संपूर्ण लक्ष्मी पूजन विधान
पूजन एक निश्चित प्रक्रिया है। यदि बाह्य क्रियाओं के साथ भावों मे तदनुसार परिवर्तन हो, तो पूजन से होने वाला लाभ और भी सुनिश्चित और सकता है। पूजन की इन प्रक्रियाओं की गहराई को जानने के लिए आवश्यक की उनमे प्रयुक्त पारिभाषिक शब्दाबली को सही प्रकार से समझा जाए।
सर्वप्रथम पूर्वाभिमुख अथवा उत्तराभिमुख हो आचमन, पवित्रीधारण, मार्जन-प्राणायाम कर अपने ऊपर तथा पूजा-सामग्री पर निम्न मंत्र पढ़कर जत्न
छिड़कें–
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।।
आसन शुद्धि और स्वस्ति-पाठ कर हाथ में जल-अक्षतादि लेकर पूजन का संकल्प करें।
विष्णु: मासोत्तोममासे कार्तिकमासे कृष्णपक्षे पुण्यायाममावास्यायां तिथौ अमुक वासरे अमुक गोत्रोत्पन्न: अमुक नाम शर्मा (वर्मा, गुप्ता, दास जो नाम हो) अहं अतिस्मृतिपुराणोक्त- फलावाप्तिकामनया ज्ञाताज्ञातक़ायिकवाचिक मानसिक सकलपाप निवृत्तिपू्वक स्थिरलक्ष्मीप्राप्तये श्रीमहालक्ष्मीप्रीत्यर्थ महालक्ष्मी पूजनं कुबेरादीनाम च पूजनं करिष्ये । तदडगत्वेन गौरीगणपत्यादियूजनं च करिष्ये ।
यह संकल्प वाक्य पढ़कर जलाक्षतादि गणेशजी के समीप छोड़ दे । सर्वप्रथम गणेशजी का पूजन करें। गणेश पूजन से पूर्व उस नवीन प्रतिमा का निम्न रीति से प्राण-प्रतिष्ठा कर लीजिये ।
बाएं हाथ में अक्षत लेकर निम्न मंत्रों को पढ़ते हुए दाहिने हाथ से उन अक्षतों को गणेशजी की प्रतिमा पर छोड़ते जाए–
ॐ मनो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं यज्ञ समिम॑ दधातु।
विश्वे देवास इह मादयन्तामोउम्प्रतिष्ठ।
ॐ अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्थै प्राणाः क्षरन्तु च।
अस्थै देवत्वमर्चायै मामहेति च कश्चन ।।
इस प्रकार प्रतिष्ठा कर भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें| उसके बाद नवग्रह षोडशमातृका तथा कलश पूजन करें। इसके बाद प्रधान-पूजा में भगवती महालक्ष्मी का पूजन करें। पूजन से पूर्व नूतन प्रतिमा तथा द्रव्यलक्ष्मी को “ॐ मनो जूति.” तथा “अस्थै प्राणाः” इत्यादि मंत्र पढ़कर पूर्वोक्त रीति से प्राण-प्रतिष्ठा कर लें। सर्वप्रथम भगवती महालक्ष्मी का हाथ में पुष्प लेकर इस प्रकार ध्यान
करें–
या सा पद्मासनस्था विपुलकटितटी पद्मपत्रायताक्षी,
गम्भीरावर्तनाभिस्तनभनमिता शुभ्रवस्त्रोत्तरीया।
या लक्ष्मीदिव्यरूपैर्मणिगणखचितैः स्नापिता हेमकुम्भै:,
सा नित्यं पद्महस्ता मम वसतु गृहे सर्वमांगल्ययुक्ता ।।
ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजामू।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह।।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः। यानार्थे पुष्पाणि समर्पयामि।
ध्यान के लिए पुष्प अर्पित करें। ।
सर्वलोकस्य जननीं सर्वसौख्यप्रदायिनीम्।
सर्वदेवमयीमीशां देवीमावाहयाम्यहमू।।
ॐ तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम।
यस्यां हिरष्यं विन्देयं गामश्व॑ पुरुषानह्॥
ॐ महालक्षम्ये नमः। महालक्ष्मीमावाहयामि, आवाहनार्थ पुष्पाणि समर्पयामि ।
आवाहन के लिए पुष्प अर्पित करें।
तप्तकाञ्चनवर्णाभं मुक्तामणिविराजितम् विराजितमू
अमलं कमलं दिव्यमासन प्रतिगृह्यताम।।
ॐ अश्वपूर्वां रथम यां हस्तिनादप्रमोदिनीम |
श्रियं देवीमुपह्वये श्रीमां देवी जुषताम्।।
ॐ महालक्ष्ये नमः। आसन समर्पयामि।
आसन के लिए कमल के पुष्प या अन्य पुष्प अर्पण करें।
गंगादितीर्थसम्भूतं गन्थपुष्पादिभिर्युतम् ।
पाधं ददाम्यहं देवि ग्रृहणाशु नमोऽस्तुते।।
