नवरात्रि में कलश (Kalash) स्थापना ऐसे करें, मिलेगा अखंड सौभाग्य और समृद्धि!

Soma
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_नवरात्रि में कलश (Kalash) स्थापना ऐसे करें, मिलेगा अखंड सौभाग्य और समृद्धि!

नवरात्रि में कलश (Kalash) स्थापना ऐसे करें, मिलेगा अखंड सौभाग्य और समृद्धि!

नवरात्रि में कैसे करें कलश (Kalash) स्थापना? संपूर्ण विधि और महत्व

नवरात्रि एक पवित्र और शक्तिशाली त्योहार है, जिसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान कलश (Kalash) स्थापना (घटस्थापना) का विशेष महत्व होता है। यह शुभ कार्य घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने और देवी को आमंत्रित करने के लिए किया जाता है।

Contents

अगर आप कलश स्थापना की सही विधि नहीं जानते हैं, तो यह लेख आपको पूरी जानकारी देगा। यहाँ हम कलश स्थापना का महत्व, सही मुहूर्त, सामग्री और प्रक्रिया को विस्तार से बताएंगे।


कलश (Kalash) स्थापना का महत्व

कलश को हिंदू धर्म में संपन्नता, सुख-शांति और मंगल कार्यों का प्रतीक माना जाता है। इसे देवी दुर्गा का आवाहन करने के लिए स्थापित किया जाता है।

  • पंच तत्वों (जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु, आकाश) का प्रतीक होता है कलश।
  • घर में शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
  • मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
  • यह ग्रह दोषों को दूर करने में सहायक होता है।

कलश को सही तरीके से स्थापित करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। अतः इसे शुद्धता और विधि-विधान से करना जरूरी है।


कलश (Kalash) स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री

कलश स्थापना के लिए कुछ विशेष सामग्रियों की आवश्यकता होती है, जो इस प्रकार हैं:

  1. तांबे, पीतल या मिट्टी का कलश
  2. गंगाजल या शुद्ध पानी
  3. सुपारी, सिक्का और अक्षत (चावल)
  4. पान का पत्ता
  5. कलावा (मोली)
  6. आम या अशोक के पत्ते
  7. मिट्टी और जौ के बीज
  8. नारियल (लाल कपड़े में लपेटा हुआ)
  9. सिंदूर, हल्दी, कुमकुम और चंदन
  10. माता की प्रतिमा या चित्र

इन सामग्रियों को शुद्धता और भक्तिभाव से एकत्रित करें, ताकि पूजा का पूरा फल प्राप्त हो।


कलश (Kalash) स्थापना का शुभ मुहूर्त 2025

हर साल नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का विशेष मुहूर्त होता है। 2025 में चैत्र नवरात्रि की घटस्थापना का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा:

📅 तारीख: 30 मार्च 2025
🕰️ समय: सुबह 6:10 से 8:25 (अभिजीत मुहूर्त)
📍 विकल्प: यदि यह समय संभव न हो, तो ब्रह्म मुहूर्त में भी स्थापना कर सकते हैं।

टिप: कलश स्थापना हमेशा पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए।


कलश (Kalash) स्थापना की विधि

1. स्थान शुद्ध करें

  • सबसे पहले पूजा स्थल की सफाई करें।
  • वहाँ गंगाजल का छिड़काव करें, ताकि नकारात्मकता समाप्त हो।

2. वेदी तैयार करें

  • लकड़ी की चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएँ।
  • उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

3. कलश (Kalash) को सजाएँ

  • कलश में गंगाजल या शुद्ध पानी भरें।
  • इसमें सुपारी, सिक्का, अक्षत और फूल डालें।
  • आम या अशोक के पत्ते कलश के किनारों पर सजाएँ।
  • नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर रखें।

4. जौ बोएं

  • कलश के पास मिट्टी रखकर उसमें जौ के बीज बोएं।
  • यह सकारात्मक ऊर्जा और वृद्धि का प्रतीक होता है।

5. मंत्रों का उच्चारण करें

  • कलश स्थापना के दौरान ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का जाप करें।
  • मां दुर्गा का आवाहन करें और प्रार्थना करें कि वे आपके घर में विराजमान हों।

6. दीप जलाकर पूजा करें

  • घी का दीपक जलाएं और माता रानी की आरती करें
  • 9 दिनों तक घट की पूजा करें और नवरात्रि का व्रत रखें।

कलश (Kalash) स्थापना के बाद 9 दिनों की पूजा कैसे करें?

  1. प्रतिदिन सुबह और शाम मां दुर्गा की पूजा करें।
  2. दीप जलाएं और दुर्गा सप्तशती या देवी महात्म्य का पाठ करें।
  3. भोग लगाएं और व्रत का पालन करें।
  4. जौ को प्रतिदिन जल दें और उनकी वृद्धि देखें।
  5. अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन करें।

कलश (Kalash) विसर्जन कैसे करें?

