चमत्कारी देवी खड्गमाला स्तोत्रम्: जानें इसके गुप्त रहस्य और दिव्य लाभ

Soma
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चमत्कारी देवी खड्गमाला स्तोत्रम्: जानें इसके गुप्त रहस्य और दिव्य लाभ

चमत्कारी देवी खड्गमाला स्तोत्रम्: जानें इसके गुप्त रहस्य और दिव्य लाभ

देवी खड्गमाला स्तोत्रम् एक अत्यंत शक्तिशाली और दिव्य स्तोत्र है, जो मां आदिशक्ति ललिता त्रिपुरसुंदरी की स्तुति में गाया जाता है। यह स्तोत्र खासतौर पर श्री विद्या साधना का एक अभिन्न हिस्सा है।

Contents

“खड्गमाला” का अर्थ है खड्ग (तलवार) की माला, जो मां के अनंत शक्तियों और सुरक्षा कवच का प्रतीक है। यह स्तोत्र न केवल साधकों को आत्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि उनके चारों ओर एक दिव्य सुरक्षा कवच भी बनाता है।

इस लेख में, हम विस्तार से जानेंगे कि देवी खड्गमाला स्तोत्रम् क्या है, इसका महत्व, इसका पाठ कैसे करना चाहिए, और इसके अद्भुत लाभ। यह लेख आपको सरल और सहज भाषा में पूरी जानकारी देगा।


देवी खड्गमाला स्तोत्रम्:

श्री देवी खड्गमाला स्तोत्रम्

श्री देवी प्रार्थना

ह्रींकारासनगर्भितानलशिखां सौः क्लीं कलां बिभ्रतीं
सौवर्णांबरधारिणीं वरसुधाधौतां त्रिनेत्रोज्ज्वलाम् ।
वंदे पुस्तकपाशमंकुशधरां स्रग्भूषितामुज्ज्वलां
त्वां गौरीं त्रिपुरां परात्परकलां श्रीचक्रसंचारिणीम् ॥

अस्य श्री शुद्धशक्तिमालामहामंत्रस्य,
उपस्थेंद्रियाधिष्ठायी
वरुणादित्य ऋषयः
देवी गायत्री छंदः
सात्विक ककारभट्टारकपीठस्थित कामेश्वरांकनिलया महाकामेश्वरी श्री ललिता भट्टारिका देवता,
ऐं बीजं
क्लीं शक्तिः
सौः कीलकं
मम खड्गसिद्ध्यर्थे सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः
मूलमंत्रेण षडंगन्यासं कुर्यात् ।

ध्यानम्

तादृशं खड्गमाप्नोति येन हस्तस्थितेनवै ।
अष्टादश महाद्वीप सम्राट् भोत्का भविष्यति ॥

आरक्ताभां त्रिणेत्रामरुणिमवसनां रत्नताटंकरम्यां
हस्तांभोजैस्सपाशांकुश मदन धनुस्सायकैर्विस्फुरंतीम् ।
आपीनोत्तुंग वक्षोरुह विलुठत्तार हारोज्ज्वलांगीं
ध्यायेदंभोरुहस्था-मरुणिमवसना-मीश्वरीमीश्वराणाम् ॥

लमित्यादिपंच पूजां कुर्यात्, यथाशक्ति मूलमंत्रं जपेत् ।

लं – पृथिवीतत्त्वात्मिकायै श्री ललितात्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिकायै गंधं परिकल्पयामि – नमः
हं – आकाशतत्त्वात्मिकायै श्री ललितात्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिकायै पुष्पं परिकल्पयामि – नमः
यं – वायुतत्त्वात्मिकायै श्री ललितात्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिकायै धूपं परिकल्पयामि – नमः
रं – तेजस्तत्त्वात्मिकायै श्री ललितात्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिकायै दीपं परिकल्पयामि – नमः
वं – अमृततत्त्वात्मिकायै श्री ललितात्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिकायै अमृतनैवेद्यं परिकल्पयामि – नमः
सं – सर्वतत्त्वात्मिकायै श्री ललितात्रिपुरसुंदरी पराभट्टारिकायै तांबूलादिसर्वोपचारान् परिकल्पयामि – नमः

