यमुना षष्ठी व्रत: (Yamuna Shashti Vrat) क्या आप जानते हैं इस पावन तिथि की चमत्कारी कथा?

Soma
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यमुना षष्ठी व्रत: (Yamuna Shashti Vrat) क्या आप जानते हैं इस पावन तिथि की चमत्कारी कथा?


यमुना षष्ठी व्रत: (Yamuna Shashti Vrat) क्या आप जानते हैं इस पावन तिथि की चमत्कारी कथा?


यमुना षष्ठी पर पौराणिक कथा

यमुना षष्ठी हिंदू धर्म में एक पवित्र पर्व है, जिसे ‘जयेष्ठ शुक्ल षष्ठी’ के दिन मनाया जाता है। इस दिन मां यमुना की पूजा का विशेष महत्व होता है। यमुना को पापनाशिनी नदी कहा जाता है और यह भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय नदी मानी जाती है। इस पर्व का धार्मिक, आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व बहुत अधिक है।

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इस दिन भक्तगण यमुना स्नान, पूजा-अर्चना और व्रत करते हैं ताकि जीवन में सुख-समृद्धि और पापों से मुक्ति प्राप्त हो। इस पर्व से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं, जिनमें से एक प्रमुख कथा यमराज और यमुना के प्रेम से जुड़ी है। आइए, इस पवित्र पर्व का महत्व, व्रत विधि और पौराणिक कथा विस्तार से जानते हैं।


यमुना षष्ठी का धार्मिक महत्व

यमुना नदी को हिंदू धर्म में पवित्र नदियों में से एक माना गया है। यह नदी यमराज की बहन मानी जाती है और इसे साक्षात देवी का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि जो भी इस दिन यमुना नदी में स्नान करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस दिन स्नान और पूजा करने से भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है। भक्त इस दिन व्रत और दान भी करते हैं ताकि उन्हें पुण्य फल प्राप्त हो। यमुना को शुद्धता और भक्ति की देवी माना जाता है, इसलिए इस दिन की गई पूजा से व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि आती है।


यमुना षष्ठी की पौराणिक कथा

यमुना षष्ठी की कथा का संबंध यमराज और यमुना से जुड़ा है। मान्यता है कि सूर्य देव की पत्नी संज्ञा से दो संतानें हुईं—बेटा यमराज और बेटी यमुना। संज्ञा सूर्य देव के तेज को सहन नहीं कर पाईं और अपनी छाया छाया देवी को अपनी जगह छोड़कर तपस्या करने चली गईं। छाया देवी से भी सूर्य देव के दो संतानें हुईं—शनि देव और तपती

यमुना अपने भाई यमराज से बहुत स्नेह करती थीं और चाहती थीं कि यमराज उनके घर आकर भोजन करें। लेकिन यमराज, जो कि मृत्यु के देवता थे, अपने कार्यों में इतने व्यस्त रहते थे कि वह यमुना के घर नहीं जा पाए।

कई वर्षों बाद जयेष्ठ शुक्ल षष्ठी के दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने पहुंचे। यमुना ने उन्हें आदरपूर्वक भोजन कराया और प्रेमपूर्वक सत्कार किया। यमराज इस स्नेह से अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने यमुना को वरदान दिया कि जो भी व्यक्ति इस दिन यमुना स्नान करेगा और श्रद्धा से पूजा करेगा, उसे नरक का भय नहीं रहेगा

तब से यमुना षष्ठी का पर्व मनाया जाने लगा। इस दिन यमुना स्नान और व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।


यमुना षष्ठी व्रत विधि

यमुना षष्ठी के दिन भक्तों को निम्नलिखित विधि से व्रत और पूजा करनी चाहिए:

  1. स्नान और संकल्प: इस दिन प्रातःकाल स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। यदि संभव हो तो यमुना नदी में स्नान करें, अन्यथा घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  2. पूजा स्थल की तैयारी: किसी पवित्र स्थान पर यमुना माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और उसे फूलों और दीपों से सजाएं।
  3. पूजन सामग्री: यमुना पूजन के लिए रोली, अक्षत, चंदन, दीप, फल, फूल, मिष्ठान्न, पंचामृत और यमुना जल आवश्यक होता है।
  4. मंत्र जाप: इस दिन “ॐ यमुनायै नमः” मंत्र का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है।
  5. यमराज और यमुना की कथा: पूजा के दौरान यमराज और यमुना की पौराणिक कथा सुननी चाहिए।
  6. दान-पुण्य: इस दिन गरीबों और ब्राह्मणों को दान करने से पुण्य फल प्राप्त होता है। विशेष रूप से अन्न, वस्त्र, जल पात्र और चांदी का दान शुभ माना जाता है।

यमुना षष्ठी पर यमुना नदी में स्नान का महत्व

हिंदू धर्म में नदी स्नान का विशेष महत्व है, और यमुना षष्ठी के दिन यमुना नदी में स्नान करने से विशेष लाभ मिलता है। मान्यता है कि यमुना में स्नान करने से मन और शरीर शुद्ध होते हैं और सभी पाप समाप्त हो जाते हैं।

संस्कृत में एक श्लोक प्रसिद्ध है:


“कालिंद्या यमुनायाश्च स्नानं पापनाशनम्।
मुक्तिसाधनमं नॄणां सत्यं सत्यं वदाम्यहम्।।”

अर्थात, यमुना नदी में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और यह मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।


