“गणपति स्तोत्र: (Ganpati Stotra) हर संकट का समाधान और सुख-समृद्धि का मार्ग”

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"गणपति स्तोत्र: (Ganpati Stotra) हर संकट का समाधान और सुख-समृद्धि का मार्ग"

“गणपति स्तोत्र: (Ganpati Stotra) हर संकट का समाधान और सुख-समृद्धि का मार्ग”


गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) भगवान गणेश की स्तुति में रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। भगवान गणेश को “विघ्नहर्ता” और “सिद्धि विनायक” के नाम से जाना जाता है। यह स्तोत्र न केवल आध्यात्मिक रूप से शक्ति प्रदान करता है, बल्कि जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में भी सहायक है। इस लेख में हम सरल हिंदी में गणपति स्तोत्र का महत्व, अर्थ और लाभ विस्तार से समझेंगे।

Contents
“गणपति स्तोत्र: (Ganpati Stotra) हर संकट का समाधान और सुख-समृद्धि का मार्ग”गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का महत्वगणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) की उत्पत्ति और इतिहासगणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ करने के लाभगणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का अर्थगणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) पाठ करने का सही समय और विधिगणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का आधुनिक जीवन में महत्वगणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) और विज्ञानगणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) शुभ अवसरों का अभिन्न हिस्सागणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) और बच्चों की शिक्षागणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)भक्तों के अनुभवगणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) और मंत्रों का मेलगणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का बच्चों को सिखाने का तरीकागणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) पर महत्वपूर्ण FAQs1.गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) क्या है?2. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ कब करना चाहिए?3. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का सबसे बड़ा लाभ क्या है?4. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ कौन कर सकता है?5. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) कितने समय में याद किया जा सकता है?6. क्या गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ किसी विशेष दिन करना चाहिए?7. क्यागणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ केवल मंदिर में करना जरूरी है?8. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ कितनी बार करना चाहिए?9. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)को कौन लिखने वाला माना जाता है?10. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का उच्चारण कैसे करना चाहिए?11.गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ करने से क्या स्वास्थ्य लाभ होते हैं?12. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)के साथ कौन से मंत्र पढ़ने चाहिए?13. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) बच्चों के लिए कैसे उपयोगी है?14. क्यागणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ किसी विशेष आसन पर बैठकर करना चाहिए?15. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) को जीवन का हिस्सा क्यों बनाना चाहिए?

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)भगवान गणेश की महिमा और कृपा को दर्शाने वाला पवित्र पाठ है। यह स्तोत्र प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म में अति पूजनीय रहा है। इसे पढ़ने और सुनने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक बल आता है। गणपति स्तोत्र को नियमित रूप से पढ़ने से मन की शांति, धन-धान्य, और विघ्नों का नाश होता है।


गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का महत्व

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)को पढ़ने का विशेष महत्व है। यह न केवल पूजा-पाठ का एक हिस्सा है, बल्कि जीवन की कठिनाइयों को दूर करने में भी सहायक है। इसे पढ़ने से:

  • ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है।
  • कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है।
  • विघ्नों और बाधाओं का नाश होता है।
    भगवान गणेश का स्मरण करना हर शुभ कार्य की शुरुआत से पहले आवश्यक माना जाता है। इस स्तोत्र के माध्यम से व्यक्ति गणपति बप्पा की कृपा आसानी से प्राप्त कर सकता है।

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)

गणपति स्तोत्र
(Ganpati Stotra)

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्
भक्तावासं स्मरेन्नित्यम् आयुष्कामार्थसिद्धये ॥१॥

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्
तृतीयं कृष्णपिङगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥२॥

लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धुम्रवर्णं तथाष्टकम् ॥३॥

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ॥४॥

द्वादशेतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नर:
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धीकरः प्रभो ॥५॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥६॥

जपेद्गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत्
संवत्सरेण सिद्धीं च लभते नात्र संशयः ॥७॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत्
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥८॥

इति श्रीनारदपुराणे सङ्कटनाशनं नाम श्रीगणपतिस्तोत्रं संपूर्णम्||

गणपती स्तोत्र ( मराठी अनुवाद )

साष्टांग नमन हे माझे गौरीपुत्रा विनायका |
भक्तिने स्मरता नित्य आयु:कामार्थ साधती ||१||

