शक्तिशाली बटुक भैरव स्तोत्र: आपकी सभी समस्याओं का समाधान

Soma
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शक्तिशाली बटुक भैरव स्तोत्र: आपकी सभी समस्याओं का समाधान

शक्तिशाली बटुक भैरव स्तोत्र: आपकी सभी समस्याओं का समाधान

बटुक भैरव को काल भैरव का बाल रूप माना जाता है, जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखते हैं। भैरव जी को काल और संकट के देवता कहा जाता है।

Contents

बटुक भैरव स्तोत्र वह शक्ति मंत्र है, जो न केवल भय को समाप्त करता है, बल्कि जीवन की सभी समस्याओं का समाधान भी देता है। इस लेख में, हम बटुक भैरव स्तोत्र के महत्व, उसके पाठ विधि और लाभों को विस्तार से समझेंगे।


बटुक भैरव का परिचय

बटुक भैरव भगवान शिव का एक विशेष रूप हैं, जिन्हें विशेषतः संकटमोचक माना जाता है। इनका रूप शक्तिशाली, निर्भीक और दया का प्रतीक है। भैरव जी का यह स्वरूप भक्तों को भयमुक्त करता है और उन्हें सुरक्षा प्रदान करता है। बटुक भैरव का पूजन साधना, तांत्रिक अनुष्ठान और संकट निवारण के लिए किया जाता है।


बटुक भैरव स्तोत्र क्या है?

बटुक भैरव स्तोत्र एक पवित्र पाठ है, जो संकट, भय, और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। इसे भगवान शिव के आदेश से लिखा गया माना जाता है। यह स्तोत्र संस्कृत श्लोकों का संग्रह है, जो व्यक्ति को दुष्ट शक्तियों और जीवन के कठिनाइयों से बचाता है।


बटुक भैरव स्तोत्र :

भैरव ध्यान:

वन्दे बालं स्फटिक-सदृशम्, कुन्तलोल्लासि-वक्त्रम्।
दिव्याकल्पैर्नव-मणि-मयैः, किंकिणी-नूपुराढ्यैः॥
दीप्ताकारं विशद-वदनं, सुप्रसन्नं त्रि-नेत्रम्।
हस्ताब्जाभ्यां बटुकमनिशं, शूल-दण्डौ दधानम्॥

मानसिक पूजन करे:

ॐ लं पृथ्वी-तत्त्वात्मकं गन्धं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये समर्पयामि नमः।
ॐ हं आकाश-तत्त्वात्मकं पुष्पं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये समर्पयामि नमः।
ॐ यं वायु-तत्त्वात्मकं धूपं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये घ्रापयामि नमः।
ॐ रं अग्नि-तत्त्वात्मकं दीपं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये निवेदयामि नमः।
ॐ सं सर्व-तत्त्वात्मकं ताम्बूलं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये समर्पयामि नमः।

बटुक भैरव स्तोत्र:
ॐ भैरवो भूत-नाथश्च, भूतात्मा भूत-भावनः।
क्षेत्रज्ञः क्षेत्र-पालश्च, क्षेत्रदः क्षत्रियो विराट् ॥
श्मशान-वासी मांसाशी, खर्पराशी स्मरान्त-कृत्।
रक्तपः पानपः सिद्धः, सिद्धिदः सिद्धि-सेवितः॥
कंकालः कालः-शमनः, कला-काष्ठा-तनुः कविः।
त्रि-नेत्रो बहु-नेत्रश्च, तथा पिंगल-लोचनः॥
शूल-पाणिः खड्ग-पाणिः, कंकाली धूम्र-लोचनः।
अभीरुर्भैरवी-नाथो, भूतपो योगिनी – पतिः॥
धनदोऽधन-हारी च, धन-वान् प्रतिभागवान्।
नागहारो नागकेशो, व्योमकेशः कपाल-भृत्॥
कालः कपालमाली च, कमनीयः कलानिधिः।
त्रि-नेत्रो ज्वलन्नेत्रस्त्रि-शिखी च त्रि-लोक-भृत्॥
त्रिवृत्त-तनयो डिम्भः शान्तः शान्त-जन-प्रिय।
बटुको बटु-वेषश्च, खट्वांग -वर – धारकः॥
भूताध्यक्षः पशुपतिर्भिक्षुकः परिचारकः।
धूर्तो दिगम्बरः शौरिर्हरिणः पाण्डु – लोचनः॥
प्रशान्तः शान्तिदः शुद्धः शंकर-प्रिय-बान्धवः।
अष्ट -मूर्तिर्निधीशश्च, ज्ञान- चक्षुस्तपो-मयः॥
अष्टाधारः षडाधारः, सर्प-युक्तः शिखी-सखः।
भूधरो भूधराधीशो, भूपतिर्भूधरात्मजः॥
कपाल-धारी मुण्डी च , नाग- यज्ञोपवीत-वान्।
जृम्भणो मोहनः स्तम्भी, मारणः क्षोभणस्तथा॥
शुद्द – नीलाञ्जन – प्रख्य – देहः मुण्ड -विभूषणः।
बलि-भुग्बलि-भुङ्- नाथो, बालोबाल – पराक्रम॥
सर्वापत् – तारणो दुर्गो, दुष्ट- भूत- निषेवितः।
कामीकला-निधिःकान्तः, कामिनी वश-कृद्वशी॥

