घर में श्री यंत्र (Shri Yantra) रखने से बरसेगी धनवर्षा! जानें इसकी चमत्कारी स्थापना विधि
चमत्कारी श्री यंत्र (Shri Yantra) स्थापना विधि
🔶 श्री यंत्र (Shri Yantra) क्या है?
श्री यंत्र (Shri Yantra) को धन, सुख, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना गया है। यह दुर्गा और महालक्ष्मी का रूप है। इसे यंत्रों का राजा भी कहा जाता है। श्री यंत्र में एक विशेष प्रकार की रेखाएं और त्रिकोण बने होते हैं, जो ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। इसे देखकर मन में एकाग्रता आती है और घर में पॉजिटिव एनर्जी का वास होता है।
यह यंत्र संपत्ति, व्यापार में वृद्धि, कार्य में सफलता और विवाहिक जीवन में सुख लाने में सहायता करता है। जो लोग धन की तंगी से परेशान रहते हैं, उनके लिए यह यंत्र अत्यंत लाभकारी माना गया है।
🔶 श्री यंत्र (Shri Yantra) के प्रकार
श्री यंत्र मुख्यतः दो रूपों में होता है—
- भौतिक (Physical) – जिसे तांबे, पीतल, चांदी या सोने पर उकेरा जाता है।
- मेरु शैली (3D रूप) – यह त्रिविमीय होता है और इसे अधिक शक्तिशाली माना जाता है।
इसके अलावा इसे कागज़, भित्ति चित्र या मिट्टी पर भी बनाया जाता है, लेकिन धातु का यंत्र अधिक प्रभावी माना गया है।
🔶 श्री यंत्र (Shri Yantra) का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
श्री यंत्र केवल धार्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक आधार पर भी लाभकारी है। इसकी ज्यामितीय रचना (sacred geometry) ब्रह्मांड की ऊर्जा को आकर्षित करती है। यह गोल्डन रेशियो पर आधारित होता है, जो प्रकृति के हर कण में पाया जाता है।
इस यंत्र की रचना मानव मस्तिष्क को शांत करती है और मानसिक तनाव को कम करती है। इसके आसपास सकारात्मक कंपन उत्पन्न होते हैं, जिससे घर का वातावरण सकारात्मक बनता है।
🔶 श्री यंत्र (Shri Yantra) स्थापना का शुभ मुहूर्त
श्री यंत्र की स्थापना किसी भी शुक्रवार, दीपावली, नवरात्रि, अक्षय तृतीया या गुरु पुष्य योग में करना शुभ माना जाता है। इन दिनों को महालक्ष्मी जी का प्रिय दिन माना गया है।
स्थापना का समय प्रातः 6 से 8 बजे या संध्या 4 से 6 बजे तक उत्तम रहता है। शुभ मुहूर्त देखकर ही यंत्र स्थापित करें ताकि उसका पूर्ण लाभ मिल सके।
🔶 श्री यंत्र (Shri Yantra) की स्थापना हेतु आवश्यक सामग्री
श्री यंत्र की स्थापना से पहले निम्न सामग्री एकत्रित करें:
- शुद्ध धातु का श्री यंत्र
- एक साफ चौकी या लकड़ी का पट्टा
- लाल कपड़ा
- गंगाजल और कच्चा दूध
- केसर, कुमकुम, हल्दी, चंदन
- सुगंधित धूप, दीपक, फूल, सुपारी, पान
- चावल (अक्षत)
- महालक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति
इन वस्तुओं के द्वारा पूजन विधि पूरी होती है।
🔶 श्री यंत्र (Shri Yantra) स्थापना विधि – चरणबद्ध तरीके से
- स्थान की शुद्धि करें – श्री यंत्र रखने से पहले जगह को गंगाजल से पवित्र करें।
- चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर श्री यंत्र को स्थापित करें।
- श्री यंत्र को पहले गंगाजल, फिर कच्चे दूध, फिर पुनः गंगाजल से स्नान कराएं।
- यंत्र को चंदन, केसर, कुमकुम, हल्दी से सजाएं।
- फूल, अक्षत और दीपक से पूजा करें।
- यंत्र के सामने श्री सूक्त, लक्ष्मी अष्टोत्तर नामावली या श्री यंत्र मंत्र का पाठ करें।
- अंत में प्रसाद चढ़ाएं और आरती करें।
🔶 श्री यंत्र (Shri Yantra) के लिए विशेष मंत्र
श्री यंत्र की स्थापना के बाद नियमित जाप करना आवश्यक है। निम्न मंत्र का जाप करें:
“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः॥”
इस मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे यंत्र जाग्रत होता है और फलदायी बनता है।
🔶 श्री यंत्र (Shri Yantra) की देखभाल कैसे करें?
