नवरात्रि में हर दिन का विशेष भोग और आरती! (Aarti) जानिए माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के रहस्य!
नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें नौ दिनों तक माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में विशेष भोग और आरती (Aarti) का बहुत महत्व होता है। प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के अलग-अलग रूपों की उपासना की जाती है और उन्हें विशेष भोग अर्पित किया जाता है। यह भोग न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि माँ की कृपा प्राप्ति के लिए भी अनिवार्य माना जाता है।
इस लेख में हम जानेंगे नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के लिए विशेष भोग और उनकी विशिष्ट आरती, जिससे आप अपनी पूजा को अधिक फलदायी बना सकते हैं।
नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। ये पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, जिनका वाहन नंदी है। इनकी पूजा करने से मन को शांति और जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है।
माँ शैलपुत्री को देसी घी से बना भोग अर्पित किया जाता है। ऐसा करने से जीवन में स्वास्थ्य और समृद्धि आती है। गाय के घी का दीपक जलाने से माँ शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
“जय शैलपुत्री माँ, जय जय अम्बे…”
माँ शैलपुत्री की आरती गाने से मन को शुद्धता और शक्ति मिलती है। इससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। यह ज्ञान, तप और आत्मसंयम की देवी मानी जाती हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी को गुड़ और मिश्री से बनी मिठाई का भोग लगाया जाता है। यह सकारात्मक ऊर्जा और आत्मबल बढ़ाने में सहायक होता है।
“जय माँ ब्रह्मचारिणी, तेरा गुण गाऊं…”
इस आरती को गाने से धैर्य और शांति प्राप्त होती है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा तीसरे दिन की जाती है। इनका स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी है।
माँ चंद्रघंटा को दूध और दूध से बने व्यंजन जैसे खीर या रसगुल्ले का भोग लगाया जाता है। इससे मानसिक शांति और शक्ति मिलती है।
“जय माँ चंद्रघंटा, सुख धाम…”
इस आरती से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और शुभता बढ़ती है।
माँ कूष्मांडा ब्रह्मांड की सृजनकर्ता मानी जाती हैं। इनकी उपासना से दीर्घायु और उन्नति प्राप्त होती है।
माँ को मालपुआ का भोग अर्पित किया जाता है। यह बुद्धि और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।
“जय माँ कूष्मांडा, जगत की माता…”
इस आरती से आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ता है।
माँ स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय की माता हैं। इनकी पूजा करने से पारिवारिक सुख और सौभाग्य प्राप्त होता है।
माँ को केले का भोग अर्पित किया जाता है, जो स्वास्थ्य और संतान सुख देता है।
“जय माँ स्कंदमाता, भक्तों की भाग्य विधाता…”
इस आरती से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
माँ कात्यायनी, शक्ति की देवी मानी जाती हैं। इनकी पूजा से शत्रु नाश और सफलता मिलती है।
माँ को शहद का भोग अर्पित किया जाता है, जिससे स्वास्थ्य और आकर्षण बढ़ता है।
“जय माँ कात्यायनी, करुणा की सागर…”
इस आरती से साहस और पराक्रम बढ़ता है।
माँ कालरात्रि सभी बाधाओं को दूर करने वाली देवी हैं। इनकी उपासना से भय और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
माँ को गुड़ से बने व्यंजन अर्पित किए जाते हैं, जिससे रोग और शत्रु बाधाएं दूर होती हैं।
“जय माँ कालरात्रि, तेरा तेज अपार…”
इस आरती से रक्षा और सुरक्षा प्राप्त होती है।
माँ महागौरी शांति और सौम्यता की प्रतीक हैं। इनकी पूजा से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
माँ को नारियल का भोग अर्पित किया जाता है, जिससे समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
“जय माँ महागौरी, करुणा की मूरत…”
इस आरती से मन को शांति और पवित्रता मिलती है।
माँ सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों की देवी हैं। इनकी पूजा से सभी प्रकार की सफलता प्राप्त होती है।
माँ को तिल और मेवा का भोग अर्पित किया जाता है, जिससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
“जय माँ सिद्धिदात्री, शुभ फल की दाता…”
इस आरती से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
नवरात्रि में हर दिन के विशेष भोग और आरती का पालन करने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। हर देवी के अलग-अलग स्वरूप को पूजने और विशेष भोग अर्पित करने से जीवन में शांति, समृद्धि और शक्ति प्राप्त होती है। यदि नवरात्रि के दौरान पूरी श्रद्धा से पूजा की जाए, तो माँ दुर्गा सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
हर दिन माँ दुर्गा के अलग-अलग रूप की पूजा होती है, और विशेष भोग अर्पित करने से देवी की कृपा जल्दी प्राप्त होती है।
माँ शैलपुत्री को देसी घी का भोग अर्पित किया जाता है, जिससे स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी को चीनी और पंचामृत का भोग चढ़ाया जाता है, जिससे धैर्य और संयम बढ़ता है।
माँ चंद्रघंटा को दूध और खीर का भोग लगाने से मन की शांति और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
माँ कूष्मांडा को मालपुआ अर्पित करने से बुद्धि और निर्णय क्षमता बढ़ती है।
माँ स्कंदमाता को केले का भोग चढ़ाने से संतान सुख और परिवार में खुशहाली आती है।
माँ कात्यायनी को शहद का भोग चढ़ाने से सौंदर्य और आकर्षण बढ़ता है।
माँ कालरात्रि को गुड़ और केले का भोग लगाने से भय और शत्रु बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
माँ महागौरी को नारियल और मिठाइयाँ अर्पित करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
माँ सिद्धिदात्री को तिल और हलवा अर्पित करने से सभी सिद्धियों और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है।
आरती करने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, घर में शुभता आती है, और माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।
हाँ, प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के अलग-अलग रूप की विशेष आरती गाने से अधिक शुभ फल मिलता है।
हाँ, व्रत के दौरान सात्विक भोजन से बना भोग देवी को चढ़ाना शुभ होता है।
भोग माँ को प्रसन्न करने का एक माध्यम है, लेकिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति सबसे महत्वपूर्ण होती है।
हाँ, यदि सही भोग और आरती के साथ माँ की पूजा की जाए, तो मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
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