प्रथम नाव वक्रतुंड दुसरे एकदंत तें |
तीसरे कृष्णपिंगाक्ष चवथे गजवक्त्र तें ||२||

पाचवे श्रीलंबोदर सहावे विकट नाव तें |
सातवे विघ्नराजेंद्र आठवे धुम्रवर्ण तें ||३||

नववे श्रीभालचंद्र दहावे श्रीविनायक |
अकरावे गणपति बारावे श्रीगजानन ||४||

देवनावे अशी बारा तीनसंध्या म्हणे नर |
विघ्नभिती नसे त्याला प्रभो ! तू सर्वसिद्धिद ||५||

विद्यार्थ्याला मिळे विद्या धनार्थ्याला मिळे धन |
पुत्रार्थ्याला मिळे पुत्र मोक्षार्थ्याला मिळे गति ||६||

जपता गणपतिस्तोत्र सहामासात हे फळ|
एकवर्ष पूर्ण होता मिळे सिद्धि न संशय ||७||

नारदांनी रचिलेले झाले संपूर्ण स्तोत्र हे |
श्रीधराने मराठीत पठण्या अनुवादिले ||८||

जयजयाजी गणपती (गणपतीस्तोत्र)

जयजयाजी गणपती, मज द्यावी विपुल मती ।
करावया तुमची स्तुती, स्फूर्ती द्यावी मज अपार ।।

तुझे नाम मंगलमूर्ती, तुज इंद्रचंद्र ध्याती ।
विष्णू शंकर तुज पुजिती, अव्यया ध्याती नित्यकाळी ॥

तुझे नाम विनायक, गजवदना तू मंगलदायक ।
सकल विघ्ने कलिमलदाहक, नामस्मरणे भस्म होती ॥

मी तव चरणांचा अंकीत, तव चरणामाजी प्रणिपात ।
देवाधीदेवा तू एकदंत, परिसे विज्ञापना एक माझी ॥

माझा लडीवाळ तुज करणे, सर्वांपरी तू मज सांभाळणे ।
संकटामाजी रक्षीणे, सर्व करणे तुज स्वामी ॥

गौरिपुत्रा तू गणपती, परिसावी सेवकांची विनंती ।
मी तुमचा चरणार्थी, रक्षिणे सर्वार्थेची स्वामिया ॥

तूच माझा माय बाप, तूच माझा देवराय ।
तूच माझी करिशी सोय, अनाथनाथ गणपती ॥

गजवदना श्री लंबोदरा, सिद्धीविनायका भालचंद्रा l
हेरंबा शिवपुत्रा, विश्वेश्वरा अनाथबंधू ॥

भक्तपालका करी करुणा, वरदमूर्ती गजानना ।
परशुहस्ता सिंदुरवर्णा, विघ्ननाशका विश्वमूर्ती ॥

विश्ववदना विघ्नेश्वरा, मंगलाधीशा परशुधरा ।
पापमोचना सर्वेश्वरा, दीनबंधु नमन माझे ॥

नमन माझे विघ्नहर्ता, नमन माझे एकदंता ।
नमन माझे गिरिजासुता, तुज स्वामिया नमन माझे ॥

नाही आशा स्तुतिची, नाही आशा तव भक्तिची ।
सर्व प्रकारे तुझिया दर्शनाची, आशा मनी उपजली ॥

मी केवळ मूढ अज्ञान, ध्यानी तुझे सदा चरण ।
लंबोदरा मज देई दर्शन, कृपा करी जगदीशा ॥

मतीमंद मी बालक, तूची सर्वांचा चालक ।
भक्तजनांचा पालक, गजमुखा तू होसी ॥

मी दरिद्री अभागी स्वामी, चित्त जडावे तुझिया नामी ।
अनन्यशरण तुजला मी, दर्शन देई कृपाळुवा ॥

हे गणपतीस्त्रोत्र जो करी पठण, त्यासी स्वामी देई अपार धन ।
विद्यासिद्धीचे अगाध ज्ञान, सिंदुरवदन देईल पै ॥

त्यासी पिशाच्च भूत प्रेत, न बाधिती कदाकाळात ।
स्वामिची पुजा करोनी यथास्तित, स्तुतिस्त्रोत्र हे जपावे ॥

