नवरात्रि में नवचंडी यज्ञ (Navchandi Yagya) कैसे करें? सही दिन, विधि और चमत्कारी लाभ जानें!
नवचंडी यज्ञ (Navchandi Yagya) हिन्दू धर्म में एक शक्तिशाली और पवित्र अनुष्ठान माना जाता है। इसे विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान किया जाता है, जब देवी दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस यज्ञ में चंडी पाठ यानी दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है और अंत में हवन किया जाता है।
यह यज्ञ संकटों को दूर करने, नकारात्मक ऊर्जा समाप्त करने और समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता है। कहा जाता है कि इस यज्ञ को करने से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में शांति एवं सफलता आती है।
इस यज्ञ को करने से राहु-केतु, शनि दोष और दुष्ट शक्तियों का प्रभाव कम हो जाता है। विशेष रूप से, यदि जीवन में विघ्न-बाधाएं, अचानक समस्याएं या नौकरी-व्यवसाय में रुकावटें आ रही हैं, तो यह यज्ञ बहुत प्रभावी होता है।
नवरात्रि के नौ दिनों में किसी भी दिन नवचंडी यज्ञ किया जा सकता है, लेकिन सबसे उत्तम दिन अष्टमी और नवमी माने जाते हैं। इन दिनों में देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
चैत्र और शारदीय नवरात्रि में इसे करने का विशेष महत्व होता है। अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में कोई विशेष इच्छा पूरी करना चाहता है, तो उसे महानिशा काल या संध्याकाल में यज्ञ करना चाहिए।
अगर किसी को राहु-केतु या शनि दोष से पीड़ित हैं, तो उन्हें रवि योग, अमृत योग या सर्वार्थ सिद्धि योग में नवचंडी यज्ञ करना चाहिए। इससे राशियों पर ग्रहों के बुरे प्रभाव कम हो जाते हैं और जीवन में सकारात्मकता आती है।
अगर आप पूरी विधि जानते हैं, तो यह यज्ञ घर पर भी किया जा सकता है। लेकिन अगर आप मंत्र उच्चारण और प्रक्रिया में निपुण नहीं हैं, तो ब्राह्मण की सहायता अवश्य लें।
आजकल ऑनलाइन नवचंडी यज्ञ की सुविधा भी उपलब्ध है, जहां विद्वान पंडित दूरस्थ पूजा करवाते हैं।
नवचंडी यज्ञ (Navchandi Yagya) न केवल देवी शक्ति को प्रसन्न करता है, बल्कि सभी प्रकार की समस्याओं का निवारण भी करता है। नवरात्रि में इसे करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। अगर आप चाहते हैं कि आपका जीवन खुशहाल और बाधारहित हो, तो इस यज्ञ को अवश्य करें।
नवचंडी यज्ञ एक विशेष हवन अनुष्ठान है, जिसमें दुर्गा सप्तशती के 700 श्लोकों का पाठ और हवन किया जाता है। यह देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और संकटों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है।
इस यज्ञ को नवरात्रि के किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन अष्टमी और नवमी तिथि विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।
रवि योग, अमृत योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और महानिशा काल में नवचंडी यज्ञ करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।
हाँ, अगर विधि सही से जानते हैं तो घर पर भी कर सकते हैं, लेकिन किसी अनुभवी ब्राह्मण की सहायता लेना श्रेष्ठ होता है।
दुर्गा सप्तशती ग्रंथ, हवन कुंड, आम की लकड़ी, गौघृत, जौ, तिल, कुशा, लाल वस्त्र, अक्षत, चंदन, कलश, फल, फूल, पान, सुपारी, दीपक, हवन सामग्री, पंचमेवा, नारियल आदि।
यह यज्ञ एक ही दिन में भी किया जा सकता है, लेकिन कई लोग इसे 9 दिन तक भी करते हैं, जिससे इसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है।
आमतौर पर 9 ब्राह्मण इस यज्ञ को संपन्न कराते हैं, लेकिन एक व्यक्ति भी विधिपूर्वक इसे कर सकता है।
इस यज्ञ में “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” और दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का जाप किया जाता है।
हाँ, सभी जाति-धर्म के लोग श्रद्धा और शुद्धता से यह यज्ञ कर सकते हैं।
हाँ, महिलाएं भी नवचंडी यज्ञ कर सकती हैं, लेकिन उन्हें पवित्रता और नियमों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
यह यज्ञ बहुत शक्तिशाली होता है और इसके प्रभाव तुरंत या कुछ ही समय में दिखने लगते हैं।
यज्ञ के बाद आरती करें, प्रसाद वितरित करें, ब्राह्मणों को भोजन कराएं और जरूरतमंदों को दान दें।
हाँ, आजकल कई पंडित और मंदिर ऑनलाइन नवचंडी यज्ञ की सुविधा उपलब्ध कराते हैं, जिससे आप घर बैठे यज्ञ करवा सकते हैं।
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