नवरात्रि में करें दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) का संपूर्ण पाठ और पाएं मां दुर्गा की कृपा!
नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा की उपासना के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है। इस दौरान भक्त दुर्गा सप्तशती का पाठ करके देवी मां की कृपा प्राप्त करते हैं। दुर्गा सप्तशती को चंडी पाठ भी कहा जाता है और यह मार्कंडेय पुराण का एक अंश है। इसमें 700 श्लोक होते हैं, जो देवी महात्म्य को दर्शाते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) का संपूर्ण पाठ कैसे करें, इसकी विधि, नियम और लाभ क्या हैं।
दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) में मां दुर्गा की महिमा का विस्तार से वर्णन है। यह ग्रंथ त्रयोदश (13) अध्यायों में विभाजित है और इसमें तीन चरित्र हैं:
इसका पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। यह समस्त विघ्नों को दूर करता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण पाठ करने के लिए सही विधि और नियमों का पालन करना आवश्यक है। यह पाठ 1 दिन, 3 दिन, 7 दिन या 9 दिन में संपन्न किया जा सकता है।
शास्त्रों के अनुसार, दुर्गा सप्तशती पाठ करने के कुछ विशेष नियम होते हैं:
दुर्गा सप्तशती को 3 चरित्रों में बांटा गया है:
इसमें मधु और कैटभ नामक असुरों का वध करने का वर्णन है। इस पाठ से भय, शत्रु और रोग समाप्त होते हैं।
इसमें महिषासुर वध की गाथा है। इसका पाठ करने से धन, सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
इसमें शुंभ-निशुंभ, चंड-मुंड और रक्तबीज के वध की कथा है। इसका पाठ करने से ज्ञान, बुद्धि और विजय प्राप्त होती है।
नवरात्रि में किया गया दुर्गा सप्तशती पाठ कई गुना प्रभावशाली होता है। इस दौरान मां दुर्गा की कृपा जल्दी प्राप्त होती है और मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं। अगर आप मनचाही सफलता, धन, स्वास्थ्य या शत्रु नाश चाहते हैं, तो नवरात्रि में इस पाठ को अवश्य करें।
नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण पाठ करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह सभी कष्टों को दूर करता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है। यदि सही विधि और नियमों का पालन किया जाए, तो यह पाठ चमत्कारी परिणाम दे सकता है। इसलिए, इस नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें और मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करें!
दुर्गा सप्तशती एक धार्मिक ग्रंथ है जो मार्कंडेय पुराण का हिस्सा है। इसमें 700 श्लोक हैं, जो मां दुर्गा की महिमा और उनकी लीलाओं का वर्णन करते हैं।
नवरात्रि में मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए इसका पाठ किया जाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा का नाश करता है और सकारात्मकता, धन, सुख, और विजय दिलाता है।
इसमें कुल 13 अध्याय होते हैं, जो तीन चरित्रों में विभाजित हैं— महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती।
इसका पाठ प्रातःकाल या संध्या समय करना शुभ होता है। पाठ के दौरान शुद्ध वस्त्र धारण करें, शांत स्थान पर बैठें और मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं।
हाँ, लेकिन अगर आप संस्कृत श्लोकों का सही उच्चारण नहीं जानते, तो पहले किसी गुरु से सीखना बेहतर होगा।
हाँ, पाठ की पूर्णता और सफलता के लिए संकल्प लेना आवश्यक होता है। इससे पाठ का प्रभाव अधिक बढ़ता है।
हाँ, महिलाएं भी पाठ कर सकती हैं, लेकिन मासिक धर्म के दौरान इसे रोकना चाहिए।
हाँ, सही विधि से करने पर धन, स्वास्थ्य, शांति और शत्रु नाश में लाभ मिलता है। यह तंत्र-मंत्र दोषों को भी दूर करता है।
हवन करना शुभ माना जाता है, लेकिन यदि संभव न हो, तो आरती और प्रसाद वितरण भी पर्याप्त होता है।
नहीं, पाठ को अधूरा छोड़ना अशुभ माना जाता है। यदि बहुत जरूरी हो, तो मां दुर्गा से क्षमा मांगकर इसे अगले दिन पूरा करें।
हाँ, यह नकारात्मक शक्तियों, तंत्र-मंत्र और बुरी आत्माओं से बचाने में अत्यधिक प्रभावी है।
हाँ, इसका पाठ विशेष रूप से महालक्ष्मी चरित्र (अध्याय 2-4) करने से धन, सफलता और समृद्धि मिलती है।
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