होईल सिद्धी षण्मास हे जपता, नव्हे कदा असत्य वार्ता ।
गणपतीचरणी माथा, दिवाकरे ठेविला ॥

इति श्री गणपतीस्तोत्रं संपूर्णम्। श्री गजाननार्पणमस्तु।

"गणपति स्तोत्र: (Ganpati Stotra) हर संकट का समाधान और सुख-समृद्धि का मार्ग"
गणपति स्तोत्र:! (Ganpati Stotra) हर संकट का समाधान और सुख-समृद्धि का मार्ग

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) की उत्पत्ति और इतिहास

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)का वर्णन कई पुराणों में मिलता है। यह माना जाता है कि ऋषि-मुनियों ने इसे भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए लिखा। शिवपुराण और गणेश पुराण में गणपति स्तोत्र का विशेष उल्लेख है।
पुराणों में कहा गया है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन और भक्ति के साथ इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसे जीवन में कभी भी कोई विघ्न या बाधा नहीं सताती।


गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ करने के लाभ

  1. आध्यात्मिक बल: यह पाठ आत्मा को शुद्ध करता है और मन को शांत करता है।
  2. विघ्नों का नाश: जीवन में आने वाली सभी बाधाएं और कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
  3. धन और समृद्धि: भगवान गणेश की कृपा से व्यक्ति को धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  4. बुद्धि और विद्या: भगवान गणेश को विद्या और ज्ञान का देवता माना जाता है। उनके स्तोत्र का पाठ करने से बुद्धि का विकास होता है।
  5. सकारात्मक ऊर्जा: यह व्यक्ति के चारों ओर सकारात्मक माहौल का निर्माण करता है।

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का अर्थ

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)में भगवान गणेश के गुणों, महिमा और उनकी कृपा शक्ति का वर्णन किया गया है। इसका हर श्लोक गहरी आध्यात्मिक अर्थ रखता है।
उदाहरण:

  • “वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।” इसका अर्थ है कि भगवान गणेश विशाल शरीर वाले और सूर्य के समान तेजस्वी हैं।
    इस तरह हर पंक्ति भगवान गणेश की अद्भुत शक्तियों को प्रकट करती है।

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) पाठ करने का सही समय और विधि

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ करने के लिए शुभ समय और सही विधि का पालन करना आवश्यक है।

  1. सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं।
  3. गणेश मंत्र “ॐ गण गणपतये नमः” का जाप करें।
  4. उसके बाद गणपति स्तोत्र का पाठ करें।
    सुबह और शाम के समय इसे पढ़ने से विशेष फल मिलता है।

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का आधुनिक जीवन में महत्व

आज के भागदौड़ भरे जीवन में मानसिक तनाव और चिंता आम समस्या बन गई है। ऐसे में गणपति स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति मानसिक शांति प्राप्त कर सकता है। यह स्तोत्र न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि तनाव को भी दूर करता है।


गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) और विज्ञान

आधुनिक शोध के अनुसार, मंत्रोच्चार और स्तोत्र का पाठ करने से मस्तिष्क की गतिविधियों में सकारात्मक परिवर्तन होता है। यह व्यक्ति को एकाग्रता बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य सुधारने में मदद करता है।


गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) शुभ अवसरों का अभिन्न हिस्सा

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) को सभी शुभ अवसरों पर पढ़ा जाता है, जैसे:

  • गणेश चतुर्थी
  • किसी नए कार्य की शुरुआत
  • विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्य
    यह स्तोत्र इन अवसरों को और भी पवित्र और शुभ बनाता है।

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) और बच्चों की शिक्षा

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ बच्चों के लिए भी लाभदायक होता है। यह उनके स्मरण शक्ति को बढ़ाता है और पढ़ाई में सफलता दिलाता है। इसलिए, माता-पिता को अपने बच्चों को बचपन से ही यह स्तोत्र सिखाना चाहिए।


गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)भक्तों के अनुभव

कई भक्तों का मानना है कि गणपति स्तोत्र के नियमित पाठ से उनके जीवन में चमत्कारी बदलाव आए हैं। यह न केवल उनकी समस्याओं को हल करता है, बल्कि उन्हें सुख-समृद्धि का अनुभव भी कराता है।


गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) और मंत्रों का मेल

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) के साथ अन्य मंत्रों का जाप करने से इसकी शक्ति और बढ़ जाती है।

  • ॐ गण गणपतये नमः
  • वक्रतुण्डाय हुं
    इन मंत्रों का उच्चारण करने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का बच्चों को सिखाने का तरीका

बच्चों को गणपति स्तोत्र सिखाने के लिए:

  1. सरल भाषा में अर्थ समझाएं।
  2. इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में याद करवाएं।
  3. रोज़ सुबह इसका अभ्यास करवाएं।

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) भगवान गणेश को प्रसन्न करने का सबसे सरल और प्रभावी माध्यम है। इसे पढ़ने से व्यक्ति को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार के लाभ मिलते हैं। यदि इसे सच्चे मन और श्रद्धा से पढ़ा जाए, तो यह जीवन के हर संकट को दूर कर सकता है।

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) पर महत्वपूर्ण FAQs

1.गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) क्या है?

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) भगवान गणेश की स्तुति में लिखा गया एक पवित्र पाठ है, जो विघ्नों का नाश और सुख-समृद्धि प्रदान करता है।

2. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ कब करना चाहिए?

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ सुबह स्नान के बाद या शाम के समय शांत मन से करना सबसे शुभ माना जाता है।

3. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का सबसे बड़ा लाभ क्या है?

इसका सबसे बड़ा लाभ है जीवन में आने वाले विघ्नों और बाधाओं का नाश। इसके अलावा, यह मन की शांति और सफलता भी प्रदान करता है।

4. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ कौन कर सकता है?

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ कोई भी व्यक्ति, किसी भी उम्र में कर सकता है। यह स्तोत्र बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के लिए उपयोगी है।

5. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) कितने समय में याद किया जा सकता है?

यदि इसे नियमित रूप से पढ़ा जाए, तो 7-10 दिनों में इसे आसानी से याद किया जा सकता है।

6. क्या गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ किसी विशेष दिन करना चाहिए?

हालांकि इसे रोज़ पढ़ा जा सकता है, लेकिन गणेश चतुर्थी, बुधवार और किसी शुभ कार्य की शुरुआत पर इसका पाठ करना अत्यधिक फलदायक होता है।

7. क्यागणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ केवल मंदिर में करना जरूरी है?

नहीं, गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)का पाठ घर पर या किसी भी पवित्र स्थान पर किया जा सकता है।

8. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ कितनी बार करना चाहिए?

इसे रोज़ाना एक बार पढ़ना लाभकारी है, लेकिन इसे 3, 7 या 11 बार पढ़ने से अधिक फल मिलता है।

9. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)को कौन लिखने वाला माना जाता है?

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)का वर्णन कई पुराणों में मिलता है, और इसे ऋषियों ने भगवान गणेश की स्तुति में रचा।

10. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का उच्चारण कैसे करना चाहिए?

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का उच्चारण स्पष्ट और श्रद्धा से करना चाहिए। मंत्रोच्चारण की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।

11.गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ करने से क्या स्वास्थ्य लाभ होते हैं?

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)का पाठ मानसिक तनाव को कम करता है और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इससे ध्यान और एकाग्रता भी बढ़ती है।

12. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra)के साथ कौन से मंत्र पढ़ने चाहिए?

गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) के साथ ॐ गण गणपतये नमः और वक्रतुण्ड महाकाय मंत्र पढ़ने से इसका प्रभाव बढ़ता है।

13. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) बच्चों के लिए कैसे उपयोगी है?

यह बच्चों की बुद्धि, स्मरण शक्ति और शिक्षा में उन्नति करता है। माता-पिता इसे बच्चों को सिखा सकते हैं।

14. क्यागणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) का पाठ किसी विशेष आसन पर बैठकर करना चाहिए?

हाँ, इसे कुश या सूती आसन पर बैठकर करना शुभ माना जाता है। यह मन को स्थिर और शांत रखने में मदद करता है।

15. गणपति स्तोत्र (Ganpati Stotra) को जीवन का हिस्सा क्यों बनाना चाहिए?

यह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता, शांति, और समृद्धि लाता है। भगवान गणेश की कृपा से हर विघ्न और बाधा का नाश होता है।

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