श्री देवी संबोधनं (1)
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ऐं क्लीं सौः ॐ नमस्त्रिपुरसुंदरी,

न्यासांगदेवताः (6)
हृदयदेवी, शिरोदेवी, शिखादेवी, कवचदेवी, नेत्रदेवी, अस्त्रदेवी,

तिथिनित्यादेवताः (16)
कामेश्वरी, भगमालिनी, नित्यक्लिन्ने, भेरुंडे, वह्निवासिनी, महावज्रेश्वरी, शिवदूती, त्वरिते, कुलसुंदरी, नित्ये, नीलपताके, विजये, सर्वमंगले, ज्वालामालिनी, चित्रे, महानित्ये,

दिव्यौघगुरवः (7)
परमेश्वर, परमेश्वरी, मित्रेशमयी, षष्ठीशमयी, चर्यानाथमयी, लोपामुद्रमयी, अगस्त्यमयी,

सिद्धौघगुरवः (4)
कालतापशमयी, धर्माचार्यमयी, मुक्तकेशीश्वरमयी, दीपकलानाथमयी,

मानवौघगुरवः (8)
विष्णुदेवमयी, प्रभाकरदेवमयी, तेजोदेवमयी, मनोजदेवमयि, कल्याणदेवमयी, वासुदेवमयी, रत्नदेवमयी, श्रीरामानंदमयी,

श्रीचक्र प्रथमावरणदेवताः
अणिमासिद्धे, लघिमासिद्धे, गरिमासिद्धे, महिमासिद्धे, ईशित्वसिद्धे, वशित्वसिद्धे, प्राकाम्यसिद्धे, भुक्तिसिद्धे, इच्छासिद्धे, प्राप्तिसिद्धे, सर्वकामसिद्धे, ब्राह्मी, माहेश्वरी, कौमारि, वैष्णवी, वाराही, माहेंद्री, चामुंडे, महालक्ष्मी, सर्वसंक्षोभिणी, सर्वविद्राविणी, सर्वाकर्षिणी, सर्ववशंकरी, सर्वोन्मादिनी, सर्वमहांकुशे, सर्वखेचरी, सर्वबीजे, सर्वयोने, सर्वत्रिखंडे, त्रैलोक्यमोहन चक्रस्वामिनी, प्रकटयोगिनी,

श्रीचक्र द्वितीयावरणदेवताः
कामाकर्षिणी, बुद्ध्याकर्षिणी, अहंकाराकर्षिणी, शब्दाकर्षिणी, स्पर्शाकर्षिणी, रूपाकर्षिणी, रसाकर्षिणी, गंधाकर्षिणी, चित्ताकर्षिणी, धैर्याकर्षिणी, स्मृत्याकर्षिणी, नामाकर्षिणी, बीजाकर्षिणी, आत्माकर्षिणी, अमृताकर्षिणी, शरीराकर्षिणी, सर्वाशापरिपूरक चक्रस्वामिनी, गुप्तयोगिनी,

श्रीचक्र तृतीयावरणदेवताः
अनंगकुसुमे, अनंगमेखले, अनंगमदने, अनंगमदनातुरे, अनंगरेखे, अनंगवेगिनी, अनंगांकुशे, अनंगमालिनी, सर्वसंक्षोभणचक्रस्वामिनी, गुप्ततरयोगिनी,

