नवग्रह स्तोत्र: हर समस्या का समाधान और भाग्य बदलने का रहस्य

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नवग्रह स्तोत्र: हर समस्या का समाधान और भाग्य बदलने का रहस्य

नवग्रह स्तोत्र: हर समस्या का समाधान और भाग्य बदलने का रहस्य

क्या है नवग्रह स्तोत्र?

नवग्रह स्तोत्र एक प्राचीन वैदिक पाठ है जिसे हमारे ऋषियों ने लिखा है। यह स्तोत्र नवग्रहों (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु) को प्रसन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है।

Contents
नवग्रह स्तोत्र: हर समस्या का समाधान और भाग्य बदलने का रहस्यक्या है नवग्रह स्तोत्र?नवग्रह स्तोत्र:नवग्रहों का महत्व और प्रभावनवग्रह स्तोत्र की उत्पत्ति और रचनानवग्रह स्तोत्र का पाठ करने का सही समय और तरीकानवग्रह स्तोत्र के लाभनवग्रह स्तोत्र का ज्योतिषीय महत्वआधुनिक जीवन में नवग्रह स्तोत्र का महत्वनवग्रह स्तोत्र और मंत्रFAQs: नवग्रह स्तोत्र से जुड़े सामान्य प्रश्न1. नवग्रह स्तोत्र क्या है?2. नवग्रह स्तोत्र की रचना किसने की?3. नवग्रह स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?4. नवग्रह स्तोत्र पढ़ने का सही तरीका क्या है?5. नवग्रह स्तोत्र के पाठ से क्या लाभ होते हैं?6. नवग्रह कौन-कौन से हैं?7. नवग्रहों का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव है?8. क्या नवग्रह स्तोत्र सभी के लिए है?9. नवग्रह स्तोत्र का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?10. क्या नवग्रह स्तोत्र केवल ज्योतिषीय दोषों के लिए है?11. नवग्रह स्तोत्र में कितने श्लोक हैं?12. नवग्रह स्तोत्र का पाठ किन समस्याओं को हल कर सकता है?13. नवग्रह स्तोत्र का पाठ करने के लिए विशेष नियम क्या हैं?14. क्या नवग्रह स्तोत्र का प्रभाव तुरंत दिखाई देता है?15. क्या नवग्रह स्तोत्र का पाठ करने के लिए किसी गुरु की आवश्यकता है?

ऐसा माना जाता है कि ये ग्रह हमारी जीवनशैली, स्वास्थ्य और भाग्य को गहराई से प्रभावित करते हैं। यदि किसी ग्रह का प्रभाव नकारात्मक हो, तो नवग्रह स्तोत्र का नियमित पाठ जीवन को संतुलित कर सकता है।

यह स्तोत्र सरल शब्दों में लिखा गया है, और इसे किसी भी धर्म के व्यक्ति द्वारा पढ़ा जा सकता है। नवग्रह स्तोत्र का महत्व केवल ज्योतिषीय दृष्टिकोण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे आध्यात्मिक विकास में भी मदद करता है।

नवग्रह स्तोत्र:

नवग्रह स्तोत्र

जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम् ।
तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ॥ १॥

दधिशङ्खतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम् ।
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम् ॥ २॥

धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम् ।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मङ्गलं प्रणमाम्यहम् ॥ ३॥

प्रियङ्गुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम् ।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् ॥ ४॥

देवानांच ऋषिणांच गुरुंकांचन सन्निभं ।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिं ॥ ५॥

हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् ।
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् ॥ ६॥

नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् ।
छायामार्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम् ॥ ७॥

अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्यविमर्दनम् ।
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् ॥ ८॥

पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम् ।
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् ॥ ९॥

फलश्रुति :

इति व्यासमुखोद्गीतं यः पठेत्सुसमाहितः ।
दिवा वा यदि वा रात्रौ विघ्नशान्तिर्भविष्यति ॥ १०॥

नरनारीनृपाणां च भवेद्दुःस्वप्ननाशनम् ।
ऐश्वर्यमतुलं तेषामारोग्यं पुष्टिवर्धनम् ॥

ग्रहनक्षत्रजाः पीडास्तस्कराग्निसमुद्भवाः ।
ताः सर्वाः प्रशमं यान्ति व्यासो ब्रूते न संशयः ॥

॥ इति श्रीव्यासविरचितं नवग्रहस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

नवग्रह स्तोत्र: हर समस्या का समाधान और भाग्य बदलने का रहस्य
नवग्रह स्तोत्र: हर समस्या का समाधान और भाग्य बदलने का रहस्य!

