श्री यंत्र (Shri Yantra) की स्थापना विधि: घर में करें चमत्कारी धन आकर्षण!
श्री यंत्र (Shri Yantra) की स्थापना कैसे करें – चमत्कारी विधि
क्या है श्री यंत्र(Shri Yantra) ?
श्री यंत्र (Shri Yantra) को महालक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। यह एक दिव्य ज्यामितीय यंत्र है, जिसे धन, समृद्धि, सुख और शांति के लिए पूजा जाता है। इसका संबंध वास्तु शास्त्र और तांत्रिक साधनाओं से भी है। श्री यंत्र में त्रिकोण, चक्र और बिंदु का ऐसा रहस्यमय समन्वय है, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आकर्षित करता है।
- श्री यंत्र (Shri Yantra) की स्थापना विधि: घर में करें चमत्कारी धन आकर्षण!
- श्री यंत्र (Shri Yantra) की स्थापना कैसे करें – चमत्कारी विधि
- श्री यंत्र (Shri Yantra) के प्रकार
- श्री यंत्र (Shri Yantra) की विशेषता
- श्री यंत्र (Shri Yantra) स्थापना का शुभ समय
- आवश्यक सामग्री (Samagri)
- श्री यंत्र (Shri Yantra) स्थापना की पूर्व तैयारी
- श्री यंत्र (Shri Yantra) की स्थापना विधि – चरण दर चरण
- श्री यंत्र (Shri Yantra) को कैसे रखें – नियम और सावधानियाँ
- श्री यंत्र (Shri Yantra) की सिद्धि कैसे करें?
- श्री यंत्र (Shri Yantra) के फायदे – क्या होंगे इसके लाभ?
- श्री यंत्र (Shri Yantra) के रहस्य – क्यों होता है ये इतना शक्तिशाली?
- श्री यंत्र (Shri Yantra) के साथ क्या रखें?
- श्री यंत्र (Shri Yantra) से जुड़ी मान्यताएं और किंवदंतियाँ
- क्या श्री यंत्र (Shri Yantra) सच में चमत्कारी है?
- FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
- श्री यंत्र (Shri Yantra) की स्थापना कैसे करें – चमत्कारी विधि (FAQS)
- 1. श्री यंत्र (Shri Yantra) क्या है?
- 2. श्री यंत्र (Shri Yantra) की स्थापना कब करें?
- 3. श्री यंत्र (Shri Yantra) कहां रखें?
- 4. श्री यंत्र (Shri Yantra) की स्थापना के लिए कौन-सी सामग्री चाहिए?
- 5. श्री यंत्र (Shri Yantra) को कैसे शुद्ध करें?
- 6. श्री यंत्र पर कौन-सा मंत्र पढ़ें?
- 7. क्या श्री यंत्र को सिद्ध करना जरूरी है?
- 8. श्री यंत्र की पूजा कौन कर सकता है?
- 9. क्या श्री यंत्र को मंदिर में रखा जा सकता है?
- 10. क्या श्री यंत्र से वास्तु दोष ठीक हो सकता है?
- 11. क्या श्री यंत्र के साथ लक्ष्मी मूर्ति रखना चाहिए?
- 12. क्या महिलाएं श्री यंत्र की पूजा कर सकती हैं?
- 13. श्री यंत्र को कैसे साफ रखें?
- 14. यदि श्री यंत्र टूट जाए या खराब हो जाए तो क्या करें?
- 15. क्या श्री यंत्र सच में चमत्कारी है?