श्रीचक्र चतुर्थावरणदेवताः
सर्वसंक्षोभिणी, सर्वविद्राविनी, सर्वाकर्षिणी, सर्वह्लादिनी, सर्वसम्मोहिनी, सर्वस्तंभिनी, सर्वजृंभिणी, सर्ववशंकरी, सर्वरंजनी, सर्वोन्मादिनी, सर्वार्थसाधिके, सर्वसंपत्तिपूरिणी, सर्वमंत्रमयी, सर्वद्वंद्वक्षयंकरी, सर्वसौभाग्यदायक चक्रस्वामिनी, संप्रदाययोगिनी,

श्रीचक्र पंचमावरणदेवताः
सर्वसिद्धिप्रदे, सर्वसंपत्प्रदे, सर्वप्रियंकरी, सर्वमंगलकारिणी, सर्वकामप्रदे, सर्वदुःखविमोचनी, सर्वमृत्युप्रशमनि, सर्वविघ्ननिवारिणी, सर्वांगसुंदरी, सर्वसौभाग्यदायिनी, सर्वार्थसाधक चक्रस्वामिनी, कुलोत्तीर्णयोगिनी,

श्रीचक्र षष्टावरणदेवताः
सर्वज्ञे, सर्वशक्ते, सर्वैश्वर्यप्रदायिनी, सर्वज्ञानमयी, सर्वव्याधिविनाशिनी, सर्वाधारस्वरूपे, सर्वपापहरे, सर्वानंदमयी, सर्वरक्षास्वरूपिणी, सर्वेप्सितफलप्रदे, सर्वरक्षाकरचक्रस्वामिनी, निगर्भयोगिनी,

श्रीचक्र सप्तमावरणदेवताः
वशिनी, कामेश्वरी, मोदिनी, विमले, अरुणे, जयिनी, सर्वेश्वरी, कौलिनि, सर्वरोगहरचक्रस्वामिनी, रहस्ययोगिनी,

श्रीचक्र अष्टमावरणदेवताः
बाणिनी, चापिनी, पाशिनी, अंकुशिनी, महाकामेश्वरी, महावज्रेश्वरी, महाभगमालिनी, सर्वसिद्धिप्रदचक्रस्वामिनी, अतिरहस्ययोगिनी,

श्रीचक्र नवमावरणदेवताः
श्री श्री महाभट्टारिके, सर्वानंदमयचक्रस्वामिनी, परापररहस्ययोगिनी,

नवचक्रेश्वरी नामानि
त्रिपुरे, त्रिपुरेशी, त्रिपुरसुंदरी, त्रिपुरवासिनी, त्रिपुराश्रीः, त्रिपुरमालिनी, त्रिपुरसिद्धे, त्रिपुरांबा, महात्रिपुरसुंदरी,

श्रीदेवी विशेषणानि – नमस्कारनवाक्षरीच
महामहेश्वरी, महामहाराज्ञी, महामहाशक्ते, महामहागुप्ते, महामहाज्ञप्ते, महामहानंदे, महामहास्कंधे, महामहाशये, महामहा श्रीचक्रनगरसाम्राज्ञी, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमः ।

फलश्रुतिः

एषा विद्या महासिद्धिदायिनी स्मृतिमात्रतः ।
अग्निवातमहाक्षोभे राजाराष्ट्रस्यविप्लवे ॥

लुंठने तस्करभये संग्रामे सलिलप्लवे ।
समुद्रयानविक्षोभे भूतप्रेतादिके भये ॥

अपस्मारज्वरव्याधिमृत्युक्षामादिजेभये ।
शाकिनी पूतनायक्षरक्षःकूष्मांडजे भये ॥

मित्रभेदे ग्रहभये व्यसनेष्वाभिचारिके ।
अन्येष्वपि च दोषेषु मालामंत्रं स्मरेन्नरः ॥

तादृशं खड्गमाप्नोति येन हस्तस्थितेनवै ।
अष्टादशमहाद्वीपसम्राड्भोक्ताभविष्यति ॥

सर्वोपद्रवनिर्मुक्तस्साक्षाच्छिवमयोभवेत् ।
आपत्काले नित्यपूजां विस्तारात्कर्तुमारभेत् ॥

