नवरात्रि में नवदुर्गा (Navadurga) के ये 9 स्वरूप जानना है बेहद जरूरी!
माँ दुर्गा को शक्ति और शक्ति का स्रोत माना जाता है। नवरात्रि के दौरान माँ के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा (Navadurga) कहा जाता है। हर देवी का अपना विशेष महत्व, स्वरूप और पूजा विधि होती है। इन नौ दिनों में देवी के अलग-अलग रूपों की उपासना करने से सुख, शांति, शक्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं नवदुर्गा के नौ स्वरूपों के बारे में विस्तार से।
माँ दुर्गा का पहला स्वरूप माँ शैलपुत्री है। “शैल” का अर्थ पर्वत होता है, इसलिए यह पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। इनका वाहन वृषभ (बैल) है, और इनके हाथों में त्रिशूल एवं कमल का पुष्प होता है।
माँ शैलपुत्री की पूजा करने से मनुष्य को दृढ़ संकल्प, शक्ति और स्थिरता प्राप्त होती है। इस दिन भक्त घी का भोग लगाते हैं, जिससे जीवन में सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। माँ शैलपुत्री की आराधना करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी ज्ञान, तपस्या और संयम की देवी हैं। इनके दाहिने हाथ में रुद्राक्ष की माला और बाएँ हाथ में कमंडलु होता है।
माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से धैर्य, शक्ति और आत्मसंयम की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा में गुड़ और मिश्री का भोग अर्पित किया जाता है, जिससे लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।
माँ चंद्रघंटा की मस्तक पर अर्धचंद्राकार घंटे का आकार होने के कारण इन्हें यह नाम दिया गया है। इनके दस हाथों में अनेक अस्त्र-शस्त्र होते हैं, और ये सिंह पर सवार रहती हैं।
माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से भय, नकारात्मकता और शत्रुओं का नाश होता है। इस दिन दूध और खीर का भोग लगाने से घर में शांति और समृद्धि आती है।
माँ कूष्मांडा को सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली देवी कहा जाता है। इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है क्योंकि इनके आठ हाथ होते हैं।
इनकी उपासना से दीर्घायु, आरोग्य और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। इस दिन भक्त मालपुए का भोग लगाते हैं, जिससे बुद्धि और निर्णय शक्ति मजबूत होती है।
माँ स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं। ये कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और इनका वाहन सिंह है।
इनकी पूजा से माँ की कृपा और संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन केले का भोग लगाया जाता है, जिससे परिवार में सुख-शांति और संतान की उन्नति होती है।
माँ कात्यायनी को राक्षसों का संहार करने वाली देवी माना जाता है। इन्हें सिंह पर सवार योद्धा देवी के रूप में दर्शाया जाता है।
इनकी पूजा से अविवाहित कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है। इस दिन शहद का भोग लगाना शुभ माना जाता है, जिससे स्वास्थ्य और आकर्षण बढ़ता है।
माँ कालरात्रि को संहार की देवी कहा जाता है। ये रक्तवर्ण, विकराल और भयानक रूप में होती हैं, लेकिन भक्तों के लिए कल्याणकारी हैं।
इनकी उपासना से भय, बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। इस दिन गुड़ और जौ का भोग लगाने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
माँ महागौरी श्वेत वस्त्रधारी और अति कोमल हैं। इन्हें शुभ्र स्वरूप माना जाता है और इनकी उपासना से पुण्य, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
इनकी पूजा में नारियल का भोग लगाया जाता है, जिससे वैवाहिक सुख और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
माँ सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी हैं। इनके चार हाथों में कमल, गदा, शंख और चक्र होते हैं।
इनकी आराधना से सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। इस दिन भक्त तिल और चने का भोग लगाते हैं, जिससे मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।
नवरात्रि के नौ दिनों में नवदुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा करने से भक्तों को शक्ति, समृद्धि, सुख और शांति प्राप्त होती है। हर देवी की अपनी विशेषता होती है और उनकी उपासना से अलग-अलग फल की प्राप्ति होती है। इस नवरात्रि, आप भी माँ दुर्गा के इन नौ रूपों की पूजा करके अपने जीवन को सफल, सुखी और संपन्न बना सकते हैं।
नवदुर्गा माँ दुर्गा के नौ स्वरूप हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के नौ दिनों में की जाती है।
इनकी पूजा नवरात्रि (चैत्र और शारदीय) में की जाती है, जो साल में दो बार आती है।
माँ शैलपुत्री की उपासना से संकल्प शक्ति और आध्यात्मिक जागरूकता प्राप्त होती है।
इनकी पूजा से धैर्य, संयम और तपस्या की शक्ति मिलती है।
माँ चंद्रघंटा के मस्तक पर अर्धचंद्र होता है और वे सिंह पर सवार रहती हैं।
इनकी उपासना से सकारात्मक ऊर्जा और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
माँ स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं।
इनकी पूजा से अविवाहित कन्याओं को उत्तम जीवनसाथी मिलता है।
माँ कालरात्रि का रंग काला, विकराल और भयानक होता है, लेकिन वे भक्तों के लिए शुभ हैं।
इनकी उपासना से वैवाहिक सुख और सौंदर्य की प्राप्ति होती है।
इनकी पूजा से सभी प्रकार की सिद्धियाँ और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
हर देवी के लिए अलग-अलग भोग अर्पित किए जाते हैं, जैसे घी, गुड़, केला, नारियल, शहद आदि।
हर दिन के अनुसार अलग-अलग रंग होते हैं, जैसे लाल, पीला, हरा, सफेद, नीला आदि।
कन्या पूजन से माँ दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
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