दीपावली पर यंत्र का पूजन विधिपूर्वक कर फिर उसकी नित्य पूजा किस प्रकार करनी चाहिए ताकि साधक के घर लक्ष्मी सदैव के लिए वास करे और उस घर में सुख-समृद्धि रहे। इस संदर्भ में संक्षिप्त लेकिन सटीक जानकारी यहां दी जा रही है।
सर्वप्रथम यंत्र को शुद्ध जल से धो-पोंछ कर पूजा स्थान पर पीला कपड़ा बिछाकर स्थापित कर दें। यंत्र पर केसर अथवा हल्दी का तिलक करें। चावल, हल्दी अथवा केसर से रंग कर यंत्र पर चढ़ाएं। यंत्र पर पुष्प चढ़ाएं। घृत, दीपक या अगरबत्ती जलाएं। गुड़ अथवा मिश्री का भोग लगाएं। नीचे दिए मंत्र जाप नित्य करें :
ॐ महालक्ष्मयै नमः
साधक को चाहिए कि वह किसी स्वच्छ, सुवासित, एकान्त एवं शोरगुल रहित स्थान का चयन करें। पूजा अथवा जाप के समय पूर्व या पश्चिम की ओर मुंह करके बैठे, दक्षिण दिशा सर्वथा वर्जित करें। जाप यथासंभव नियमित समय पर व नियमित संख्या में करें। नवरात्रि के समय अधिकाधिक जाप करना श्रेष्ठ रहता है। हो सके तो उस समय सवा लाख जाप का निर्णय लें, यह उत्तम रहता है।
जप की कुल संख्या का /0 भाग हवन करना उत्तम रहता है। हवन प्रतिदिन करना संभव नहीं होता। अतः सप्ताह में एक बार या महीने में एक बार या हर नवरात्रि के बाद या वर्ष में एक बार सुविधानुसार करें।
मान लीजिए आप नित्य 5 माला अर्थात् 540 जाप करते हैं और 4 माह बाद नवरात्रि आई तो 20 दिन में 64,800 जाप हुआ। इसका दसवां भाव 6,480 आहुति उसी मंत्र से देना चाहिए। यदि इतना हवन संभव न हो तो 08 आहुति तो देना ही चाहिए।
सफलतार्थ जितना महत्व हवन का है उतना ही महत्व दान का भी है। दान भी अनुष्ठान का एक आवश्यक अंग है। हवन के बाद साधक को चाहिए कि वह अपनी श्रद्धा के अनुसार 5/7/21 ब्राह्मणों को या कुंवारी कन्याओं को भोजन करवा दें अथवा किसी दीन-हीन परेशान को भोजन कराएं या वस्त्र दान दें।
ब्राह्मण सात्विक हो, सदाचारी हो, निर्लोभी हो–दम्भी, भ्रष्ट, नास्तिक, पाखंडी, दुराचारी, नीच न हो। इसीलिए कुंवारी कन्याओं को प्रधानता दी गई है। दानोपरान्त विनीत भाव से नित्य लक्ष्मी का स्मरण-मनन-चिन्तन करने से उनकी शीघ्र कृपा होती है।
लक्ष्मी धन, धान्य, ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री देवी है इसलिए उनके किसी भी नाम-रूप या मंत्र स्तुति-अनुष्ठान-मंत्र-तंत्र का अवलम्बन लेकर साधक मनोरथ पूर्ण कर सकता है। आर्थिक संकट से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। इसके अतिरिक्त अन्य देवी-देवताओं के भी कई मंत्रादि हैं, जिससे अर्थ लाभ प्राप्त कर सकते हैं। जैसे-गणेश, कुबेर, कनकधारा आदि। यों भी किसी देव-शक्ति का जिस किसी भी कामना-शक्ति से स्मरण किया जाए, वह अनुकूल प्रभाव देते हैं।