- यंत्र को प्रत्येक शुक्रवार को जल और दूध से धोकर साफ करें।
- यंत्र को साफ लाल कपड़े में लपेट कर रखें।
- उसके सामने दीपक जलाएं और मंत्र जाप करें।
- कभी भी श्री यंत्र को गंदे हाथों से न छुएं।
साफ-सफाई और श्रद्धा से की गई पूजा से श्री यंत्र हमेशा सक्रिय रहता है।
🔶 किन स्थानों पर करें श्री यंत्र (Shri Yantra) की स्थापना?
- पूजा घर में उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके रखें।
- ऑफिस/दुकान में मुख्य प्रवेश द्वार के सामने दीवार पर टांग सकते हैं।
- कैश बॉक्स, तिजोरी या लेजर में भी छोटा श्री यंत्र रखा जा सकता है।
इन स्थानों पर रखने से धन का प्रवाह बढ़ता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
🔶 श्री यंत्र (Shri Yantra) से लाभ
- धनवृद्धि होती है।
- संतान सुख, मानसिक शांति और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- नौकरी या व्यापार में उन्नति मिलती है।
- नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
- विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती हैं।
जो लोग नियमपूर्वक पूजन करते हैं, उन्हें शीघ्र ही इसके चमत्कारी परिणाम मिलते हैं।
🔶 किन गलतियों से बचें?
- श्री यंत्र को कभी भी उल्टा न रखें।
- इसे शौचालय, रसोई या बेडरूम में न रखें।
- पूजन में लापरवाही न करें।
- कभी-कभी लोग यंत्र रखकर पूजन नहीं करते, जिससे लाभ नहीं मिलता।
शुद्ध भाव, नियमितता और श्रद्धा से ही श्री यंत्र कार्य करता है।
🔶 श्री यंत्र (Shri Yantra) जागरण कैसे करें?
यदि आपने नया श्री यंत्र खरीदा है, तो उसकी जागृति (Activation) आवश्यक है। इसके लिए:
- किसी सिद्ध पंडित से पंचोपचार पूजा कराएं।
- या फिर स्वयं शुद्ध स्थान पर 11 दिन तक श्री यंत्र मंत्र का जाप करें।
- मंत्र के साथ दीपक जलाएं और हर दिन श्री यंत्र की पूजा करें।
जब यंत्र जाग्रत हो जाता है, तब वह स्वयं ऊर्जा उत्पन्न करने लगता है।
🔶 क्या श्री यंत्र (Shri Yantra) नकारात्मक प्रभाव भी दे सकता है?
यदि श्री यंत्र की स्थापना गलत दिशा में हो, या बिना मंत्र जागरण के किया गया हो, तो यह निष्क्रिय हो सकता है। कुछ मामलों में नकारात्मक परिणाम भी देखे गए हैं।
इसलिए यंत्र की स्थापना के समय सही दिशा, शुद्धता और जागरूकता अत्यंत आवश्यक है।
🔶 श्री यंत्र (Shri Yantra) और वास्तु शास्त्र
वास्तु के अनुसार, श्री यंत्र ऊर्जा संतुलन में सहायता करता है। इसे रखने से दिशाओं की दोषपूर्ण ऊर्जा संतुलित होती है।
यदि घर में वास्तु दोष है, तो श्री यंत्र की स्थापना से उसका प्रभाव कम हो जाता है। इसलिए वास्तु विशेषज्ञ भी इसे रखने की सलाह देते हैं।
श्री यंत्र (Shri Yantra) से बदल सकती है आपकी किस्मत
श्री यंत्र केवल एक पूजा की वस्तु नहीं, बल्कि एक ऊर्जावान उपकरण है जो आपके जीवन को धन, सुख और समृद्धि से भर सकता है। सही विधि, मंत्र और निष्ठा से यदि आप इसकी स्थापना करते हैं तो निश्चित रूप से आश्चर्यजनक लाभ मिलते हैं।
यदि आप आर्थिक समस्याओं, मानसिक अशांति या नकारात्मकता से परेशान हैं, तो आज ही श्री यंत्र स्थापना करें और अनुभव करें इसकी चमत्कारी शक्ति।
यह रहे “चमत्कारी श्री यंत्र (Shri Yantra) स्थापना विधि” पर आधारित 15 महत्वपूर्ण FAQs —
1. श्री यंत्र (Shri Yantra) क्या है?
