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नवरात्रि में देवी के 9 स्वरूपों की आरती (Aarti) और उनका महत्व – जानें संपूर्ण विवरण!

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“नवरात्रि में देवी के 9 स्वरूपों की आरती (Aarti) और उनका महत्व – जानें संपूर्ण विवरण!”


नवरात्रि में देवी के विभिन्न स्वरूपों की आरती: (Aarti) प्रत्येक स्वरूप की आरती और उसका महत्व

नवरात्रि का पर्व शक्ति की देवी मां दुर्गा को समर्पित है। इस दौरान मां के नौ स्वरूपों की पूजा होती है और उनकी आरती (Aarti) गाई जाती है। आरती का विशेष महत्व है क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती है और भक्तों को मां की कृपा प्राप्त होती है।

Contents

इस लेख में हम नवरात्रि के प्रत्येक दिन पूजी जाने वाली देवी के स्वरूप, उनकी आरती और उनके महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।


1. मां शैलपुत्री की आरती और महत्व

पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। यह मां पार्वती का ही रूप हैं और हिमालय के राजा हिमवान की पुत्री हैं। ये नंदी बैल पर सवार रहती हैं और इनके हाथों में त्रिशूल और कमल होता है।

आरती: (Aarti)

“शैलपुत्री मां तुम वरदानी।
पाप हरो भव मति अज्ञानी॥

महत्व:

इनकी पूजा से संकल्प शक्ति और धैर्य बढ़ता है। जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और मन शांत रहता है।


2. मां ब्रह्मचारिणी की आरती और महत्व

दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ये तपस्या और संयम की देवी हैं। इनके हाथों में जप माला और कमंडल होता है।

आरती: (Aarti)

जय अम्बे ब्रह्माचारिणी माता।
जो कोई तुम्हें ध्याता॥

महत्व:

इनकी आराधना से सहनशीलता, आत्मबल और विद्या प्राप्त होती है। छात्र और साधक इनकी पूजा विशेष रूप से करते हैं।


3. मां चंद्रघंटा की आरती और महत्व

तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इनके मस्तक पर अर्धचंद्र है, जो इन्हें अद्भुत रूप प्रदान करता है। ये सिंह पर सवार होती हैं और दस भुजाओं में शस्त्र धारण किए रहती हैं

आरती: (Aarti)

“जय मां चंद्रघंटे सुख दाती।
दुख हरता अमृत बरसाती

महत्व:

इनकी उपासना से भय, रोग और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और व्यक्ति को शौर्य और साहस प्राप्त होता है।


4. मां कूष्मांडा की आरती और महत्व

चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा होती है। यह ब्रह्मांड की सृष्टि करने वाली देवी मानी जाती हैं।

आरती: (Aarti)

“जय जग जननी जय मां कूष्मांडा।
सुख संपत्ति दायक पुण्यकांडा॥

महत्व:

इनकी पूजा से स्वास्थ्य, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। यह मां अत्यंत दयालु और सौम्य हैं।


5. मां स्कंदमाता की आरती और महत्व

पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। ये भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं और सिंह पर विराजमान होती हैं।

आरती: (Aarti)

“जय जय मां स्कंदमाता।
जगत पालन की तुम विधाता॥

महत्व:

इनकी आराधना से मातृत्व सुख, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त होती है। जो महिलाएं संतान सुख चाहती हैं, वे विशेष रूप से इनकी पूजा करती हैं।


6. मां कात्यायनी की आरती और महत्व

छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है। इन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है क्योंकि इन्होंने महिषासुर का संहार किया था।

आरती: (Aarti)

“जय जय मां कात्यायनी।
पाप नाशिनी, दुख हरनी॥

महत्व:

इनकी पूजा से शत्रुओं पर विजय, मनोवांछित फल और आत्मबल प्राप्त होता है।


7. मां कालरात्रि की आरती और महत्व

सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है। इनका स्वरूप भयावह है, लेकिन ये भक्तों को निर्भय बना देती हैं।

आरती: (Aarti)

“जय काली मां जय काली।
रिपु संघारिणी महाकाली॥

महत्व:

इनकी आराधना से भूत-प्रेत, बुरी शक्तियां और भय समाप्त होते हैं और जीवन में साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है।