जगद्-रक्षा-करोऽनन्तो, माया – मन्त्रौषधी -मयः।
सर्व-सिद्धि-प्रदो वैद्यः, प्रभ – विष्णुरितीव हि॥

फल–श्रुति:

अष्टोत्तर-शतं नाम्नां, भैरवस्य महात्मनः।
मया ते कथितं देवि, रहस्य सर्व-कामदम्॥
य इदं पठते स्तोत्रं, नामाष्ट-शतमुत्तमम्।
न तस्य दुरितं किञ्चिन्न च भूत-भयं तथा॥

न शत्रुभ्यो भयंकिञ्चित्, प्राप्नुयान्मानवः क्वचिद्।
पातकेभ्यो भयं नैव, पठेत् स्तोत्रमतः सुधीः॥
मारी-भये राज-भये, तथा चौराग्निजे भये।

औत्पातिके भये चैव, तथा दुःस्वप्नज भये॥
बन्धने च महाघोरे, पठेत् स्तोत्रमनन्य-धीः।
सर्वं प्रशममायाति, भयं भैरव-कीर्तनात्॥

क्षमा-प्रार्थना:

आवाहन न जानामि, न जानामि विसर्जनम्।
पूजा-कर्म न जानामि, क्षमस्व परमेश्वर॥
मन्त्र-हीनं क्रिया-हीनं, भक्ति-हीनं सुरेश्वर।
मया यत्-पूजितं देव परिपूर्णं तदस्तु मे॥

।। इति बटुक भैरव स्तोत्रम् ।।

शक्तिशाली बटुक भैरव स्तोत्र: आपकी सभी समस्याओं का समाधान
शक्तिशाली बटुक भैरव स्तोत्र: आपकी सभी समस्याओं का समाधान!

बटुक भैरव स्तोत्र हिंदी में :

भैरव ध्यान:

मैं घुंघराले चेहरे वाले, क्रिस्टल जैसे बच्चे की पूजा करता हूं।
वे दिव्य सौंदर्य के नए रत्नों से सुसज्जित थे और मोतियों और पायलों से सुशोभित थे
उनका तेजोमय चेहरा और तीन आंखें बहुत प्रसन्न थीं।
वह हमेशा अपनी हथेलियों में एक बटुआ और एक भाला और एक लाठी रखता था।

मानसिक पूजा:

ॐ ळं मैं धन्य आपदा राहत बटुक-भेरवा की खुशी के लिए पृथ्वी के तत्वों से युक्त इस सुगंध को अर्पित करता हूं।


ॐ हम्म मैं आकाश-तत्व का यह पुष्प धन्य आपदा-राहत बटुक-भेरवा की प्रसन्नता के लिए अर्पित करता हूँ।


ॐ मैं धन्य आपदा राहत बटुक-भेरवा की प्रसन्नता के लिए वायु के तत्वों से युक्त इस धूप को सूँघता हूँ।


ॐ रं मैं धन्य आपदा राहत बटुक-भेरवा की प्रसन्नता के लिए अग्नि तत्व से युक्त यह दीपक अर्पित करता हूं।


ॐ सैम मैं धन्य आपदा राहत बटुक-भेरवा की खुशी के लिए यह सर्व-मौलिक मनका अर्पित करता हूं।

बटुक भैरव स्तोत्र:

ॐभैरव प्राणियों के स्वामी, प्राणियों की आत्मा और प्राणियों के निर्माता हैं।
वह क्षेत्र का ज्ञाता और क्षेत्र का रक्षक है तथा क्षेत्र का दाता क्षत्रिय विराट है।
कब्रिस्तान में रहने वाला मांसाहारी, हंसिया खाने वाला, स्मारक खाने वाला होता है।
जो रक्त पीता है और पीता है वह सिद्ध है, वह पूर्णता देता है और पूर्णता से उसकी सेवा की जाती है।
कंकाल काल-शमन है, कला-लकड़ी-शरीर कवि है।
तीन आंखों वाली और कई आंखों वाली, और गुलाबी आंखों वाली।
भाला चलाने वाला, तलवार चलाने वाला, कंकाल, धुँधली आँखों वाला।
अभिरु, भूतपा योगिनी के पति, भैरवी के स्वामी हैं।
धन देने वाला और धन खोने वाला, अमीर और हिस्सेदार।
उनके पास सर्प हार, सर्प जटा, आकाश जटा और कपालधारी है।
समय और खोपड़ियों की माला, कला का सुन्दर खजाना।
उनकी तीन आंखें, जलती हुई आंखें और तीन चोटियां हैं और वे तीनों लोकों को धारण करते हैं।
अंडा, तीन मंडलों का पुत्र, शांतिपूर्ण है और शांतिपूर्ण लोगों को प्रिय है।
एक बटुआ और एक बटुआ-पोशाक, एक तलवार-वाहक।
भूतों का मुखिया, मवेशियों का स्वामी, भिक्षु, परिचारक।
धूर्त, दिगंबर, शूरवीर, हिरण, सफेद आंखों वाला।
वह शांतिपूर्ण, शांति देने वाला, पवित्र और भगवान शिव का प्रिय मित्र है।
वह आठ स्वरूप वाला और खजानों का स्वामी, ज्ञान की आंख और तपस्या का स्रोत है।
आठ-आधारित, छह-आधारित, साँप-सी कलगीदार दोस्त।
भूधरा पृथ्वी के स्वामी हैं, भूपति भूधरा के पुत्र हैं।
वह एक खोपड़ी और मूंछें धारण करता है, और एक सर्प-बलि का घूंघट पहनता है।
जम्हाई लेना, बहकाना, हकलाना, मारना और कांपना भी।
शुद्ध-नीला-मरहम-जैसा-शरीर और सिर-आभूषण।
बालि-भुग्बली-भुन- नाथो, बलोबाला – पराक्रम।
सर्व विपत्ति-मोक्ष दुर्ग है, भूत-प्रेत सेवित।
वासना की कला का खजाना, प्रेमी, कामातुर, वश में करने वाला, वश में करने वाला।

ब्रह्मांड की अनंत रक्षक, माया – मंत्रों और जड़ी-बूटियों से बनी।
वह चिकित्सक हैं जो सभी सिद्धियाँ प्रदान करते हैं, और प्रभा-विष्णु के समान हैं।

फल–श्रुति:

महान भैरव के एक सौ अट्ठासी नाम।
हे देवी, मैंने वह रहस्य आपको बताया है जो आपकी सभी इच्छाओं को पूरा करता है।
जो इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसके आठ सौ उत्तम नाम हैं।
उसमें न तो कोई बुराई है और न ही भूत-प्रेत का डर।

शत्रुओं से डरने की कोई बात नहीं है और न ही मनुष्य इसे कहीं पा सकता है।
पापों का भय नहीं, विवेकी स्तोत्र का पाठ करें।
वे मारे गये, वे राजा थे, और वे चोर थे।

और आकस्मिक भय में भी, और दुःस्वप्न के कारण उत्पन्न भय में भी।
तथा घोर से भयंकर बंधन में भी अनन्य मन से स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
भैरव के पवित्र नाम का जाप करने से सब कुछ शांत हो जाता है, भय दूर हो जाता है।

क्षमा याचना:

मैं नहीं जानता कि कैसे आह्वान करूं, मैं नहीं जानता कि कैसे खारिज करूं।
मैं पूजा की क्रिया नहीं जानता, हे प्रभु, मुझे क्षमा करना।
बिना मंत्र, बिना क्रिया, बिना भक्ति, हे देवों के देव!
हे भगवान, मैंने जो भी पूजा की है, वह मुझमें पूरी हो।

.. यह बटुक भैरव स्तोत्रम् है।

बटुक भैरव स्तोत्र का महत्व

इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को भयमुक्त होने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने में मदद मिलती है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है, जो नकारात्मक शक्तियों से पीड़ित हैं। बटुक भैरव स्तोत्र का नियमित पाठ करने से जीवन में शांति, सुरक्षा, और समृद्धि आती है।


बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ करने की विधि

  1. स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. भगवान भैरव जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
  3. स्तोत्र को संकल्प लेकर आरंभ करें।
  4. ध्यान करें कि आप सभी नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त हो रहे हैं।
  5. पाठ के अंत में प्रसाद चढ़ाएं और भैरव जी से कृपा की प्रार्थना करें।

बटुक भैरव स्तोत्र के लाभ

  1. भय और संकट का नाश होता है।
  2. आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि होती है।
  3. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है।
  4. धन, सुख, और समृद्धि प्राप्त होती है।
  5. व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है।

बटुक भैरव स्तोत्र की संरचना

यह स्तोत्र संस्कृत के 19 श्लोकों का संग्रह है। हर श्लोक में भगवान भैरव की महिमा और शक्ति का वर्णन है। इन श्लोकों का पाठ व्यक्ति को साहस और धैर्य प्रदान करता है।


बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ कब करें?

