नवरात्रि में इन 9 देवियों के मंत्र (Mantra) जपने से खुलेंगे सौभाग्य के द्वार! जानें सही विधि और लाभ
नवरात्रि का पर्व शक्ति उपासना का महोत्सव है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में सही मंत्र का उच्चारण करने से भक्तों को अद्भुत फल प्राप्त होते हैं। हर देवी का विशिष्ट मंत्र होता है, जिसका जप करने से अलग-अलग मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस लेख में हम नौ देवियों के मंत्र, (Mantra) उनके लाभ और सही जप विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। यह पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, इसलिए इनका नाम शैलपुत्री पड़ा।
🔹 मंत्र:
“ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः”
🔹 लाभ:
✅ इस मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति मिलती है।
✅ यह आत्मबल और धैर्य बढ़ाता है।
✅ नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
जप विधि:
प्रातः काल स्नान कर, लाल वस्त्र पहनकर, शुद्ध घी का दीपक जलाकर इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। यह ज्ञान और तपस्या की देवी हैं।
🔹 मंत्र:
“ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः”
🔹 लाभ:
✅ विद्या, एकाग्रता और आध्यात्मिक उन्नति में वृद्धि होती है।
✅ संयम और धैर्य बढ़ता है।
✅ छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए अत्यंत लाभकारी।
जप विधि:
इस मंत्र का जाप फूल, अक्षत, कुमकुम और पंचामृत से पूजन कर, 108 बार करें।
तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा होती है। यह सिंह पर सवार, दस भुजाओं वाली देवी हैं।
🔹 मंत्र:
“ॐ देवी चन्द्रघंटायै नमः”
🔹 लाभ:
✅ भय, शत्रु और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
✅ साहस, आत्मविश्वास और विजय की प्राप्ति होती है।
✅ नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं।
जप विधि:
मंत्र जाप के समय कपूर जलाकर, सुगंधित फूल अर्पित करें और शंख ध्वनि करें।
चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा की जाती है। इन्हें सृष्टि की रचनाकार माना जाता है।
🔹 मंत्र:
“ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः”
🔹 लाभ:
✅ स्वास्थ्य, समृद्धि और आयु वृद्धि होती है।
✅ नकारात्मक सोच समाप्त होती है।
✅ अन्न, धन और सुख-समृद्धि मिलती है।
जप विधि:
इस मंत्र का जाप मधुर एवं शांत वातावरण में करें। गुड़ व नारियल का भोग लगाएं।
पांचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा होती है। यह भगवान कार्तिकेय की माता हैं।
🔹 मंत्र:
“ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः”
🔹 लाभ:
✅ संतान सुख और बुद्धि का विकास होता है।
✅ जीवन में शांति और संतुलन आता है।
✅ पारिवारिक जीवन में सुख-शांति मिलती है।
जप विधि:
मंत्र जाप के समय पीले पुष्प, केले का भोग और धूप-दीप जलाएं।
छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। यह शत्रु नाशिनी और विवाह बाधा दूर करने वाली देवी हैं।
🔹 मंत्र:
“ॐ देवी कात्यायन्यै नमः”
🔹 लाभ:
✅ विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
✅ शत्रु नाश और कानूनी मामलों में विजय मिलती है।
✅ मांगलिक दोष नष्ट होता है।
जप विधि:
सुबह शुद्ध वस्त्र पहनकर, लाल चंदन और गुलाब के पुष्प से पूजा करें।
सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा होती है। यह असुरों का नाश करने वाली उग्र रूप वाली देवी हैं।
🔹 मंत्र:
“ॐ देवी कालरात्र्यै नमः”
🔹 लाभ:
✅ भय, तंत्र-मंत्र और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
✅ आत्मविश्वास और पराक्रम बढ़ता है।
✅ रोग और संकट दूर होते हैं।
जप विधि:
इस मंत्र का जाप रात में दीपक जलाकर, काली वस्तुओं का भोग लगाकर करें।
आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा होती है। यह श्वेत वस्त्र धारण करने वाली देवी हैं।
🔹 मंत्र:
“ॐ देवी महागौर्यै नमः”
🔹 लाभ:
✅ मन की शुद्धि और मानसिक शांति मिलती है।
✅ वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है।
✅ सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
जप विधि:
मंत्र जाप से पहले सफेद वस्त्र पहनकर, दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
नवम दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा होती है। यह सभी सिद्धियों को देने वाली देवी हैं।
🔹 मंत्र:
“ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः”
🔹 लाभ:
✅ सिद्धि, ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
✅ सभी कष्ट और बाधाएं समाप्त होती हैं।
✅ आध्यात्मिक और भौतिक उन्नति मिलती है।
जप विधि:
सुबह स्नान कर, चंदन, केसर और फल अर्पित कर इस मंत्र का जाप करें।
नवरात्रि में नौ देवियों के अलग-अलग मंत्रों का जाप करने से भक्तों को अलौकिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह मंत्र सकारात्मक ऊर्जा देते हैं और जीवन की बाधाओं को दूर करते हैं। यदि आप इन विशिष्ट मंत्रों का सही विधि से जाप करें, तो आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संचार होगा।
नवरात्रि में नौ देवियों के मंत्रों का जप करने से सुख, शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह नकारात्मक ऊर्जा दूर करता है और मनोकामनाओं की पूर्ति में सहायक होता है।
अगर संभव हो तो हर दिन संबंधित देवी के मंत्र का जाप करें, लेकिन अगर समय कम हो, तो संपूर्ण नवरात्रि में एक ही मंत्र को बार-बार जप सकते हैं।
हां, मंत्र जप की सिद्ध संख्या 108 मानी जाती है, लेकिन समय की कमी हो तो 11 या 21 बार भी जाप कर सकते हैं।
सुबह सूर्योदय से पहले ब्रह्ममुहूर्त (4-6 बजे) या रात में आरती के समय मंत्र जाप करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
🔹 शुद्धता बनाए रखें
🔹 संकल्प लें
🔹 रोज एक ही समय पर जाप करें
🔹 मंत्र का उच्चारण सही तरीके से करें
हां, मंत्र जाप के लिए कुश, ऊन, रेशम या कंबल का आसन सबसे उत्तम माना जाता है।
हां, मंत्र जाप के समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करना शुभ माना जाता है।
हां, लेकिन हर देवी का एक विशेष दिन होता है। अगर कोई विशेष सिद्धि चाहते हैं तो उसी देवी के दिन उनका मंत्र जाप करें।
मंत्र जाप में रुद्राक्ष, तुलसी या चंदन की माला का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है।
अगर नियमों का पालन किया जाए तो शीघ्र फल प्राप्त होते हैं, लेकिन भक्ति भाव से किया गया कोई भी मंत्र जाप निष्फल नहीं जाता।
हां, इन मंत्रों का जाप पूरे साल किया जा सकता है, लेकिन नवरात्रि में विशेष फलदायी माना जाता है।
नहीं, नवरात्रि के मंत्रों का जाप पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं।
हां, कालरात्रि देवी के मंत्रों का जाप रात में अधिक प्रभावशाली माना जाता है।
हां, मंत्र जाप के दौरान सात्त्विक भोजन करें और मांस, मदिरा व तामसिक चीजों से बचें।
हां, विशेष रूप से कूष्मांडा देवी और सिद्धिदात्री देवी के मंत्रों का जाप करने से धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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