इस यंत्र को सही विधि से स्थापित करने पर यह घर में महालक्ष्मी का वास कराता है। लेकिन यदि इसे गलत तरीके से स्थापित किया जाए, तो यह असर नहीं करता। इसलिए इसकी स्थापना का तरीका बहुत विशेष और पवित्र होना चाहिए।
श्री यंत्र (Shri Yantra) के प्रकार
श्री यंत्र (Shri Yantra) मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:
- भौतिक श्री यंत्र (Physical Yantra):
यह धातु, तांबा, चांदी या स्वर्ण पर उकेरा गया यंत्र होता है। यह पूजा के लिए रखा जाता है। - मृण्मय या भित्ति श्री यंत्र (चित्रित या चित्रयुक्त यंत्र):
यह किसी कागज, कपड़े या दीवार पर बना होता है।
इनके अलावा त्रिवेणी श्री यंत्र, क्रिस्टल श्री यंत्र, सप्तधातु यंत्र भी प्रसिद्ध हैं।
श्री यंत्र (Shri Yantra) की विशेषता
- धनवृद्धि में सहायक
- नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है
- मानसिक शांति देता है
- वास्तु दोष का निवारण करता है
- व्यापार में उन्नति दिलाता है
श्री यंत्र (Shri Yantra) को “दिव्य चक्र” भी कहा जाता है, और इसे तांत्रिक शक्ति का स्रोत माना जाता है।
श्री यंत्र (Shri Yantra) स्थापना का शुभ समय
श्री यंत्र की स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का होना आवश्यक है। निम्न अवसरों को सबसे शुभ माना गया है:
- दीपावली की रात्रि
- अक्षय तृतीया
- गुरु पुष्य योग
- नवरात्रि का पहला या अंतिम दिन
- शुक्रवार (विशेष रूप से पूर्णिमा को)
अगर विशेष तिथि न मिल सके, तो शुक्रवार को ब्रह्म मुहूर्त में भी श्री यंत्र स्थापित किया जा सकता है।
आवश्यक सामग्री (Samagri)
श्री यंत्र (Shri Yantra) की स्थापना से पहले निम्न सामग्री तैयार रखें:
- श्री यंत्र (शुद्ध और सिद्ध)
- लाल कपड़ा या पीला कपड़ा
- गंगाजल या गौ मूत्र
- कुशा या आसन
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
- रोली, हल्दी, अक्षत, फूल
- दीपक, अगरबत्ती, कपूर
- चंदन और केसर
- दक्षिणावर्ती शंख (यदि उपलब्ध हो)
- मौली, नारियल
- श्री लक्ष्मी मंत्र की पुस्तिका
श्री यंत्र (Shri Yantra) स्थापना की पूर्व तैयारी
- स्थान की शुद्धता:
पूजा का स्थान साफ और पवित्र होना चाहिए। वहां सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे। - व्यक्तिगत शुद्धता:
स्नान करके साफ वस्त्र पहनें। हो सके तो सफेद या पीले वस्त्र पहनें। - ध्यान और संकल्प:
मन को एकाग्र करके महालक्ष्मी का ध्यान करें और श्री यंत्र की स्थापना का संकल्प लें।
श्री यंत्र (Shri Yantra) की स्थापना विधि – चरण दर चरण
1. स्थान का चयन करें
श्री यंत्र को पूर्व दिशा या उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में स्थापित करें। इसे जमीन पर नहीं रखें, बल्कि लकड़ी या तांबे की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें।
2. श्री यंत्र (Shri Yantra) को शुद्ध करें
श्री यंत्र को पहले गंगाजल या गौ मूत्र से शुद्ध करें। फिर पंचामृत से स्नान कराकर फिर से गंगाजल से धो लें।
3. श्री यंत्र (Shri Yantra) पर तिलक करें
अब श्री यंत्र पर चंदन, हल्दी और केसर से तिलक करें। चारों कोनों पर रोली, चावल, फूल चढ़ाएं।
4. दीप जलाएं
शुद्ध देशी घी का दीपक जलाएं और यंत्र के सामने रखें। अगरबत्ती या धूप जलाएं।
5. मंत्रोच्चार करें
श्री यंत्र पर “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
6. श्रीसूक्त या कनकधारा स्तोत्र पाठ करें
श्री यंत्र के समक्ष श्रीसूक्त, लक्ष्मी स्तोत्र या कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
7. नैवेद्य अर्पण करें
मिठाई, फल या खीर का भोग लगाएं। इसके बाद दक्षिणा चढ़ाएं।

श्री यंत्र (Shri Yantra) को कैसे रखें – नियम और सावधानियाँ
- श्री यंत्र को कभी भी जमीन पर न रखें।
- इसे हमेशा साफ और पवित्र बनाए रखें।
- यंत्र के सामने गाली, कलह या अपवित्र गतिविधियाँ न करें।
- महिलाएं मासिक धर्म के दौरान इसकी पूजा से बचें।
- प्रतिदिन कम से कम एक बार यंत्र को प्रणाम करके दीपक जलाएं।
- अगर हो सके तो शुक्रवार को विशेष पूजा करें।
श्री यंत्र (Shri Yantra) की सिद्धि कैसे करें?
