श्री कुंज बिहारी की आरती: (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में समर्पण का अद्भुत रूप

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श्री कुंज बिहारी की आरती: (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में समर्पण का अद्भुत रूप

श्री कुंज बिहारी की आरती: (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में समर्पण का अद्भुत रूप

श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का महत्व

श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) हिन्दू धर्म में भगवान श्री कृष्ण की उपासना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस आरती का पाठ भक्तों को शांति, आध्यात्मिक सुख, और मन की प्रसन्नता प्रदान करता है। “कुंज बिहारी” शब्द का अर्थ है वह भगवान जो अपने कुंज (बगिया) में बसा करते हैं, और बिहारी का मतलब है वह जो आनंद देने वाले हैं। यह आरती भगवान श्री कृष्ण के नंदनकानन वृन्दावन में बसी छवि को मन में लाकर उन्हें समर्पित की जाती है।

Contents
श्री कुंज बिहारी की आरती: (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में समर्पण का अद्भुत रूपश्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का महत्वश्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti)श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का इतिहासआरती के शब्द और उनका अर्थश्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) के लाभआरती का सही तरीका और समयआरती के मंत्रों का महत्वश्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का प्रभावश्री कुंज बिहारी की आरती(Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का समाज में प्रभावश्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का संगीत और तालश्री कुंज बिहारी की आरती: (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) FAQs1. श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti)क्या है?2. श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का महत्व क्या है?3. कुंज बिहारी का अर्थ क्या है?4. श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का इतिहास क्या है?5. श्री कुंज बिहारी की आरती(Shri Kunj Bihari Ki Aarti) कब गानी चाहिए?6. क्या श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए?7. श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) के लाभ क्या हैं?8. आरती का सही तरीका क्या है?9. श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) के कौन-कौन से मंत्र होते हैं?10. क्या आरती का पाठ करते समय ध्यान करना चाहिए?11. श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का संगीत और ताल का क्या महत्व है?12. क्या आरती का सामूहिक गायन किया जा सकता है?13. श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) के पाठ से जीवन में क्या बदलाव आता है?14. क्या आरती का पाठ केवल भक्तों को ही करना चाहिए?15. क्या श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है?

श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti)

श्री कुंज बिहारी की आरती
(Shri Kunj Bihari Ki Aarti)

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली;भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक;ललित छवि श्यामा प्यारी की ॥


श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…


कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै;बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग;अतुल रति गोप कुमारी की ॥


श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…


जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा;बसी सिव सीस, जटा के बीच,
हरै अघ कीच;चरन छवि श्रीबनवारी की ॥


श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…


चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद,
कटत भव फंद;टेर सुन दीन भिखारी की ॥


श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की

श्री कुंज बिहारी की आरती: (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में समर्पण का अद्भुत रूप
श्री कुंज बिहारी की आरती: (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में समर्पण का अद्भुत रूप!

श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का इतिहास

श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का इतिहास बहुत पुराना है और यह विशेष रूप से वृन्दावन में पूजा जाती है। श्री कृष्ण के भक्त इस आरती के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण से आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। यह आरती भक्तों को एक गहरे आध्यात्मिक अनुभव में डुबो देती है। इस आरती का पाठ रोज़ाना किया जाता है और विशेष अवसरों जैसे राधा अष्टमी, कृष्ण जन्माष्टमी और गोपाष्टमी पर इसकी महत्ता और बढ़ जाती है।

आरती के शब्द और उनका अर्थ

आरती में भगवान श्री कृष्ण के विविध रूपों की स्तुति की जाती है। “श्री कुंज बिहारी” शब्द भगवान श्री कृष्ण के उस रूप को दर्शाते हैं, जब वे वृन्दावन के कुंजों में राधा रानी के संग आनंद में रमा करते हैं। इस आरती में भगवान की सुंदरता, गुण और उनकी लीला का वर्णन किया गया है। आरती के हर शब्द में श्री कृष्ण के प्रति श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत समावेश है।

श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) के लाभ

श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) के कई लाभ हैं जो भक्तों को मानसिक और आत्मिक शांति प्रदान करते हैं। सबसे पहले, यह आरती भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और उन्हें संसारिक दुखों से मुक्ति दिलाने की शक्ति प्रदान करती है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति का मन शांत रहता है और उसे मानसिक स्थिरता मिलती है। आरती की ध्यानमग्न ध्वनियाँ भक्त के हृदय को भक्ति के भाव से भर देती हैं।

आरती का सही तरीका और समय

श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का पाठ सही तरीके से करना महत्वपूर्ण है ताकि उसकी प्रभावशीलता बनी रहे। आमतौर पर, इसे सुबह और शाम के समय किया जाता है, जब वातावरण शांति और भक्तिमय होता है। इस आरती को दीपक जलाकर और धूप लगाकर, पूरे श्रद्धा भाव से करना चाहिए। यह आरती गाने से न केवल आत्मिक शांति मिलती है, बल्कि भगवान के साथ एक गहरा संबंध भी स्थापित होता है।

आरती के मंत्रों का महत्व

आरती में प्रयुक्त मंत्रों का विशेष महत्व है। इन मंत्रों के उच्चारण से भगवान श्री कृष्ण के प्रति आस्था और प्रेम व्यक्त होता है। इन मंत्रों का ध्यानपूर्ण जाप करने से मन की शुद्धि होती है और मानसिक हलचल कम होती है। विशेष रूप से, मंत्रों का उच्चारण सकारात्मक परिणाम देता है और भक्त को श्री कृष्ण के समीप लाता है।

