नवग्रह चालीसा: (Navgrah Chalisa) नौ ग्रहों की शांति का अचूक उपाय! इसे पढ़ें और जानें इसके चमत्कारी फायदे!
नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) – नौ ग्रहों की शांति के लिए अचूक उपाय
नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) एक पवित्र स्तोत्र है, जिसमें सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु – इन नौ ग्रहों की स्तुति की जाती है। यह ग्रहों के दोष निवारण और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। यदि किसी की कुंडली में ग्रह दोष होते हैं, तो उन्हें दूर करने के लिए नवग्रह चालीसा का पाठ बहुत ही लाभकारी होता है।
इस लेख में हम नवग्रहों का महत्व, उनकी विशेषताएं, नवग्रह चालीसा के लाभ, पाठ करने की विधि और इसके पीछे का वैज्ञानिक और ज्योतिषीय कारण जानेंगे। आइए विस्तार से समझते हैं कि नवग्रह चालीसा का पाठ कैसे आपके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति ला सकता है।
नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa)
नवग्रह चालीसा
(Navgrah Chalisa)॥ दोहा ॥
श्री गणपति गुरुपद कमल,
प्रेम सहित सिरनाय ।
नवग्रह चालीसा कहत,
शारद होत सहाय ॥
जय जय रवि शशि सोम बुध,
जय गुरु भृगु शनि राज।
जयति राहु अरु केतु ग्रह,
करहुं अनुग्रह आज ॥॥ चौपाई ॥
॥ श्री सूर्य स्तुति ॥
प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा,
करहुं कृपा जनि जानि अनाथा ।
हे आदित्य दिवाकर भानू,
मैं मति मन्द महा अज्ञानू ।
अब निज जन कहं हरहु कलेषा,
दिनकर द्वादश रूप दिनेशा ।
नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर,
अर्क मित्र अघ मोघ क्षमाकर ।॥ श्री चन्द्र स्तुति ॥
शशि मयंक रजनीपति स्वामी,
चन्द्र कलानिधि नमो नमामि ।
राकापति हिमांशु राकेशा,
प्रणवत जन तन हरहुं कलेशा ।
सोम इन्दु विधु शान्ति सुधाकर,
शीत रश्मि औषधि निशाकर ।
तुम्हीं शोभित सुन्दर भाल महेशा,
शरण शरण जन हरहुं कलेशा ।॥ श्री मंगल स्तुति ॥
जय जय जय मंगल सुखदाता,
लोहित भौमादिक विख्याता ।
अंगारक कुज रुज ऋणहारी,
करहुं दया यही विनय हमारी ।
हे महिसुत छितिसुत सुखराशी,
लोहितांग जय जन अघनाशी ।
अगम अमंगल अब हर लीजै,
सकल मनोरथ पूरण कीजै ।॥ श्री बुध स्तुति ॥
जय शशि नन्दन बुध महाराजा,
करहु सकल जन कहं शुभ काजा ।
दीजै बुद्धि बल सुमति सुजाना,
कठिन कष्ट हरि करि कल्याणा ।
हे तारासुत रोहिणी नन्दन,
चन्द्रसुवन दुख द्वन्द्व निकन्दन ।
पूजहिं आस दास कहुं स्वामी,
प्रणत पाल प्रभु नमो नमामी ।॥ श्री बृहस्पति स्तुति ॥
जयति जयति जय श्री गुरुदेवा,
करूं सदा तुम्हरी प्रभु सेवा ।
देवाचार्य तुम देव गुरु ज्ञानी,
इन्द्र पुरोहित विद्यादानी ।
वाचस्पति बागीश उदारा,
जीव बृहस्पति नाम तुम्हारा ।
विद्या सिन्धु अंगिरा नामा,
करहुं सकल विधि पूरण कामा ।॥ श्री शुक्र स्तुति ॥
शुक्र देव पद तल जल जाता,
दास निरन्तन ध्यान लगाता ।
हे उशना भार्गव भृगु नन्दन,
दैत्य पुरोहित दुष्ट निकन्दन ।
भृगुकुल भूषण दूषण हारी,
हरहुं नेष्ट ग्रह करहुं सुखारी ।
तुहि द्विजबर जोशी सिरताजा,
नर शरीर के तुमही राजा ।॥ श्री शनि स्तुति ॥
जय श्री शनिदेव रवि नन्दन,
जय कृष्णो सौरी जगवन्दन ।
पिंगल मन्द रौद्र यम नामा,
वप्र आदि कोणस्थ ललामा ।
वक्र दृष्टि पिप्पल तन साजा,
क्षण महं करत रंक क्षण राजा ।
ललत स्वर्ण पद करत निहाला,
हरहुं विपत्ति छाया के लाला ।॥ श्री राहु स्तुति ॥
जय जय राहु गगन प्रविसइया,
तुमही चन्द्र आदित्य ग्रसइया ।
रवि शशि अरि स्वर्भानु धारा,
शिखी आदि बहु नाम तुम्हारा ।
सैहिंकेय तुम निशाचर राजा,
अर्धकाय जग राखहु लाजा ।
यदि ग्रह समय पाय हिं आवहु,
सदा शान्ति और सुख उपजावहु ।॥ श्री केतु स्तुति ॥
जय श्री केतु कठिन दुखहारी,
करहु सुजन हित मंगलकारी ।
ध्वजयुत रुण्ड रूप विकराला,
घोर रौद्रतन अघमन काला ।
शिखी तारिका ग्रह बलवान,
महा प्रताप न तेज ठिकाना ।
वाहन मीन महा शुभकारी,
दीजै शान्ति दया उर धारी ।॥ नवग्रह शांति फल ॥
तीरथराज प्रयाग सुपासा,
बसै राम के सुन्दर दासा ।
ककरा ग्रामहिं पुरे-तिवारी,
दुर्वासाश्रम जन दुख हारी ।
नवग्रह शान्ति लिख्यो सुख हेतु,
जन तन कष्ट उतारण सेतू ।
जो नित पाठ करै चित लावै,
सब सुख भोगि परम पद पावै ॥॥ दोहा ॥
धन्य नवग्रह देव प्रभु,
महिमा अगम अपार ।
चित नव मंगल मोद गृह,
जगत जनन सुखद्वार ॥यह चालीसा नवोग्रह,
विरचित सुन्दरदास ।
पढ़त प्रेम सुत बढ़त सुख,
सर्वानन्द हुलास ॥॥ इति श्री नवग्रह चालीसा ॥
