कालाष्टमी (Kalashtami) 21 अप्रैल 2025: इस दिन के रहस्य, पूजा विधि और महत्त्व जानकर चौंक जाएंगे!

Soma
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_कालाष्टमी (Kalashtami) 21 अप्रैल 2025 इस दिन के रहस्य, पूजा विधि और महत्त्व जानकर चौंक जाएंगे!

कालाष्टमी (Kalashtami) 21 अप्रैल 2025: इस दिन के रहस्य, पूजा विधि और महत्त्व जानकर चौंक जाएंगे!


कालाष्टमी (Kalashtami) (21 अप्रैल 2025) – महत्व, पूजा विधि और लाभ

कालाष्टमी (Kalashtami) भगवान काल भैरव की पूजा का विशेष दिन है। यह पर्व हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है। इस दिन भगवान शिव के रुद्र रूप भगवान काल भैरव की आराधना की जाती है। अप्रैल 2025 में कालाष्टमी 21 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन स्नान, दान, उपवास और भैरव पूजन करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।

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कालाष्टमी का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि भगवान काल भैरव को काल के स्वामी और समय के संरक्षक माना जाता है। वे न्याय और दंड के देवता हैं, जो भक्तों को संकटों से बचाते हैं और नकारात्मक ऊर्जाओं को नष्ट करते हैं। कालाष्टमी का व्रत करने से दुश्मनों पर विजय, न्याय में सफलता, और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।


कालाष्टमी (Kalashtami) 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

कालाष्टमी 21 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन पूजा करने का शुभ समय इस प्रकार रहेगा:

🔹 कालाष्टमी तिथि आरंभ: 21 अप्रैल 2025 को प्रातः [समय अपडेट करें] बजे
🔹 कालाष्टमी तिथि समाप्त: 22 अप्रैल 2025 को [समय अपडेट करें] बजे

इस दिन रात्रि में पूजा करना सबसे अधिक फलदायी माना जाता है। रात्रि के समय भगवान काल भैरव की उपासना से अकाल मृत्यु, कर्ज, भय और नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति मिलती है।


कालाष्टमी (Kalashtami) का धार्मिक महत्व

भगवान काल भैरव को शिव का रौद्र रूप माना जाता है। पुराणों के अनुसार, जब देवताओं ने अहंकार में ब्रह्मा जी की पूजा की और भगवान शिव का अपमान किया, तब भगवान शिव ने अपने तृतीय नेत्र से काल भैरव को उत्पन्न किया

भगवान काल भैरव ने ब्रह्मा जी के अहंकार को नष्ट करने के लिए उनका पाँचवाँ सिर काट दिया। इस कारण उन्हें ब्रह्महत्या का दोष लगा, और वे पृथ्वी पर भिक्षाटन करने लगे। जब वे काशी (वाराणसी) पहुंचे, तो उनका यह दोष समाप्त हुआ। इसलिए काशी में काल भैरव मंदिर का विशेष महत्व है।

कालाष्टमी पर भक्त भगवान काल भैरव की पूजा करके अपने सभी पापों का प्रायश्चित करते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि तथा शत्रुओं से रक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।


कालाष्टमी (Kalashtami) व्रत की पूजा विधि

कालाष्टमी का व्रत रखने और पूजन करने की विधि इस प्रकार है:

1️⃣ स्नान और संकल्प: प्रातः गंगा जल से स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
2️⃣ भगवान काल भैरव की पूजा: रात्रि के समय भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र के सामने धूप, दीप, चंदन, पुष्प, नैवेद्य और विशेष रूप से गुड़ और काले तिल अर्पित करें
3️⃣ भैरव मंत्र का जाप करें:

  • “ॐ कालभैरवाय नमः” – 108 बार जाप करें।
    4️⃣ भैरव चालिसा और कथा का पाठ करें
    5️⃣ भैरव जी को प्रसाद अर्पित करें – इसमें गुड़, उड़द की दाल, काले तिल और नारियल का भोग लगाएं।
    6️⃣ कुत्तों को भोजन कराएं – काल भैरव को काले कुत्ते का वाहन माना जाता है, इसलिए इस दिन कुत्तों को रोटी या दूध देना शुभ होता है।
    7️⃣ रात्रि जागरण करें – इस दिन रात्रि जागरण करने और काल भैरव जी का भजन-कीर्तन करने से विशेष लाभ मिलता है

कालाष्टमी (Kalashtami) व्रत के लाभ

शत्रुओं से मुक्ति: भगवान काल भैरव की पूजा करने से शत्रु परास्त होते हैं और जीवन में रक्षा कवच मिलता है।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश: यह व्रत करने से भूत-प्रेत बाधा, बुरी नजर और तंत्र-मंत्र से मुक्ति मिलती है
कर्ज और धन संबंधी परेशानियों से मुक्ति: जो लोग कर्ज से परेशान हैं, उन्हें इस दिन विशेष पूजा करनी चाहिए।
अकाल मृत्यु से रक्षा: भगवान काल भैरव की कृपा से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है
जीवन में सुख-शांति: यह व्रत करने से परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है