नवग्रहों का महत्व और प्रभाव

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, हर ग्रह हमारे जीवन के किसी न किसी पहलू को नियंत्रित करता है।

  • सूर्य: आत्मा, ऊर्जा और सफलता।
  • चंद्रमा: मन और भावनाएं।
  • मंगल: साहस और ऊर्जा।
  • बुध: बुद्धिमत्ता और संवाद।
  • गुरु (बृहस्पति): ज्ञान और समृद्धि।
  • शुक्र: प्रेम और सौंदर्य।
  • शनि: कर्म और न्याय।
  • राहु और केतु: छाया ग्रह, जो हमारे अतीत और भविष्य को दर्शाते हैं।

इन ग्रहों के संतुलन में कमी आने से जीवन में समस्याएं शुरू हो सकती हैं। नवग्रह स्तोत्र का पाठ इन समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है।

नवग्रह स्तोत्र की उत्पत्ति और रचना

नवग्रह स्तोत्र की रचना ऋषि व्यास ने की थी। उन्होंने इसे विशेष रूप से उन लोगों के लिए लिखा, जो ज्योतिषीय दोषों से परेशान रहते थे।
स्त्रोत में प्रत्येक ग्रह के लिए एक-एक श्लोक लिखा गया है, जो उनकी महिमा और प्रभाव को दर्शाता है। इन श्लोकों में गहराई से आध्यात्मिक ऊर्जा भरी होती है, जो पाठ करने वाले को सकारात्मकता प्रदान करती है।

नवग्रह स्तोत्र का पाठ करने का सही समय और तरीका

नवग्रह स्तोत्र का पाठ सुबह के समय, स्नान करने के बाद और शांत मन से किया जाता है।

  1. सबसे पहले, एक शुद्ध स्थान का चयन करें।
  2. नवग्रहों के मंत्रों का उच्चारण स्पष्ट और सही ढंग से करें।
  3. पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें।
  4. बेहतर परिणाम के लिए इसे लगातार 40 दिन तक पढ़ें।

नवग्रह स्तोत्र के लाभ

  1. आर्थिक समस्याओं का समाधान।
  2. स्वास्थ्य में सुधार
  3. जीवन में सकारात्मकता का अनुभव।
  4. दुष्प्रभावों को कम करना।
  5. मानसिक शांति प्राप्त करना।

नवग्रह स्तोत्र का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों की स्थिति हमारे जीवन की दिशा तय करती है। यदि कोई ग्रह अशुभ स्थिति में हो, तो इसका प्रभाव हमारी सेहत, करियर, रिश्ते और धन पर पड़ता है।
नवग्रह स्तोत्र का पाठ ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करता है और भाग्य को अनुकूल बनाता है।

आधुनिक जीवन में नवग्रह स्तोत्र का महत्व

आज के समय में जहां लोग तनाव, चिंता और जीवन की समस्याओं से जूझ रहे हैं, नवग्रह स्तोत्र आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है। इसे पढ़ने से मन शांत होता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

नवग्रह स्तोत्र और मंत्र

यहाँ नवग्रह स्तोत्र के कुछ प्रमुख श्लोक दिए गए हैं:

  • सूर्य मंत्र: “जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्। तमोऽरि सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्।”
  • चंद्र मंत्र: “दधिशंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम्। नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुट भूषणम्।”

(नोट: पूर्ण मंत्रों को प्रतिदिन पढ़ने का अभ्यास करें।)