  1. अमावस्या और पूर्णिमा के दिन विशेष फलदायक होता है।
  2. रात्रि के समय पाठ करना लाभकारी होता है।
  3. जब जीवन में किसी प्रकार का संकट हो, तब इसका पाठ करें।
  4. काल भैरव अष्टमी के दिन इसका पाठ करना अति शुभ होता है।

बटुक भैरव स्तोत्र का धार्मिक महत्व

धार्मिक ग्रंथों में इसे तांत्रिक अनुष्ठानों और शत्रु निवारण के लिए उपयोगी माना गया है। यह दुश्मनों को पराजित करने और रक्षा कवच बनाने में मदद करता है।


बटुक भैरव स्तोत्र के श्लोकों का अर्थ

प्रत्येक श्लोक में भगवान भैरव की शक्ति और दया का वर्णन है। इनके माध्यम से व्यक्ति आध्यात्मिक जागृति प्राप्त करता है। यह स्तोत्र व्यक्ति को शत्रुओं और नकारात्मकता से बचाने का आध्यात्मिक कवच है।


बटुक भैरव स्तोत्र और तंत्र साधना

तंत्र साधना में बटुक भैरव का महत्व अत्यधिक है। यह स्तोत्र सिद्धियों को प्राप्त करने और शत्रु बाधा को दूर करने के लिए पढ़ा जाता है। यह तांत्रिक उपायों में एक प्रभावशाली साधन है।


बटुक भैरव स्तोत्र का प्रभाव

  1. भयमुक्त जीवन का अनुभव होता है।
  2. व्यक्ति को धार्मिक और मानसिक शांति मिलती है।
  3. नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती हैं।
  4. जीवन में सकारात्मकता और सफलता आती है।

बटुक भैरव स्तोत्र न केवल एक आध्यात्मिक उपाय है, बल्कि यह जीवन को संतुलित और सुखद बनाने का मार्ग भी है। यदि आप जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं, तो इसका नियमित पाठ करें। यह आपको भयमुक्त, सुरक्षित, और समृद्ध जीवन प्रदान करेगा।


FAQs: बटुक भैरव स्तोत्र पर सामान्य प्रश्न और उत्तर

1. बटुक भैरव स्तोत्र क्या है?

बटुक भैरव स्तोत्र भगवान बटुक भैरव की स्तुति का पवित्र पाठ है, जो भय, संकट और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति दिलाता है।

2. बटुक भैरव कौन हैं?

बटुक भैरव भगवान शिव के बाल रूप हैं, जिन्हें संकटमोचक और काल का रक्षक माना जाता है।

3. बटुक भैरव स्तोत्र का महत्व क्या है?

यह स्तोत्र व्यक्ति को भयमुक्त करता है, नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है, और जीवन में शांति व समृद्धि लाता है।

4. बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?

इसका पाठ अमावस्या, पूर्णिमा, या काल भैरव अष्टमी के दिन विशेष फलदायक होता है।

5. क्या बटुक भैरव स्तोत्र सभी पढ़ सकते हैं?

हां, इसे कोई भी व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से पढ़ सकता है।

6. बटुक भैरव स्तोत्र के पाठ के लिए क्या नियम हैं?

पाठ से पहले स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें, और भैरव जी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाएं।

7. क्या बटुक भैरव स्तोत्र से तांत्रिक समस्याएं समाप्त होती हैं?

हां, यह स्तोत्र तांत्रिक बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करता है।

8. बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ कितने समय तक करना चाहिए?

इसे 21, 51, या 108 दिनों तक नियमित रूप से पढ़ना शुभ माना जाता है।

9. बटुक भैरव स्तोत्र से क्या लाभ होता है?

यह स्तोत्र व्यक्ति को संकट, भय और शत्रु बाधाओं से मुक्त करता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।

10. क्या बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ घर पर किया जा सकता है?

हां, इसे घर पर स्वच्छता और श्रद्धा के साथ किया जा सकता है।

11. क्या यह स्तोत्र आर्थिक समस्या दूर कर सकता है?

हां, यह धन-समृद्धि और आर्थिक स्थिरता लाने में सहायक है।

12. बटुक भैरव स्तोत्र के साथ कौन-सी साधनाएं जुड़ी हैं?

यह स्तोत्र तंत्र साधना, शत्रु निवारण, और रक्षा कवच साधना के लिए उपयोगी है।

13. क्या स्तोत्र का पाठ दिन के किसी भी समय किया जा सकता है?

पाठ का सबसे अच्छा समय प्रातःकाल या रात्रि का समय होता है।

14. बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ किस स्थिति में नहीं करना चाहिए?

जब आप अशुद्ध हों या मन अशांत हो, तब इसका पाठ नहीं करना चाहिए।

15. क्या बटुक भैरव स्तोत्र से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है?

हां, यह स्तोत्र शत्रु बाधा दूर कर सुरक्षा कवच प्रदान करता है।


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