नवरात्रि के अंतिम दिन, यानी दशहरे को या नवमी के दिन कलश का विसर्जन किया जाता है।

  • कलश के जल को घर में सभी जगह छिड़कें, ताकि सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
  • जौ को किसी पवित्र स्थान में प्रवाहित करें या तुलसी के पास रखें।
  • नारियल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें या मंदिर में अर्पित करें।

कलश (Kalash) स्थापना में सावधानियां

  • कलश को एक बार स्थापित करने के बाद हिलाना नहीं चाहिए।
  • पूजा स्थल साफ-सुथरा और शांत होना चाहिए।
  • व्रत का पालन करें और नियमों का उल्लंघन न करें।
  • नकारात्मक विचारों से बचें और श्रद्धा से पूजा करें।
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नवरात्रि में कलश स्थापना एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिससे घर में शांति, समृद्धि और देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। सही मुहूर्त और विधि से कलश स्थापित करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

अगर आप चाहते हैं कि माता रानी की कृपा सदा बनी रहे, तो श्रद्धा और पूर्ण विश्वास के साथ कलश स्थापना करें और नवरात्रि के सभी नियमों का पालन करें।


नवरात्रि में कलश (Kalash) स्थापना से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर


1. नवरात्रि में कलश (Kalash) स्थापना क्यों की जाती है?

उत्तर: कलश स्थापना देवी दुर्गा को आमंत्रित करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है। यह समृद्धि, शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।

2. कलश (Kalash) स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त क्या होता है?

उत्तर: नवरात्रि के पहले दिन ब्रह्म मुहूर्त या अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करना शुभ माना जाता है। 2025 में यह 30 मार्च की सुबह 6:10 से 8:25 तक रहेगा।

3. कलश (Kalash) स्थापना के लिए कौन-सी सामग्री जरूरी होती है?

उत्तर: तांबे/मिट्टी का कलश, गंगाजल, नारियल, सुपारी, सिक्का, आम/अशोक के पत्ते, लाल कपड़ा, जौ, चावल, हल्दी, कुमकुम, दीपक, और फूल।

4. कलश (Kalash) स्थापना किस दिशा में करनी चाहिए?

उत्तर: उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में कलश स्थापित करना सबसे शुभ माना जाता है।

5. क्या बिना पुरोहित के कलश (Kalash) स्थापना की जा सकती है?

उत्तर: हां, यदि सही विधि और मंत्रों का उच्चारण किया जाए तो कोई भी भक्त घर पर स्वयं कलश स्थापना कर सकता है।

6. कलश में कौन-सा जल डालना चाहिए?

उत्तर: गंगाजल सबसे पवित्र माना जाता है, लेकिन यदि उपलब्ध न हो तो शुद्ध जल का उपयोग करें।

7. कलश पर नारियल क्यों रखा जाता है?

उत्तर: नारियल देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है और यह सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य का प्रतीक है।

8. क्या कलश स्थापना बिना उपवास के की जा सकती है?

उत्तर: हां, लेकिन यदि संभव हो तो उपवास रखना अधिक शुभ माना जाता है।

9. क्या कलश स्थापना के बाद उसे हिलाना ठीक है?

उत्तर: नहीं, एक बार कलश स्थापित हो जाने के बाद उसे किसी भी हालत में नहीं हिलाना चाहिए।

10. कलश के पास जौ क्यों बोया जाता है?

उत्तर: जौ उगाना सुख, समृद्धि और जीवन में वृद्धि का प्रतीक होता है।

11. कलश स्थापना के बाद 9 दिनों तक क्या करना चाहिए?

उत्तर: प्रतिदिन देवी दुर्गा की पूजा करें, दीप जलाएं, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और व्रत का पालन करें।

12. नवरात्रि समाप्त होने के बाद कलश विसर्जन कैसे करें?

उत्तर: कलश के जल को घर में छिड़कें, जौ को तुलसी के पास रखें या जल में प्रवाहित करें और नारियल को प्रसाद रूप में बांट दें।

13. क्या किसी भी समय कलश स्थापना कर सकते हैं?

उत्तर: नहीं, यह केवल शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए, अन्यथा पूजा का पूरा फल नहीं मिलता।

14. अगर कलश में जल कम हो जाए तो क्या करें?

उत्तर: धीरे-धीरे शुद्ध जल डाल सकते हैं, लेकिन कलश को उठाना या हिलाना नहीं चाहिए।

15. कलश स्थापना करते समय कौन-सा मंत्र बोलना चाहिए?

उत्तर:
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
या
“ॐ गं गणपतये नमः”
का उच्चारण करना शुभ होता है।


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