देवी लक्ष्मी (Devi Lakshmi) से जुड़े 12 रहस्यमयी तथ्य! इसे जानने के बाद बदल सकती है आपकी किस्मत!
देवी लक्ष्मी (Devi Lakshmi) को धन, वैभव, सौभाग्य और समृद्धि की देवी माना जाता है। हिंदू धर्म में इन्हें अत्यधिक पूजनीय माना गया है। आमतौर पर लोग देवी लक्ष्मी को केवल धन की देवी मानते हैं, लेकिन उनसे जुड़े कई ऐसे रहस्यमयी तथ्य हैं जो बहुत कम लोगों को पता होते हैं। इस लेख में हम उन्हीं अद्भुत तथ्यों पर प्रकाश डालेंगे।
हिंदू ग्रंथों के अनुसार, देवी लक्ष्मी (Devi Lakshmi) का जन्म समुद्र मंथन से हुआ था। जब देवताओं और असुरों ने अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन किया, तो चौदह रत्नों के साथ देवी लक्ष्मी भी प्रकट हुईं। इसीलिए इन्हें ‘क्षीरसागर निवासिनी’ भी कहा जाता है। मान्यता है कि जिन घरों में साफ-सफाई और पवित्रता होती है, वहां देवी लक्ष्मी का वास होता है।
देवी लक्ष्मी को चंचला कहा गया है, जिसका अर्थ है कि वे स्थिर नहीं रहतीं। जिस घर में अशांति, आलस्य और अपवित्रता होती है, वहां से लक्ष्मी तुरंत चली जाती हैं। इसलिए कहा जाता है कि कड़ी मेहनत और स्वच्छता से ही लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
देवी लक्ष्मी (Devi Lakshmi) के केवल धन की देवी होने की धारणा गलत है। इनके आठ स्वरूप होते हैं, जिन्हें अष्टलक्ष्मी कहा जाता है:
इन आठ स्वरूपों के अलग-अलग महत्व हैं, जो इंसान के जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करते हैं।
देवी लक्ष्मी का वाहन उल्लू है, जो प्रतीक है गहरी बुद्धिमत्ता और सतर्कता का। उल्लू को रात्रि का जीव माना जाता है, जो यह संकेत देता है कि जो व्यक्ति सावधानी और समझदारी से धन का उपयोग करता है, वही असली समृद्धि को प्राप्त करता है।
देवी लक्ष्मी को भगवान विष्णु की अर्धांगिनी माना जाता है। बिना विष्णु के लक्ष्मी अस्थिर और चंचल रहती हैं। इसी कारण, जहां भगवान विष्णु की पूजा होती है, वहां लक्ष्मी स्थायी रूप से निवास करती हैं। इसीलिए विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना धन और सुख-समृद्धि के लिए बहुत फलदायी माना जाता है।
कई लोग सोचते हैं कि देवी लक्ष्मी केवल धन और वैभव प्रदान करती हैं, लेकिन वास्तव में वे शुभ गुण, सदाचार, करुणा और धार्मिकता भी प्रदान करती हैं। अगर कोई व्यक्ति अनैतिक तरीकों से धन कमाए, तो देवी लक्ष्मी जल्दी ही उसे छोड़कर चली जाती हैं।
हिंदू धर्म में शुक्रवार को देवी लक्ष्मी का विशेष दिन माना गया है। इस दिन उपवास, सफेद वस्त्र धारण करना, खीर का भोग लगाना और लक्ष्मी मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है। ऐसा करने से घर में धन-धान्य और सुख-समृद्धि आती है।
शास्त्रों में कहा गया है कि रात में झाड़ू लगाने से लक्ष्मी चली जाती हैं, लेकिन इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि पहले रोशनी की व्यवस्था अच्छी नहीं होती थी, जिससे कीमती सामान के खोने का डर रहता था। इसलिए इसे अशुभ माना गया। हालाँकि, स्वच्छता देवी लक्ष्मी को प्रिय होती है, इसलिए दिन हो या रात, साफ-सफाई हमेशा ज़रूरी होती है।
पूर्णिमा तिथि को देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा, दीपदान और मंत्र जाप करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। खासतौर पर कोजागरी पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी जाग्रत रहती हैं और जागरण करने वालों को आशीर्वाद देती हैं।
तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाती है, और जहाँ तुलसी होती है, वहाँ देवी लक्ष्मी का स्थायी वास होता है। इसलिए, जिन घरों में तुलसी पूजन होता है, वहां लक्ष्मी कृपा बनी रहती है।
भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी व्रत रखा जाता है, जिसे करने से जीवन में धन-धान्य, सुख-समृद्धि और सफलता मिलती है। इस दिन व्रत रखने और श्रीसूक्त का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
अगर कोई व्यक्ति अहंकार, आलस्य, असत्य और अधर्म का पालन करता है, तो देवी लक्ष्मी उससे नाराज हो जाती हैं। इससे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है। यही कारण है कि देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए सद्गुणों और धार्मिकता का पालन करना बहुत जरूरी होता है।
देवी लक्ष्मी केवल धन की देवी नहीं, बल्कि शुभता, बुद्धि, धैर्य और सफलता की देवी भी हैं। यदि कोई व्यक्ति ईमानदारी, स्वच्छता, मेहनत और धार्मिकता को अपनाता है, तो देवी लक्ष्मी की कृपा उस पर बनी रहती है। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए केवल पूजा-पाठ ही नहीं, बल्कि सही आचरण और विचारधारा भी जरूरी होती है।
देवी लक्ष्मी (Devi Lakshmi) को धन, समृद्धि, वैभव और सौभाग्य की देवी माना जाता है। वे भगवान विष्णु की पत्नी हैं और संसार में सुख-समृद्धि बनाए रखने का कार्य करती हैं।
देवी लक्ष्मी का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया, तब वे प्रकट हुईं।
देवी लक्ष्मी के आठ प्रमुख स्वरूप होते हैं, जिन्हें अष्टलक्ष्मी कहा जाता है। ये स्वरूप हैं – आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धैर्य लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी और अन्न लक्ष्मी।
देवी लक्ष्मी का वाहन उल्लू है, जो बुद्धिमत्ता और सतर्कता का प्रतीक माना जाता है। यह दर्शाता है कि जो व्यक्ति विवेक से धन का उपयोग करता है, वही सच्चे अर्थों में समृद्ध होता है।
शुक्रवार को देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत, सफेद वस्त्र धारण करना और खीर का भोग लगाने से लक्ष्मी कृपा प्राप्त होती है।
नहीं, देवी लक्ष्मी को चंचला कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वे किसी एक स्थान पर स्थायी रूप से नहीं रहतीं। वे केवल साफ-सुथरे, मेहनती और धार्मिक लोगों के घर में निवास करती हैं।
लक्ष्मी कृपा पाने के लिए सफाई, सत्य, परिश्रम, धार्मिकता और दान-पुण्य का पालन करना चाहिए। झूठ, चोरी, आलस्य और अपवित्रता से लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।
शास्त्रों में कहा गया है कि रात में झाड़ू लगाने से लक्ष्मी चली जाती हैं, लेकिन इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि पहले रोशनी कम होने के कारण कीमती चीजें फेंकने या खोने का डर रहता था।
देवी लक्ष्मी को कमल का फूल और सफेद पुष्प अत्यधिक प्रिय हैं। पूजा में इन फूलों को चढ़ाने से विशेष लाभ मिलता है।
नहीं, देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं। यदि विष्णु जी के बिना लक्ष्मी पूजा की जाती है, तो वह अधूरी मानी जाती है। इसलिए, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना लाभकारी होता है।
पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। खासकर कोजागरी पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी जाग्रत रहती हैं और जागरण करने वालों को आशीर्वाद देती हैं।
लक्ष्मी कृपा के लिए व्यय और बचत में संतुलन रखना जरूरी है। अनावश्यक खर्चों से बचें, दान-पुण्य करें और धन का सदुपयोग करें। इससे धन में वृद्धि होती है।
सबसे प्रभावशाली मंत्र हैं –
अहंकार, आलस्य, अनैतिकता, झूठ और अधर्म करने वाले लोगों से देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं और उनसे अपनी कृपा हटा लेती हैं।
घर में साफ-सफाई, तुलसी पूजन, दीपदान, सत्यवादिता, मेहनत और धार्मिकता का पालन करने से लक्ष्मी जी का स्थायी वास होता है।
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