एकवारं जपध्यानं सर्वपूजाफलं लभेत् ।
नवावरणदेवीनां ललिताया महौजनः ॥

एकत्र गणनारूपो वेदवेदांगगोचरः ।
सर्वागमरहस्यार्थः स्मरणात्पापनाशिनी ॥

ललितायामहेशान्या माला विद्या महीयसी ।
नरवश्यं नरेंद्राणां वश्यं नारीवशंकरम् ॥

अणिमादिगुणैश्वर्यं रंजनं पापभंजनम् ।
तत्तदावरणस्थायि देवताबृंदमंत्रकम् ॥

मालामंत्रं परं गुह्यं परं धाम प्रकीर्तितम् ।
शक्तिमाला पंचधास्याच्छिवमाला च तादृशी ॥

तस्माद्गोप्यतराद्गोप्यं रहस्यं भुक्तिमुक्तिदम् ॥

॥ इति श्री वामकेश्वरतंत्रे उमामहेश्वरसंवादे देवीखड्गमालास्तोत्ररत्नं समाप्तम् ॥

चमत्कारी देवी खड्गमाला स्तोत्रम्: जानें इसके गुप्त रहस्य और दिव्य लाभ
चमत्कारी देवी खड्गमाला स्तोत्रम्: जानें इसके गुप्त रहस्य और दिव्य लाभ!

देवी खड्गमाला स्तोत्रम् का अर्थ

देवी खड्गमाला स्तोत्रम् में मां ललिता के 16 नित्य देवियों, 10 महाविद्याओं और अन्य शक्तियों की स्तुति की गई है। यह स्तोत्र हमें सिखाता है कि मां की शक्तियां ब्रह्मांड के हर पहलू में व्याप्त हैं।

“खड्ग” मां की कृपा, ज्ञान, और अज्ञानता का नाश करने वाली शक्ति का प्रतीक है। “माला” यहां उन शक्तियों के समूह को दर्शाती है जो मां के दिव्य स्वरूप को प्रकट करती हैं। इस स्तोत्र का हर श्लोक हमें दुर्बलताओं से मुक्ति और आत्मिक शक्ति प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है।


खड्गमाला स्तोत्रम् का महत्व

यह स्तोत्र सिर्फ एक साधना का हिस्सा नहीं है; यह एक आध्यात्मिक यात्रा है। खड्गमाला स्तोत्रम् का नियमित पाठ साधक को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।

  • यह स्तोत्र नकारात्मक ऊर्जा से बचाव करता है।
  • साधक के चारों ओर दिव्य सुरक्षा कवच तैयार करता है।
  • ध्यान और साधना में गहराई लाने में मदद करता है।
  • यह कर्म बंधनों को काटता है और साधक को मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करता है।

देवी खड्गमाला स्तोत्रम् का पाठ विधि

  1. शुद्ध स्थान का चयन करें: पाठ से पहले स्थान को साफ करें।
  2. स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  3. मां ललिता की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और धूप जलाएं।
  4. लाल पुष्प और मिठाई का भोग चढ़ाएं।
  5. ध्यान लगाकर स्त्रोत का उच्चारण करें।
  6. शुरुआत में ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिपुरसुंदरीयै नमः मंत्र का जप करें।

इस विधि का पालन करते हुए पाठ करने से साधक को दिव्य ऊर्जा प्राप्त होती है और वह मां की कृपा का पात्र बनता है।


खड्गमाला स्तोत्रम् का संरचना

यह स्तोत्र मंत्रों का एक संगठित समूह है। इसमें मां ललिता के दिव्य गुणों और शक्तियों का वर्णन किया गया है। इसका पाठ करने से साधक को इन शक्तियों का अनुभव होता है:

  • आत्म-सुरक्षा: यह स्तोत्र साधक को आत्म-रक्षा के लिए शक्ति प्रदान करता है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: इसके मंत्र वातावरण को पवित्र और सकारात्मक बनाते हैं।
  • आध्यात्मिक प्रगति: साधक की साधना में सफलता के मार्ग खोलते हैं।

इस स्तोत्र का उच्चारण बहुत ही ध्यानपूर्ण और भक्ति-भावना से किया जाना चाहिए।


खड्गमाला स्तोत्रम् के लाभ

  1. नकारात्मकता से बचाव: यह स्तोत्र साधक को हर प्रकार की नकारात्मकता से दूर रखता है।
  2. सुरक्षा कवच: मां की कृपा से साधक को अदृश्य सुरक्षा कवच मिलता है।
  3. धन और समृद्धि: देवी की कृपा से साधक के जीवन में धन, सुख और शांति आती है।
  4. ध्यान की प्रगाढ़ता: साधना में ध्यान लगाना आसान होता है।
  5. कर्म बंधन से मुक्ति: यह स्तोत्र साधक को उसके पापों से मुक्त करता है।
  6. शत्रुओं पर विजय: यह स्तोत्र साधक को शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में मदद करता है।

ध्यान के लिए खड्गमाला का महत्व

ध्यान के दौरान खड्गमाला स्तोत्रम् का जप साधक को आध्यात्मिक उन्नति और आत्मिक शांति प्रदान करता है। जब साधक ध्यान में इस स्तोत्र का पाठ करता है, तो वह मां ललिता की दिव्य ऊर्जा का अनुभव करता है।

ध्यान के दौरान यह स्तोत्र साधक की चित्त वृत्तियों को शांत करता है और उसे आत्म-साक्षात्कार की ओर अग्रसर करता है। यह स्तोत्र मन के नकारात्मक विचारों को दूर करने में भी सहायक है।


खड्गमाला स्तोत्रम् और तांत्रिक साधना

यह स्तोत्र श्री विद्या तंत्र साधना का एक मुख्य भाग है। तांत्रिक साधकों के लिए यह स्तोत्र अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें दिव्य शक्तियों को जाग्रत करने में मदद करता है। तांत्रिक साधना में इसका नियमित उच्चारण साधक को दिव्य सिद्धियां प्रदान करता है।

हालांकि, सामान्य व्यक्ति भी इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। इसे गाने के लिए केवल सच्ची श्रद्धा और भक्ति की आवश्यकता होती है।


खड्गमाला स्तोत्रम् का आध्यात्मिक रहस्य

इस स्तोत्र के हर शब्द में दिव्य ऊर्जा छिपी है। यह ऊर्जा साधक के मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करती है। खड्गमाला स्तोत्रम् को “दिव्य कवच” भी कहा जाता है क्योंकि यह साधक को हर प्रकार की बुरी शक्तियों से बचाता है।

इसके हर मंत्र का गुप्त अर्थ है, जो साधक को जीवन की गहरी समझ देता है। यह स्तोत्र साधक के आध्यात्मिक जागरण में सहायक होता है।


निष्कर्ष

देवी खड्गमाला स्तोत्रम् केवल एक स्तोत्र नहीं है, यह एक दिव्य साधना का मार्ग है। यह साधक को दुर्बलताओं से मुक्त करता है और उसे मां ललिता की कृपा और सुरक्षा प्रदान करता है।

इस स्तोत्र का नियमित पाठ साधक के जीवन में सकारात्मकता, शांति, और सिद्धि लाता है। इसे सच्चे भक्ति भाव से पढ़ने पर मां ललिता हर साधक की इच्छाओं को पूरा करती हैं।

यदि आप इस स्तोत्र को अपने जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो इसे अपने रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बनाएं। मां की कृपा आपके जीवन को सुख और शांति से भर देगी। जय मां ललिता त्रिपुरसुंदरी!

FAQs: देवी खड्गमाला स्तोत्रम्

1. देवी खड्गमाला स्तोत्रम् क्या है?