अगर आप श्री यंत्र को तांत्रिक रूप से सिद्ध करना चाहते हैं, तो यह प्रक्रिया अपनाएं:
- श्री यंत्र को पंचामृत से धोकर शुद्ध करें।
- एकांत स्थान पर 11 दिन तक प्रतिदिन 108 बार “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
- हर दिन दीपक और पुष्प अर्पित करें।
- 11वें दिन यंत्र को गंध, पुष्प, नैवेद्य से पूजन कर स्थायी रूप से पूजा स्थान में स्थापित करें।
इस प्रकार सिद्ध श्री यंत्र से विशेष चमत्कारिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
श्री यंत्र (Shri Yantra) के फायदे – क्या होंगे इसके लाभ?
- घर में अचानक धनलाभ के योग बनने लगते हैं।
- नौकरी और व्यवसाय में तरक्की होती है।
- विवाह में विलंब हो तो वह शीघ्र संपन्न होता है।
- घर में सुख-शांति और प्रेम का वातावरण बनता है।
- ऋण से मुक्ति पाने में सहायता मिलती है।
- नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव समाप्त होता है।
श्री यंत्र (Shri Yantra) के रहस्य – क्यों होता है ये इतना शक्तिशाली?
श्री यंत्र का केंद्र बिंदु (बिंदु स्थल) कोस्मिक पावर का स्त्रोत माना गया है। इसमें 9 त्रिकोणों का संयोजन होता है – जिनमें से 5 नीचे की ओर और 4 ऊपर की ओर होते हैं। यह शक्ति और शिव तत्व का मिलन है।
यह यंत्र ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करता है और जहां भी इसे रखा जाता है, वहां की वायुमंडलीय ऊर्जा सकारात्मक हो जाती है।
श्री यंत्र (Shri Yantra) के साथ क्या रखें?
श्री यंत्र के साथ निम्न वस्तुएँ रखें:
- गोल्डन या सिल्वर लक्ष्मी प्रतिमा
- दक्षिणावर्ती शंख
- कमलगट्टा की माला
- लाल या पीला कपड़ा
- श्रीसूक्त की पुस्तक
इन सभी वस्तुओं के साथ श्री यंत्र की उपासना से लक्ष्मी कृपा अधिक फलदायक होती है।
श्री यंत्र (Shri Yantra) से जुड़ी मान्यताएं और किंवदंतियाँ
- कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने सबसे पहले श्री यंत्र को “चैतन्य यंत्र” घोषित किया था।
- राजा भोज और राजा विक्रमादित्य ने अपने दरबार में श्री यंत्र की पूजा से अपार धन संपत्ति अर्जित की।
- तांत्रिक मान्यता अनुसार, श्री यंत्र के बिना कोई भी महालक्ष्मी साधना पूर्ण नहीं मानी जाती।
क्या श्री यंत्र (Shri Yantra) सच में चमत्कारी है?
यदि श्रद्धा, विश्वास और विधिपूर्वक पूजा की जाए, तो श्री यंत्र अवश्य चमत्कारी परिणाम देता है। यह केवल धन यंत्र नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति का भी मार्ग है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
श्री यंत्र (Shri Yantra) को किस धातु में सबसे शुभ माना जाता है?
सोने या तांबे में बना श्री यंत्र सबसे शुभ और प्रभावी माना जाता है।
क्या श्री यंत्र को आम व्यक्ति भी स्थापित कर सकता है?
हाँ, सही विधि और मंत्रों के साथ कोई भी श्रद्धालु श्री यंत्र स्थापित कर सकता है।
श्री यंत्र को कब साफ करें?
हर शुक्रवार या विशेष अवसरों पर गंगाजल से हल्के हाथों से शुद्ध करें।
क्या श्री यंत्र को घर के मंदिर में रखा जा सकता है?