नवग्रह स्तोत्र केवल एक धार्मिक पाठ नहीं है; यह एक ऐसा माध्यम है जो हमें हमारे अंतरतम से जोड़ता है। नियमित पाठ से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सफलता और शांति आती है। यदि आप भी जीवन की समस्याओं से परेशान हैं, तो नवग्रह स्तोत्र को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।

आपके लिए यह लेख नवग्रह स्तोत्र के महत्व और लाभों को समझने का एक साधन है। इसे अपनाएं और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में बदलें।

FAQs: नवग्रह स्तोत्र से जुड़े सामान्य प्रश्न

1. नवग्रह स्तोत्र क्या है?

नवग्रह स्तोत्र एक प्राचीन वैदिक पाठ है जो नवग्रहों (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु) को प्रसन्न करने और उनके अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए लिखा गया है।

2. नवग्रह स्तोत्र की रचना किसने की?

नवग्रह स्तोत्र की रचना महर्षि व्यास ने की थी।

3. नवग्रह स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?

सुबह के समय स्नान के बाद और शांत मन से नवग्रह स्तोत्र का पाठ करना सबसे शुभ माना जाता है।

4. नवग्रह स्तोत्र पढ़ने का सही तरीका क्या है?

शुद्ध स्थान पर बैठकर, मन को एकाग्र करते हुए, नवग्रहों के मंत्रों का स्पष्ट उच्चारण करते हुए पाठ करें।

5. नवग्रह स्तोत्र के पाठ से क्या लाभ होते हैं?

यह आर्थिक समस्याओं को हल करता है, स्वास्थ्य सुधारता है, मानसिक शांति देता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।

6. नवग्रह कौन-कौन से हैं?

नवग्रह हैं: सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु।

7. नवग्रहों का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव है?

हर ग्रह हमारे जीवन के किसी विशेष पहलू, जैसे स्वास्थ्य, धन, करियर और रिश्तों को नियंत्रित करता है। ग्रहों की स्थिति हमारे जीवन की दिशा तय करती है।

8. क्या नवग्रह स्तोत्र सभी के लिए है?

हाँ, नवग्रह स्तोत्र सभी धर्म और वर्ग के लोगों के लिए उपयोगी है।

9. नवग्रह स्तोत्र का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?

इसे नियमित रूप से 40 दिन तक पढ़ना शुभ माना जाता है।

10. क्या नवग्रह स्तोत्र केवल ज्योतिषीय दोषों के लिए है?

नहीं, यह जीवन की हर समस्या जैसे तनाव, स्वास्थ्य और रिश्तों के लिए भी उपयोगी है।

11. नवग्रह स्तोत्र में कितने श्लोक हैं?

नवग्रह स्तोत्र में प्रत्येक ग्रह के लिए एक-एक श्लोक है, यानी कुल 9 श्लोक।

12. नवग्रह स्तोत्र का पाठ किन समस्याओं को हल कर सकता है?

यह मंगल दोष, शनि की साढ़े साती, राहु-केतु के अशुभ प्रभाव और अन्य ग्रहों के दोषों को कम कर सकता है।

13. नवग्रह स्तोत्र का पाठ करने के लिए विशेष नियम क्या हैं?

शुद्धता, सही उच्चारण और श्रद्धा के साथ इसका पाठ करना आवश्यक है।

14. क्या नवग्रह स्तोत्र का प्रभाव तुरंत दिखाई देता है?

नवग्रह स्तोत्र का प्रभाव व्यक्ति की श्रद्धा और नियमितता पर निर्भर करता है। यह धीरे-धीरे सकारात्मक परिणाम लाता है।

15. क्या नवग्रह स्तोत्र का पाठ करने के लिए किसी गुरु की आवश्यकता है?

नहीं, इसे स्वयं पढ़ा जा सकता है, लेकिन सही उच्चारण सीखने के लिए किसी जानकार से मार्गदर्शन लेना लाभकारी हो सकता है।

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