नवरात्रि में देवी (Goddess) के 9 स्वरूपों की पूजा के नियम! सही विधि जानें और पाएं मनचाहा वरदान
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की उपासना की जाती है। यह त्योहार भक्तों की आस्था, साधना और शक्ति उपासना का प्रतीक है। नवरात्रि में सही विधि और नियम के अनुसार देवी की आराधना करने से मनचाही सिद्धियां और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। इस लेख में हम हर दिन की पूजा विधि, भोग, मंत्र और नियमों को विस्तार से समझेंगे।
नवरात्रि का पहला दिन माँ शैलपुत्री को समर्पित होता है। इनका वाहन नंदी बैल है और ये त्रिशूल व कमल धारण करती हैं।
🔸 पूजा विधि:
🔹 नियम:
माँ ब्रह्मचारिणी तपस्या और साधना की देवी हैं। ये रुद्राक्ष की माला और कमंडलु धारण करती हैं।
🔸 पूजा विधि:
🔹 नियम:
माँ चंद्रघंटा शक्ति और साहस की प्रतीक हैं। इनके मस्तक पर चंद्रमा स्थित होता है।
🔸 पूजा विधि:
🔹 नियम:
माँ कुष्मांडा सूर्य की शक्ति से जगत को प्रकाशित करने वाली देवी हैं।
🔸 पूजा विधि:
🔹 नियम:
माँ स्कंदमाता प्रेम और मातृत्व की देवी हैं। ये भगवान कार्तिकेय की माता हैं।
🔸 पूजा विधि:
🔹 नियम:
माँ कात्यायनी रक्तवर्ण की होती हैं और सिंह पर सवार रहती हैं।
🔸 पूजा विधि:
🔹 नियम:
माँ कालरात्रि रुद्र रूप और अंधकार का नाश करने वाली देवी हैं।
🔸 पूजा विधि:
🔹 नियम:
माँ महागौरी श्वेत रंग की होती हैं और इनका वाहन बैल है।
🔸 पूजा विधि:
🔹 नियम:
माँ सिद्धिदात्री आठों सिद्धियों की दात्री हैं।
🔸 पूजा विधि:
🔹 नियम:
नवरात्रि का हर दिन विशेष होता है और देवी के हर स्वरूप की पूजा करने से अलग-अलग आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। सही नियम और विधि से पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है।
पूजा का सबसे शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) और संध्या समय (शाम 6-8 बजे) होता है।
नहीं, यह अनिवार्य नहीं है, लेकिन व्रत रखने से मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।
प्याज, लहसुन, मांस, शराब, तामसिक भोजन और अन्न (कुछ उपवासों में) से परहेज करना चाहिए।
हर दिन एक विशेष रंग शुभ माना जाता है, जैसे पहले दिन लाल, दूसरे दिन सफेद, तीसरे दिन नीला, आदि।
हर दिन संबंधित देवी का मंत्र जैसे “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः”, “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः”, आदि का जाप करना चाहिए।
कन्या पूजन से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को समृद्धि, सुख और आशीर्वाद देती हैं।
कलश शुभता, समृद्धि और देवी की ऊर्जा का प्रतीक है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
हवन अनिवार्य नहीं है, लेकिन हवन करने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और वातावरण पवित्र होता है।
हाँ, नवरात्रि में बाल और नाखून काटना अशुभ माना जाता है, इसलिए इससे बचना चाहिए।
नवरात्रि में नींबू-मिर्च को नजर दोष से बचाव के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन पूजा स्थल पर नहीं रखना चाहिए।
नवरात्रि में लाल वस्त्र, फल, मिठाई, अनाज और गाय को चारा दान करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है।
संभव हो तो नवरात्रि के दौरान यात्रा से बचें, क्योंकि इस समय ध्यान और साधना का विशेष महत्व होता है।
व्रत कन्या पूजन और हवन करने के बाद फलाहार या सात्विक भोजन से खोलना चाहिए।
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