श्री यंत्र (Shri Yantra) की स्थापना विधि: घर में करें चमत्कारी धन आकर्षण!
श्री यंत्र (Shri Yantra) को महालक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। यह एक दिव्य ज्यामितीय यंत्र है, जिसे धन, समृद्धि, सुख और शांति के लिए पूजा जाता है। इसका संबंध वास्तु शास्त्र और तांत्रिक साधनाओं से भी है। श्री यंत्र में त्रिकोण, चक्र और बिंदु का ऐसा रहस्यमय समन्वय है, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आकर्षित करता है।
इस यंत्र को सही विधि से स्थापित करने पर यह घर में महालक्ष्मी का वास कराता है। लेकिन यदि इसे गलत तरीके से स्थापित किया जाए, तो यह असर नहीं करता। इसलिए इसकी स्थापना का तरीका बहुत विशेष और पवित्र होना चाहिए।
श्री यंत्र (Shri Yantra) मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:
इनके अलावा त्रिवेणी श्री यंत्र, क्रिस्टल श्री यंत्र, सप्तधातु यंत्र भी प्रसिद्ध हैं।
श्री यंत्र (Shri Yantra) को “दिव्य चक्र” भी कहा जाता है, और इसे तांत्रिक शक्ति का स्रोत माना जाता है।
श्री यंत्र की स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का होना आवश्यक है। निम्न अवसरों को सबसे शुभ माना गया है:
अगर विशेष तिथि न मिल सके, तो शुक्रवार को ब्रह्म मुहूर्त में भी श्री यंत्र स्थापित किया जा सकता है।
श्री यंत्र (Shri Yantra) की स्थापना से पहले निम्न सामग्री तैयार रखें:
श्री यंत्र को पूर्व दिशा या उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में स्थापित करें। इसे जमीन पर नहीं रखें, बल्कि लकड़ी या तांबे की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें।
श्री यंत्र को पहले गंगाजल या गौ मूत्र से शुद्ध करें। फिर पंचामृत से स्नान कराकर फिर से गंगाजल से धो लें।
अब श्री यंत्र पर चंदन, हल्दी और केसर से तिलक करें। चारों कोनों पर रोली, चावल, फूल चढ़ाएं।
शुद्ध देशी घी का दीपक जलाएं और यंत्र के सामने रखें। अगरबत्ती या धूप जलाएं।
श्री यंत्र पर “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
श्री यंत्र के समक्ष श्रीसूक्त, लक्ष्मी स्तोत्र या कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
मिठाई, फल या खीर का भोग लगाएं। इसके बाद दक्षिणा चढ़ाएं।
अगर आप श्री यंत्र को तांत्रिक रूप से सिद्ध करना चाहते हैं, तो यह प्रक्रिया अपनाएं:
इस प्रकार सिद्ध श्री यंत्र से विशेष चमत्कारिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
श्री यंत्र का केंद्र बिंदु (बिंदु स्थल) कोस्मिक पावर का स्त्रोत माना गया है। इसमें 9 त्रिकोणों का संयोजन होता है – जिनमें से 5 नीचे की ओर और 4 ऊपर की ओर होते हैं। यह शक्ति और शिव तत्व का मिलन है।
यह यंत्र ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करता है और जहां भी इसे रखा जाता है, वहां की वायुमंडलीय ऊर्जा सकारात्मक हो जाती है।
श्री यंत्र के साथ निम्न वस्तुएँ रखें:
इन सभी वस्तुओं के साथ श्री यंत्र की उपासना से लक्ष्मी कृपा अधिक फलदायक होती है।
यदि श्रद्धा, विश्वास और विधिपूर्वक पूजा की जाए, तो श्री यंत्र अवश्य चमत्कारी परिणाम देता है। यह केवल धन यंत्र नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति का भी मार्ग है।
सोने या तांबे में बना श्री यंत्र सबसे शुभ और प्रभावी माना जाता है।
हाँ, सही विधि और मंत्रों के साथ कोई भी श्रद्धालु श्री यंत्र स्थापित कर सकता है।
हर शुक्रवार या विशेष अवसरों पर गंगाजल से हल्के हाथों से शुद्ध करें।
हाँ, लेकिन ध्यान रहे पूर्व या ईशान कोण में ही रखें।
हो तो क्या करें?
किसी पवित्र जल में विसर्जन कर दें और शुद्ध स्थान पर नया श्री यंत्र स्थापित करें।
श्री यंत्र एक दिव्य ज्यामितीय यंत्र है, जिसे महालक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। यह धन, सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करता है।
सबसे शुभ समय दीपावली, अक्षय तृतीया, नवरात्रि या शुक्रवार (विशेषकर पूर्णिमा) को होता है। न मिल सके तो शुक्रवार के दिन ब्रह्ममुहूर्त में भी स्थापना कर सकते हैं।
पूर्व दिशा या ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में रखें। जमीन पर न रखें, बल्कि लकड़ी की चौकी पर लाल या पीले कपड़े पर रखें।
गंगाजल, लाल कपड़ा, पंचामृत, दीपक, फूल, अक्षत, चंदन, हल्दी, रोली, कपूर, अगरबत्ती आदि आवश्यक होते हैं।
गंगाजल से धोकर पंचामृत स्नान कराएं, फिर साफ जल से धोकर कपड़े से पोंछें। इसके बाद पूजा के लिए तैयार करें।
मुख्य मंत्र है:
“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः” – 108 बार जाप करें।
हाँ, अगर आप चमत्कारी फल चाहते हैं तो मंत्र जाप द्वारा 11 दिनों तक सिद्ध करना उत्तम होता है।
कोई भी श्रद्धालु व्यक्ति, पुरुष या महिला, जो शुद्धता और नियमों का पालन करता हो, इसकी पूजा कर सकता है।
हाँ, श्री यंत्र को घर के मंदिर में रखा जा सकता है, लेकिन उसे साफ और ऊर्जावान बनाए रखना जरूरी है।
जी हाँ, श्री यंत्र नकारात्मक ऊर्जा और वास्तु दोष को समाप्त करने की अद्भुत शक्ति रखता है।
यदि संभव हो तो श्री यंत्र के साथ लक्ष्मी जी की प्रतिमा, दक्षिणावर्ती शंख और कमलगट्टा की माला भी रखें।
हाँ, महिलाएं भी पूजा कर सकती हैं, लेकिन मासिक धर्म के दौरान इससे दूरी बनाना चाहिए।
हर शुक्रवार या विशेष तिथि पर गंगाजल या गुलाब जल से हल्के हाथों से साफ करें और चंदन या फूल अर्पित करें।
टूटे या अशुद्ध यंत्र को गंगाजल या नदी में विसर्जित करें और नया यंत्र शुद्ध विधि से स्थापित करें।
हाँ, यदि इसे श्रद्धा, नियम और सही विधि से स्थापित किया जाए, तो यह अद्भुत चमत्कारिक लाभ देता है – जैसे धन वृद्धि, मानसिक शांति और जीवन में उन्नति।
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