_नवरात्रि में कलश (Kalash) स्थापना ऐसे करें, मिलेगा अखंड सौभाग्य और समृद्धि!
नवरात्रि एक पवित्र और शक्तिशाली त्योहार है, जिसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान कलश (Kalash) स्थापना (घटस्थापना) का विशेष महत्व होता है। यह शुभ कार्य घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने और देवी को आमंत्रित करने के लिए किया जाता है।
अगर आप कलश स्थापना की सही विधि नहीं जानते हैं, तो यह लेख आपको पूरी जानकारी देगा। यहाँ हम कलश स्थापना का महत्व, सही मुहूर्त, सामग्री और प्रक्रिया को विस्तार से बताएंगे।
कलश को हिंदू धर्म में संपन्नता, सुख-शांति और मंगल कार्यों का प्रतीक माना जाता है। इसे देवी दुर्गा का आवाहन करने के लिए स्थापित किया जाता है।
कलश को सही तरीके से स्थापित करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। अतः इसे शुद्धता और विधि-विधान से करना जरूरी है।
कलश स्थापना के लिए कुछ विशेष सामग्रियों की आवश्यकता होती है, जो इस प्रकार हैं:
इन सामग्रियों को शुद्धता और भक्तिभाव से एकत्रित करें, ताकि पूजा का पूरा फल प्राप्त हो।
हर साल नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का विशेष मुहूर्त होता है। 2025 में चैत्र नवरात्रि की घटस्थापना का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा:
📅 तारीख: 30 मार्च 2025
🕰️ समय: सुबह 6:10 से 8:25 (अभिजीत मुहूर्त)
📍 विकल्प: यदि यह समय संभव न हो, तो ब्रह्म मुहूर्त में भी स्थापना कर सकते हैं।
टिप: कलश स्थापना हमेशा पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए।
नवरात्रि के अंतिम दिन, यानी दशहरे को या नवमी के दिन कलश का विसर्जन किया जाता है।
नवरात्रि में कलश स्थापना एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिससे घर में शांति, समृद्धि और देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। सही मुहूर्त और विधि से कलश स्थापित करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
अगर आप चाहते हैं कि माता रानी की कृपा सदा बनी रहे, तो श्रद्धा और पूर्ण विश्वास के साथ कलश स्थापना करें और नवरात्रि के सभी नियमों का पालन करें।
उत्तर: कलश स्थापना देवी दुर्गा को आमंत्रित करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है। यह समृद्धि, शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
उत्तर: नवरात्रि के पहले दिन ब्रह्म मुहूर्त या अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करना शुभ माना जाता है। 2025 में यह 30 मार्च की सुबह 6:10 से 8:25 तक रहेगा।
उत्तर: तांबे/मिट्टी का कलश, गंगाजल, नारियल, सुपारी, सिक्का, आम/अशोक के पत्ते, लाल कपड़ा, जौ, चावल, हल्दी, कुमकुम, दीपक, और फूल।
उत्तर: उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में कलश स्थापित करना सबसे शुभ माना जाता है।
उत्तर: हां, यदि सही विधि और मंत्रों का उच्चारण किया जाए तो कोई भी भक्त घर पर स्वयं कलश स्थापना कर सकता है।
उत्तर: गंगाजल सबसे पवित्र माना जाता है, लेकिन यदि उपलब्ध न हो तो शुद्ध जल का उपयोग करें।
उत्तर: नारियल देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है और यह सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य का प्रतीक है।
उत्तर: हां, लेकिन यदि संभव हो तो उपवास रखना अधिक शुभ माना जाता है।
उत्तर: नहीं, एक बार कलश स्थापित हो जाने के बाद उसे किसी भी हालत में नहीं हिलाना चाहिए।
उत्तर: जौ उगाना सुख, समृद्धि और जीवन में वृद्धि का प्रतीक होता है।
उत्तर: प्रतिदिन देवी दुर्गा की पूजा करें, दीप जलाएं, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और व्रत का पालन करें।
उत्तर: कलश के जल को घर में छिड़कें, जौ को तुलसी के पास रखें या जल में प्रवाहित करें और नारियल को प्रसाद रूप में बांट दें।
उत्तर: नहीं, यह केवल शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए, अन्यथा पूजा का पूरा फल नहीं मिलता।
उत्तर: धीरे-धीरे शुद्ध जल डाल सकते हैं, लेकिन कलश को उठाना या हिलाना नहीं चाहिए।
उत्तर:
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
या
“ॐ गं गणपतये नमः”
का उच्चारण करना शुभ होता है।
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