श्री गायत्री माता की आरती: (Sri Gayatri Mata Ji Ki Aarti) जानिए इसका महत्व और प्रभाव

Soma
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श्री गायत्री माता की आरती: (Sri Gayatri Mata Ji Ki Aarti) जानिए इसका महत्व और प्रभाव

श्री गायत्री माता की आरती: (Sri Gayatri Mata Ji Ki Aarti) जानिए इसका महत्व और प्रभाव

श्री गायत्री माता की आरती (Sri Gayatri Mata Ji Ki Aarti) हिंदू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण पूजा है। गायत्री माता को ज्ञान, प्रकाश और संपूर्ण ब्रह्मांड के अस्तित्व की देवी माना जाता है। यह आरती न केवल हमारे आत्मबल को बढ़ाती है, बल्कि मानसिक शांति और ऊर्जा का संचार भी करती है। गायत्री मंत्र और उनकी आरती का एक गहरा आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व है, जिसे प्रत्येक श्रद्धालु अपनी दिनचर्या में शामिल करता है। इस आरती के माध्यम से हम देवी गायत्री की कृपा प्राप्त करने की कोशिश करते हैं, जो हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।

Contents

गायत्री माता का महत्व:

गायत्री माता को विद्या की देवी, सभी देवी-देवताओं की माँ, और समाज में धर्म की स्थापना करने वाली माना जाता है। वे ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित हैं। गायत्री माता का मंत्र “ॐ भूर्भुव: स्वः” बहुत प्रसिद्ध है, जिसे वेदों में सबसे शक्तिशाली मंत्रों में गिना जाता है। यह मंत्र मानसिक शांति और तात्कालिक सुख-शांति प्राप्त करने में मदद करता है। गायत्री माता की पूजा से व्यक्ति के जीवन में धार्मिक ऊर्जा, सकारात्मकता और सांसारिक समस्याओं का समाधान होता है।

आरती का महत्व:

गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) एक प्राचीन परंपरा है, जो धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस आरती का नियमित पाठ करने से मनुष्य के जीवन में एक विशेष प्रकार की शांति और सकारात्मकता का संचार होता है। यह आरती हमे मानसिक रूप से प्रभावित करती है और हमें जीवन के सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा देती है। यह आरती भक्तों को आत्मज्ञान और धार्मिकता की ओर प्रेरित करती है।

श्री गायत्री माता की आरती: (Sri Gayatri Mata Ji Ki Aarti)

श्री गायत्री माता की आरती:
(Sri Gayatri Mata Ji Ki Aarti)


जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता।
आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जग पालन कर्त्री।
दुःख शोक भय क्लेश कलह दारिद्र्य दैन्य हर्त्री॥१॥


ब्रह्मरूपिणी, प्रणत पालिनी, जगत धातृ अम्बे।
भव-भय हारी, जन हितकारी, सुखदा जगदम्बे॥२॥


भयहारिणि, भवतारिणि, अनघे अज आनन्द राशी।
अविकारी, अघहरी, अविचलित, अमले, अविनाशी॥३॥


कामधेनु सत-चित-आनन्दा जय गंगा गीता।
सविता की शाश्वती, शक्ति तुम सावित्री सीता॥४॥


ऋग्, यजु, साम, अथर्व, प्रणयिनी, प्रणव महामहिमे।
कुण्डलिनी सहस्रार सुषुम्रा शोभा गुण गरिमे॥५॥


स्वाहा, स्वधा, शची, ब्रह्माणी, राधा, रुद्राणी।
जय सतरूपा वाणी, विद्या, कमला, कल्याणी॥६॥


जननी हम हैं दीन, हीन, दुःख दारिद के घेरे।
यदपि कुटिल, कपटी कपूत तऊ बालक हैं तेरे॥७॥


स्नेह सनी करुणामयि माता चरण शरण दीजै।
बिलख रहे हम शिशु सुत तेरे दया दृष्टि कीजै॥८॥


काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव द्वेष हरिये।
शुद्ध, बुद्धि, निष्पाप हृदय, मन को पवित्र करिये॥९॥


तुम समर्थ सब भाँति तारिणी, तुष्टि, पुष्टि त्राता।
सत मारग पर हमें चलाओ जो है सुखदाता॥१०॥


जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता॥
 

श्री गायत्री माता की आरती: (Sri Gayatri Mata Ji Ki Aarti) जानिए इसका महत्व और प्रभाव
श्री गायत्री माता की आरती: (Sri Gayatri Mata Ji Ki Aarti) जानिए इसका महत्व और प्रभाव!

