन-कौन सी कहानियाँ प्रसिद्ध हैं?
इस स्तोत्र से जुड़ी कई कहानियाँ हैं, जिनमें संकट के समय पाठ करने से राजा और साधारण व्यक्ति दोनों को समाधान मिला।
14. घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) किसके लिए सबसे अधिक उपयोगी है?
यह स्तोत्र उन सभी के लिए उपयोगी है जो मानसिक तनाव, जीवन की कठिनाइयों या आत्मा की शुद्धि के लिए मार्गदर्शन चाहते हैं।
15. घोराष्टक स्तोत्र (Ghorastak Stotra) का सबसे बड़ा संदेश क्या है?
इसका सबसे बड़ा संदेश है कि व्यक्ति को अपने कर्मों का बोध होना चाहिए और उसे धर्म, सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर मोक्ष की ओर बढ़ना चाहिए।