श्री यंत्र एक पवित्र ज्यामितीय आकृति है जो देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने हेतु प्रयोग की जाती है। इसे सुख, समृद्धि और धन का प्रतीक माना जाता है।
2. श्री यंत्र (Shri Yantra) के कितने प्रकार होते हैं?
मुख्यतः दो प्रकार होते हैं: समतल (Flat) और मेरु शैली (3D)। मेरु शैली को अधिक शक्तिशाली माना जाता है।
3. श्री यंत्र (Shri Yantra) किस धातु में सबसे उत्तम माना जाता है?
तांबा, चांदी और स्वर्ण में बने श्री यंत्र को सबसे शुभ माना जाता है, विशेषकर चांदी या सोने का यंत्र अधिक प्रभावशाली होता है।
4. श्री यंत्र (Shri Yantra) की स्थापना का सबसे शुभ दिन कौन सा होता है?
शुक्रवार, अक्षय तृतीया, दीपावली, नवरात्रि और गुरु पुष्य योग जैसे दिन स्थापना के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं।
5. श्री यंत्र (Shri Yantra) किस दिशा में स्थापित करना चाहिए?
उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके श्री यंत्र को स्थापित करना चाहिए। यह दिशाएं सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं।
6. क्या श्री यंत्र (Shri Yantra) को पूजा घर में ही रखना आवश्यक है?
जी नहीं, आप इसे पूजा घर के अलावा कार्यालय, दुकान, तिजोरी या कैश बॉक्स में भी रख सकते हैं, बशर्ते स्थान पवित्र और साफ हो।
7. श्री यंत्र (Shri Yantra) स्थापना से पहले क्या प्रक्रिया करनी चाहिए?
स्थापना से पहले यंत्र को गंगाजल और दूध से स्नान कराएं, फिर कुमकुम, चंदन, पुष्प आदि से पूजन करें और मंत्रों का उच्चारण करें।
8. श्री यंत्र (Shri Yantra) का जागरण क्यों आवश्यक होता है?
जागरण से यंत्र सक्रिय होता है और उसमें ऊर्जा आती है। बिना जागरण के यंत्र निष्क्रिय रहता है और लाभ नहीं देता।
9. श्री यंत्र (Shri Yantra) को कौन-सा मंत्र जाग्रत करता है?
“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः” – इस मंत्र का 108 बार जाप करना श्रेष्ठ होता है।
10. क्या श्री यंत्र (Shri Yantra) के पूजन में कोई विशेष नियम है?
हां, यंत्र की नियमित पूजा, साफ-सफाई, दीपक जलाना और शुक्रवार को विशेष पूजन करने से यंत्र अधिक फलदायी होता है।
11. क्या श्री यंत्र (Shri Yantra) रखने से वास्तु दोष ठीक होता है?
जी हां, श्री यंत्र से घर की ऊर्जा संतुलित होती है और वास्तु दोष के नकारात्मक प्रभावों में कमी आती है।
12. क्या श्री यंत्र (Shri Yantra) को हर कोई स्थापित कर सकता है?
हां, कोई भी श्रद्धा और विधिपूर्वक श्री यंत्र की स्थापना कर सकता है, चाहे वह गृहस्थ हो या व्यापारी।
13. क्या श्री यंत्र (Shri Yantra) से धन वृद्धि संभव है?
श्री यंत्र का मुख्य उद्देश्य ही धन, सुख और समृद्धि प्रदान करना है। नियमित पूजा से निश्चित रूप से धन वृद्धि होती है।
14. श्री यंत्र (Shri Yantra) से नकारात्मक प्रभाव भी हो सकता है?
यदि यंत्र की स्थापना गलत दिशा में हो या नियमों का पालन न किया जाए, तो इसका प्रभाव कम या उल्टा हो सकता है।
15. श्री यंत्र (Shri Yantra) को कब और कैसे साफ करना चाहिए?
हर शुक्रवार को गंगाजल या कच्चे दूध से श्री यंत्र को धोकर साफ करें। फिर इसे चंदन, कुमकुम से सजाकर दीपक जलाएं।