नवरात्रि में देवी के 9 स्वरूपों की आरती (Aarti) और उनका महत्व – जानें संपूर्ण विवरण!
नवरात्रि का पर्व शक्ति की देवी मां दुर्गा को समर्पित है। इस दौरान मां के नौ स्वरूपों की पूजा होती है और उनकी आरती (Aarti) गाई जाती है। आरती का विशेष महत्व है क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती है और भक्तों को मां की कृपा प्राप्त होती है।
इस लेख में हम नवरात्रि के प्रत्येक दिन पूजी जाने वाली देवी के स्वरूप, उनकी आरती और उनके महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।
पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। यह मां पार्वती का ही रूप हैं और हिमालय के राजा हिमवान की पुत्री हैं। ये नंदी बैल पर सवार रहती हैं और इनके हाथों में त्रिशूल और कमल होता है।
“शैलपुत्री मां तुम वरदानी।
पाप हरो भव मति अज्ञानी॥“
इनकी पूजा से संकल्प शक्ति और धैर्य बढ़ता है। जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और मन शांत रहता है।
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ये तपस्या और संयम की देवी हैं। इनके हाथों में जप माला और कमंडल होता है।
“जय अम्बे ब्रह्माचारिणी माता।
जो कोई तुम्हें ध्याता॥“
इनकी आराधना से सहनशीलता, आत्मबल और विद्या प्राप्त होती है। छात्र और साधक इनकी पूजा विशेष रूप से करते हैं।
तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इनके मस्तक पर अर्धचंद्र है, जो इन्हें अद्भुत रूप प्रदान करता है। ये सिंह पर सवार होती हैं और दस भुजाओं में शस्त्र धारण किए रहती हैं।
“जय मां चंद्रघंटे सुख दाती।
दुख हरता अमृत बरसाती॥“
इनकी उपासना से भय, रोग और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और व्यक्ति को शौर्य और साहस प्राप्त होता है।
चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा होती है। यह ब्रह्मांड की सृष्टि करने वाली देवी मानी जाती हैं।
“जय जग जननी जय मां कूष्मांडा।
सुख संपत्ति दायक पुण्यकांडा॥“
इनकी पूजा से स्वास्थ्य, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। यह मां अत्यंत दयालु और सौम्य हैं।
पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। ये भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं और सिंह पर विराजमान होती हैं।
“जय जय मां स्कंदमाता।
जगत पालन की तुम विधाता॥“
इनकी आराधना से मातृत्व सुख, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त होती है। जो महिलाएं संतान सुख चाहती हैं, वे विशेष रूप से इनकी पूजा करती हैं।
छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है। इन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है क्योंकि इन्होंने महिषासुर का संहार किया था।
“जय जय मां कात्यायनी।
पाप नाशिनी, दुख हरनी॥“
इनकी पूजा से शत्रुओं पर विजय, मनोवांछित फल और आत्मबल प्राप्त होता है।
सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है। इनका स्वरूप भयावह है, लेकिन ये भक्तों को निर्भय बना देती हैं।
“जय काली मां जय काली।
रिपु संघारिणी महाकाली॥“
इनकी आराधना से भूत-प्रेत, बुरी शक्तियां और भय समाप्त होते हैं और जीवन में साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है।
आठवें दिन मां महागौरी की पूजा होती है। इनका स्वरूप अत्यंत उज्ज्वल और सौम्य होता है।
“जय महागौरी जगत की माया।
जय उमा भवानी जय महाकाया॥“
इनकी उपासना से दुख, दरिद्रता और मानसिक तनाव समाप्त होता है और जीवन में शांति और सुख प्राप्त होता है।
नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी हैं।
“जय सिद्धिदात्री मां भवानी।
तुम हो सबकी दयावानी॥“
इनकी पूजा से सर्वसिद्धियों की प्राप्ति, जीवन में सुख-शांति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
नवरात्रि में मां के नौ स्वरूपों की आराधना और उनकी आरती करने से भक्तों को शक्ति, सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। प्रत्येक देवी का स्वरूप हमें जीवन का कोई महत्वपूर्ण संदेश देता है और हमें आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
इसलिए, नवरात्रि के दौरान आरती गाकर मां को प्रसन्न करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुखमय बनाएं।
उत्तर: आरती करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
उत्तर: नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूप – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा होती है।
उत्तर: आरती सुबह और शाम, पूजा के बाद करनी चाहिए।
उत्तर: हां, नवरात्रि में आरती करने से देवी अशीर्वाद देती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
उत्तर: हां, प्रत्येक देवी की अलग आरती होती है, जो उनकी विशेषताओं और शक्तियों को दर्शाती है।
उत्तर: साफ-सफाई, शुद्ध घी या तेल का दीपक, भक्ति भाव और नियमों का पालन करना चाहिए।
उत्तर: हां, व्रत न रखने वाले भी श्रद्धा से आरती कर सकते हैं।
उत्तर: मुख्य रूप से मां दुर्गा की आरती होती है, लेकिन हर दिन के अनुसार देवी की विशेष आरती भी गाई जाती है।
उत्तर: “जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी” सबसे अधिक लोकप्रिय आरती है।
उत्तर: हर दिन के लिए एक विशेष रंग होता है, जैसे पहले दिन लाल, दूसरे दिन सफेद आदि।
उत्तर: हां, लेकिन खुद भावपूर्वक गाने से अधिक लाभ मिलता है।
उत्तर: हां, आरती के बाद प्रसाद बांटना शुभ माना जाता है।
उत्तर: हां, घंटी और शंख बजाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
उत्तर: दीप जलाने से देवी को प्रसन्नता होती है और घर में शांति और समृद्धि आती है।
उत्तर: हां, लेकिन सामूहिक आरती करने से अधिक शुभ फल मिलता है।
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