नवरात्रि में चंद्रदर्शन: (Moon Sighting) शुभता या अशुभता? जानें इसका रहस्य!
हिंदू धर्म में चंद्रदर्शन का विशेष महत्व है। पूर्णिमा का चंद्रमा सौम्यता और शांति का प्रतीक माना जाता है, जबकि कृष्ण पक्ष का चंद्रमा मानसिक अशांति का संकेत देता है। खासतौर पर नवरात्रि के पहले और आठवें दिन चंद्रदर्शन (Moon Sighting) वर्जित माना जाता है, क्योंकि इससे कष्ट, मानसिक तनाव और धनहानि की संभावना बढ़ जाती है।
मान्यता के अनुसार, नवरात्रि में चंद्रमा देखने से शनि और राहु-केतु का प्रभाव बढ़ सकता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है। इसलिए प्राचीन काल से ही प्रतिपदा और अष्टमी को चंद्रदर्शन से बचने की परंपरा चली आ रही है।
चंद्रदर्शन पर रोक के पीछे एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। भगवान श्रीकृष्ण पर जब मणि चोरी का झूठा आरोप लगा, तो उन्होंने इसका कारण चंद्रमा के अशुभ दर्शन को बताया। इस कथा के अनुसार, यदि व्यक्ति प्रतिपदा या अष्टमी को चंद्रमा देख लेता है, तो उसे झूठे आरोपों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, इन दिनों में चंद्रदर्शन से बचने की सलाह दी जाती है।
कुछ कथाओं में कहा जाता है कि राक्षसी शक्तियां इन दिनों चंद्रमा के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा फैलाती हैं, जिससे व्यक्ति का मन विचलित हो सकता है। इसलिए नवरात्रि के दौरान शुद्धता और संयम बनाए रखने के लिए चंद्रदर्शन वर्जित किया गया है।
यदि वैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए, तो चंद्रमा का प्रभाव हमारी मानसिक स्थिति और भावनाओं पर पड़ता है। चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण से पृथ्वी पर जलस्तर प्रभावित होता है, जिससे मनुष्य के शरीर में मौजूद जल तत्व भी प्रभावित होता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नवरात्रि में उपवास और ध्यान करने से शरीर में ऊर्जा संतुलन बना रहता है, लेकिन अगर इस दौरान चंद्रदर्शन किया जाए, तो मन विचलित हो सकता है। यही कारण है कि योग और ध्यान साधक चंद्रमा के प्रभाव से बचने की सलाह देते हैं।
नवरात्रि के दौरान चंद्रदर्शन को लेकर अलग-अलग परंपराएं हैं। कुछ लोग इसे पूरी तरह वर्जित मानते हैं, जबकि कुछ मान्यताओं के अनुसार, अगर चंद्रमा को प्रणाम करके दर्शन किया जाए, तो इसका अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता।
धार्मिक ग्रंथों में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि यदि कोई व्यक्ति गलती से चंद्रदर्शन कर ले, तो उसे श्रीकृष्ण का नाम लेकर दोष निवारण करना चाहिए। साथ ही हनुमान चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से भी दोष कट जाता है।
अगर आप नवरात्रि में चंद्रदर्शन से बचना चाहते हैं, तो इन उपायों को अपना सकते हैं:
हालांकि हिंदू धर्म में चंद्रदर्शन को लेकर कई मान्यताएं हैं, लेकिन हर स्थान और परंपरा में इसके अलग-अलग नियम हैं। कुछ स्थानों पर नवरात्रि के दौरान चंद्रमा को जल अर्पित करने की भी प्रथा है।
कई ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो, तो उसे नवरात्रि में चंद्र दर्शन करने से बचना चाहिए। वहीं, कुछ लोगों के लिए यह फलदायी भी हो सकता है।
नवरात्रि में चंद्रदर्शन का महत्व धार्मिक, पौराणिक और वैज्ञानिक दृष्टि से गहरा है। कुछ मान्यताओं में इसे अशुभ बताया गया है, तो कुछ में इसके उपाय भी बताए गए हैं। इसलिए, यह पूरी तरह व्यक्ति की आस्था और परंपरा पर निर्भर करता है कि वह इसे माने या नहीं।
यदि आप नवरात्रि के दौरान चंद्रदर्शन से बचना चाहते हैं, तो धार्मिक उपायों को अपनाकर इसके दोषों से बच सकते हैं। वहीं, यदि आप इसे अंधविश्वास मानते हैं, तो विज्ञान के दृष्टिकोण से इसे समझने की कोशिश करें।
नवरात्रि के दौरान खासकर प्रतिपदा और अष्टमी के दिन चंद्रदर्शन को अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि इन दिनों चंद्रदर्शन करने से कष्ट, मानसिक तनाव और नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है।
हां, मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दौरान चंद्रमा देखने से शनि और राहु-केतु का प्रभाव बढ़ सकता है, जिससे व्यक्ति को आरोप-प्रत्यारोप और मानसिक अशांति का सामना करना पड़ सकता है।
कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण पर मणि चोरी का झूठा आरोप लगा था, क्योंकि उन्होंने प्रतिपदा के दिन चंद्रदर्शन कर लिया था। इसीलिए इस दिन चंद्रदर्शन से बचने की सलाह दी जाती है।
नहीं, कुछ मान्यताओं के अनुसार यदि प्रणाम करके चंद्रदर्शन किया जाए, तो इसका अशुभ प्रभाव कम हो सकता है।
यदि गलती से चंद्रदर्शन हो जाए तो “ॐ चंद्राय नमः” मंत्र का जाप करें, भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण करें और हनुमान चालीसा पढ़ें।
चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव मानसिक स्थिति और भावनाओं को प्रभावित करता है। नवरात्रि में उपवास और ध्यान के दौरान चंद्रदर्शन से मन विचलित हो सकता है।
नहीं, कुछ लोग इसे नहीं मानते और कुछ स्थानों पर चंद्रमा को जल अर्पित करने की परंपरा भी है।
हां, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो, तो उसे नवरात्रि में चंद्रदर्शन करने से बचना चाहिए।
नहीं, चंद्रदर्शन का निषेध केवल प्रतिपदा और अष्टमी को माना जाता है।
कुछ मान्यताओं के अनुसार, चंद्रदर्शन के कारण आर्थिक हानि हो सकती है, इसलिए व्यापारियों को इससे बचने की सलाह दी जाती है।
हां, पूर्णिमा के दिन चंद्रदर्शन को शुभ और मानसिक शांति देने वाला माना जाता है।
चंद्रमा का प्रभाव मानसिक और भावनात्मक स्थिरता पर होता है, जिससे व्यक्ति तनावग्रस्त हो सकता है।
हां, “ॐ सोम सोमाय नमः” और श्रीकृष्ण का स्मरण करने से दोष समाप्त हो सकता है।
आधुनिक विज्ञान इस निषेध को मान्यता नहीं देता, लेकिन चंद्रमा के प्रभाव को लेकर कई मनोवैज्ञानिक और खगोलीय अध्ययन किए गए हैं।
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