नवग्रहों का परिचय और उनका प्रभाव
1. सूर्य ग्रह – आत्मविश्वास और नेतृत्व का कारक
सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। यह आत्मबल, सफलता, यश और ऊर्जा प्रदान करता है। यदि कुंडली में सूर्य कमजोर हो तो आत्मविश्वास की कमी, करियर में रुकावट और अपमान झेलना पड़ सकता है। नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का पाठ सूर्य को मजबूत करने में सहायक होता है।
2. चंद्र ग्रह – मन और भावनाओं का स्वामी
चंद्रमा हमारे मन, भावनाओं और मानसिक शांति से जुड़ा होता है। यदि यह कमजोर हो तो तनाव, अवसाद, चिंता और अस्थिरता हो सकती है। चंद्रमा के दोष दूर करने के लिए नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa)पढ़ना शुभ होता है।
3. मंगल ग्रह – ऊर्जा और साहस का प्रतीक
मंगल ग्रह साहस, पराक्रम और ऊर्जा का स्वामी है। यदि यह अशुभ हो तो गुस्सा, दुर्घटना, झगड़े और शत्रुता बढ़ सकती है। नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का पाठ मंगल के बुरे प्रभाव को कम करने में सहायक होता है।
4. बुध ग्रह – बुद्धि और व्यापार का कारक
बुध ग्रह बुद्धि, तर्कशक्ति और व्यापार से जुड़ा है। कमजोर बुध से भ्रम, निर्णय लेने में कठिनाई और आर्थिक समस्याएं हो सकती हैं। नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) पढ़ने से बुध ग्रह मजबूत होता है।
5. गुरु ग्रह – ज्ञान और भाग्य का स्वामी
गुरु ग्रह शिक्षा, ज्ञान, धर्म और भाग्य से जुड़ा होता है। यदि यह कमजोर हो तो विवाह में देरी, शिक्षा में बाधा और आध्यात्मिक संकट हो सकते हैं। नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) पढ़ने से गुरु ग्रह के दोष शांत होते हैं।
6. शुक्र ग्रह – वैवाहिक जीवन और ऐश्वर्य का प्रतीक
शुक्र प्रेम, सौंदर्य, धन और सुख-संपत्ति का कारक है। कमजोर शुक्र से वैवाहिक जीवन में समस्या, आर्थिक नुकसान और स्वास्थ्य खराबी हो सकती है। नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) शुक्र को बलशाली बनाता है।
7. शनि ग्रह – कर्म और न्याय का कारक
शनि ग्रह को कर्मफलदाता माना जाता है। यह धैर्य, मेहनत और न्याय का प्रतीक है। यदि शनि अशुभ हो तो साढ़े साती, ढैया, आर्थिक परेशानी और मानसिक तनाव हो सकता है। नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का नियमित पाठ शनि के प्रकोप से बचाता है।
8. राहु ग्रह – छाया ग्रह और भटकाव का स्वामी
राहु ग्रह भ्रम, धोखा, नशा और आकस्मिक घटनाओं से जुड़ा होता है। नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का पाठ राहु के अशुभ प्रभाव को कम करता है।
9. केतु ग्रह – मोक्ष और आध्यात्मिकता का कारक
केतु आध्यात्मिक उन्नति, रहस्यमयी घटनाएं और मोक्ष से जुड़ा है। नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) के नियमित पाठ से केतु के दोष दूर होते हैं।
नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) के लाभ
- ग्रह दोषों का निवारण – कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करता है।
- सकारात्मक ऊर्जा – घर और जीवन में सुख-शांति लाने में सहायक।
- आर्थिक उन्नति – व्यापार और नौकरी में सफलता मिलती है।
- मानसिक शांति – तनाव, चिंता और अवसाद से मुक्ति मिलती है।
- स्वास्थ्य लाभ – ग्रहों के अशुभ प्रभाव से होने वाली बीमारियों में सुधार होता है।
- विवाह और संतान सुख – वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।
नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) पढ़ने की विधि
1. शुभ समय
- मंगलवार, शनिवार या रविवार को पाठ करना शुभ माना जाता है।
- अमावस्या और पूर्णिमा को पढ़ने से विशेष लाभ मिलता है।
2. पूजन सामग्री
- पीला वस्त्र, दीपक, जल, अक्षत, फूल और धूप-दीप।
- नवग्रह यंत्र या नवग्रह मूर्ति हो तो और भी शुभ होता है।
3. पाठ विधि
- स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजन स्थान पर बैठकर नवग्रहों का ध्यान करें।
- नवग्रह मंत्र का उच्चारण करें।
- नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का पाठ करें।
- आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
वैज्ञानिक और ज्योतिषीय आधार
वैज्ञानिक दृष्टि से, नवग्रह चालीसा का पाठ ध्वनि तरंगों को संतुलित करता है, जिससे मन शांत रहता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
