नवरात्रि में पूजा ऐसे करें कि माता रानी (Mata Rani) की कृपा बनी रहे! | वास्तु शास्त्र के अचूक नियम!
नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पावन पर्व है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान भक्तगण व्रत, हवन, आरती और जप के माध्यम से माता को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार पूजा की जाए, तो मां दुर्गा की कृपा कई गुना बढ़ सकती है? इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि वास्तु शास्त्र के अनुसार नवरात्रि की पूजा कैसे करनी चाहिए।
पूजा स्थल का सही चयन करना बहुत महत्वपूर्ण है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में मंदिर होना सबसे शुभ माना जाता है। यदि यह संभव न हो, तो पूर्व दिशा में भी पूजा कर सकते हैं।
✅ ध्यान देने योग्य बातें:
अगर सही दिशा में मंदिर या पूजा स्थल होगा, तो सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और माता रानी की कृपा प्राप्त होती है।
कलश स्थापना नवरात्रि पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसे सही तरीके से करने से शुभता और सुख-समृद्धि आती है।
✅ कलश स्थापना का सही तरीका:
सही विधि से कलश स्थापना करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
दीपक का बहुत अधिक महत्व होता है, क्योंकि यह घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाता है।
✅ दीपक जलाने के वास्तु नियम:
सही दिशा में दीपक जलाने से घर में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पूजा करते समय माता रानी की मूर्ति या चित्र का स्थान सही होना बहुत जरूरी है।
✅ महत्वपूर्ण नियम:
सही दिशा में मूर्ति या चित्र स्थापित करने से माता रानी की कृपा जल्दी प्राप्त होती है।
वास्तु शास्त्र में रंगों का बहुत बड़ा महत्व है। हर दिन एक विशेष रंग पहनने और पूजा स्थल पर लगाने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
✅ नवरात्रि के नौ दिनों के शुभ रंग:
इन रंगों का प्रयोग करने से माता रानी अधिक प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा जल्दी प्राप्त होती है।
हवन और मंत्र जाप करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सुख-शांति आती है।
✅ हवन के नियम:
✅ मंत्र जाप:
सही विधि से हवन और मंत्र जाप करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और मन की शांति मिलती है।
नवरात्रि में माता रानी को भोग चढ़ाने का विशेष महत्व होता है।
✅ नवरात्रि के अनुसार प्रसाद:
शुद्धता और भक्ति से भोग चढ़ाने से माता रानी की कृपा बनी रहती है और जीवन में समृद्धि आती है।
अगर नवरात्रि में वास्तु शास्त्र के इन सिद्धांतों को अपनाया जाए, तो माता रानी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। पूजा स्थल, दीपक, हवन, मूर्ति की दिशा और रंगों का सही उपयोग करने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और सुख-समृद्धि आती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) पूजा के लिए सबसे शुभ होती है। यदि यह संभव न हो, तो पूर्व दिशा में भी पूजा की जा सकती है।
हाँ, पूजा स्थल की स्वच्छता बहुत महत्वपूर्ण होती है। गंदे और अव्यवस्थित स्थान पर पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है।
कलश को उत्तर-पूर्व दिशा में रखें, उसमें गंगाजल या शुद्ध जल भरें और उसमें सुपारी, आम के पत्ते, सिक्का और अक्षत डालें। कलश पर लाल कपड़े में लिपटा नारियल रखें।
दीपक को दक्षिण-पूर्व दिशा (अग्नि कोण) में रखना चाहिए। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती है।
नहीं, पूजा स्थल में जूते-चप्पल पहनकर जाना अशुभ माना जाता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
मूर्ति या चित्र को उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में रखना चाहिए। मूर्ति का मुख पश्चिम या दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए।
हाँ, लेकिन सूर्यास्त के बाद झाड़ू नहीं लगानी चाहिए। यह माना जाता है कि इससे धन की हानि होती है।
हर दिन विशेष रंग पहनना शुभ माना जाता है, जैसे –
🔸 पहला दिन: नारंगी
🔸 दूसरा दिन: सफेद
🔸 तीसरा दिन: लाल
🔸 चौथा दिन: नीला
🔸 पांचवां दिन: पीला
🔸 छठा दिन: हरा
🔸 सातवां दिन: ग्रे
🔸 आठवां दिन: बैंगनी
🔸 नौवां दिन: गुलाबी
हर दिन अलग-अलग भोग चढ़ाना शुभ होता है, जैसे –
🍚 पहले दिन: घी और शक्कर
🍌 दूसरे दिन: फल
🥣 तीसरे दिन: खीर
🍪 चौथे दिन: मालपुआ
🍯 पांचवें दिन: केला और शहद
🍛 छठे दिन: हलवा
🥥 सातवें दिन: नारियल और गुड़
🍽 आठवें दिन: पूड़ी और चने
🥄 नौवें दिन: खीर और हलवा
हवन करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और घर में शांति और समृद्धि आती है। हवन कुंड को दक्षिण-पूर्व दिशा (अग्नि कोण) में रखना शुभ होता है।
हाँ, पूजा स्थल में सोना या चांदी का सिक्का रखने से धन और समृद्धि बढ़ती है।
नहीं, नवरात्रि के दौरान बाल कटवाना, शेविंग करना और नाखून काटना वर्जित माना जाता है।
हाँ, नवरात्रि में नए कपड़े खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन इन्हें पहले माता रानी को अर्पित करना चाहिए।
🔸 “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
🔸 “जय माता दी”
🔸 दुर्गा सप्तशती का पाठ
❌ लहसुन-प्याज का सेवन न करें।
❌ शराब और मांसाहार से दूर रहें।
❌ क्रोध और झूठ बोलने से बचें।
❌ शास्त्रों में कहा गया है कि नवरात्रि में रात्रि के समय भोजन नहीं करना चाहिए।
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