शिव ताण्डव स्तोत्रम्: अद्भुत शक्ति और भक्ति का मार्ग

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शिव स्तोत्रम्: अद्भुत शक्ति और भक्ति का मार्ग

शिव ताण्डव स्तोत्रम्: अद्भुत शक्ति और भक्ति का मार्ग


शिव ताण्डव स्तोत्रम्

शिव ताण्डव स्तोत्रम् हिंदू धर्म में भगवान शिव की स्तुति के लिए रचित मंत्रों और श्लोकों का एक संग्रह है। यह धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में पाया जाता है और इसे भगवान शिव के प्रति भक्ति और समर्पण व्यक्त करने का सबसे प्रभावी माध्यम माना जाता है। शिवताण्डवस्तोत्रम् का पाठ करने से भक्त को मानसिक शांति, आत्मिक बल, और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

Contents
शिव ताण्डव स्तोत्रम्: अद्भुत शक्ति और भक्ति का मार्गशिव ताण्डव स्तोत्रम्शिव ताण्डव स्तोत्रम् के ऐतिहासिक स्रोतशिवताण्डवस्तोत्रम्शिव ताण्डव स्तोत्रम् के विभिन्न प्रकारशिव तांडव स्तोत्रम्: शिव की अद्वितीयता का प्रतीकमहामृत्युंजय मंत्र का महत्वशिव ताण्डव स्तोत्रम् के लाभशिव ताण्डव स्तोत्रम् का सरल अभ्यासशिव ताण्डव स्तोत्रम्: आधुनिक जीवन में इसकी उपयोगिताशिव ताण्डव स्तोत्रम् पर 15 महत्वपूर्ण FAQs:1. शिव ताण्डव स्तोत्रम् क्या है?2. शिव ताण्डव स्तोत्रम् का महत्व क्या है?3. शिव ताण्डव स्तोत्रम् कौन-कौन से ग्रंथों में मिलता है?4. शिव तांडव स्तोत्रम् किसने रचा?5. महामृत्युंजय मंत्र क्या है?6. क्या शिव ताण्डव स्तोत्रम् का पाठ हर कोई कर सकता है?7. शिव ताण्डव स्तोत्रम् के लाभ क्या हैं?8. क्या शिव ताण्डव स्तोत्रम् को सुबह ही पढ़ना चाहिए?9. शिव ताण्डव स्तोत्रम् का पाठ कैसे करें?10. शिव ताण्डव स्तोत्रम् के प्रमुख प्रकार कौन-कौन से हैं?11. शिव तांडव स्तोत्रम् का क्या महत्व है?12. महामृत्युंजय मंत्र कितनी बार जपना चाहिए?13. शिव ताण्डव स्तोत्रम् का प्रभाव कैसे महसूस किया जा सकता है?14. क्या शिव ताण्डव स्तोत्रम् का पाठ केवल मंदिर में किया जा सकता है?15. क्या शिव ताण्डव स्तोत्रम् से इच्छाएं पूरी होती हैं?

इन श्लोकों में भगवान शिव की शक्ति, करुणा और उनकी त्रिनेत्रीय दिव्यता का वर्णन किया गया है। यह केवल एक साधारण प्रार्थना नहीं है बल्कि भगवान शिव की शक्ति और कृपा का अनुभव कराने वाला आध्यात्मिक साधन है।

शिव ताण्डव स्तोत्रम् का महत्व यह है कि इसे गाने, सुनने, या पढ़ने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, और भक्त को आध्यात्मिक प्रगति के साथ-साथ जीवन में समस्याओं से लड़ने की प्रेरणा मिलती है। इसकी शुरुआत करना बेहद सरल है और यह सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए उपयोगी है।


शिव ताण्डव स्तोत्रम् के ऐतिहासिक स्रोत

शिव ताण्डव स्तोत्रम् का उल्लेख विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में मिलता है, जैसे कि शिव महापुराण, लिंग पुराण, स्कंद पुराण, और अन्य प्रमुख पुराण। यह स्तोत्र महर्षि व्यास, आदि शंकराचार्य, और अन्य ऋषियों द्वारा रचित है।

इन ग्रंथों में भगवान शिव को महादेव, नटराज, और भोलानाथ के रूप में पूजा जाता है। प्रत्येक स्तोत्र में शिव की एक विशेषता का वर्णन किया गया है। उदाहरण के लिए, रुद्राष्टकम भगवान शिव की करुणा और त्यागमयी प्रकृति को दर्शाता है, जबकि शिव तांडव स्तोत्रम् शिव के नृत्य और शक्ति का गुणगान करता है।

