कुंडली (Horoscope) के ये योग बना सकते हैं आपको धनवान! जानें कौन से ग्रह देते हैं अपार संपत्ति?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति की कुंडली (Horoscope) में कुछ खास धन योग होते हैं, जो उसे धनी और समृद्ध बना सकते हैं। ये योग ग्रहों की स्थिति और उनकी आपसी दृष्टि (Aspect) पर निर्भर करते हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में धन, वैभव और ऐश्वर्य चाहता है, तो उसे अपनी कुंडली में इन योगों की जांच करवानी चाहिए।
कुछ ग्रहों की अनुकूल स्थिति और योगों की उपस्थिति से व्यक्ति को बिना अधिक मेहनत के भी धन की प्राप्ति हो सकती है। वहीं, कुछ लोगों को कड़ी मेहनत के बावजूद धन संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
आइए विस्तार से जानते हैं कि कौन-कौन से योग कुंडली (Horoscope) में धनवान बनने का संकेत देते हैं और कैसे इन योगों की पहचान की जा सकती है।
लक्ष्मी योग को सबसे महत्वपूर्ण धन योग माना जाता है। यह योग तब बनता है जब गुरु (बृहस्पति) और शुक्र की स्थिति शुभ हो और केंद्र या त्रिकोण भाव में स्थित हों।
अगर किसी की कुंडली में लक्ष्मी योग बना है, तो उसे जीवन में कभी भी आर्थिक तंगी नहीं होगी।
धन योग का सीधा संबंध दूसरे और ग्यारहवें भाव से होता है। यदि इन भावों में कोई शुभ ग्रह स्थित हो, तो व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
यदि धन भाव में मजबूत ग्रह स्थित हों, तो व्यक्ति को कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता और वह समाज में प्रतिष्ठित होता है।
पंच महापुरुष योग तब बनता है जब पांच मुख्य ग्रह (मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि) अपनी उच्च राशि में होकर केंद्र भाव (1, 4, 7, 10) में स्थित हों।
यह योग व्यक्ति को अत्यंत शक्तिशाली और धनी बनाता है।
कुबेर योग तब बनता है जब गुरु और शुक्र की स्थिति कुंडली में दूसरे, ग्यारहवें और नवम भाव में होती है।
यदि यह योग मजबूत हो, तो व्यक्ति को अचानक धन लाभ भी हो सकता है।
राज योग का संबंध धन, प्रतिष्ठा और शासन से होता है। जब कोई शुभ ग्रह लग्न, पंचम, नवम या दशम भाव में स्थित होता है और अन्य ग्रहों का सहयोग मिलता है, तब राज योग बनता है।
राज योग वाले लोग आमतौर पर समाज में विशेष पहचान बनाते हैं और इनका जीवन ऐश्वर्यपूर्ण होता है।
गजकेसरी योग तब बनता है जब बृहस्पति और चंद्रमा एक साथ केंद्र भाव में स्थित हों।
यदि यह योग मजबूत हो, तो व्यक्ति को बिना अधिक मेहनत के भी धन की प्राप्ति होती है।
कुंडली में कुछ अशुभ योग होते हैं, जो धन की हानि और आर्थिक कठिनाइयों का कारण बन सकते हैं। इनमें प्रमुख हैं:
यदि कुंडली में ये योग हों, तो व्यक्ति को जीवन में धन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसे दूर करने के लिए उपायों और ग्रहों की शांति करानी चाहिए।
अगर आपकी कुंडली (Horoscope) में लक्ष्मी योग, धन योग, कुबेर योग, पंच महापुरुष योग या गजकेसरी योग मौजूद हैं, तो आपके पास अपार धन प्राप्त करने की संभावना है।
अगर आपकी कुंडली में ये योग नहीं हैं, तो उपायों के माध्यम से ग्रहों की स्थिति को सुधार सकते हैं। इसके लिए मंत्र जाप, दान, रत्न धारण और पूजा-पाठ का सहारा लिया जा सकता है।
धन योग वह विशेष ग्रह स्थिति होती है, जो व्यक्ति को अपार धन, संपत्ति और वैभव प्रदान करती है। यह मुख्य रूप से दूसरे, ग्यारहवें, नवम और पंचम भाव से जुड़ा होता है।
लक्ष्मी योग तब बनता है जब बृहस्पति और शुक्र मजबूत स्थिति में होते हैं और लग्न, पंचम या नवम भाव में होते हैं। यह योग व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि और ऐश्वर्य प्रदान करता है।
गजकेसरी योग तब बनता है जब बृहस्पति और चंद्रमा केंद्र भाव में स्थित होते हैं। यह व्यक्ति को बुद्धिमान, प्रभावशाली और धनवान बनाता है।
राज योग तब बनता है जब शुभ ग्रह केंद्र या त्रिकोण भाव में स्थित होते हैं और एक-दूसरे को अनुकूल दृष्टि देते हैं। यह व्यक्ति को उच्च पद, धन, और प्रसिद्धि दिलाता है।
कुबेर योग तब बनता है जब गुरु और शुक्र दूसरे, ग्यारहवें या नवम भाव में होते हैं। यह योग व्यक्ति को अपार धन, जायदाद और व्यापार में सफलता प्रदान करता है।
धन योग केवल आर्थिक समृद्धि देता है, जबकि राज योग व्यक्ति को प्रभावशाली पद और सामाजिक प्रतिष्ठा भी प्रदान करता है।
धन योग न होने पर शुभ ग्रहों को मजबूत करने के लिए उपाय किए जा सकते हैं, जैसे कि दान, मंत्र जाप, रत्न धारण और पूजा-पाठ।
यह योग तब बनता है जब मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र या शनि उच्च राशि में होकर केंद्र भाव में होते हैं। इससे व्यक्ति राजसी ठाट-बाट और अपार धन-संपत्ति प्राप्त करता है।
राहु और केतु यदि धन भाव में हो, तो व्यक्ति को अचानक धन लाभ हो सकता है, लेकिन यह स्थायी नहीं रहता। यह अनिश्चितता और अस्थिरता लाता है।
हाँ, यदि शनि शुभ स्थिति में हो और दशम, नवम या ग्यारहवें भाव में हो, तो व्यक्ति को धीरे-धीरे लेकिन स्थायी धन प्राप्त होता है।
दारिद्र्य योग वह स्थिति होती है जब दूसरे और ग्यारहवें भाव में अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो, जिससे व्यक्ति को धन हानि और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
नहीं, केवल धन योग होने से ही कोई अमीर नहीं बनता। ग्रहों की दशा, मेहनत और परिस्थितियाँ भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
हाँ, व्यापारियों की कुंडली में आमतौर पर बुध, शुक्र और गुरु मजबूत स्थिति में होते हैं, जो उन्हें व्यवसाय में सफलता दिलाते हैं।
हाँ, ग्रहों की दशा समय-समय पर बदलती है। यदि व्यक्ति की महादशा और अंतर्दशा अनुकूल हो, तो धन योग का प्रभाव अधिक मजबूत हो सकता है।
धन योग को मजबूत करने के लिए बृहस्पति, शुक्र और बुध को अनुकूल बनाने के लिए दान, मंत्र जाप, पीले वस्त्र धारण करना, रुद्राक्ष पहनना और भगवान विष्णु की पूजा करना लाभदायक होता है।
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