8. मां महागौरी की आरती और महत्व

आठवें दिन मां महागौरी की पूजा होती है। इनका स्वरूप अत्यंत उज्ज्वल और सौम्य होता है।

आरती: (Aarti)

“जय महागौरी जगत की माया।
जय उमा भवानी जय महाकाया॥

महत्व:

इनकी उपासना से दुख, दरिद्रता और मानसिक तनाव समाप्त होता है और जीवन में शांति और सुख प्राप्त होता है।


9. मां सिद्धिदात्री की आरती और महत्व

नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी हैं।

आरती: (Aarti)

“जय सिद्धिदात्री मां भवानी।
तुम हो सबकी दयावानी॥

महत्व:

इनकी पूजा से सर्वसिद्धियों की प्राप्ति, जीवन में सुख-शांति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

नवरात्रि में देवी के 9 स्वरूपों की आरती (Aarti) और उनका महत्व – जानें संपूर्ण विवरण!

नवरात्रि में मां के नौ स्वरूपों की आराधना और उनकी आरती करने से भक्तों को शक्ति, सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। प्रत्येक देवी का स्वरूप हमें जीवन का कोई महत्वपूर्ण संदेश देता है और हमें आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।

इसलिए, नवरात्रि के दौरान आरती गाकर मां को प्रसन्न करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुखमय बनाएं।


नवरात्रि में देवी के विभिन्न स्वरूपों की आरती (Aarti) से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

1. नवरात्रि में देवी की आरती क्यों की जाती है?

उत्तर: आरती करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

2. नवरात्रि में कौन-कौन सी देवी पूजी जाती हैं?

उत्तर: नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूप – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा होती है।

3. नवरात्रि की आरती कब करनी चाहिए?

उत्तर: आरती सुबह और शाम, पूजा के बाद करनी चाहिए।

4. क्या नवरात्रि की आरती करने से विशेष लाभ होता है?

उत्तर: हां, नवरात्रि में आरती करने से देवी अशीर्वाद देती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

5. क्या हर देवी की अलग-अलग आरती होती है?

उत्तर: हां, प्रत्येक देवी की अलग आरती होती है, जो उनकी विशेषताओं और शक्तियों को दर्शाती है।

6. नवरात्रि में आरती के समय किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर: साफ-सफाई, शुद्ध घी या तेल का दीपक, भक्ति भाव और नियमों का पालन करना चाहिए।

7. क्या बिना व्रत के भी नवरात्रि की आरती की जा सकती है?

उत्तर: हां, व्रत न रखने वाले भी श्रद्धा से आरती कर सकते हैं।

8. क्या नवरात्रि में केवल दुर्गा माता की ही आरती करनी चाहिए?

उत्तर: मुख्य रूप से मां दुर्गा की आरती होती है, लेकिन हर दिन के अनुसार देवी की विशेष आरती भी गाई जाती है।

9. नवरात्रि में कौन-सी आरती सबसे अधिक प्रभावशाली मानी जाती है?

उत्तर: “जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी” सबसे अधिक लोकप्रिय आरती है।

10. नवरात्रि में किस रंग के वस्त्र पहनकर आरती करनी चाहिए?

उत्तर: हर दिन के लिए एक विशेष रंग होता है, जैसे पहले दिन लाल, दूसरे दिन सफेद आदि।

11. क्या मोबाइल पर रिकॉर्डेड आरती सुनना लाभकारी होता है?

उत्तर: हां, लेकिन खुद भावपूर्वक गाने से अधिक लाभ मिलता है।

12. क्या नवरात्रि की आरती के बाद प्रसाद बांटना चाहिए?

उत्तर: हां, आरती के बाद प्रसाद बांटना शुभ माना जाता है।

13. क्या आरती के दौरान घंटी और शंख बजाना जरूरी है?

उत्तर: हां, घंटी और शंख बजाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

14. नवरात्रि में दीप जलाकर आरती करने का क्या महत्व है?

उत्तर: दीप जलाने से देवी को प्रसन्नता होती है और घर में शांति और समृद्धि आती है।

15. क्या नवरात्रि की आरती घर पर अकेले कर सकते हैं?

उत्तर: हां, लेकिन सामूहिक आरती करने से अधिक शुभ फल मिलता है।

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