श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का प्रभाव

जब कोई व्यक्ति श्री कुंज बिहारी की आरती पूरी श्रद्धा से करता है, तो उसके जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आते हैं। यह आरती सकारात्मक विचारों का संचार करती है, जिससे व्यक्ति की सोच में बदलाव आता है। साथ ही, यह आरती भगवान श्री कृष्ण की कृपा को आकर्षित करती है और जीवन के कठिन समय में राहत प्रदान करती है। भक्त इस आरती के माध्यम से भगवान के अनुग्रह को प्राप्त करते हैं और अपने दुखों से मुक्ति पाते हैं।

श्री कुंज बिहारी की आरती(Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का समाज में प्रभाव

श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) न केवल व्यक्तिगत जीवन में परिवर्तन लाती है, बल्कि समाज में भी इसका गहरा प्रभाव होता है। यह आरती समाज में धार्मिकता, सद्भाव और समानता का संदेश देती है। जब लोग मिलकर इस आरती का गायन करते हैं, तो इसका सामूहिक असर होता है और समाज में शांति और एकता का वातावरण बनता है।

श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का संगीत और ताल

आरती का संगीत और ताल इसके महत्व को और भी बढ़ा देते हैं। वृन्दावन में इस आरती का गायन खास तरह की मधुर ध्वनियों में किया जाता है। इन मधुर ध्वनियों के बीच भक्त भगवान श्री कृष्ण के रूपों की कल्पना करते हैं। संगीत और ताल का प्रभाव मानसिक रूप से व्यक्ति को भक्ति में डुबो देता है और उसे ध्यान की स्थिति में ले आता है। संगीत के हर सुर में आध्यात्मिक शक्ति छिपी होती है, जो भक्त को सच्ची भक्ति के मार्ग पर प्रेरित करती है।

श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) एक अत्यंत प्रभावशाली भक्ति गीत है, जो न केवल व्यक्ति के आंतरिक जीवन को संतुलित करता है, बल्कि समाज में भी धार्मिक चेतना का संचार करता है। यह आरती भगवान श्री कृष्ण के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। इस आरती का पाठ व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मिक संतोष और भगवान की कृपा प्राप्त करने का माध्यम बनता है। इसलिए, यदि आप भी भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में रमना चाहते हैं, तो इस आरती का पाठ जरूर करें और अपने जीवन को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाएं।

श्री कुंज बिहारी की आरती: (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) FAQs

1. श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti)क्या है?

श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) भगवान श्री कृष्ण की पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो विशेष रूप से उनके वृन्दावन के रूप में श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने के लिए गाई जाती है।

2. श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का महत्व क्या है?

यह आरती भक्तों को आध्यात्मिक शांति, मन की प्रसन्नता, और भगवान की कृपा प्राप्त करने में मदद करती है। यह भगवान श्री कृष्ण के प्रति श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है।

3. कुंज बिहारी का अर्थ क्या है?

“कुंज बिहारी” का अर्थ है वह भगवान जो अपने कुंज (बगिया) में निवास करते हैं और बिहारी का मतलब है आनंद देने वाले।

4. श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का इतिहास क्या है?

यह आरती वृन्दावन में विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण की पूजा के दौरान गाई जाती है, और इसका इतिहास बहुत पुराना है।

5. श्री कुंज बिहारी की आरती(Shri Kunj Bihari Ki Aarti) कब गानी चाहिए?

यह आरती आमतौर पर सुबह और शाम के समय की जाती है, जब वातावरण शांत और भक्तिमय होता है।

6. क्या श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए?

जी हां, नियमित रूप से इस आरती का पाठ करने से मानसिक शांति और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।

7. श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) के लाभ क्या हैं?

यह आरती भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा, आध्यात्मिक शांति, और दुखों से मुक्ति दिलाने में मदद करती है।

8. आरती का सही तरीका क्या है?

आरती को दीपक जलाकर और धूप लगाकर, श्रद्धा और भाव के साथ गाना चाहिए। ध्यान से मंत्रों का उच्चारण भी जरूरी है।

9. श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) के कौन-कौन से मंत्र होते हैं?

आरती में विभिन्न मंत्र होते हैं, जो भगवान श्री कृष्ण की सुंदरता, गुण और लीला का वर्णन करते हैं।

10. क्या आरती का पाठ करते समय ध्यान करना चाहिए?

जी हां, आरती का पाठ करते समय ध्यान और समर्पण का भाव रखना चाहिए ताकि इसका प्रभाव गहरा हो सके।

11. श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) का संगीत और ताल का क्या महत्व है?

आरती का संगीत और ताल भक्त को एक गहरे आध्यात्मिक अनुभव में ले जाता है और उसे भगवान के समीप लाता है।

12. क्या आरती का सामूहिक गायन किया जा सकता है?

जी हां, सामूहिक गायन से यह आरती समाज में शांति, सद्भाव और एकता का संदेश देती है।

13. श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) के पाठ से जीवन में क्या बदलाव आता है?

आरती के पाठ से जीवन में सकारात्मक सोच, आध्यात्मिक शांति, और भक्ति के भाव उत्पन्न होते हैं, जो जीवन को और अधिक समृद्ध बनाते हैं।

14. क्या आरती का पाठ केवल भक्तों को ही करना चाहिए?

नहीं, कोई भी व्यक्ति, चाहे वह धार्मिक हो या न हो, इस आरती का पाठ कर सकता है और लाभ उठा सकता है।

15. क्या श्री कुंज बिहारी की आरती (Shri Kunj Bihari Ki Aarti) से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है?

आरती का उद्देश्य भक्ति और मानसिक शांति है, लेकिन इसे समर्पण भाव से करने से आध्यात्मिक मार्ग पर प्रगति होती है, जो जीवन के अन्य पहलुओं में भी सुधार ला सकती है।

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