नवरात्रि में इन धार्मिक ग्रंथों (Religious Scriptures) का पाठ करेगा हर संकट का नाश! जानें सही विधि और महत्व
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। इस पावन अवसर पर धार्मिक ग्रंथों (Religious Scriptures) का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। नवरात्रि में पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में शांति एवं समृद्धि आती है। इस लेख में हम जानेंगे कि नवरात्रि में कौन-कौन से विशेष ग्रंथ पढ़े जाते हैं, उनकी विधि क्या है और उनका महत्व क्यों है।
धार्मिक ग्रंथों का पाठ नवरात्रि में विशेष रूप से शुभ माना जाता है। यह पाठ मन को शुद्ध करता है, घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है और भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण करता है। ऐसा कहा जाता है कि नवरात्रि में माँ दुर्गा स्वयं धरती पर वास करती हैं, इसलिए इस समय किए गए पाठ और साधना का विशेष फल मिलता है। धार्मिक ग्रंथों के पाठ से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
इन ग्रंथों के पाठ से धार्मिक ज्ञान भी बढ़ता है, जो व्यक्ति को सही मार्ग दिखाने में सहायक होता है। प्रत्येक ग्रंथ का अपना विशेष महत्व और प्रभाव होता है, जो व्यक्ति की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। इसलिए, नवरात्रि के दौरान विशेष ग्रंथों का पाठ अवश्य करना चाहिए।
देवी भागवत महापुराण नवरात्रि में सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। यह माँ दुर्गा की महिमा, उनके चमत्कार और भक्तों की रक्षा के लिए किए गए कार्यों का वर्णन करता है।
दुर्गा सप्तशती को चंडी पाठ भी कहा जाता है और यह सप्तशती के 700 श्लोकों का संग्रह है। यह ग्रंथ नवरात्रि के दौरान सबसे अधिक पढ़ा जाता है।
रामचरितमानस तुलसीदास द्वारा रचित एक महान ग्रंथ है, जिसे नवरात्रि में पढ़ने से शांति और समृद्धि मिलती है।
श्रीमद्भगवद्गीता न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है बल्कि जीवन को सही दिशा देने वाली एक अमूल्य गीता भी है। नवरात्रि में इसका पाठ करने से मनोबल बढ़ता है और सही निर्णय लेने की शक्ति मिलती है।
श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करना बेहद आसान और प्रभावी होता है। यह 40 छंदों का संग्रह है, जिसमें माँ दुर्गा की महिमा का वर्णन किया गया है।
ललिता सहस्रनाम में माँ ललिता (दुर्गा का एक रूप) के 1000 नामों का वर्णन किया गया है। इसे पढ़ने से शक्ति और साहस मिलता है।
नवरात्रि के दौरान धार्मिक ग्रंथों का पाठ करने से आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है, जीवन की समस्याएँ दूर होती हैं और मन को शांति मिलती है। माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए इन ग्रंथों का विधिपूर्वक पाठ करना चाहिए। चाहे दुर्गा सप्तशती हो, श्रीमद्भगवद्गीता हो या रामचरितमानस, सभी ग्रंथों में जीवन को सही दिशा देने की शक्ति होती है। इस नवरात्रि, इन ग्रंथों का पाठ करें और अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर दें!
नवरात्रि में धार्मिक ग्रंथों का पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
नवरात्रि में मुख्य रूप से दुर्गा सप्तशती, देवी भागवत महापुराण, श्रीरामचरितमानस, भगवद्गीता, दुर्गा चालीसा और ललिता सहस्रनाम का पाठ किया जाता है।
दुर्गा सप्तशती का पाठ सुबह या शाम को स्नान करके, दीप जलाकर और शुद्ध उच्चारण के साथ करना चाहिए। नौ दिनों तक इसका पाठ करना शुभ माना जाता है।
इसका पाठ करने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है, कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
हाँ, श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ने से मन को शांति मिलती है, सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है और व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनता है।
रामचरितमानस का पाठ करने से धैर्य और संयम बढ़ता है, परिवार में शांति बनी रहती है और नकारात्मकता दूर होती है।
हाँ, ललिता सहस्रनाम के 1000 नामों का पाठ करने से शक्ति, साहस और आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।
दुर्गा चालीसा का पाठ सुबह और शाम को शुद्ध मन से करें, दीप जलाएं और पाठ के बाद प्रसाद चढ़ाएं।
हाँ, हनुमान चालीसा का पाठ करने से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं और साहस व आत्मविश्वास बढ़ता है।
हाँ, विष्णु सहस्रनाम पढ़ने से शुभ फल मिलता है और व्यक्ति को धार्मिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।
सुबह ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे) और शाम संध्या समय (6-8 बजे) धार्मिक ग्रंथों के पाठ के लिए सबसे शुभ माने जाते हैं।
हाँ, महिलाएँ भी श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए नवरात्रि में धार्मिक ग्रंथों का पाठ कर सकती हैं।
नहीं, लेकिन हवन करने से पाठ का प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है, इसलिए इसे करना शुभ माना जाता है।
अगर संपूर्ण दुर्गा सप्तशती पढ़ना संभव न हो, तो केवल अर्गला स्तोत्र, कीलक स्तोत्र और कवच का पाठ भी किया जा सकता है।
नवरात्रि में फल, मिठाई, पंचामृत, नारियल और हलवा-पूड़ी का प्रसाद चढ़ाना शुभ माना जाता है।
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