नवरात्रि में कौन से शंख (Conch Shell) बजाने से होती है माँ दुर्गा की कृपा? जानिए सही तरीका!
नवरात्रि भारत के प्रमुख पवित्र त्योहारों में से एक है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें शंखनाद का विशेष महत्व होता है। शंख बजाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, वातावरण शुद्ध होता है और ईश्वरीय ऊर्जा का संचार होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि में कुछ विशेष प्रकार के शंख बजाने से माँ दुर्गा की कृपा जल्दी प्राप्त होती है? इस लेख में हम जानेंगे कि कौन-से शंख (Conch Shell) बजाने चाहिए, उनके लाभ और सही उपयोग का तरीका।
शंख को पवित्र और शक्तिशाली ध्वनि यंत्र माना जाता है। इसकी ध्वनि से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है, और नकारात्मक शक्तियाँ दूर भागती हैं। हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि शंख की ध्वनि से भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं। नवरात्रि में माँ दुर्गा की आराधना के दौरान शंख बजाने से घर में शांति, समृद्धि और सुख आता है।
विज्ञान के अनुसार, जब शंख बजाया जाता है, तो उसकी ध्वनि तरंगें वातावरण में कंपन उत्पन्न करती हैं, जिससे हवा में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस नष्ट हो जाते हैं। यह एक प्राकृतिक शुद्धिकरण प्रक्रिया है, जिससे घर में स्वास्थ्यवर्धक माहौल बनता है।
नवरात्रि के दौरान कुछ विशेष प्रकार के शंख बजाने से माँ दुर्गा की कृपा जल्दी प्राप्त होती है। ये शंख अलग-अलग ऊर्जा तरंगों का संचार करते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों में विशेष भूमिका निभाते हैं।
नवरात्रि में शंख बजाने के कई अद्भुत लाभ होते हैं:
✅ नकारात्मक ऊर्जा का नाश – शंख की ध्वनि से घर में उपस्थित बुरी शक्तियाँ दूर होती हैं।
✅ आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार – शंख बजाने से मंत्र और पूजा अधिक प्रभावी होते हैं।
✅ स्वास्थ्य लाभ – वैज्ञानिक दृष्टि से शंख बजाने से फेफड़ों की शक्ति बढ़ती है और रक्त संचार सही रहता है।
✅ धन और समृद्धि – विशेष रूप से दक्षिणावर्ती शंख बजाने से आर्थिक उन्नति होती है।
✅ माँ दुर्गा की विशेष कृपा – नवरात्रि में शंख बजाने से माँ दुर्गा जल्दी प्रसन्न होती हैं।
शंख बजाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।
1️⃣ शंख को साफ और शुद्ध स्थान पर रखें।
2️⃣ नवरात्रि में सुबह और शाम पूजा के समय शंख बजाना शुभ माना जाता है।
3️⃣ शंख बजाने से पहले हाथ धो लें और पवित्र भाव से बजाएँ।
4️⃣ शंख में कभी भी जल नहीं भरना चाहिए, क्योंकि यह पूजा के लिए उपयोग होता है।
5️⃣ अंत्येष्टि (श्राद्ध) या अशुभ अवसरों पर शंख नहीं बजाना चाहिए।
कुछ शंख पूजा या नवरात्रि के दौरान नहीं बजाने चाहिए क्योंकि उनकी ध्वनि नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
❌ टूटा हुआ शंख – अगर शंख टूटा हुआ है, तो उसे पूजा में उपयोग नहीं करना चाहिए।
❌ अशुद्ध शंख – जो शंख गंदा या अशुद्ध हो, उसे नहीं बजाना चाहिए।
❌ बहुत छोटे शंख – बहुत छोटे शंख की ध्वनि कमजोर होती है, इसलिए इसे पूजा में प्रयोग नहीं करना चाहिए।
हाँ! शास्त्रों में कहा गया है कि नवरात्रि में सही शंख बजाने से माँ दुर्गा जल्दी प्रसन्न होती हैं। जब शंख बजाया जाता है, तो उसकी ध्वनि ब्रह्मांडीय ऊर्जा उत्पन्न करती है, जिससे माँ दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से नवरात्रि के दौरान शंख बजाता है, तो उसके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
नवरात्रि में शंख बजाना एक अत्यंत पवित्र और शुभ कार्य माना जाता है। यह न केवल आध्यात्मिक रूप से लाभकारी है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। दक्षिणावर्ती शंख, गौरी शंख, विष्णु शंख, मोती शंख और संपूर्ण शंख नवरात्रि में बजाने के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। इन शंखों की ध्वनि से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं, माँ दुर्गा प्रसन्न होती हैं और जीवन में धन, सुख और समृद्धि आती है। इसलिए, इस नवरात्रि पर सही शंख बजाएँ और माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करें!
नवरात्रि में शंख बजाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, वातावरण शुद्ध होता है, और माँ दुर्गा प्रसन्न होती हैं। इसकी ध्वनि से शुभ ऊर्जा का संचार होता है।
दक्षिणावर्ती शंख, गौरी शंख, विष्णु शंख, मोती शंख और संपूर्ण शंख नवरात्रि में बजाने के लिए सबसे शुभ माने जाते हैं।
दक्षिणावर्ती शंख दक्षिण दिशा में खुलता है और इसे लक्ष्मी शंख भी कहा जाता है। इसे बजाने से धन और समृद्धि बढ़ती है।
विष्णु शंख बजाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और बीमारियों से बचाव होता है। यह घर में शांति और सौभाग्य लाता है।
गौरी शंख माँ पार्वती से जुड़ा हुआ है और इसे बजाने से विवाह और संतान सुख प्राप्त होता है।
मोती शंख शांति और ध्यान शक्ति को बढ़ाता है। यह मानसिक तनाव को कम करता है और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
हाँ, कोई भी शुद्ध मन से शंख बजा सकता है, लेकिन इसे बजाने से पहले हाथ धोना और पवित्रता बनाए रखना आवश्यक है।
नहीं, टूटे हुए शंख को पूजा में प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है।
हाँ, शंख बजाने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है, रक्त संचार बेहतर होता है, और इसकी ध्वनि से हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस नष्ट हो सकते हैं।
हाँ, सुबह और संध्या आरती के समय शंख बजाना अत्यंत शुभ माना जाता है और यह पूजा को अधिक प्रभावी बनाता है।
नहीं, शंख में कभी भी जल नहीं भरना चाहिए, क्योंकि यह पूजा का पवित्र यंत्र होता है और इसमें जल भरने से इसकी पवित्रता भंग हो सकती है।
हाँ, नवरात्रि में शंख की ध्वनि माँ दुर्गा तक जल्दी पहुँचती है, जिससे उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
हाँ, शंख की शुद्ध ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और घर में शांति व समृद्धि बनी रहती है।
नहीं, टूटे हुए, गंदे या बहुत छोटे शंख को नवरात्रि में नहीं बजाना चाहिए, क्योंकि उनकी ध्वनि प्रभावी नहीं होती।
हाँ, विशेष रूप से दक्षिणावर्ती शंख बजाने से आर्थिक उन्नति और धन वृद्धि होती है।
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