नवरात्रि में करें इस विशेष देवी यंत्र (Devi Yantra) का पूजन, मिलेगा अपार धन, सुख और शक्ति!
नवरात्रि हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। इन नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान यदि किसी विशेष देवी यंत्र का पूजन किया जाए तो व्यक्ति को अद्भुत शक्ति, धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि नवरात्रि में कौन-सा देवी यंत्र (Devi Yantra) पूजना चाहिए, इसके लाभ, पूजन विधि और सावधानियां।
यंत्र एक विशेष ऊर्जा चक्र होता है, जिसे विशेष विधि से सिद्ध किया जाता है। यह धार्मिक और तांत्रिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यंत्र में बीज मंत्र और देवी की विशेष आकृति बनी होती है, जो उसकी ऊर्जा को सक्रिय करती है। इसे घर में स्थापित करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक शक्तियाँ दूर रहती हैं।
देवी यंत्र विशेष रूप से तांत्रिक साधना, सिद्धि प्राप्ति, धन वृद्धि, रोग निवारण और शत्रु नाश के लिए प्रयोग किए जाते हैं। यदि नवरात्रि में इसका पूजन सही विधि से किया जाए, तो यह शीघ्र फलदायक होता है।
नवरात्रि में कई प्रकार के देवी यंत्र पूजे जाते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
इन यंत्रों का पूजन नवरात्रि में करने से असीमित ऊर्जा प्राप्त होती है और साधक की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
श्री यंत्र को धन की देवी माँ लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। इसे वास्तु दोष निवारण और धन आगमन के लिए प्रयोग किया जाता है।
लाभ:
✅ धन और व्यापार में वृद्धि।
✅ कर्ज से मुक्ति।
✅ घर में सुख-शांति।
दुर्गा यंत्र माँ दुर्गा का विशेष यंत्र है, जो सभी प्रकार के दुख, क्लेश और बाधाओं को समाप्त करता है।
लाभ:
✅ पारिवारिक समस्याओं का समाधान।
✅ नौकरी और व्यापार में सफलता।
✅ शत्रुओं पर विजय।
काली यंत्र माँ काली का शक्ति-प्रधान यंत्र है, जो सभी प्रकार की तांत्रिक बाधाओं, भय और शत्रु नाश के लिए उपयोग किया जाता है।
लाभ:
✅ तांत्रिक प्रभाव से रक्षा।
✅ डर और नकारात्मकता से मुक्ति।
✅ अद्भुत शक्ति प्राप्ति।
चंडी यंत्र माँ चंडी का दिव्य यंत्र है, जो व्यक्ति को तेज, पराक्रम और सफलता प्रदान करता है। यह विशेष रूप से राजनीति, प्रशासन और कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता देता है।
लाभ:
✅ कठिन कार्यों में सफलता।
✅ शत्रु पर विजय।
✅ मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि।
गायत्री यंत्र व्यक्ति के बौद्धिक विकास, आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति के लिए अत्यंत लाभकारी है।
लाभ:
✅ बुद्धि और स्मरण शक्ति में वृद्धि।
✅ छात्रों के लिए विशेष लाभकारी।
✅ आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान प्राप्ति।
✔ यंत्र को शुद्ध स्थान पर रखें।
✔ गंगा जल से स्नान कराकर ही पूजा करें।
✔ यंत्र पूजन के समय शुद्धता और ध्यान बनाए रखें।
✔ निर्धारित मंत्र का जाप करना आवश्यक है।
✔ नवरात्रि में इसे प्रतिदिन दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
नवरात्रि में विशेष देवी यंत्र का पूजन करने से धन, सुख, शक्ति और सुरक्षा प्राप्त होती है। यदि पूजन सही विधि से और पूरी श्रद्धा से किया जाए, तो यह शीघ्र फलदायी होता है। श्री यंत्र, दुर्गा यंत्र, काली यंत्र, चंडी यंत्र और गायत्री यंत्र नवरात्रि में विशेष रूप से पूजे जाने चाहिए। इनकी पूजा से व्यक्ति के सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में उन्नति होती है।
उत्तर: नवरात्रि में देवी यंत्र का पूजन करने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जो सुख, समृद्धि, शक्ति और सुरक्षा प्रदान करती है।
उत्तर: देवी यंत्र एक ऊर्जा चक्र होता है, जिसमें देवी के विशेष मंत्र और प्रतीक चिह्न होते हैं। यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है।
उत्तर: नवरात्रि में श्री यंत्र, दुर्गा यंत्र, काली यंत्र, चंडी यंत्र, गायत्री यंत्र, महामृत्युंजय यंत्र आदि पूजे जाते हैं।
उत्तर: श्री यंत्र धन, सुख और समृद्धि का प्रतीक है। इसे पूजने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और घर में धन आगमन बढ़ता है।
उत्तर: दुर्गा यंत्र सभी प्रकार की परेशानियों को समाप्त करता है और नौकरी, व्यापार और पारिवारिक समस्याओं में राहत देता है।
उत्तर: काली यंत्र तांत्रिक बाधाओं, भय और शत्रुओं से सुरक्षा देता है और साहस व आत्मबल बढ़ाता है।
उत्तर: चंडी यंत्र विजय, शक्ति और सफलता प्रदान करता है। यह विशेष रूप से राजनीति, प्रशासन और कोर्ट-कचहरी से जुड़े लोगों के लिए लाभकारी है।
उत्तर: गायत्री यंत्र से बुद्धि, एकाग्रता और आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह विशेष रूप से विद्यार्थियों और साधकों के लिए उपयोगी है।
उत्तर: देवी यंत्र को पूर्व या उत्तर दिशा में स्थापित करना शुभ माना जाता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
उत्तर:
उत्तर: नवरात्रि के पहले दिन (प्रतिपदा) या अष्टमी/नवमी के दिन यंत्र स्थापना करना सबसे शुभ होता है।
उत्तर: हां, देवी यंत्र को घर में हमेशा पूजा स्थल या तिजोरी में रख सकते हैं, लेकिन इसे नियमित रूप से पूजना जरूरी होता है।
उत्तर: यंत्र को मंत्र जाप और विशेष अनुष्ठान के माध्यम से सिद्ध किया जाता है। इसे सिद्ध करने के लिए संबंधित देवी के मंत्र का 108 या 1008 बार जाप करें।
उत्तर: हां, लेकिन यदि गुरु से दीक्षा लेकर यंत्र सिद्ध किया जाए, तो इसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है।
उत्तर: यदि यंत्र का सही तरीके से पूजन न किया जाए, तो यह निष्क्रिय हो सकता है और उसका पूर्ण लाभ नहीं मिलता। इसलिए नियमित पूजन और देखभाल जरूरी होती है।
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