ज्योतिषीय दृष्टि से, हर ग्रह का एक विशेष प्रभाव होता है। नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) पढ़ने से ग्रहों की नकारात्मकता कम होती है और उनका सकारात्मक प्रभाव बढ़ता है।
नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का पाठ ग्रहों की अशुभता को दूर करने और सकारात्मकता को बढ़ाने का अचूक उपाय है। यदि आपकी कुंडली में ग्रह दोष हैं, या जीवन में अवरोध, मानसिक तनाव, आर्थिक समस्या या वैवाहिक समस्याएं हैं, तो नवग्रह चालीसा का नित्य पाठ करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकता है।
नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) क्या है?
नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) एक धार्मिक स्तोत्र है, जिसमें नौ ग्रहों की महिमा और शांति के लिए उनकी स्तुति की जाती है।
2. नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का पाठ क्यों किया जाता है?
यह पाठ ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने, सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने और जीवन में सुख-शांति लाने के लिए किया जाता है।
3. नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का पाठ कब करना चाहिए?
इसे मंगलवार, शनिवार या रविवार को करना शुभ माना जाता है, लेकिन किसी भी दिन श्रद्धा से किया जा सकता है।
4. नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) पाठ के लिए कौन-सा समय सर्वोत्तम है?
सुबह स्नान के बाद या शाम को सूर्यास्त के समय करना सबसे प्रभावी माना जाता है।
5. क्या नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) पढ़ने से कुंडली दोष दूर होते हैं?
हाँ, नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का नियमित पाठ मंगल, शनि, राहु-केतु दोष और अन्य ग्रह संबंधी समस्याओं को कम करने में सहायक होता है।
6. क्या नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का पाठ कोई भी कर सकता है?
हाँ, कोई भी व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ इसका पाठ कर सकता है, चाहे उसकी कुंडली में ग्रह दोष हों या न हों।
7. क्या नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का पाठ करने के लिए ब्राह्मण होना जरूरी है?
नहीं, इसे कोई भी कर सकता है। जाति, धर्म या पृष्ठभूमि की कोई बाध्यता नहीं है।
8. नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) पाठ करने के दौरान कौन-सी सामग्री आवश्यक है?
दीपक, धूप, अक्षत (चावल), जल, फूल और नवग्रह यंत्र (यदि संभव हो) का उपयोग किया जाता है।
9. क्या नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) को किसी विशेष मंत्र के साथ पढ़ना चाहिए?
अगर संभव हो तो “ॐ नवग्रहाय नमः” मंत्र का जाप करने के बाद चालीसा का पाठ करें।
10. क्या नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का पाठ रोज़ करना चाहिए?
हाँ, रोज़ करने से अधिक लाभ मिलता है, लेकिन यदि रोज़ संभव न हो तो सप्ताह में 1-2 बार कर सकते हैं।
11. क्या नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का पाठ करने से शनि की साढ़े साती का प्रभाव कम होता है?
हाँ, नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का पाठ शनि की साढ़े साती और ढैया के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में सहायक होता है।
12. नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) पढ़ने से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?
यह आर्थिक उन्नति, करियर में सफलता, मानसिक शांति, स्वास्थ्य सुधार और ग्रह दोष निवारण में मदद करता है।
13. क्या नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का पाठ किसी भी भाषा में किया जा सकता है?
हाँ, इसे हिंदी, संस्कृत या अपनी सुविधा अनुसार किसी भी भाषा में पढ़ सकते हैं।
14. क्या नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का पाठ करने से विवाह और संतान से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं?
हाँ, यदि विवाह में देरी हो रही हो या संतान सुख में बाधा आ रही हो तो नवग्रह चालीसा का पाठ लाभकारी होता है।
15. क्या नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का पाठ बिना स्नान किए किया जा सकता है?
संभव हो तो स्नान के बाद करें, लेकिन किसी कारणवश न कर पाएं तो हाथ-पैर धोकर स्वच्छ अवस्था में भी कर सकते हैं।