इन स्तोत्रों की रचना का उद्देश्य भक्तों को भगवान शिव के अनुग्रह से जोड़ना और उन्हें उनके जीवन के दुखों और कष्टों से मुक्ति दिलाना है।


शिवताण्डवस्तोत्रम्

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥१॥

जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥२॥

धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥

जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥४॥

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥

ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥६॥

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥७॥

नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥८॥

प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥९॥

अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥१०॥

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥११॥

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ॥१२॥

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् ।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥१३॥

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः ॥१४॥

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥१५॥

इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥१६॥

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं
यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥१७॥

इति श्रीरावण कृतम्
शिव ताण्डव स्तोत्रम्सम्पूर्णम्

शिव ताण्डव स्तोत्रम् के विभिन्न प्रकार

शिव ताण्डव स्तोत्रम् के कई प्रकार हैं, और प्रत्येक का अपना आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व है। इनमें कुछ प्रमुख प्रकार हैं:

  1. रुद्राष्टकम: यह स्तोत्र श्रीरामचरितमानस में वर्णित है और भगवान शिव की महिमा और कृपा का वर्णन करता है।
  2. शिव तांडव स्तोत्रम्: यह रावण द्वारा रचित है और भगवान शिव के तांडव नृत्य का वर्णन करता है।
  3. लिंगाष्टकम: यह शिवलिंग की पवित्रता और महिमा को समर्पित है।
  4. महामृत्युंजय मंत्र: यह मंत्र शिव की आयु, स्वास्थ्य, और समृद्धि के लिए जप किया जाता है।

प्रत्येक स्तोत्र आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है और भक्त के मन और आत्मा को शुद्ध करता है।


शिव ताण्डवस्तोत्रम्: अद्भुत शक्ति और भक्ति का मार्ग
शिव ताण्डव स्तोत्रम्: अद्भुत शक्ति और भक्ति का मार्ग!

शिव तांडव स्तोत्रम्: शिव की अद्वितीयता का प्रतीक

शिव तांडव स्तोत्रम् भगवान शिव के तांडव नृत्य का एक उत्कृष्ट वर्णन है। इसे रावण ने भगवान शिव की स्तुति में रचा था। यह स्तोत्र भगवान शिव की शक्ति, क्रोध, और सौंदर्य को दर्शाता है।

इस स्तोत्र में शिव की छवि को त्रिनेत्रधारी, गंगाधर, और नटराज के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसके पाठ से भक्त को शक्ति और आत्मविश्वास मिलता है। यह न केवल भगवान शिव की स्तुति करता है बल्कि उनकी शक्ति का आह्वान भी करता है।

शिव तांडव स्तोत्रम् के श्लोकों को गाने से आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है। यह भक्त के मन से डर और तनाव को दूर करता है और उसे आत्मा की शुद्धि का अनुभव कराता है।


महामृत्युंजय मंत्र का महत्व

महामृत्युंजय मंत्र को सभी मंत्रों में सबसे शक्तिशाली माना गया है। इसे त्र्यम्बकम यजामहे भी कहा जाता है। यह मंत्र भगवान शिव के चिकित्सा और जीवन रक्षा करने वाले रूप का आह्वान करता है।

इस मंत्र के नियमित जाप से भक्त को आयु वृद्धि, स्वास्थ्य, और मानसिक शांति मिलती है। यह न केवल शारीरिक कष्टों को दूर करता है, बल्कि आध्यात्मिक जागरण का मार्ग भी प्रशस्त करता है।

महामृत्युंजय मंत्र को सुबह और शाम के समय जपना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। इस मंत्र का जाप रुद्राक्ष माला के साथ किया जाता है।


शिव ताण्डव स्तोत्रम् के लाभ

शिव ताण्डव स्तोत्रम् का पाठ करने से अनेक लाभ होते हैं:

  1. मानसिक शांति: शिव ताण्डव स्तोत्रम् का नियमित पाठ तनाव और चिंता को दूर करता है।
  2. नकारात्मक ऊर्जा से बचाव: यह पाठ नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करता है।
  3. आध्यात्मिक विकास: भक्त को ईश्वर से जुड़ने में मदद मिलती है।
  4. स्वास्थ्य में सुधार: महामृत्युंजय मंत्र के पाठ से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
  5. भाग्य वृद्धि: शिव की कृपा से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

शिव ताण्डव स्तोत्रम् का सरल अभ्यास

शिव ताण्डव स्तोत्रम् का अभ्यास करना आसान है। इसे शुरू करने के लिए किसी विशेष नियम का पालन आवश्यक नहीं है।

  • सुबह स्नान करके शिवलिंग के सामने दीप जलाएं।
  • शिव ताण्डव स्तोत्रम् का पाठ करें।
  • पाठ के बाद भगवान शिव से आशीर्वाद मांगें।