ॐ कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामाद्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम।
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम् ।।
ॐ महालक्ष्म्ये नमः । पादयो: पाद्यं समर्पयामि।
चन्दन, पुष्पादि युक्त जल अर्पित करें।
अष्टगन्थसमायुक्तं स्वर्णपात्रप्रपूरितम्।
अर्ध्य गृहाण मद्दत्तं महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ।।
ॐ चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम।
ता पद्मनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीमें नश्यतां त्वां वृणे।।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः। हस्तयोरध्यं समर्पयामि।
अष्टगन्ध मिश्रित जल अर्ध्यपात्र से देवी के हाथों में दें ।
सर्वलोकस्य या शक्तिब्रह्माविष्ण्वादिभि: स्तुता।
ददाम्याचमन॑ तस्यै महालक्ष्मये मनोहरम् ।।
ॐ आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽबिल्व: ।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु माया अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मी:।।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः नमः। आचमनीयं जलं समर्पयामि।
आचमन के लिए जल चढ़ाएँ।
स्नान के लिये जल अर्पित कीजिये ।
स्नानान्ते आचमनीयं जलंसमर्पयामि
स्नान के बाद ॐ महालाक्ष्म्यै नमः ऐसा उच्चारण करके आचमन के लिये जल अर्पित कीजिये ।
गौ (गाय) के कच्चे दूध से स्नान करायें , इसके पश्चात शुद्ध जल से स्नान करायें।
दही से स्नान करायें , इसके पश्चात शुद्ध जल से स्नान करायें।
घृत (घी) से स्नान करायें , इसके पश्चात शुद्ध जल से स्नान करायें।
मधु ( शहद) स्नान से स्नान करायें , इसके पश्चात शुद्ध जल से स्नान करायें।
शर्करा (शक्कर) से स्नान करायें , इसके पश्चात शुद्ध जल से स्नान करायें।
मिश्रित पंचामृत से निम्न मंत्र से स्नान करायें।
पंचामृत से स्नान करायें , इसके पश्चात शुद्ध जल से स्नान करायें।
यदि अभिषेक करना चाहते हों तो शुद्ध जल या दूध से श्री सूक्त का पाठ करते हुये अखण्ड जल धरा से अभिषेक कीजिये ।
गंध (चन्दन) से स्नान करायें।
गंगाजल / शुद्ध जल से स्नान कराएँ , प्रतिमा को साफ़ वस्त्र से पोछकर प्रतिमा को आसान पर स्थापित करें और निम्न विधि द्वारा पूजन करें ।
शुद्धोदक स्नान के पश्चात ॐ महालक्षम्ये नमः ऐसा कहकर आचमनी से जल अर्पित कीजिये ।
वस्त्र अर्पित करें तत्पश्चात आचमनीय जल अर्पित कीजिये।
कंचुकी आदि वस्त्र चढ़ाएं , आचमनीय जल अर्पित कीजिये।
कांस्य पात्र में मधुपर्क समर्पित करके आचमनीय जल अर्पित कीजिये।
आभूषण अर्पित कीजिये।
अनामिका अँगुली से केसरादि मिश्रित चन्दन अर्पित कीजिये।
अनामिका अँगुली से रक्त चन्दन अर्पित कीजिये।
माँ लक्ष्मी को सिन्दूर अर्पित कीजिये।
माँ लक्ष्मी को कुंकुम अर्पित कीजिये।
माँ लक्ष्मी को सुगन्धित तेल एवं इत्र अर्पित कीजिये।
Lottery Sambad Dear TOUCAN Sunday Weekly Result – 21 September 2025 The much-awaited Lottery Sambad…
Lottery Sambad Dear VIXEN Sunday Weekly Result – 21 September 2025 Check the official Lottery…
Official Kerala Lottery Results for 21-09-2025 - Samrudhi Lottery Result (SM-21) Draw Kerala Lottery 21-09-2025…
How Kerala Lottery Began in 1967—and Evolved to 2025: A Complete History with Rules, Taxes…
Lottery Sambad DEAR Yamuna Sunday Result — 21 September 2025: 1st Prize Ticket 76A 46286…
Kerala Lottery vs Lottery Sambad (2025-2026): Legality, Taxes, Prize Claims & Payouts Explained If you’ve…