यह एक पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है जो मां ललिता त्रिपुरसुंदरी की स्तुति में गाया जाता है। यह मां की दिव्य शक्तियों और सुरक्षा कवच का वर्णन करता है।

2. “खड्गमाला” का क्या अर्थ है?

“खड्ग” का अर्थ है तलवार, जो ज्ञान और अज्ञानता का नाश करने वाली शक्ति का प्रतीक है। “माला” उन शक्तियों का समूह है जो मां की दिव्यता का परिचय देती हैं।

3. खड्गमाला स्तोत्रम् का महत्व क्या है?

यह स्तोत्र साधक को दुर्भाग्य, नकारात्मकता और शत्रुओं से बचाता है। यह आध्यात्मिक उन्नति और मां की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है।

4. इसका पाठ कैसे करना चाहिए?

स्नान करके, साफ कपड़े पहनकर, शांत और पवित्र स्थान में मां ललिता की तस्वीर के सामने इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ा जाता है।

5. खड्गमाला स्तोत्रम् का पाठ कब करना चाहिए?

इसका पाठ सुबह या शाम के समय, ध्यान और शांति के वातावरण में करना सबसे शुभ माना जाता है।

6. क्या यह स्तोत्र सभी पढ़ सकते हैं?

हाँ, कोई भी व्यक्ति भक्ति और श्रद्धा से इस स्तोत्र का पाठ कर सकता है। यह साधना के लिए पुरुष और महिलाओं दोनों के लिए उपयुक्त है।

7. क्या यह स्तोत्र जीवन में समृद्धि लाता है?

हाँ, इसका नियमित पाठ जीवन में धन, सुख, शांति और समृद्धि लाता है।

8. खड्गमाला स्तोत्रम् का पाठ करने से कौन-कौन से लाभ होते हैं?

  • नकारात्मक ऊर्जा से बचाव
  • आत्मिक और मानसिक शांति
  • आध्यात्मिक प्रगति
  • शत्रुओं से सुरक्षा
  • कर्म बंधन से मुक्ति

9. क्या इस स्तोत्र का पाठ ध्यान में सहायक है?

हाँ, खड्गमाला स्तोत्रम् ध्यान के दौरान मन को एकाग्र करता है और साधक को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।

10. क्या यह स्तोत्र तांत्रिक साधना का हिस्सा है?

जी हाँ, यह स्तोत्र श्री विद्या तंत्र साधना का एक महत्वपूर्ण भाग है, लेकिन इसे तांत्रिक ज्ञान के बिना भी सामान्य साधक पढ़ सकते हैं।

11. खड्गमाला स्तोत्रम् में कौन-कौन सी देवियों का उल्लेख है?

इस स्तोत्र में मां ललिता के साथ 16 नित्य देवियां, 10 महाविद्याएं, और अनेक दिव्य शक्तियों का उल्लेख है।

12. क्या इस स्तोत्र का पाठ नकारात्मक शक्तियों से बचाता है?

हाँ, यह स्तोत्र साधक के चारों ओर एक दिव्य सुरक्षा कवच तैयार करता है जो नकारात्मक शक्तियों से बचाता है।

13. क्या खड्गमाला स्तोत्रम् का पाठ करने के लिए किसी विशेष मंत्र का उच्चारण जरूरी है?

पाठ से पहले “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिपुरसुंदरीयै नमः” मंत्र का जप करना शुभ माना जाता है।

14. क्या यह स्तोत्र मोक्ष प्राप्त करने में सहायक है?

हाँ, यह स्तोत्र साधक को कर्म बंधन से मुक्त करता है और उसे मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करता है।

15. क्या खड्गमाला स्तोत्रम् का पाठ बिना गुरु दीक्षा के किया जा सकता है?

हाँ, इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ बिना गुरु दीक्षा के भी पढ़ा जा सकता है, लेकिन गुरु दीक्षा से इसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है।

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