नवरात्रि व्रत: (Navratri Fasting) आस्था या विज्ञान? जानिए चौंकाने वाले फायदे!
नवरात्रि भारत के प्रमुख पारंपरिक और आध्यात्मिक त्योहारों में से एक है। इस दौरान लोग माँ दुर्गा की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, व्रत रखने से मन और आत्मा की शुद्धि होती है, लेकिन इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण भी छिपे हुए हैं। इस लेख में हम नवरात्रि के व्रत (Navratri Fasting) से होने वाले शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक फायदों को विस्तार से समझेंगे।
नवरात्रि साल में दो बार मनाई जाती है—चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। इन नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में व्रत को आध्यात्मिक साधना का एक हिस्सा माना जाता है, जिससे व्यक्ति का मन शांत और आत्मा शुद्ध होती है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, व्रत रखने से पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। यह भी कहा जाता है कि नवरात्रि के दौरान व्रत रखने से सौभाग्य, सफलता और सुख-समृद्धि आती है।
व्रत के दौरान लोग सात्त्विक आहार लेते हैं, जिसमें फल, सब्जियां, साबूदाना, सिंघाड़ा आटा, राजगिरा, दूध, दही, मखाना आदि शामिल होते हैं। इन पदार्थों का सेवन करने से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है और शरीर में टॉक्सिन्स नहीं जमा होते।
व्रत के दौरान तेज मसाले, लहसुन, प्याज, मैदा और तली-भुनी चीजों से बचा जाता है, जिससे शरीर डिटॉक्स होता है। यह पाचन तंत्र को आराम देता है और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाता है।
व्रत रखने से शरीर को अवांछित तत्वों (toxins) को बाहर निकालने का अवसर मिलता है। जब हम हल्का और प्राकृतिक भोजन खाते हैं, तो लीवर, किडनी और पेट को आराम मिलता है और शरीर डिटॉक्सिफाई होता है।
नवरात्रि व्रत में हल्का भोजन लेने से पाचन क्रिया बेहतर होती है। यह एसिडिटी, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।
व्रत के दौरान कम कैलोरी वाला और फाइबर युक्त भोजन लेने से वजन नियंत्रित रहता है। यह मोटापा घटाने और मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में मदद करता है।
व्रत सिर्फ शरीर को नहीं, बल्कि मन को भी शुद्ध करता है। जब हम हल्का और पौष्टिक भोजन लेते हैं, तो मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है।
व्रत के दौरान ध्यान और भजन-कीर्तन करने से तनाव कम होता है और व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है।
सात्त्विक भोजन और व्रत रखने से नेगेटिव विचार कम होते हैं और सकारात्मकता बढ़ती है।
व्रत रखने से शरीर में ऑटोफैगी प्रक्रिया सक्रिय होती है, जो पुरानी और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को हटाकर नई कोशिकाओं को विकसित करने में मदद करती है।
व्रत के दौरान हल्का और पौष्टिक आहार लेने से रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) बढ़ती है। इससे शरीर को बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है।
व्रत करने से शरीर में ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है, जिससे डायबिटीज का खतरा कम होता है।
कम तला-भुना और प्राकृतिक भोजन लेने से खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) कम होता है और अच्छा कोलेस्ट्रॉल (HDL) बढ़ता है।
व्रत के दौरान नमक का सेवन कम करने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या कम होती है।
व्रत करने से शरीर की मेटाबॉलिक प्रक्रिया तेज होती है, जिससे पाचन क्रिया सुधरती है और ऊर्जा का स्तर बढ़ता है।
नवरात्रि व्रत के दौरान शरीर जमे हुए फैट को ऊर्जा में बदलता है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है।
व्रत से शरीर में इंसुलिन और अन्य हॉर्मोन संतुलित रहते हैं, जिससे शरीर स्वस्थ रहता है।
व्रत के दौरान हम भोजन और इच्छाओं पर नियंत्रण रखते हैं, जिससे आत्म-संयम बढ़ता है।
व्रत के साथ ध्यान करने से आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है और मन शांत रहता है।
नवरात्रि का व्रत सिर्फ धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी फायदेमंद है। यह शरीर को डिटॉक्स करने, पाचन तंत्र सुधारने, इम्यूनिटी बढ़ाने और मानसिक शांति पाने का बेहतरीन तरीका है। यदि व्रत को सही तरीके से किया जाए, तो यह स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति दोनों में मदद करता है।
नवरात्रि में व्रत रखने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। यह आध्यात्मिक साधना का हिस्सा माना जाता है, जिससे मन की शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
व्रत करने से शरीर डिटॉक्स होता है, पाचन तंत्र को आराम मिलता है, और इम्यूनिटी मजबूत होती है। यह शरीर को बीमारियों से लड़ने में भी मदद करता है।
व्रत में सात्त्विक भोजन लिया जाता है, जैसे साबूदाना, फल, दूध, दही, मखाना, सिंघाड़ा आटा और नट्स। तली-भुनी चीजों और मसालों से बचा जाता है।
सही तरीके से व्रत करने से वजन कम हो सकता है क्योंकि शरीर जमे हुए फैट को ऊर्जा में बदलता है। लेकिन अत्यधिक मीठा या तला-भुना खाने से वजन बढ़ सकता है।
हाँ, हल्का भोजन लेने से पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है और कब्ज, गैस, अपच जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।
डायबिटीज मरीज व्रत रख सकते हैं, लेकिन उन्हें कम शुगर वाले फल, नट्स और दही का सेवन करना चाहिए और लंबे समय तक भूखा नहीं रहना चाहिए।
व्रत के दौरान प्राकृतिक और पौष्टिक आहार लेने से शरीर को जरूरी एंटीऑक्सीडेंट्स और पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
हाँ, कम तला-भुना खाने और प्राकृतिक आहार लेने से कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होता है, जिससे हृदय स्वस्थ रहता है।
बिल्कुल! व्रत रखने से मन को शांति मिलती है, एकाग्रता बढ़ती है और तनाव कम होता है। ध्यान और पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा भी मिलती है।
हाँ, पर्याप्त पानी पीना बहुत जरूरी है ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे और कमजोरी न महसूस हो।
अगर कोई स्वस्थ है, तो वह व्रत रख सकता है। लेकिन बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को हल्का आहार लेना चाहिए और लंबे समय तक भूखा नहीं रहना चाहिए।
हाँ, व्रत के दौरान शुद्ध और पौष्टिक भोजन लेने से त्वचा पर ग्लो आता है और त्वचा संबंधी समस्याएं कम होती हैं।
अगर सही तरीके से व्रत किया जाए, तो ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है। लेकिन लंबे समय तक भूखे रहने या ज्यादा मीठा खाने से ब्लड शुगर बढ़ सकता है।
व्रत के दौरान क्रोध, झूठ बोलना, मांसाहार, नशा, लहसुन-प्याज खाना और नकारात्मक सोच से बचना चाहिए।
हाँ, व्रत रखने से व्यक्ति खुद पर नियंत्रण रखना सीखता है, जिससे आत्म-संयम और अनुशासन बढ़ता है।
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