नवरात्रि (Navratri) में इन 9 फलों का चढ़ावा लाएगा देवी की विशेष कृपा – जानें कौन-सा फल किस दिन चढ़ाएं!
नवरात्रि (Navratri) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान श्रद्धालु व्रत रखते हैं और माता को विभिन्न भोग अर्पित करते हैं। नवरात्रि में फलों का विशेष महत्व होता है, क्योंकि ये न केवल स्वास्थ्यवर्धक होते हैं बल्कि देवी को प्रसन्न करने के लिए भी उपयोग किए जाते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि नवरात्रि के 9 दिनों में कौन-कौन से फल चढ़ाने चाहिए और उनका क्या महत्व है।
पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा होती है, जो पवित्रता और शक्ति की प्रतीक हैं। माता को सेब चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है।
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, जो तपस्या और संयम की देवी मानी जाती हैं। उन्हें केला चढ़ाना विशेष फलदायी होता है।
तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है, जो साहस और शौर्य की प्रतीक मानी जाती हैं। उन्हें अनार चढ़ाना शुभ होता है।
मां कूष्मांडा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। इन्हें ऊर्जा और ब्रह्मांड की रचना करने वाली शक्ति माना जाता है।
पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जो संतान सुख और कल्याण की देवी मानी जाती हैं।
छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है, जो प्रेम और विवाह की देवी मानी जाती हैं।
सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है, जो नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों को दूर करने वाली देवी मानी जाती हैं।
आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है, जो शुद्धता और सौंदर्य की देवी हैं।
नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है, जो सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली देवी मानी जाती हैं।
नवरात्रि में विशेष रूप से फलों का भोग लगाने से देवी प्रसन्न होती हैं और उनकी असीम कृपा प्राप्त होती है। यदि आप सही दिन सही फल अर्पित करते हैं, तो आपको अध्यात्मिक और भौतिक लाभ दोनों मिल सकते हैं।
नवरात्रि में फल चढ़ाने से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद मिलता है। फल शुद्धता और भक्ति का प्रतीक होते हैं।
नहीं, हर दिन के अनुसार विशेष फल चढ़ाने की परंपरा होती है, जो देवी के अलग-अलग रूपों को समर्पित होते हैं।
पहले दिन माता शैलपुत्री को सेब चढ़ाने से सकारात्मक ऊर्जा और स्वास्थ्य का लाभ मिलता है।
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को केला चढ़ाने से धैर्य, संयम और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
तीसरे दिन मां चंद्रघंटा को अनार चढ़ाने से शक्ति और मानसिक शांति मिलती है।
चौथे दिन मां कूष्मांडा को संतरा चढ़ाने से ऊर्जा और सेहत अच्छी रहती है।
पांचवें दिन मां स्कंदमाता को नारियल चढ़ाने से संतान सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
छठे दिन मां कात्यायनी को अंगूर चढ़ाने से वैवाहिक जीवन में सुख और प्रेम बढ़ता है।
सातवें दिन मां कालरात्रि को अमरूद चढ़ाने से नकारात्मक ऊर्जा और शत्रु बाधाएं दूर होती हैं।
आठवें दिन मां महागौरी को पपीता चढ़ाने से शरीर शुद्ध और रोग मुक्त रहता है।
नौवें दिन मां सिद्धिदात्री को बेर चढ़ाने से आध्यात्मिक और भौतिक सफलता मिलती है।
हाँ, माता को चढ़ाए गए फल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
हाँ, यदि श्रद्धा और विश्वास के साथ माता को फल अर्पित किए जाएं, तो मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।
हाँ, नवरात्रि के दौरान व्रतधारी लोग इन फलों का सेवन कर सकते हैं, जिससे ऊर्जा और स्वास्थ्य बना रहता है।
हाँ, हर देवी के अनुसार उनके पसंदीदा रंग के फल चढ़ाने से अधिक सकारात्मक प्रभाव मिलता है, जैसे लाल सेब, पीला केला, संतरा, हरा अंगूर आदि।
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