आरती का विवरण:

गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) को हम आमतौर पर मंत्रों के साथ गाते हैं। इसमें कुल 8 से 12 पंक्तियाँ होती हैं। सबसे पहली पंक्ति में गायत्री माता के महान कार्य और उनके आध्यात्मिक प्रभाव का उल्लेख किया जाता है। दूसरी पंक्ति में गायत्री माता की संपूर्ण ब्रह्मांड में उपस्थित शक्ति का गुणगान किया जाता है। हर पंक्ति में गायत्री माता की कृपा और आशीर्वाद की कामना की जाती है।

आरती के हर शब्द में गायत्री माता की महिमा और बल का वचन है, जो भक्तों के जीवन को संजीवनी शक्ति प्रदान करती है। इस आरती को पढ़ने और सुनने से मन में सकारात्मक विचार आते हैं और व्यक्ति की आत्मा को शक्ति मिलती है।

आरती का भाव और प्रभाव:

गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti)का भाव बहुत ही उच्च और निर्मल होता है। इस आरती के प्रभाव से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है। गायत्री माता की कृपा से भक्त का जीवन सरल, स्वस्थ और समृद्ध बनता है। आरती के शब्दों में गायत्री माता से मिलती हुई शक्ति, ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति की कामना व्यक्त की जाती है।

आरती में गायत्री माता से प्रार्थना की जाती है कि वे अपने भक्तों को सर्वश्रेष्ठ ज्ञान, आध्यात्मिक जागरूकता और सकारात्मक शक्ति प्रदान करें, ताकि उनका जीवन सुखमय और समृद्ध हो। गायत्री माता की आरती में बसा हुआ विश्वास और भक्ति किसी भी व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक जागरण का काम करता है।

आरती के लाभ:

गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) के अनेक लाभ हैं। जब इसे पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ा जाता है, तो इसके प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आते हैं। इसके लाभ में प्रमुख हैं:

  1. आध्यात्मिक उन्नति: गायत्री माता की आरती से भक्त के जीवन में आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है।
  2. मानसिक शांति: यह आरती मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करती है।
  3. सकारात्मक ऊर्जा: गायत्री माता की आरती से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
  4. सभी कष्टों का निवारण: यह आरती जीवन के सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा दिलाती है।
  5. जीवन में सुख-शांति: गायत्री माता की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सुख और शांति का वास होता है।

गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti)का विधि:

गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) का विधि सरल है। इसे किसी भी शुभ समय पर, विशेष रूप से सुबह और शाम को गायत्री माता के चित्र के सामने बैठकर पढ़ा जा सकता है। आरती के पाठ के दौरान एक दीपक जलाना और तुलसी के पत्ते चढ़ाना अत्यंत लाभकारी होता है। ध्यान रखें कि आरती के दौरान आपका मन निर्मल और एकाग्र होना चाहिए। साथ ही, एकान्त स्थान पर ही आरती का पाठ करें।

आरती का सही समय और स्थान:

गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) का सही समय सर्वोत्तम सुबह और शाम का होता है। इन समयों में वातावरण में प्राकृतिक ऊर्जा अधिक होती है, जो आरती के प्रभाव को और अधिक बढ़ाती है। इसके अलावा, गायत्री माता की आरती का पाठ करने के लिए पवित्र स्थान का चयन करना चाहिए, जैसे कि मंदिर, या घर के पूजा कक्ष में जहां शांति और मानसिक एकाग्रता बनी रहती है।

गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह जीवन में एक नई दिशा और उद्देश्य देने का काम करती है। इसके माध्यम से हम गायत्री माता की कृपा प्राप्त कर सकते हैं, जो हमें ज्ञान, शक्ति, और समृद्धि प्रदान करती हैं। गायत्री माता की आरती को अपने जीवन में शामिल करने से हमें न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि जीवन में सुख और शांति का भी वास होता है।

श्री गायत्री माता की आरती (Sri Gayatri Mata Ji Ki Aarti) से जुड़ी सामान्य प्रश्न (FAQ)

1. गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti)क्या है?

गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) एक धार्मिक गीत है जो गायत्री माता की महिमा का गान करती है। इसमें उनके गुण, शक्ति और आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है।

2. गायत्री माता का महत्व क्या है?

गायत्री माता को ज्ञान, प्रकाश और संपूर्ण ब्रह्मांड की देवी माना जाता है। वे हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं और हमें आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन देती हैं।

3. गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) कब पढ़ी जाती है?

गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) सुबह और शाम के समय पढ़ी जाती है, क्योंकि इस समय वातावरण में शांति और ऊर्जा का संचार अधिक होता है।

4. गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) के लाभ क्या हैं?

आरती के लाभों में मानसिक शांति, आध्यात्मिक जागरण, सकारात्मक ऊर्जा, और जीवन में सुख-शांति का वास शामिल है।

5. क्या गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) हर व्यक्ति को करनी चाहिए?

जी हां, गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) सभी व्यक्तियों को करनी चाहिए, क्योंकि यह हर किसी के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती है और आत्मज्ञान प्रदान करती है।

6. गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti)किसे सुनानी चाहिए?

गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) किसी भी भक्त को सुनाई जा सकती है, चाहे वह घर में हो या मंदिर में। यह आरती सुनने से भक्त को आंतरिक शांति और मानसिक संतुलन मिलता है।

7. गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) कितनी पंक्तियों में होती है?

गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti)में आमतौर पर 8 से 12 पंक्तियाँ होती हैं, जिनमें माता की महिमा और आशीर्वाद की कामना की जाती है।

8. क्या गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) को किसी विशेष स्थान पर ही करना चाहिए?

आरती को पवित्र और शांति वाले स्थान पर करना चाहिए, जैसे घर का पूजा कक्ष या मंदिर में।

9. गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) का सही समय क्या है?

गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) का सही समय सुबह और शाम का है। इन समयों में वातावरण में अधिक प्राकृतिक ऊर्जा होती है।

10. क्या गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) का पाठ अनिवार्य है?

गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) का पाठ अनिवार्य नहीं है, लेकिन इसे नियमित रूप से करना बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि इससे जीवन में शांति और सकारात्मकता बनी रहती है।

11. गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) में कौन से मंत्र होते हैं?

गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) में गायत्री मंत्र का उच्चारण होता है, जैसे “ॐ भूर्भुवः स्वः” और अन्य पंक्तियाँ जिनमें माता के गुण और आशीर्वाद का उल्लेख किया जाता है।

12. गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) का असर कब दिखता है?

आरती का प्रभाव तुरंत महसूस नहीं होता, लेकिन यदि इसे नियमित रूप से श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाए तो कुछ दिनों में सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगते हैं।

13. क्या आरती पढ़ने से किसी प्रकार का तप या व्रत करना चाहिए?

गायत्री माता की आरती के साथ यदि व्रत या तप किया जाए तो और भी अधिक लाभ होता है। हालांकि, यह पूरी तरह से वैकल्पिक है।

14. क्या गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) का पाठ अकेले किया जा सकता है?

जी हां, गायत्री माता की आरती का पाठ अकेले भी किया जा सकता है। यह व्यक्तिगत भक्ति का एक रूप है।

15. गायत्री माता की आरती (Gayatri Mata Ji Ki Aarti) करने के बाद क्या करना चाहिए?

आरती के बाद थोड़ी देर तक ध्यान या प्रकाश दीप जलाना चाहिए। साथ ही, तुलसी के पत्ते या फल चढ़ाने से आरती का फल और भी बढ़ता है।

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