“नरसिंह स्तोत्रम्: एक अद्भुत उपाय जो हर संकट से मुक्ति दिलाए”

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नरसिंह स्तोत्रम्: एक अद्भुत उपाय जो हर संकट से मुक्ति दिलाए

“नरसिंह स्तोत्रम्: एक अद्भुत उपाय जो हर संकट से मुक्ति दिलाए”

नरसिंह स्तोत्रम् का महत्व

नरसिंह स्तोत्रम्, भगवान श्री नारसिंह के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने वाला एक शक्तिशाली मंत्र है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु के अवतार श्री नारसिंह के अत्यधिक महिमा को व्यक्त करता है, जो भक्तों के सभी भय और शत्रुओं से रक्षा करने वाले माने जाते हैं। नारसिंह भगवान का रूप एक आधे मानव और आधे सिंह का है, जो अत्यधिक क्रोधित होते हुए भी अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी है, जो मानसिक तनाव, शारीरिक समस्याओं और शत्रु के भय से जूझ रहे हैं।

नरसिंह का अवतार

नरसिंह भगवान का अवतार, भगवान विष्णु ने राक्षस राजा हिरण्यकश्यपु के अत्याचारों से पृथ्वी को बचाने के लिए लिया था। हिरण्यकश्यपु के आक्रमणों से परेशान होकर, उसके पुत्र प्रह्लाद ने भगवान विष्णु की पूजा शुरू की थी। इस पर क्रोधित होकर हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार में प्रकट होकर उसे नष्ट किया। नारसिंह भगवान ने न केवल राक्षसों को नष्ट किया, बल्कि वे भक्तों की सुरक्षा का प्रतीक बन गए।

नरसिंह स्तोत्रम् का महत्व

नरसिंह स्तोत्रम् का पाठ मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और जीवन में सकारात्मकता लाने में मदद करता है। यह स्तोत्र उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, जो अपने जीवन में भय, चिंता और मानसिक असंतुलन का सामना कर रहे हैं। इससे न केवल शत्रुओं से रक्षा होती है, बल्कि यह नकारात्मक ऊर्जा को भी समाप्त करता है। नारसिंह स्तोत्रम् का निरंतर पाठ करने से जीवन में आ रही सभी समस्याओं का समाधान संभव है।

नरसिंह स्तोत्रम्:

नरसिंह स्तोत्र

उदयरवि सहस्रद्योतितं रूक्षवीक्षं प्रळय जलधिनादं कल्पकृद्वह्नि वक्त्रम् |

सुरपतिरिपु वक्षश्छेद रक्तोक्षिताङ्गं प्रणतभयहरं तं नारसिंहं नमामि ||

प्रळयरवि कराळाकार रुक्चक्रवालं विरळय दुरुरोची रोचिताशांतराल |

प्रतिभयतम कोपात्त्युत्कटोच्चाट्टहासिन् दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||1||

सरस रभसपादा पातभाराभिराव प्रचकितचल सप्तद्वन्द्व लोकस्तुतस्त्त्वम् |

रिपुरुधिर निषेकेणैव शोणाङ्घ्रिशालिन् दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||2||

तव घनघनघोषो घोरमाघ्राय जङ्घा परिघ मलघु मूरु व्याजतेजो गिरिञ्च |

घनविघटतमागाद्दैत्य जङ्घालसङ्घो दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||3||

कटकि कटकराजद्धाट्ट काग्र्यस्थलाभा प्रकट पट तटित्ते सत्कटिस्थातिपट्वी |

कटुक कटुक दुष्टाटोप दृष्टिप्रमुष्टौ दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||4||

प्रखर नखर वज्रोत्खात रोक्षारिवक्षः शिखरि शिखर रक्त्यराक्तसंदोह देह |

सुवलिभ शुभ कुक्षे भद्र गंभीरनाभे दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||5||

स्फुरयति तव साक्षात्सैव नक्षत्रमाला क्षपित दितिज वक्षो व्याप्तनक्षत्रमागर्म् |

अरिदरधर जान्वासक्त हस्तद्वयाहो दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||6||

कटुविकट सटौघोद्घट्टनाद्भ्रष्टभूयो घनपटल विशालाकाश लब्धावकाशम् |

करपरिघ विमदर् प्रोद्यमं ध्यायतस्ते दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||7||