इस अभ्यास को नियमित रूप से करने से जीवन में आध्यात्मिक संतुलन आता है।


शिव ताण्डव स्तोत्रम्: आधुनिक जीवन में इसकी उपयोगिता

आज के तनावपूर्ण जीवन में शिव ताण्डव स्तोत्रम् का पाठ अत्यंत उपयोगी है। यह मानसिक तनाव को कम करने और जीवन में सकारात्मकता लाने में मदद करता है।

शिव ताण्डव स्तोत्रम् का पाठ करने से आप अपने दैनिक जीवन के संघर्षों को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं। यह न केवल आध्यात्मिक जागरण करता है बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी सुधारता है।


शिव ताण्डव स्तोत्रम् भगवान शिव की महिमा का प्रतीक है। यह भक्तों को ईश्वर के प्रति भक्ति, शांति, और आंतरिक शक्ति प्रदान करता है। इसका नियमित पाठ जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है और भक्त को आध्यात्मिक रूप से मजबूत और शांत बनाता है।

शिव ताण्डव स्तोत्रम् पर 15 महत्वपूर्ण FAQs:

1. शिव ताण्डव स्तोत्रम् क्या है?

शिव ताण्डव स्तोत्रम् भगवान शिव की स्तुति में लिखे गए श्लोकों और मंत्रों का संग्रह है, जो उनकी महिमा और शक्ति का वर्णन करता है।

2. शिव ताण्डव स्तोत्रम् का महत्व क्या है?

यह भक्ति और ध्यान का माध्यम है, जो मानसिक शांति, नकारात्मकता से सुरक्षा, और आध्यात्मिक विकास में सहायक है।

3. शिव ताण्डव स्तोत्रम् कौन-कौन से ग्रंथों में मिलता है?

यह शिव पुराण, लिंग पुराण, स्कंद पुराण, और अन्य धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है।

4. शिव तांडव स्तोत्रम् किसने रचा?

शिव तांडव स्तोत्रम् को रावण ने रचा था।

5. महामृत्युंजय मंत्र क्या है?

महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का वह मंत्र है, जो आयु, स्वास्थ्य, और समृद्धि प्रदान करता है।

6. क्या शिव ताण्डव स्तोत्रम् का पाठ हर कोई कर सकता है?

हाँ, शिव ताण्डव स्तोत्रम् का पाठ हर व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह किसी भी उम्र या जाति का हो।

7. शिव ताण्डव स्तोत्रम् के लाभ क्या हैं?

यह तनाव दूर करता है, स्वास्थ्य में सुधार लाता है, नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करता है, और जीवन में सकारात्मकता लाता है।

8. क्या शिव ताण्डव स्तोत्रम् को सुबह ही पढ़ना चाहिए?

सुबह के समय शिव ताण्डव स्तोत्रम् का पाठ करना शुभ माना जाता है, लेकिन इसे दिन में किसी भी समय पढ़ सकते हैं।

9. शिव ताण्डव स्तोत्रम् का पाठ कैसे करें?

शिवलिंग के सामने बैठकर, शुद्ध मन से, और शांत वातावरण में इसका पाठ करें।

10. शिव ताण्डव स्तोत्रम् के प्रमुख प्रकार कौन-कौन से हैं?

रुद्राष्टकम, शिव तांडव स्तोत्रम्, लिंगाष्टकम, और महामृत्युंजय मंत्र इसके प्रमुख प्रकार हैं।

11. शिव तांडव स्तोत्रम् का क्या महत्व है?

यह भगवान शिव के तांडव नृत्य और उनकी शक्ति का गुणगान करता है, जो आत्मविश्वास और ऊर्जा प्रदान करता है।

12. महामृत्युंजय मंत्र कितनी बार जपना चाहिए?

इसे कम से कम 108 बार जपना शुभ माना जाता है।

13. शिव ताण्डव स्तोत्रम् का प्रभाव कैसे महसूस किया जा सकता है?

नियमित पाठ से मानसिक शांति, आध्यात्मिक जागरण, और सकारात्मक बदलाव महसूस किए जा सकते हैं।

14. क्या शिव ताण्डव स्तोत्रम् का पाठ केवल मंदिर में किया जा सकता है?

नहीं, इसे आप घर पर, किसी पवित्र स्थान पर, या शिवलिंग के सामने कर सकते हैं।

15. क्या शिव ताण्डव स्तोत्रम् से इच्छाएं पूरी होती हैं?

भक्ति और श्रद्धा के साथ शिव ताण्डव स्तोत्रम् का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।

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