हाँ, लेकिन ध्यान रहे पूर्व या ईशान कोण में ही रखें।
श्री यंत्र को हटाना
हो तो क्या करें?
किसी पवित्र जल में विसर्जन कर दें और शुद्ध स्थान पर नया श्री यंत्र स्थापित करें।
श्री यंत्र (Shri Yantra) की स्थापना कैसे करें – चमत्कारी विधि (FAQS)
1. श्री यंत्र (Shri Yantra) क्या है?
श्री यंत्र एक दिव्य ज्यामितीय यंत्र है, जिसे महालक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। यह धन, सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करता है।
2. श्री यंत्र (Shri Yantra) की स्थापना कब करें?
सबसे शुभ समय दीपावली, अक्षय तृतीया, नवरात्रि या शुक्रवार (विशेषकर पूर्णिमा) को होता है। न मिल सके तो शुक्रवार के दिन ब्रह्ममुहूर्त में भी स्थापना कर सकते हैं।
3. श्री यंत्र (Shri Yantra) कहां रखें?
पूर्व दिशा या ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में रखें। जमीन पर न रखें, बल्कि लकड़ी की चौकी पर लाल या पीले कपड़े पर रखें।
4. श्री यंत्र (Shri Yantra) की स्थापना के लिए कौन-सी सामग्री चाहिए?
गंगाजल, लाल कपड़ा, पंचामृत, दीपक, फूल, अक्षत, चंदन, हल्दी, रोली, कपूर, अगरबत्ती आदि आवश्यक होते हैं।
5. श्री यंत्र (Shri Yantra) को कैसे शुद्ध करें?
गंगाजल से धोकर पंचामृत स्नान कराएं, फिर साफ जल से धोकर कपड़े से पोंछें। इसके बाद पूजा के लिए तैयार करें।
6. श्री यंत्र पर कौन-सा मंत्र पढ़ें?
मुख्य मंत्र है:
“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः” – 108 बार जाप करें।
7. क्या श्री यंत्र को सिद्ध करना जरूरी है?
हाँ, अगर आप चमत्कारी फल चाहते हैं तो मंत्र जाप द्वारा 11 दिनों तक सिद्ध करना उत्तम होता है।
8. श्री यंत्र की पूजा कौन कर सकता है?
कोई भी श्रद्धालु व्यक्ति, पुरुष या महिला, जो शुद्धता और नियमों का पालन करता हो, इसकी पूजा कर सकता है।
9. क्या श्री यंत्र को मंदिर में रखा जा सकता है?
हाँ, श्री यंत्र को घर के मंदिर में रखा जा सकता है, लेकिन उसे साफ और ऊर्जावान बनाए रखना जरूरी है।
10. क्या श्री यंत्र से वास्तु दोष ठीक हो सकता है?
जी हाँ, श्री यंत्र नकारात्मक ऊर्जा और वास्तु दोष को समाप्त करने की अद्भुत शक्ति रखता है।
11. क्या श्री यंत्र के साथ लक्ष्मी मूर्ति रखना चाहिए?
यदि संभव हो तो श्री यंत्र के साथ लक्ष्मी जी की प्रतिमा, दक्षिणावर्ती शंख और कमलगट्टा की माला भी रखें।
12. क्या महिलाएं श्री यंत्र की पूजा कर सकती हैं?
हाँ, महिलाएं भी पूजा कर सकती हैं, लेकिन मासिक धर्म के दौरान इससे दूरी बनाना चाहिए।
13. श्री यंत्र को कैसे साफ रखें?
हर शुक्रवार या विशेष तिथि पर गंगाजल या गुलाब जल से हल्के हाथों से साफ करें और चंदन या फूल अर्पित करें।
14. यदि श्री यंत्र टूट जाए या खराब हो जाए तो क्या करें?
टूटे या अशुद्ध यंत्र को गंगाजल या नदी में विसर्जित करें और नया यंत्र शुद्ध विधि से स्थापित करें।
15. क्या श्री यंत्र सच में चमत्कारी है?
हाँ, यदि इसे श्रद्धा, नियम और सही विधि से स्थापित किया जाए, तो यह अद्भुत चमत्कारिक लाभ देता है – जैसे धन वृद्धि, मानसिक शांति और जीवन में उन्नति।