यमुना षष्ठी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  1. यमुना नदी को ‘कालिंदी’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह कालिंद पर्वत से निकलती है।
  2. यमुना श्रीकृष्ण की प्रिय नदी है और उनके जीवन में इसका विशेष स्थान है।
  3. इस दिन यमुना नदी की आरती और दीपदान करने का बहुत महत्व है।
  4. जिन लोगों की कुंडली में शनि दोष या पितृ दोष होता है, उन्हें इस दिन यमुना स्नान और दान अवश्य करना चाहिए।
  5. यमुना नदी का पानी भगवान विष्णु के चरणों से निकला माना जाता है, इसलिए इसे पवित्र और मोक्षदायिनी माना गया है।

यमुना षष्ठी का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व

यमुना षष्ठी का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी देखा जाता है। इस दिन नदी में स्नान करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। नदियों का जल खनिज तत्वों से भरपूर होता है, जो त्वचा और शरीर के लिए लाभदायक होता है।

यमुना षष्ठी व्रत: (Yamuna Shashti Vrat) क्या आप जानते हैं इस पावन तिथि की चमत्कारी कथा?
यमुना षष्ठी व्रत: (Yamuna Shashti Vrat) क्या आप जानते हैं इस पावन तिथि की चमत्कारी कथा! ?

इसके अलावा, यह पर्व सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है। इस दिन लोग सामूहिक रूप से नदी स्नान करते हैं और मिलकर पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे सामाजिक एकता बढ़ती है।


यमुना षष्ठी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भक्ति, पवित्रता और भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन यमुना स्नान, व्रत और पूजन करने से अत्यंत शुभ फल की प्राप्ति होती है।

यमराज और यमुना की कथा हमें यह सिखाती है कि सच्चे प्रेम और भक्ति से जीवन में पापों से मुक्ति मिल सकती है। इस पर्व का पालन करने से धर्म, मोक्ष और पुण्य लाभ प्राप्त होता है। अतः सभी को श्रद्धा और भक्ति भाव से इस पावन तिथि को मनाना चाहिए।

यमुना षष्ठी व्रत: (Yamuna Shashti Vrat) क्या आप जानते हैं इस पावन तिथि की चमत्कारी कथा?

1. यमुना षष्ठी क्या है?

यमुना षष्ठी हिंदू धर्म का एक पवित्र पर्व है, जो जयेष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन देवी यमुना की पूजा की जाती है।

2. यमुना षष्ठी का महत्व क्या है?

इस दिन यमुना नदी में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह दिन यमराज और यमुना के पावन रिश्ते को समर्पित है।

3. यमुना षष्ठी की प्रमुख पौराणिक कथा क्या है?

यमुना षष्ठी की कथा के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुना के प्रेम और सत्कार से प्रसन्न होकर वरदान देते हैं कि इस दिन यमुना स्नान करने वाले को नरक का भय नहीं रहेगा।

4. यमुना नदी को ‘पापनाशिनी’ क्यों कहा जाता है?

यमुना नदी का जल पवित्र माना जाता है, और इसमें स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।

5. यमुना षष्ठी का संबंध यमराज से क्यों है?

यमुना, यमराज की बहन हैं। इस दिन यमराज ने यमुना के आग्रह पर उनके घर भोजन किया और वरदान दिया कि इस दिन स्नान करने वाले को मोक्ष प्राप्त होगा।

6. यमुना षष्ठी का व्रत कैसे रखा जाता है?

इस दिन प्रातः स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है, यमुना माता की पूजा की जाती है, कथा सुनी जाती है और दिनभर उपवास रखा जाता है।

7. इस दिन यमुना स्नान का क्या महत्व है?

यमुना नदी में स्नान करने से शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि होती है। इसे करने से पापों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है।

8. यमुना षष्ठी पर कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?

“ॐ यमुनायै नमः” मंत्र का जाप करने से देवी यमुना की कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

9. क्या घर पर रहकर भी यमुना षष्ठी व्रत किया जा सकता है?

हाँ, यदि यमुना नदी में स्नान संभव न हो तो घर पर गंगाजल मिश्रित जल से स्नान कर, यमुना माता की पूजा करके व्रत रखा जा सकता है।

10. यमुना षष्ठी के दिन क्या दान करना चाहिए?

इस दिन अन्न, वस्त्र, जल से भरे पात्र, चांदी और तांबे के बर्तन का दान करना शुभ माना जाता है।

11. क्या यमुना षष्ठी पर दीपदान करने का कोई महत्व है?

हाँ, इस दिन यमुना नदी में दीप प्रवाहित करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है और सभी कष्ट दूर होते हैं।

12. इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा क्यों की जाती है?

यमुना श्रीकृष्ण की प्रिय नदी है और उनका जन्म यमुना किनारे मथुरा में हुआ था, इसलिए इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा करना शुभ माना जाता है।

13. क्या यह पर्व केवल उत्तर भारत में मनाया जाता है?

मुख्य रूप से यह पर्व उत्तर भारत में प्रसिद्ध है, लेकिन यमुना माता की महिमा के कारण देशभर में कई श्रद्धालु इसे मनाते हैं।

14. यमुना नदी को ‘कालिंदी’ क्यों कहा जाता है?

यमुना का उद्गम कालिंद पर्वत से हुआ था, इसलिए इसे ‘कालिंदी’ भी कहा जाता है।

15. यमुना षष्ठी का वैज्ञानिक महत्व क्या है?

इस दिन नदी स्नान करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, क्योंकि जल में मौजूद खनिज तत्व त्वचा और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।

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