हठलुठ दल घिष्टोत्कण्ठदष्टोष्ठ विद्युत् सटशठ कठिनोरः पीठभित्सुष्ठुनिष्ठाम् |

पठतिनुतव कण्ठाधिष्ठ घोरांत्रमाला दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||8||

हृत बहुमिहि राभासह्यसंहाररंहो हुतवह बहुहेति ह्रेपिकानंत हेति |

अहित विहित मोहं संवहन् सैंहमास्यम् दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||9||

गुरुगुरुगिरिराजत्कंदरांतगर्तेव दिनमणि मणिशृङ्गे वंतवह्निप्रदीप्ते |

दधदति कटुदंष्प्रे भीषणोज्जिह्व वक्त्रे दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||10||

अधरित विबुधाब्धि ध्यानधैयर्ं विदीध्य द्विविध विबुधधी श्रद्धापितेंद्रारिनाशम् |

विदधदति कटाहोद्घट्टनेद्धाट्टहासं दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||11||

त्रिभुवन तृणमात्र त्राण तृष्णंतु नेत्र त्रयमति लघिताचिर्विर्ष्ट पाविष्टपादम् |

नवतर रवि ताम्रं धारयन् रूक्षवीक्षं दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||12||

भ्रमद भिभव भूभृद्भूरिभूभारसद्भिद् भिदनभिनव विदभ्रू विभ्र मादभ्र शुभ्र |

ऋभुभव भय भेत्तभार्सि भो भो विभाभिदर्ह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||13||

श्रवण खचित चञ्चत्कुण्ड लोच्चण्डगण्ड भ्रुकुटि कटुललाट श्रेष्ठनासारुणोष्ठ |

वरद सुरद राजत्केसरोत्सारि तारे दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||14||

प्रविकच कचराजद्रत्न कोटीरशालिन् गलगत गलदुस्रोदार रत्नाङ्गदाढ्य |

कनक कटक काञ्ची शिञ्जिनी मुद्रिकावन् दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||15||

अरिदरमसि खेटौ बाणचापे गदां सन्मुसलमपि दधानः पाशवयार्ंकुशौ च |

करयुगल धृतान्त्रस्रग्विभिन्नारिवक्षो दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||16||

चट चट चट दूरं मोहय भ्रामयारिन् कडि कडि कडि कायं ज्वारय स्फोटयस्व |

जहि जहि जहि वेगं शात्रवं सानुबंधं दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||17||

विधिभव विबुधेश भ्रामकाग्नि स्फुलिङ्ग प्रसवि विकट दंष्प्रोज्जिह्ववक्त्र त्रिनेत्र |

कल कल कलकामं पाहिमां तेसुभक्तं दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||18||

कुरु कुरु करुणां तां साङ्कुरां दैत्यपूते दिश दिश विशदांमे शाश्वतीं देवदृष्टिम् |

जय जय जय मुर्तेऽनार्त जेतव्य पक्षं दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे ||19||

स्तुतिरिहमहितघ्नी सेवितानारसिंही तनुरिवपरिशांता मालिनी साऽभितोऽलम् |

तदखिल गुरुमाग्र्य श्रीधरूपालसद्भिः सुनिय मनय कृत्यैः सद्गुणैर्नित्ययुक्ताः ||20||

लिकुच तिलकसूनुः सद्धितार्थानुसारी नरहरि नुतिमेतां शत्रुसंहार हेतुम् |

अकृत सकल पापध्वंसिनीं यः पठेत्तां व्रजति नृहरिलोकं कामलोभाद्यसक्तः ||21||

इति श्री नृसिंह स्तुतिः संपूणर्म् नृसिंह स्तोत्र

नरसिंह स्तोत्रम्: एक अद्भुत उपाय जो हर संकट से मुक्ति दिलाए
नरसिंह स्तोत्रम्: एक अद्भुत उपाय जो हर संकट से मुक्ति दिलाए!

