नवरात्रि में नवग्रह (Navagraha) शांति पूजा: घर बैठे पाएं ग्रहों की कृपा और संकटों से मुक्ति!
नवरात्रि एक पवित्र हिन्दू पर्व है, जिसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है। इस दौरान कई लोग नवग्रह (Navagraha) शांति पूजा भी करते हैं ताकि उनकी कुंडली में मौजूद ग्रह दोष शांत हो सकें और सुख-समृद्धि प्राप्त हो। यह पूजा घर पर ही आसानी से की जा सकती है, बशर्ते कि सही विधि अपनाई जाए। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि घर पर नवग्रह शांति पूजा कैसे करें, किन चीजों की आवश्यकता होती है और इसका क्या महत्व है।
नवग्रह (Navagraha) (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु) हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। यदि ये ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं, तो व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। नवग्रह शांति पूजा करने से ग्रहों की अशुभता कम होती है, जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है। यह पूजा विशेष रूप से नवरात्रि में करने से अधिक शुभ फल देती है, क्योंकि इस दौरान सकारात्मक ऊर्जा अत्यधिक सक्रिय रहती है।
घर पर नवग्रह शांति पूजा करने के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:
सबसे पहले, घर के किसी शांत स्थान पर एक साफ जगह चुनें और वहां गंगाजल का छिड़काव करें। पूजा स्थल को साफ-सुथरा और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर बनाएं।
एक तांबे या मिट्टी के कलश में गंगाजल भरकर उसमें पान का पत्ता, सुपारी और कुछ चावल डालें। इसके ऊपर एक नारियल रखें और कलश को लाल कपड़े से ढक दें।
दीपक जलाएं और भगवान का ध्यान करते हुए संकल्प लें कि आप नवग्रहों की शांति के लिए यह पूजा कर रहे हैं।
पूजा स्थल पर नवग्रहों के प्रतीक स्वरूप 9 सुपारियां रखें। आप चाहें तो नवग्रहों की मूर्तियां भी रख सकते हैं।
अब नवग्रहों को अक्षत, फूल, कुमकुम और जल अर्पित करें। प्रत्येक ग्रह के लिए उस ग्रह का विशेष मंत्र पढ़ें।
मंत्र: ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
सूर्य के लिए गुड़, तांबा और लाल फूल अर्पित करें।
मंत्र: ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः
चंद्रमा के लिए सफेद फूल, चावल और दूध अर्पित करें।
मंत्र: ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
मंगल के लिए गुड़, मसूर दाल और लाल चंदन चढ़ाएं।
मंत्र: ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः
बुध के लिए हरे मूंग, पान और हरे वस्त्र चढ़ाएं।
मंत्र: ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः
गुरु के लिए हल्दी, चने की दाल और पीले फूल चढ़ाएं।
मंत्र: ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः
शुक्र के लिए चंदन, सफेद वस्त्र और मिश्री अर्पित करें।
मंत्र: ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
शनि के लिए तेल, काला तिल और लोहे की वस्तु अर्पित करें।
मंत्र: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः
राहु के लिए नीले फूल, उड़द दाल और नीले कपड़े चढ़ाएं।
मंत्र: ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः केतवे नमः
केतु के लिए कपूर, कंबल और गुड़ अर्पित करें।
अगर संभव हो, तो नवग्रह शांति के लिए हवन करें। प्रत्येक ग्रह के मंत्र का 108 बार जाप करें और घी, तिल, चावल, और नवग्रह संबंधी विशेष सामग्री से आहुति दें।
पूजा के अंत में पंचामृत और फल अर्पित करें। दुर्गा माता और नवग्रहों की आरती करें, फिर प्रसाद ग्रहण करें।
नवग्रह शांति पूजा करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और ग्रहों की कृपा प्राप्त होती है। नवरात्रि के शुभ अवसर पर यह पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। यदि आपके जीवन में किसी भी प्रकार की ग्रह बाधा है, तो इस पूजा को विधिपूर्वक करें और अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भर दें।
नवग्रह शांति पूजा एक विशेष पूजा है जो सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु को प्रसन्न करने के लिए की जाती है। इससे जीवन में शांति, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि एक पवित्र और ऊर्जावान समय होता है, जब ग्रहों की ऊर्जा को सकारात्मक रूप से संतुलित किया जा सकता है। इस दौरान पूजा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं और देवी दुर्गा की कृपा भी प्राप्त होती है।
पूजा का सबसे शुभ समय ब्राह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) या अभिजीत मुहूर्त (दोपहर 12 बजे के आसपास) होता है। यदि संभव न हो, तो दिन में किसी भी शुभ मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं।
हाँ, यह पूजा घर पर आसानी से की जा सकती है। इसके लिए सही विधि, मंत्रों का उच्चारण और पूजा सामग्री का होना आवश्यक है।
गंगाजल, दीपक, कुमकुम, हल्दी, अक्षत, सुपारी, नवग्रहों के मंत्र, फूल, फल, नौ प्रकार के अनाज और पंचामृत आदि आवश्यक होते हैं।
अगर कोई विशेष ग्रह दोष है, तो 9 दिन तक पूजा करना शुभ होता है। सामान्य रूप से 1 दिन की पूजा भी फलदायी होती है।
हर ग्रह के लिए एक विशेष मंत्र होता है, जैसे कि सूर्य के लिए “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः” और चंद्र के लिए “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः”।
हवन अनिवार्य नहीं है, लेकिन यदि संभव हो तो इसे करने से ग्रहों की शांति जल्दी मिलती है। हवन में घी, तिल, चावल और नवग्रहों की विशेष सामग्री से आहुति दी जाती है।
पूजा के बाद गरीबों को दान, जरूरतमंदों को भोजन और नवग्रहों से संबंधित वस्त्र या अनाज का दान करना शुभ माना जाता है।
हाँ, यदि आप पूजा विधि और मंत्रों का सही ज्ञान रखते हैं, तो बिना पंडित के भी यह पूजा कर सकते हैं।
जो भी व्यक्ति ग्रह दोष, जीवन में बाधाएं, स्वास्थ्य समस्याएं, आर्थिक तंगी या अन्य कष्ट झेल रहा है, उसे यह पूजा करनी चाहिए।
हाँ, लेकिन यदि आप विशेष ग्रह दोष शांति चाहते हैं, तो उस ग्रह के लिए संबंधित वार को चुनना शुभ होता है। उदाहरण के लिए, शनिवार को शनि पूजा, मंगलवार को मंगल पूजा करना अधिक प्रभावी होता है।
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