कालाष्टमी (Kalashtami) पर विशेष उपाय

💠 काल भैरव के मंदिर में नारियल, काले तिल और सरसों का तेल चढ़ाने से संकट दूर होते हैं
💠 काले कुत्ते को रोटी या दूध खिलाने से नकारात्मक शक्तियों से बचाव होता है
💠 राहु और शनि दोष से परेशान लोगों को इस दिन भगवान काल भैरव की आराधना अवश्य करनी चाहिए
💠 नौकरी और व्यापार में सफलता पाने के लिए इस दिन रात्रि में दीपक जलाकर “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें
💠 किसी प्रकार की बाधा या डर को दूर करने के लिए इस दिन काले उड़द का दान करें

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कालाष्टमी (Kalashtami) से जुड़ी मान्यताएं और रोचक तथ्य

🔸 काशी के कोतवाल – भगवान काल भैरव को वाराणसी का कोतवाल (रक्षक) माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि बिना काल भैरव के दर्शन किए काशी यात्रा अधूरी मानी जाती है
🔸 कुत्ता है वाहन – काल भैरव का वाहन कुत्ता है, इसलिए कुत्तों को भोजन कराना शुभ माना जाता है।
🔸 अघोरी और तांत्रिक करते हैं साधना – कई साधक तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए कालाष्टमी पर विशेष पूजा करते हैं
🔸 सभी दोषों का नाश – इस दिन पूजा करने से पितृ दोष, कालसर्प दोष और ग्रह बाधाओं से मुक्ति मिलती है


कालाष्टमी 21 अप्रैल 2025 का व्रत और पूजा करने से जीवन में सुरक्षा, शांति और समृद्धि आती है। भगवान काल भैरव की कृपा से शत्रुओं का नाश होता है, और व्यक्ति नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रहता है। जो लोग कर्ज, रोग, भय, या शनि-राहु की बाधाओं से पीड़ित हैं, उन्हें इस दिन व्रत और पूजा अवश्य करनी चाहिए

भगवान काल भैरव की कृपा पाने के लिए इस दिन सच्चे मन से उपासना करें, भैरव मंत्रों का जाप करें और जरूरतमंदों की सहायता करें। इससे जीवन के सभी कष्ट समाप्त होंगे और भाग्य का द्वार खुलेगा

कालाष्टमी (Kalashtami) 21 अप्रैल 2025 – महत्वपूर्ण FAQs

1. कालाष्टमी (Kalashtami) क्या है?

कालाष्टमी भगवान काल भैरव की पूजा का विशेष दिन है, जो हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है।

2. कालाष्टमी (Kalashtami) 21 अप्रैल 2025 को कब है?

21 अप्रैल 2025 (रविवार) को कालाष्टमी मनाई जाएगी।

3. कालाष्टमी (Kalashtami) पर कौन से देवता की पूजा की जाती है?

इस दिन भगवान काल भैरव, जो भगवान शिव का रुद्र रूप हैं, की विशेष पूजा की जाती है।

4. कालाष्टमी (Kalashtami) का शुभ मुहूर्त क्या है?

कालाष्टमी तिथि 21 अप्रैल 2025 को प्रारंभ होगी और अगले दिन समाप्त होगी। रात्रि पूजा का विशेष महत्व होता है।

5. कालाष्टमी (Kalashtami) व्रत रखने के क्या लाभ हैं?

इस व्रत से शत्रु भय समाप्त होता है, अकाल मृत्यु से रक्षा मिलती है, और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है

6. कालाष्टमी (Kalashtami) की पूजा कैसे करें?

रात्रि में भगवान काल भैरव का पूजन, मंत्र जाप, प्रसाद अर्पण, और कुत्तों को भोजन कराने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।

7. क्या कालाष्टमी (Kalashtami) पर उपवास करना जरूरी है?

हाँ, यह व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है, लेकिन यदि स्वास्थ्य कारणों से न कर पाएं तो सात्विक भोजन ले सकते हैं।

8. कालाष्टमी (Kalashtami) पर कौन-से मंत्र का जाप करें?

🔹 “ॐ कालभैरवाय नमः” – 108 बार जाप करें।
🔹 “जय भैरव देवाय नमः” भी प्रभावी मंत्र है।

9. क्या कालाष्टमी (Kalashtami) पर भैरव चालिसा पढ़ सकते हैं?

हाँ, भैरव चालिसा और काल भैरव स्तोत्र का पाठ करने से अत्यधिक शुभ फल मिलता है।

10. काल भैरव को प्रिय भोग क्या है?

भगवान काल भैरव को गुड़, काले तिल, उड़द की दाल, नारियल और मदिरा (विशेष भक्तों द्वारा) अर्पित की जाती है

11. कालाष्टमी पर कुत्तों को भोजन क्यों कराना चाहिए?

भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता है, इसलिए कुत्तों को भोजन कराना शुभ माना जाता है।

12. कालाष्टमी पर कौन-से दान करने चाहिए?

🔹 काले तिल, काले कपड़े, उड़द की दाल, नारियल, सरसों का तेल और अन्न का दान करना लाभकारी है।

13. क्या कालाष्टमी पर मंदिर जाना आवश्यक है?

यदि संभव हो तो काल भैरव मंदिर में जाकर दर्शन और पूजा करें, लेकिन घर पर भी श्रद्धा से पूजा की जा सकती है।

14. कालाष्टमी पर कौन-से कार्य नहीं करने चाहिए?

मांसाहार, नशा, झूठ बोलना और किसी का अपमान करना इस दिन वर्जित है

15. कालाष्टमी किन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है?

जिन्हें शनि दोष, राहु-केतु दोष, कर्ज, मानसिक तनाव या शत्रु बाधा है, उन्हें इस व्रत को जरूर करना चाहिए।

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