संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) (16 अप्रैल): जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और चमत्कारी लाभ!

Soma
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संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) (16 अप्रैल) जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और चमत्कारी लाभ!

संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) (16 अप्रैल): जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और चमत्कारी लाभ!


संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) (16 अप्रैल): महत्त्व, पूजा विधि और चमत्कारी लाभ

संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) भगवान गणेश की विशेष पूजा का दिन है, जिसे हर महीने चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष 16 अप्रैल 2025 को यह शुभ पर्व मनाया जाएगा। यह दिन संकटों को दूर करने, सुख-समृद्धि बढ़ाने और इच्छित फल प्राप्त करने के लिए विशेष माना जाता है।

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इस दिन भक्त गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। विशेष रूप से रात्रि में चंद्र दर्शन का भी महत्व होता है। व्रतधारी दिनभर निर्जल उपवास रखते हैं और रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत पूर्ण करते हैं। इस दिन की पूजा करने से सभी कष्टों का निवारण होता है और जीवन में सफलता मिलती है।

आइए विस्तार से जानते हैं संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्त्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इस दिन व्रत रखने के चमत्कारी लाभ।


संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) का महत्व

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, जो भक्तों के जीवन से सभी प्रकार के संकटों और बाधाओं को दूर करते हैं। संकष्टी गणेश चतुर्थी का अर्थ ही होता है संकटों का नाश करने वाली चतुर्थी। यह व्रत करने से सभी प्रकार की परेशानियां समाप्त हो जाती हैं और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।

इस दिन भगवान गणेश की सच्चे मन से पूजा करने पर घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। खासतौर पर इस व्रत को विद्यार्थी, व्यापारी और नौकरीपेशा लोग करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।

शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह व्रत नवग्रह दोषों को शांत करने के लिए भी किया जाता है।


संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) 2025: शुभ मुहूर्त

इस बार संकष्टी गणेश चतुर्थी 16 अप्रैल 2025, बुधवार को पड़ रही है। इस दिन चतुर्थी तिथि और पूजा के शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

🔹 चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 16 अप्रैल 2025 को प्रातः 07:28 बजे
🔹 चतुर्थी तिथि समाप्त: 17 अप्रैल 2025 को प्रातः 06:12 बजे
🔹 गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त: दोपहर 02:45 बजे से 04:30 बजे तक
🔹 चंद्र दर्शन का समय: रात्रि 10:15 बजे (सटीक समय स्थान के अनुसार भिन्न हो सकता है)

चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए।


संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) व्रत विधि

  1. स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें।
  2. पूजा स्थल को स्वच्छ कर लाल या पीले कपड़े पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
  3. गणपति बप्पा को अक्षत, दूर्वा, लाल फूल, चंदन और मोदक अर्पित करें।
  4. गणेश चालीसा और गणेश मंत्रों का जाप करें।
  5. दिनभर व्रत रखें और अन्न ग्रहण न करें। (जरूरत हो तो फलाहार कर सकते हैं)
  6. रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें और गणेश जी से अपनी मनोकामना की प्रार्थना करें।
  7. इसके बाद व्रत तोड़ें और भगवान गणेश को प्रसाद अर्पित कर ग्रहण करें।

संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) पर चंद्र दर्शन का महत्व

इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देना अति आवश्यक माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा देखने से दुर्भाग्य समाप्त होता है और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

हालांकि, गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन निषेध भी होता है क्योंकि एक बार भगवान गणेश पर चंद्रमा ने हंसने का अपराध किया था, जिससे उन्हें श्राप मिला था। इसलिए इस दिन अभिषेक, मंत्र जाप और विशेष पूजा करके चंद्रमा को गंगाजल और दूध से अर्घ्य अर्पित करना चाहिए।


संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) व्रत के लाभ

  1. सभी संकटों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  2. व्यापार और नौकरी में सफलता प्राप्त होती है।
  3. विद्यार्थियों को शिक्षा में लाभ मिलता है और स्मरण शक्ति तेज होती है।
  4. घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  5. नवग्रह दोषों से राहत मिलती है।
  6. बिगड़े काम बनते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) पर किए जाने वाले उपाय

  1. गणेश जी को दूर्वा (घास) अर्पित करें – इससे भगवान गणेश शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
  2. गणेश मंत्रों का जाप करें – “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
  3. मोदक का भोग लगाएं – यह गणपति बप्पा की प्रिय मिठाई है।
  4. गरीबों और ब्राह्मणों को दान करें – इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
  5. रात में चंद्रमा को दूध और गंगाजल से अर्घ्य दें – इससे सभी दोष समाप्त होते हैं।
संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) (16 अप्रैल) जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और चमत्कारी लाभ!
संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) (16 अप्रैल) जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और चमत्कारी लाभ!

संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) से जुड़ी पौराणिक कथा

एक समय महर्षि दुर्वासा ने इंद्रदेव को श्राप दिया, जिससे उनका वैभव और ऐश्वर्य नष्ट हो गया। देवताओं ने भगवान गणेश की शरण ली, जिन्होंने उन्हें संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने का सुझाव दिया। इस व्रत को करने से इंद्रदेव को पुनः अपना वैभव प्राप्त हुआ और सभी संकट समाप्त हो गए।

इसलिए, इस व्रत को करने से भक्तों की सभी समस्याएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।


संकष्टी गणेश चतुर्थी एक अत्यंत शुभ दिन है, जिसे संकटों से मुक्ति, सफलता और समृद्धि के लिए मनाया जाता है। 16 अप्रैल 2025 को यह पर्व विशेष रूप से शुभ रहेगा।

यदि आप जीवन में बाधाओं से परेशान हैं, तो इस दिन व्रत और पूजा करने से निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। भगवान गणेश की कृपा से सभी कार्य सफल होंगे और जीवन में नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेंगे।

संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) (16 अप्रैल) से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर


1. संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) क्या है?

संकष्टी गणेश चतुर्थी भगवान गणेश की पूजा के लिए विशेष दिन होता है, जो हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इसे संकटों को हरने वाला पर्व माना जाता है।

2. 2025 में संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) कब है?

साल 2025 में संकष्टी गणेश चतुर्थी 16 अप्रैल, बुधवार को है।

3. संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) का शुभ मुहूर्त क्या है?

🔹 चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 16 अप्रैल 2025 को सुबह 07:28 बजे
🔹 चतुर्थी तिथि समाप्त: 17 अप्रैल 2025 को सुबह 06:12 बजे
🔹 गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त: दोपहर 02:45 से 04:30 बजे तक
🔹 चंद्र दर्शन: रात्रि 10:15 बजे

4. संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) का महत्व क्या है?

इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं और संकट दूर होते हैं। यह व्रत करने से सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।

5. संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) पर कौन-सा व्रत रखा जाता है?

इस दिन निर्जल व्रत या फलाहार व्रत रखा जाता है। रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है।

6. क्या चतुर्थी पर चंद्रमा देखना वर्जित है?

हाँ, गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि चंद्रमा ने गणेश जी का अपमान किया था, जिससे यह श्रापित हो गया।

7. इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का क्या महत्व है?

रात्रि में चंद्रमा को दूध और जल से अर्घ्य देने से पाप समाप्त होते हैं और भाग्य चमकता है

8. संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) की पूजा कैसे करें?

  1. प्रातः स्नान कर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
  2. धूप, दीप, फूल, चंदन और मोदक का भोग अर्पित करें।
  3. गणेश चालीसा और गणेश मंत्रों का जाप करें।
  4. रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण करें।

9. इस दिन कौन-कौन से मंत्र जाप करना चाहिए?

🔹 ॐ गं गणपतये नमः (108 बार)
🔹 वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

10. संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi) पर कौन से उपाय किए जा सकते हैं?

  1. दूर्वा अर्पित करें – गणेश जी को प्रसन्न करने का श्रेष्ठ उपाय।
  2. मोदक का भोग लगाएं – गणपति जी को प्रिय।
  3. गरीबों को दान करें – पुण्य की प्राप्ति होती है।
  4. गणेश जी के मंत्रों का जाप करें – बाधाएं दूर होती हैं।

11. क्या यह व्रत महिलाएं भी कर सकती हैं?

हाँ, यह व्रत महिलाएं और पुरुष दोनों कर सकते हैं। महिलाएं इसे संतान सुख और परिवार की समृद्धि के लिए रखती हैं।

12. विद्यार्थी इस व्रत से क्या लाभ पा सकते हैं?

विद्यार्थियों के लिए यह व्रत बुद्धि और स्मरण शक्ति बढ़ाने में सहायक होता है। गणपति जी को विद्या और ज्ञान का देवता माना जाता है।

13. इस दिन कौन से खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए?

इस दिन तामसिक भोजन, मांसाहार, लहसुन-प्याज और शराब से परहेज करना चाहिए।

14. क्या यह व्रत हर महीने किया जा सकता है?

हाँ, संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत हर महीने किया जा सकता है। प्रत्येक महीने की चतुर्थी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

15. इस दिन कौन सी पौराणिक कथा सुननी चाहिए?

इस दिन गणेश संकष्टी व्रत कथा सुननी चाहिए, जिसमें भगवान गणेश ने देवताओं की रक्षा कर उन्हें संकटों से मुक्त किया था।


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