नवरात्रि में इन शक्तिशाली स्तोत्रों का पाठ करने से मिलती है माँ दुर्गा (Maa Durga) की असीम कृपा!
नवरात्रि का पर्व माँ दुर्गा (Maa Durga) की आराधना के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दौरान भक्त माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत, हवन, पाठ और भजन करते हैं। स्तोत्र पाठ नवरात्रि के दौरान विशेष फलदायी माना जाता है क्योंकि इससे नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस लेख में हम नवरात्रि में पढ़े जाने वाले प्रमुख स्तोत्रों की जानकारी देंगे, जिससे आप भी इस पावन पर्व पर माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकें।
दुर्गा चालीसा 40 छंदों का एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जो माँ दुर्गा की महिमा का वर्णन करता है। इसे प्रतिदिन पढ़ने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी प्रकार की बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।
नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा चालीसा का पाठ करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। यदि कोई व्यक्ति रात में भयभीत होता है या बुरे सपने आते हैं, तो उसे सोने से पहले दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए।
देवी कवच को दुर्गा सप्तशती का पहला अध्याय कहा जाता है। यह स्तोत्र माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों की महिमा का वर्णन करता है और भक्त को सभी प्रकार के संकटों से रक्षा प्रदान करता है।
सुबह और शाम देवी कवच का पाठ करने से अद्भुत लाभ मिलता है। यदि कोई व्यक्ति अपने शत्रुओं से परेशान है, तो उसे यह स्तोत्र प्रतिदिन पढ़ना चाहिए।
अर्गला स्तोत्र भी दुर्गा सप्तशती का एक भाग है, जिसमें माँ दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने और इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना की जाती है।
यदि कोई व्यक्ति जीवन में निराश है और किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिल रही, तो उसे नवरात्रि में अर्गला स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए।
कीलक स्तोत्र भी दुर्गा सप्तशती का ही एक महत्वपूर्ण भाग है। इसे पढ़ने से सभी प्रकार के भय, दोष और बंधन समाप्त हो जाते हैं।
यह स्तोत्र विशेष रूप से तांत्रिक बाधाओं को दूर करने के लिए पढ़ा जाता है। यदि किसी व्यक्ति को लगता है कि उसके ऊपर किसी प्रकार की नकारात्मक शक्ति का प्रभाव है, तो उसे नवरात्रि में कीलक स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए।
दुर्गा सप्तशती नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण पाठ माना जाता है। इसमें माँ दुर्गा के तीन प्रमुख रूपों—महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की महिमा का वर्णन किया गया है।
नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अत्यंत शुभ होता है। यदि कोई व्यक्ति इसे पूरी श्रद्धा से पढ़ता है, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
कात्यायनी स्तोत्र माँ कात्यायनी को समर्पित है, जो शत्रुओं का नाश करने और अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए पूजी जाती हैं।
नवरात्रि के दौरान इस स्तोत्र का पाठ करने से माँ कात्यायनी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
यह स्तोत्र माँ दुर्गा के महिषासुर का वध करने की गाथा का वर्णन करता है। इसे पढ़ने से व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां समाप्त हो जाती हैं।
जो व्यक्ति भय और अनिष्ट शक्तियों से ग्रस्त हो, उसे महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए।
नवरात्रि में स्तोत्र पाठ करने से माँ दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती, देवी कवच, अर्गला स्तोत्र, कीलक स्तोत्र और महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र का पाठ नवरात्रि के दौरान करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
नवरात्रि में स्तोत्र पाठ करने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
दुर्गा सप्तशती को सबसे शक्तिशाली स्तोत्र माना जाता है क्योंकि इसमें माँ दुर्गा के महाकाव्य युद्ध और उनकी महिमा का वर्णन है।
सुबह और शाम स्नान के बाद, माँ दुर्गा के समक्ष दीपक जलाकर पढ़ना शुभ माना जाता है।
देवी कवच पढ़ने से भय, शत्रु बाधा, नकारात्मक ऊर्जा और बीमारियों से सुरक्षा मिलती है।
अर्गला स्तोत्र से धन-वैभव, सफलता और बाधाओं का निवारण होता है।
यह स्तोत्र नकारात्मक शक्तियों और मानसिक तनाव को दूर करता है और जीवन में शांति लाता है।
श्रीसूक्त और अर्गला स्तोत्र धन प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली हैं।
कात्यायनी स्तोत्र और देवी कवच शत्रु बाधा से रक्षा करने के लिए उत्तम हैं।
यदि रोज संभव न हो, तो अष्टमी या नवमी को संपूर्ण पाठ करें या कम से कम दुर्गा चालीसा पढ़ें।
कात्यायनी स्तोत्र विशेष रूप से विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करता है।
यह स्तोत्र रात्रि में सोने से पहले पढ़ने से विशेष लाभ देता है, क्योंकि यह भूत-प्रेत बाधाओं को दूर करता है।
हाँ, दुर्गा सप्तशती, देवी कवच और दुर्गा चालीसा के पाठ से शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
नौ दिनों में इसे तीन भागों में पढ़ें—पहले तीन दिन प्रथम चरित्र, अगले तीन दिन मध्यम चरित्र, और अंतिम तीन दिन उत्तर चरित्र।
स्तोत्र पाठ के बाद आरती करें, माँ दुर्गा को भोग लगाएं, और प्रसाद वितरित करें।
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