नरसिंह स्तोत्रम् के लाभ

  1. शत्रु नाश: नारसिंह स्तोत्रम् का नियमित पाठ शत्रुओं से रक्षा करने का एक प्रभावी उपाय है।
  2. मानसिक शांति: यह स्तोत्र मानसिक तनाव और चिंता को कम करता है।
  3. धन-संपत्ति में वृद्धि: नारसिंह भगवान के आशीर्वाद से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।
  4. रोग निवारण: यह स्तोत्र शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
  5. भय का नाश: यह भय, तनाव और अनहोनी के विचारों को समाप्त करने में मदद करता है।

नरसिंह स्तोत्रम् के श्लोक

नरसिंह स्तोत्रम् में कुल 20 श्लोक होते हैं, जो भगवान नारसिंह के विभिन्न रूपों की महिमा बताते हैं। इसमें भगवान के रूप, शक्ति और उनके द्वारा किए गए कार्यों का वर्णन किया गया है। हर श्लोक के अंत में भगवान से आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है।

पहला श्लोक:
“नमः परमेशानं शरणं जगतां पते।
नरसिंहं महाकायं भक्तानां परमं गुरु।।”

इस श्लोक में भगवान नारसिंह को शरणागत वत्सल और भक्तों के परम गुरु के रूप में स्तुति की जाती है।

दूसरा श्लोक:
“वदनं चंद्रमुखं शौरिं प्रह्लादार्ति निवारिणं।
सिंहाकृतं महामयं नमामीश्वरं हरिं।।”

यह श्लोक भगवान नारसिंह के रूप की महिमा और उनके भक्तों के प्रति करुणा को दर्शाता है।

नरसिंह स्तोत्रम् का पाठ कैसे करें

नरसिंह स्तोत्रम् का पाठ हर दिन सुबह और शाम दोनों समय करना अत्यधिक शुभ होता है। एक शांतिपूर्ण स्थान पर, स्वच्छ होकर, भगवान नारसिंह की पूजा करते हुए इस स्तोत्र का पाठ करें। पाठ करते समय पूरे मन से भगवान की स्तुति करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें।

नरसिंह स्तोत्रम् के प्रभाव

नरसिंह स्तोत्रम् का नियमित पाठ मानसिक और शारीरिक समस्याओं को समाप्त करने में मदद करता है। विशेष रूप से यह उन लोगों के लिए लाभकारी है जो अपने जीवन में असुरक्षा महसूस करते हैं या जिनकी कोई बड़ी समस्या चल रही है। भगवान नारसिंह के आशीर्वाद से वे अपनी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।

नरसिंह स्तोत्रम् का जप और उसका महत्व

नरसिंह स्तोत्रम् का जप करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह शारीरिक और मानसिक स्थिति को मजबूत बनाता है। इसके अतिरिक्त, जप करने से ध्यान की अवस्था में प्रवेश करने में सहायता मिलती है, जो व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है।

नरसिंह स्तोत्रम् का जीवन में प्रभाव

नरसिंह स्तोत्रम् का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में विशेष परिवर्तन लाता है। यह न केवल शारीरिक और मानसिक स्तर पर, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी व्यक्ति को जागरूक और सशक्त बनाता है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति के जीवन में सफलता, शांति और समृद्धि आती है।

नरसिंह स्तोत्रम् एक अद्भुत उपाय है जो हमारे जीवन में आ रहे संकटों और समस्याओं का समाधान करने में मदद करता है। यह स्तोत्र न केवल हमारी मानसिक शांति का कारण बनता है, बल्कि हमारे शारीरिक स्वास्थ्य और समृद्धि में भी वृद्धि करता है। इसका पाठ करने से हम भगवान नारसिंह के आशीर्वाद से जीवन में आने वाली सभी समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं। इसलिए, यदि आप किसी प्रकार की परेशानी या संकट से जूझ रहे हैं, तो नारसिंह स्तोत्रम् का पाठ करना एक अत्यधिक लाभकारी उपाय हो सकता है।

कुल मिलाकर, नरसिंह स्तोत्रम् न केवल शत्रु नाश करने वाला है, बल्कि यह जीवन में भय, चिंता और तनाव को समाप्त करने में भी मदद करता है। इसके द्वारा व्यक्ति अपने जीवन में मानसिक और शारीरिक शांति पा सकता है।

यहाँ पर नरसिंह स्तोत्रम् से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) और उनके उत्तर दिए गए हैं:

  1. नरसिंह स्तोत्रम् क्या है? नारसिंह स्तोत्रम् भगवान श्री नारसिंह के महिमा का वर्णन करने वाला एक शास्त्र है। यह स्तोत्र उनकी शक्ति, रूप और भक्तों की रक्षा के बारे में बताता है।
  2. नरसिंह स्तोत्रम् का पाठ क्यों करना चाहिए? यह स्तोत्र शत्रुओं से रक्षा, मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए लाभकारी है। इसका पाठ जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
  3. नरसिंह भगवान का अवतार क्यों हुआ? भगवान विष्णु ने राक्षस राजा हिरण्यकश्यपु के अत्याचारों से पृथ्वी को बचाने के लिए नारसिंह अवतार लिया। वह प्रह्लाद के भक्त थे और उनकी रक्षा के लिए भगवान ने इस रूप में प्रकट होकर हिरण्यकश्यपु का वध किया।
  4. नरसिंह स्तोत्रम् का जप कब करना चाहिए? नारसिंह स्तोत्रम् का जप सुबह और शाम, दोनों समय करना उत्तम है। इसे शांतिपूर्ण स्थान पर स्वच्छ होकर किया जाना चाहिए।
  5. क्या नारसिंह स्तोत्रम् केवल मानसिक समस्याओं के लिए है? नहीं, यह शारीरिक और मानसिक समस्याओं दोनों के समाधान के लिए है। यह शत्रु नाश, डर और चिंता को दूर करता है।
  6. नरसिंह स्तोत्रम् के श्लोकों की संख्या कितनी है? नारसिंह स्तोत्रम् में कुल 20 श्लोक होते हैं। हर श्लोक भगवान के विभिन्न रूपों और उनके कार्यों का वर्णन करता है।
  7. क्या नारसिंह स्तोत्रम् का पाठ घर पर किया जा सकता है? हां, नारसिंह स्तोत्रम् का पाठ घर पर किया जा सकता है, बशर्ते वह स्थान शुद्ध और शांतिपूर्ण हो।
  8. क्या स्तोत्र का जाप अनिवार्य है? नारसिंह स्तोत्रम् का जप अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह बहुत प्रभावी माना जाता है यदि आप मानसिक शांति और शत्रु नाश चाहते हैं।
  9. नरसिंह स्तोत्रम् का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं? इससे शत्रु नाश, मानसिक शांति, स्वास्थ्य में सुधार, धन की वृद्धि और भय का नाश होता है। यह आध्यात्मिक उन्नति में भी मदद करता है।
  10. क्या नारसिंह स्तोत्रम् का पाठ करने से कोई विशेष दुआ मिलती है? जी हां, भगवान नारसिंह का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में आने वाली सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं और सुरक्षा मिलती है।
  11. क्या स्तोत्र का जाप कोई विशेष विधि से करना चाहिए? हां, इसे सही तरीके से करना चाहिए—शांतिपूर्ण वातावरण में, भगवान नारसिंह की पूजा करते हुए, ध्यानपूर्वक श्लोकों का पाठ करें।
  12. क्या स्तोत्र का पाठ केवल वयस्कों को ही करना चाहिए? नहीं, कोई भी व्यक्ति, चाहे वह बच्चा हो या बड़ा, नारसिंह स्तोत्रम् का पाठ कर सकता है। हालांकि, बच्चों को माता-पिता की देखरेख में करना चाहिए।
  13. क्या स्तोत्र का पाठ एक बार करने से प्रभाव दिखता है? नारसिंह स्तोत्रम् का प्रभाव तब अधिक होता है जब इसे नियमित रूप से और पूरी श्रद्धा के साथ किया जाता है।
  14. क्या नारसिंह स्तोत्रम् से जीवन में धन प्राप्ति हो सकती है? हां, नारसिंह स्तोत्रम् से धन-संपत्ति में वृद्धि हो सकती है। यह व्यक्तिगत और परिवारिक समृद्धि को बढ़ाता है।
  15. क्या नारसिंह स्तोत्रम् का पाठ किसी विशेष समय पर करना चाहिए? नारसिंह स्तोत्रम् का पाठ विशेष रूप से रात के समय या सुबह सूर्योदय के पहले किया जाता है। लेकिन इसे पूरे दिन किसी भी समय किया जा सकता है, जब आप मानसिक शांति चाहते हैं।
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