नवरात्रि (Navratri) में देवी के 9 स्वरूप और विशेष योग इन संयोगों से मिलेगा अटूट शुभफल!
नवरात्रि (Navratri) हिंदू धर्म का एक पवित्र पर्व है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। यह पर्व चंद्रमा के विशेष योगों से प्रभावित होता है, जिससे हर दिन का महत्व अलग होता है। इस दौरान ग्रहों, नक्षत्रों और योगों का विशेष संयोग बनता है, जो साधना, उपासना और सिद्धियों को प्रभावी बनाता है।
इस लेख में हम नवरात्रि के प्रत्येक दिन बनने वाले शुभ योगों और उनके प्रभावों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। यदि आप इन योगों के अनुसार पूजा-पाठ करते हैं, तो आपको देवी का आशीर्वाद अधिक प्रभावशाली रूप से प्राप्त होगा।
माँ शैलपुत्री नवरात्रि के पहले दिन पूजी जाती हैं। इस दिन चंद्रमा की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है। यदि इस दिन शुक्ल या कृष्ण पक्ष के विशेष नक्षत्रों का संयोग बने, तो यह शुभ माना जाता है।
इस दिन सफेद और लाल वस्त्र धारण करना शुभ होता है। माँ शैलपुत्री की पूजा में चंद्रमा से संबंधित सामग्री जैसे दूध, सफेद फूल और चावल अर्पित करें।
माँ ब्रह्मचारिणी को तपस्या और संयम की देवी माना जाता है। यह दिन साधना और आत्मशुद्धि के लिए महत्वपूर्ण होता है।
इस दिन पीले या सफेद वस्त्र पहनना शुभ होता है। चंद्रमा से संबंधित उपाय करने से मन को शांति मिलती है।
माँ चंद्रघंटा की उपासना शक्ति, साहस और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने के लिए की जाती है। इस दिन विशेष संयोग बनने पर देवी की कृपा अधिक प्रभावशाली होती है।
इस दिन सुनहरे या लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है। देवी को गुड़ और दूध से बनी मिठाई अर्पित करें।
माँ कूष्मांडा को सूर्य ऊर्जा की देवी माना जाता है। यह दिन सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए उपयुक्त होता है।
इस दिन नारंगी या हरे वस्त्र पहनना शुभ होता है। देवी को कद्दू, नारंगी और मिश्री का भोग लगाएं।
माँ स्कंदमाता की पूजा करने से बुद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
इस दिन पीले या गुलाबी वस्त्र पहनना शुभ होता है। देवी को केसर और केले का भोग अर्पित करें।
माँ कात्यायनी की पूजा से शत्रु बाधा, विवाह दोष और करियर समस्याएं दूर होती हैं।
इस दिन लाल या गुलाबी वस्त्र पहनें और देवी को शहद और अनार अर्पित करें।
माँ कालरात्रि की पूजा से भय, शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
इस दिन काले या नीले वस्त्र पहनें और देवी को काले तिल और गुड़ का भोग लगाएं।
माँ महागौरी की पूजा से मन की शांति, विवाह और धन प्राप्ति होती है।
इस दिन सफेद वस्त्र पहनें और देवी को खीर और नारियल का भोग अर्पित करें।
माँ सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों को देने वाली देवी हैं।
इस दिन बैंगनी या गुलाबी वस्त्र पहनें और देवी को कमल और चने का भोग अर्पित करें।
नवरात्रि में देवी की पूजा के साथ यदि इन विशेष योगों का ध्यान रखा जाए, तो साधना का फल कई गुना बढ़ जाता है। ग्रहों और नक्षत्रों के सही संयोग से मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। इसलिए, नवरात्रि के दौरान पूजा करते समय इन शुभ योगों का ध्यान जरूर रखें।Clickbait Title: “नवरात्रि में देवी के 9 स्वरूप और विशेष योग: इन संयोगों से मिलेगा अटूट शुभफल!”
नवरात्रि में अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थसिद्धि योग, रवि योग, सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग जैसे शुभ योग बन सकते हैं, जो पूजा-पाठ के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं।
हाँ, नवरात्रि के प्रत्येक दिन ग्रहों और नक्षत्रों की चाल के अनुसार अलग-अलग योग बनते हैं, जो पूजा के प्रभाव को बढ़ाते हैं।
पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा होती है, और इस दिन अक्सर सर्वार्थसिद्धि योग या शुभ योग बनते हैं, जो नए कार्यों के लिए शुभ माने जाते हैं।
यदि इस दिन सिद्धि योग या गुरु पुष्य योग बनता है, तो यह ध्यान और आत्मशुद्धि के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।
यदि इस दिन रवि योग या अमृत सिद्धि योग बन जाए, तो नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और आत्मबल बढ़ता है।
यदि इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग बने, तो यह आर्थिक समृद्धि और सफलता दिलाने वाला होता है।
यदि इस दिन गजकेसरी योग बने, तो यह बुद्धिजीवियों और छात्रों के लिए शुभ होता है।
अगर इस दिन गुरु पुष्य योग हो, तो यह विवाह, करियर और शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है।
यदि इस दिन शनि-मंगल शुभ स्थिति में हों और राहु-केतु दोष निवारण योग बने, तो यह शत्रु बाधा से मुक्ति दिलाने वाला होता है।
अगर इस दिन रवि योग या चंद्रमा शुभ स्थिति में हो, तो यह सौभाग्य और सुख-शांति को बढ़ाता है।
अगर इस दिन अमृत सिद्धि योग या गजकेसरी योग बने, तो यह आध्यात्मिक उन्नति और समृद्धि प्रदान करता है।
नहीं, योग ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार हर वर्ष बदलते रहते हैं।
हाँ, यदि कोई भक्त नवरात्रि में श्रद्धा और विधिपूर्वक देवी की आराधना करता है, तो वह इन योगों का सकारात्मक प्रभाव प्राप्त कर सकता है।
नहीं, देवी की भक्ति और सच्ची आस्था सबसे महत्वपूर्ण होती है, लेकिन शुभ योगों में पूजा करने से लाभ अधिक मिलता है।
इन योगों का सही लाभ लेने के लिए सही मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत और मंत्र जप का पालन करें और देवी की कृपा प्राप्त करें।
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